घुमकड़ की डायरी 18 Visit of James Baldwin Elementary school,Northgate, Seattle (Washington -USA)
*साकार कल्पना* आज पड़ोस में ही स्थित जेम्स बोल्डविन एलिमेंट्री स्कूल, नॉर्थगेट में जाने का अवसर मिला जो जेम्स आर्थर बाल्डविन (2 अगस्त, 1924 - 1 दिसंबर, 1987) एक अमेरिकी लेखक थे, के नाम पर है ।उन्होंने निबंध, उपन्यास, नाटक और कविताओं सहित कई विधाओं में अपने काम के लिए प्रशंसा अर्जित की। उनका पहला उपन्यास, गो टेल इट ऑन द माउंटेन, 1953 में प्रकाशित हुआ था; दशकों बाद, टाइम पत्रिका ने इस उपन्यास को 1923 से 2005 तक जारी 100 सर्वश्रेष्ठ अंग्रेजी भाषा के उपन्यासों की सूची में शामिल किया। उनका पहला निबंध संग्रह, नोट्स ऑफ़ ए नेटिव सन, 1955 में प्रकाशित हुआ था।बाल्डविन का काम जटिल सामाजिक और मनोवैज्ञानिक दबावों के बीच मौलिक व्यक्तिगत प्रश्नों और दुविधाओं का काल्पनिक वर्णन करता है। पुरुषत्व, कामुकता, नस्ल और वर्ग के विषय आपस में जुड़कर जटिल आख्यान बनाते हैं जो बीसवीं सदी के मध्य अमेरिका में सामाजिक परिवर्तन की दिशा में कुछ प्रमुख राजनीतिक आंदोलनों, जैसे कि नागरिक अधिकार आंदोलन और समलैंगिक मुक्ति आंदोलन, के समानांतर चलते हैं। बाल्डविन के नायक अक्सर विशेष रूप से अफ्रीकी अमेरिकी नहीं होते हैं, और समलैंगिक और उभयलिंगी पुरुष अक्सर उनके साहित्य में प्रमुखता से दिखाई देते हैं। इन पात्रों को अक्सर सामाजिक और आत्म-स्वीकृति की खोज में आंतरिक और बाहरी बाधाओं का सामना करना पड़ता है। इस तरह की गतिशीलता बाल्डविन के दूसरे उपन्यास, जियोवन्नीज़ रूम में प्रमुख है, जो समलैंगिक मुक्ति आंदोलन से काफी पहले 1956 में लिखा गया था।
उनकी मृत्यु के बाद से उनकी प्रतिष्ठा कायम है और उनके काम को बड़ी प्रशंसा के लिए स्क्रीन पर रूपांतरित किया गया है। एक अधूरी पांडुलिपि, रिमेंबर दिस हाउस को वृत्तचित्र फिल्म आई एम नॉट योर नीग्रो (2016) के रूप में विस्तारित और सिनेमा के लिए अनुकूलित किया गया था, जिसे 89वें अकादमी पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ वृत्तचित्र फीचर के लिए नामांकित किया गया था। उनके उपन्यासों में से एक, इफ बील स्ट्रीट कुड टॉक, को 2018 में इसी नाम की अकादमी पुरस्कार विजेता फिल्म में रूपांतरित किया गया था, जिसका निर्देशन और निर्माण बैरी जेनकिंस ने किया था। लेखन के अलावा, बाल्डविन एक प्रसिद्ध सार्वजनिक व्यक्ति और वक्ता भी थे, खासकर संयुक्त राज्य अमेरिका में नागरिक अधिकार आंदोलन के दौरान।
इस नगर सीएटल की खासियत यह भी है कि बच्चों को अपने पड़ोस के ही स्कूल में एडमिशन लेना होता है । ऐसा जहां बच्चों की सुरक्षा को पुख्ता बनाता हैं वहीं अभिभावकों को भी उत्तरदायी बनाता है कि वे स्कूल के प्रशासन, क्रियाकलाप और दिनचर्या से भी जुड़े रहे । वास्तव में किसी भी बस्ती की आर्थिक एवम बौद्धिक सम्पन्नता का अनुमान उस क्षेत्र के स्कूल की गुणवत्ता से तय होता है।
हम इस स्कूल को पिछले अनेक वर्षों से देख रहे थे । यहां के स्टाफ ने भी इसे बेहतर बनाने के लिए गत वर्ष एक आंदोलन किया था । मैं उसे भी अपना समर्थन देने गया था ,तब से मेरा इस स्कूल से आत्मीय संबंध बन गया था । और आज स्कूल का निमंत्रण पाकर मैं और मेरी पत्नी तय समय पर स्कूल विजिट करने पहुंचे। हमारा स्वागत स्कूल प्रबंधन की ओर से निकोल सूद ने किया और फिर हम यहां के फैमिली सपोर्ट वर्कर गिलरमो कारवाजल से मिले जो हमारे साथ लगभग एक घंटे तक रहे और जिन्होंने इस संस्थान के हर प्रमुख भाग तथा संकाय के दर्शन करवाए ।
95,000 स्क्वायर फीट एरिया में फैले इस स्कूल में लगभग 650 विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त कर सकते है । इसके प्रबंधन में जिला काउंसिल एवम स्थानीय नागरिक है जो अपने आर्थिक सहयोग से यानी levy से इसका संचालन करते है । वर्तमान में अभी 23 सितंबर ,2023 को ही इसकी भव्य, सुंदर और आकर्षक बिल्डिंग तैयार हुई है जिसमें अब यह शुरू हुआ है । एक अन्य play ground का काम जारी है जो फरवरी -2024 तक पूरा हो जाएगा ।
