घूमक्कड़ की डायरी -33 Christmas in USA

अमेरिका में क्रिसमस
    अमेरिका की खासियत यह हैं कि यहाँ एक ही स्थान पर अनेक  देशों के लोग मिल जाएंगे। कोई भी ऐसा मोहल्ला, मॉल, स्कूल अथवा संस्थान नहीं होगा जहाँ 40-50 देशों के लोग नहीं मिल जाए। इस तरह से इन सभी से मिलना विश्व नागरिक बनने का बोध देता हैं। जब लोग मिलेंगे तो उनकी संस्कृति, भाषा, धार्मिक आस्था और जन जीवन को भी देखने समझने का अवसर मिलता हैं।
   कुछ दिन पहले एक पाकिस्तानी मुस्लिम मित्र ने क्रिसमस पर एक दावत पर बुलाया। हमारे अतिरिक्त वहाँ मंगोलिया, फिलिपिन्स, चीन और अमेरिका के लोग भी थे। यानि कि एक मुस्लिम के घर हिन्दू, बौद्ध और नास्तिक आस्थावन लोगों का जमवाड़ा। फुर्सत मिलने पर गपशप का विषय क्रिसमस का त्यौहार रहा। सभी का मानना था कि वे ईसाई तो बिलकुल भी नहीं हैं इसलिए चर्च और उनके कार्यक्रमों से कोई लेना देना नहीं हैं परन्तु वे क्रिसमस को एक लोक पर्व के रूप में मनाते हैं।
    एक चर्च के बाहर तो हमनें रात को एक झांकी देखी जहाँ एक झोपड़ी में भेड़ बकरियां बंधी दिखाई गई थी और काफ़ी ग्वाल बाल खड़े थे और बीच में मदर मैरी के साथ प्रभु ईसा का शिशु रूप एक पालने में लेटा था, बिलकुल इसी तरह जिस तरह हमारे देश में कृष्णजन्माष्टमी को कृष्ण जन्म की झांकी सजाई जाती हैं। बहुत ही विहंगम दृश्य था। हम भी वहां गए और उनके साथ अपना एक फोटो खिचवाया।
     अमेरिका एक ईसाई आबादी बाहुल्य देश हैं परन्तु राज्य और शासन के तौर पर यह एक धर्म निरपेक्ष देश हैं। धर्म एक व्यक्तिगत मसला हैं और इसकी राजनीती में और राजनीती की इसमें कोई दखल नहीं हैं। मैं जब नजदीक की एक स्कूल में गया तो पाया कि वहां प्रात: कालीन असेंबली में कोई भी प्रार्थना आदि नहीं होती हैं। मैंने जब इसका न होने का कारण जानना चाहा तो बताया गया कि उने यहाँ लगभग 50 देशों की बच्चे पढ़ते हैं जिनके अलग अलग धर्म हैं, ऐसे में यदि किसी एक प्रार्थना को किया तो अच्छा नहीं रहेगा। हाँ नैतिक शिक्षा जरूर पढ़ाई जाती हैं जो कतई तौर पर धार्मिक शिक्षा नहीं हैं।
   इस देश में लगभग 45 लाख भारतीय कानूनी तौर पर रहते हैं जिनमे से सबसे अधिक लगभग 20 प्रतिशत गुजराती हैं और इसके बाद संख्या तेलगु लोगों की हैं जो  लगभग 14 प्रतिशत हैं और फिर अन्य भारतीय प्रांतो और भाषाओं के लोग हैं।  यहाँ आकर गुजरातीयों ने स्वामी नारायण मंदिर, दक्षिण भारतीय लोगों ने बालाजी मंदिर और महाराष्ट्रीयन ने शिर्डी साईं मंदिर बनवाये हैं जो लगभग हर बड़े शहर में मिल जाएंगे। पंजाब से गए सिखों ने गुरूद्वारे भी बनवाये हैं और इसी तरह से अनेक स्थानों पर संत निरंकारी मिशन के केंद्र , परमहंस स्वामी योगानंद महाराज, महऋषि महेश योगी, रामकृष्ण आश्रम, इस्कॉन आदि आश्रम हैं जहाँ पर कार्यक्रम होते रहते हैं। अन्य मत-मातंत्र इन्ही स्थापित स्थानों के स्थान ही किसी भी एक अथवा दो दिन किराये पर लेकर काम चलाते हैं।
     मुझे भी यहाँ सियाटल में दो स्थानों पर गैर ईसाई भारतीय धार्मिक स्थल पर क्रिसमस कार्यक्रम में भाग लेने का अवसर मिला और पाया कि वहां इस दिन को विशुद्ध सांस्कृतिक त्योहार के रूप में मनाया जा रहा था। संता का रूप लोग बनाये घूम रहे थे और बच्चों को गिफ्ट अथवा मिठाइयाँ बाँट रहे थे। एक मंदिर में तो देव प्रतिमाओं के सम्मुख ही पुजारी जी संता का रूप धर्म कर प्रसाद वितरित कर रहे थे, जब कि ऐसा करना उनकी कोई मज़बूरी नहीं थी पर यह सांस्कृतिक पर्व उन्हें उत्साहित कर रहा था कि वे इसमें शामिल होकर इसे आनंद पर्व की तरह मनाये। एक अन्य स्थान पर तो पहले सत्संग हुआ और फिर खान पान के साथ साथ उस स्थान के एक प्रमुख व्यक्ति ने संता का रूप बना कर खूब मस्ती की।
    सभी धर्मों के लोग एक दूसरे को मिलने पर ऐसे ही शुभकामनायें दें रहे थे कि मानो यह उन्हीं का त्यौहार हैं। उनमें यह जिरह नहीं थी कि इसमें तो मुझे दिवाली विश नहीं की तो मैं क्यों करूँ।  इन देशों की प्रगति का राज भी यही हैं कि धर्म निरपेक्ष रहते हुए हर धर्म की आस्था का सम्मान।
       क्रिसमस के मौके पर यहाँ सभी स्थान खूबसूरती से सजे हुए है। सभी ईमारतो, सड़क किनारे सभी पेड़ों पर रौशनी टिमतिमाती मिलेगी और बाज़ारो में स्पेशल डिस्काउंट पर सेल का आकर्षण भी। स्कूलों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर तो 23 दिसंबर से 1 जनवरी तक तो सामूहिक अवकाश है ही।





   सियाटल का सबसे व्यस्ततम स्थान स्पेस नीडल और उसके आसपास में लोगों की आमद दरफ्ट का तो कहना ही क्या? यहाँ अरमेरी की स्टेज तो पिछले दस दिन से विभिन्न देशों के सांस्कृतिक कार्यक्रमों से गुंजायमान है। वहीं किंग काउंटी रेलवे स्टेशन ने एक बहुत ही मन भावक प्रदर्शनी लगाई है जो बर्फ से ढके शहर में रेल गाड़ी से चक्कर लगाते दर्शाती है और इसके चारों और विविध व्यंजनों के स्टॉल लगे है। और पास ही साइंस म्यूजियम है जो न केवल बच्चों को अपितु बड़ो का भी ज्ञान वर्धन करता है।
Happy Christmas to all.
Ram Mohan Rai,
Seattle, Washington- USA.
26.12.2023




































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