घुमक्कड़ की डायरी -30 Bye Bye Honululu.

बाय बाय होनुलूलू!
    आज हमें इस छोटे से सुंदर द्वीप में आये पांचवा दिन है। ये दिन कैसे निकल गए पता ही नहीं चला। यहाँ आकर पता ही नहीं चला कि कहीं विदेशी धरती पर है। यहां की लोक संस्कृति, जन जीवन और रहन सहन से ऐसा लगा कि मानो हम किसी अपने देश के ही किसी समुद्र तटतीय स्थल पर है. कुछ कुछ श्रीलंका के कैंडी सागर तट जैसा। मुझे गोवा अथवा अंडमान निकोबार जाने का मौका तो नहीं मिला परन्तु कन्याकुमारी, त्रिवेंद्रम, पुदुचेरी, चेन्नई, पूरी, मुंबई आदि के समुद्र बीच देखने का अवसर जरूर मिला है। सबकी अपनी अपनी खूबियां है पर इस का आनंद कुछ अलग ही है।
    न ही यहाँ पश्चिम का नंगापन है और न ही बिलकुल संकिर्णता।
यहाँ तो एक मिश्रित वातावरण है।
जहाँ हर प्रकार कि समझ और विचारधारा का व्यक्ति स्वतन्त्रता से रह सकता है. समुद्र के किनारे है इसलिए सी फ़ूड की बहुतायत है परन्तु ऐसा नहीं कि हमारे जैसे लोगो को कोई दिक्क़त रहे. मै और मेरी पत्नी कृष्णा कान्ता स्वाभवत: शाकाहारी है. मै यह कतई दावा नहीं करता कि मैं धार्मिक दृष्टि से ऐसा हूँ. मैंने रूस में रहते हुए कई बार खाने कि कोशिश भी कि परन्तु मन नहीं माना. वैसे तो हमारा परिवार आर्य समाजी था परन्तु पिता  मास्टर सीता राम जी विचारों, खानपान एवं व्यवहार से जैन विचारों के थे. इसके कई अन्य कारणों में से एक यह भी रहा कि वे जैन स्कूल में ही पढ़े और फिर वहीं सन 1928 से 1948 तक पढ़ाते रहे. वे सदा कम खाते, अस्वाद, असंचय, अपरिग्रह का पालन करते. मेरे ननिहाल में खानपान कि कोई पाबन्दी नहीं थी फिर भी मेरी माता ने भी अपने को पाबंद रखा. हमारे ही परिवार के एक सदस्य ने अपनी संगति कि वजह से मांसाहार करना शुरू कर दिया. जब उस मांस विक्रेता को पता चला कि वह हमारे घर का सदस्य है, उसने न केवल उसे दुकान पर आना बंद कर दिया वहीं पिता जी को भी आकर शिकायत की वे उसे ऐसा करने से रोके। भला कौन दुकानदार अपने ग्राहक को ऐसे रुकवाता है?
 मेरी बड़ी बहन के पास होम साइंस थी जहाँ न चाहते हुए भी सब कुछ बनाना सिखाया जाता था. वह सब कुछ बनाना सीखी परन्तु इसका परीक्षण एक बार ही किया जब सहारनपुर में हमारे निमंत्रण पर सोवियत मेहमान अंद्रेज़ ग्रोनोवास्की आये और हमारे पास उन्हें लंच करवाने की आर्थिक स्थिति नहीं थी तो उसने उनके लिए घर पर ही नॉन वेज बनाया. मेरी पत्नी तो श्री नाथद्वारा की कंठिधारी वैष्णव है इसलिए गैर शाकाहारी भोजन का तो सवाल ही नहीं उठता।
मुझे दुनियां भर में अनेक देशों में जाने का मौका मिला जहाँ मैंने कहीं भी अपने खाने पीने में कोई दिक्क़त महसूस नहीं की. रूस ने तो मुझे एक अच्छा बावर्ची बनाया. होनोलूलू में भी तमाम अफवाहों के बावजूद कोई दिक्क़त नहीं रही. यहाँ लगभग हर स्टोर पर तरह तरह की शाक भाजी, दूध, पनीर, दही, आटा हर चीज भरपूर मात्र में उपलब्ध थी.
    लगभग साढ़े तीन लाख आबादी के इस शहर में 2200 भारतीय लोग रहते है. सात इंडियन रेस्टोरेंट है और इसके इलावा 13 अन्य स्टोर। एक हिन्दू मंदिर भी और इसके इलावा एक अन्य भारतीय धार्मिक स्थल भी।
    हवाई का एक अलग ही पहरावा है जो लगभग सभी समुद्र तटतीय स्थानों का एक ही जैसा है।
    हम आज पर्ल हर्बोर से शाम पांच बजे फ़ारिग हो गए थे और हमारे पास अभी पांच घंटे बकाया थे क्योंकि फ्लाइट का समय रात 11 बजे का है. हम वापिस वैकिकी बीच पर आ गए और वहां ही समय बिताना मुनासिब समझा। हमें नहीं पता था कि आज तो कुछ और ही नजारा है। समुन्द्र किनारे आज आतिशबाजी का कार्यक्रम था. आठ बजते ही किनारे से आसमान को छूने वाली रंग बिरंगी आतिशबाज़ी शुरू हो गई। हमने सोचा कि यह रोज ही होती होंगी परन्तु यह हर शुक्रवार को ही होती है और आज इसे हमनें अपनी सौगात माना।
    मौसम विभाग कि भविष्यवाणी थी कि हमारे रहते इन पांच दिनों में होनुलूलू में खूब झामझम बारिश रहेगी। हम कुछ डरे हुए भी थे इस तरह तो हमारा यात्रा प्लान ही खराब हो जाएगा, परन्तु प्रकृति ने हम पर कृपा बनाये रखी, बारिश तो हुई परन्तु जब जब हम बाहर निकले तब तब बंद रही।
     बेशक़ आज यह स्थान आधुनिक सम्पन्नता से परिपूर्ण है परन्तु स्थानीय लोग अपनी पौराणिक कथाओं, बिधाओं और तकनीक को नहीं भूले है। शाम ढलते ही जब रौशनी पुरे शहर कि ईमारतो को जगमगाती है तब स्थानीय युवा अपनी पुरानी वेशभूषा पहन कर जगह जगह एक से एक मशाल  को जला कर रोशन करते है और फिर चलता है स्थानीय लोक संगीत, नृत्य और मनोरंजन.
     होनुलूलू एक मनोरम स्थान है। मै सौभाग्य शाली हूँ कि मेरी सुलभा जैसी बेटी है और उल्लास जी जैसे जमाता। नातिन नाती का तो कहना ही क्या। प्रभु इन्हे लम्बा तथा स्वस्थ जीवन दे। इन सभी के साथ यह यात्रा कर आपार हर्ष और आनंद कि अनुभूति हुई.  चलते हुए मैंने उल्लास जी से कहा कि हवाई कि यात्रा करके बहुत अच्छा लगा, धन्यवाद! तो उनका जवाब था यह तो हवाई का एक शहर था जबकि अभी  मौई , मोलोकाई , लेनाई , ओहु , कौए और निहाउ द्विपीय शहर बकाया है।
    बाय बाय होनुलूलू!
फिर मिलेंगे हवाई!
Ram Mohan Rai,
Honululu, Hawaii-USA.
03.12.2023

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