दो मंजिल में बने इस विद्यालय के kinder Garten, creche से पांचवी तक की कक्षाओं का अवलोकन किया। हर क्लासरूम आधुनिक शिक्षा उपकरणों और सुविधाओं से सुसज्जित था । विशेषतौर पर उनकी एक्स्ट्रा curricular activities के स्थान तो बेहद आकर्षक थे । बच्चों के आकस्मिक दुर्घटना होने पर नर्सिंग होम और नर्स , उन्हीं के स्तर की पठनीय सामग्री से सुसज्जित लाइब्रेरी , play rooms, भोजन कक्ष, वाशिंग एरिया और साफ सुथरे शौचालय अत्यंत प्रशंसनीय है । एक टेस्ट पास करने के पश्चात हर बच्चे को ब्रेकफास्ट और लंच स्कूल में ही दिया जाता है और जिसमे फल, सब्जियां और अन्य पौष्टिक आहार होता है । इसी तरह से पुस्तकें तथा अन्य सामान भी स्कूल ही उपलब्ध करवाता है। स्कूल में कोई भी यूनिफॉर्म नही होती क्योंकि प्रबंधन का मानना है कि इसमें कपड़े पहनने में बच्चों और उनके अभिभावकों को स्वतंत्रता होनी चाहिए । खाना बनाने और उसके वितरण का काम भी स्वैच्छिक आधार पर अभिभावक ही करते हैं । सफाई व्यवस्था की जिम्मेवारी भी विद्यार्थियों तथा स्टाफ की ही है । कोई अन्य विशेष सफाई कर्मचारी नहीं होता । आमदनी के आधार पर ही स्टाफ का वेतन/मानदेय निर्धारित होता है । पुरुष और महिला स्टाफ के वेतन में कोई अंतर नही है । सारी व्यवस्था पब्लिक सहयोग से है । आमदनी की राशि घटती बढ़ती है और इसी आधार पर मानदेय भी। इस नई बिल्डिंग बनाने में लगभग 93 लाख डॉलर खर्च हुए है। इस बार का अनुमानित प्राप्ति लक्ष्य 10 लाख डॉलर का है जिसमें से अभी 6 लाख डॉलर प्राप्त किया जा चुका है ।
स्कूल में मॉर्निंग तथा समय- समय पर असेंबली तो होती है पर धार्मिक प्रार्थना नही होती और न ही धार्मिक त्यौहार मनाए जाते । इस पर उनका कहना है कि उनके यहां अनेक देशों ,धर्मों ,भाषाओं के बच्चे पढ़ते है अत: वे किसी पर भी किसी आस्था का प्रभाव नहीं चाहते । धार्मिक आस्था प्रत्येक का व्यक्तिगत विषय है जिसका सार्वजनिक रूप में इस्तेमाल करना उचित नहीं है ।
स्कूल के मिशन के बारे में उनका कहना है कि जेम्स बाल्डविन एलीमेंट्री छात्रों, परिवारों और कर्मचारियों का एक समुदाय है जो। एक स्वागत योग्य वातावरण प्रदान करता है जो सुरक्षित, सम्मानजनक, सकारात्मक और शैक्षणिक उपलब्धि पर केंद्रित है।
सभी संस्कृतियों के प्रति सम्मान को अपनाता है और ऐसे रिश्ते बनाने का प्रयास करता है जहां सभी बच्चे सफल हों।
एक कठोर, एकीकृत पाठ्यक्रम लागू करता है जहाँ सभी छात्रों को चुनौती दी जाती है और उनका समर्थन किया जाता है ।
इस बारे में उनका नज़रिया है कि जेम्स बाल्डविन समुदाय माता-पिता, कर्मचारियों और छात्रों की एक टीम है जो छात्रों को एक सकारात्मक, पोषित सीखने के माहौल में वह सब कुछ बनने के लिए चुनौती देने के लिए प्रतिबद्ध है जो वे कर सकते हैं। हम अपने छात्रों को वे उपकरण देने का प्रयास करते हैं जिनकी उन्हें दुनिया के बुद्धिमान, विचारशील और दयालु नागरिक बनने के लिए आवश्यकता होगी। उच्च उम्मीदों और सभी के साथ मिलकर काम करने की स्पष्ट दृष्टि के साथ, हम एक समुदाय के रूप में सफलता को वास्तविकता बनाएंगे।
स्कूल की प्रिंसिपल निकोल सिल्वर एक उदारमना तथा प्रसन्नचित महिला है । हमने उन्हें अपने माता सीता रानी सेवा संस्था द्वारा निर्मला देशपांडे संस्थान में चलाए जा रहे हाली अपना स्कूल,पानीपत की गतिविधियों की जानकारी भी दी तथा हमारी कक्षा 6th की छात्राओं द्वारा बनाई गई एक सुंदर कलाकृति , एक तिरंगा रंग का अंगवस्त्र और एक पुस्तक Authentic Yoga भेंट की जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार किया । वे भारत आने की इच्छुक है और यहां आकर हमारी ऐतिहासिक विरासत, भव्य संस्कृति और रंग बिरंगे उत्सवों के दर्शन करना चाहती है । आप सभी की तरफ से हमने उन्हें भारत आने का निमंत्रण भी दिया।
निकोल सूद और उनके सहकर्मियों का विशेष आभार जिन्होंने इस विजिट को मूर्तरूप प्रदान किया ।
राम मोहन राय,
Northgate, Seattle Washington -USA .
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