Udai Bhan Singh Bhai sb

Udai Bhan Singh Bhai Sb.
       उदयभान सिंह भाई साहब से हमारी पहली मुलाक़ात 1987-88 के आसपास पानीपत में ही हुई थी जब वें अपनी प्रॉपर्टी के एक केस के सिलसिले में कोर्ट आये थे. उस समय मैं एक यंग लॉयर था और प्रैक्टिस में भी काफ़ी सक्रिय. हमारा परिचय मेरे एक साथी अजय सिंह ने करवाया था और जब मुझे पता चला कि वें उदयपुर के ही है तो बहुत ख़ुशी हुई थी। कोर्ट निपटने के पश्चात घर पहुंचने पर मैंने यह बात अपनी पत्नी कृष्णा कांता को बताई। यह वह समय था जब पानीपत से उदयपुर में कोई रिश्तेदारी विरले ही होती थी और मुझे तलाश रहती कि उनके मायके का कोई भी व्यक्ति मिले ताकि वह प्रसन्न हों और आज मौका मिल गया था। उदय भाई का पता चलते ही वह चहक उठी और उसका पहले ही सवाल था कि उन्हें घर क्यों नहीं लाये? भाई साहब की तो वह स्टूडेंट रही थी और वें उनके व्यक्तित्व एवम विचारों से प्रभवित थी।
     उदय भाई साहब के पूर्वज विगत अनेक शताब्दी पहले पूर्वी उत्तरप्रदेश से पानीपत आये थे और उन्होंने अपनी रिहाइश यहीं बनाई थी जिसे बाद में पूर्बीयान घाटी के नाम से जाना जाने लगा. न केवल शहर में अपितु नजदीक लगते गावों में भी उनकी काफ़ी ज़मीने थी. पढ़ी लिखी फॅमिली थी और इस कारण भी आम लोगों में उनका प्रभाव था.  घाटी के बाहर ही उन्होंने अपने इष्ट देव श्री हनुमान जी का मंदिर बनवाया था. जिसकी ख्याति यह रही कि पानीपत की जग प्रसिद्ध तीनों लडाईयों के समय जब भी हिन्दू सैनिक यहाँ से गुजरते तो पान के बीड़े को पेश कर सलामी देकर यहाँ से गुजरते. उस समय तो यह मंदिर बहुत छोटा था पर आज उस छोटे स्थान पर ही इस शहर के व्यापारी आस्थावान पिता- पुत्र वेद प्रकाश गोयल तथा विकास गोयल के प्रयासों ने इसे भव्यता प्रदान की है.
     उदय भाई साहब के पिता हमारे पूरे इलाके के प्रसिद्ध क्वालिफाइड डॉक्टर रहें पर बाद में अपनी यौवनावस्था में ही राजस्थान के आबू रोड चले गए और वहीं मेडिकल ऑफिसर रहें और फिर वहीं बस गए.
  सम्भवतः उन्हें प्रॉपर्टी खरीदने का शौंक था इसलिए हरियाणा और राजस्थान के अनेक स्थानों पर इनकी जायदाद रही. भाई साहब, कॉमर्स विषय में पारांगत रहें और उदयपुर यूनिवर्सिटी के कॉलेज में इसी विषय के प्राध्यापक रहें और यहीं वाणिज्य पढ़ कर मेरी पत्नी भी उनकी विद्यार्थी रही. भाई साहब का विवाह भी उदयपुर के ही एक प्रतिष्ठित क्षत्रिय परिवार के एक उच्च क़ृषि अधिकारी की सुपुत्री अनीता  से हुआ और अब यह पूरा परिवार यहीं बस गया.
   कोर्ट में पहली मुलाक़ात के पश्चात हमारे आग्रह पर वें हमारे घर पधारे और वह दिन और उसके बाद तो उनका इतना स्नेह रहा कि अक्सर वें आते रहें.
  जब जब भी आते तब शाम को खूब महफ़िल जमती. मुद्दा होता सामाजिक, राजनैतिक और धार्मिक. हमारे माता पिता उसमे खूब हिस्सा लेते. एक बार तो उनके ससुर जी एवम साले साहब अजय कुशवाह भी पधारे. अजय और मेरे साले साहब डॉ रमाकांत दोनों आपस में क्लास फेलो भी थे. अब यह रिश्ता कोई व्यवसायिक न होकर पारिवारिक बन गया था. भाई साहब के पास एक जीप, मॉडल 1940 थी. वें उदयपुर से पानीपत तथा इसके एलावा भी दूर दराज की यात्रा इसी से करते. हम भी कई मर्तबा उससे उनके साथ दीदी निर्मला देशपांडे जी से मिलने दिल्ली गए. यह गाड़ी उन्हें अपनी जान से भी ज्यादा प्यारी थी, पर इस प्यार का बदला इस निर्जीव वस्तु ने भी कभी धोखा न देकर किया. उनके पूर्वजों का एक स्थान पानीपत के ही पास एक गांव में था. अपने पुत्र आदित्य के मुंडन कराने के लिए वें सपरिवार आये और फिर हम भी तो उनके पारिवारिक सदस्य थे इसलिए सब मिल कर उस पारिवारिक उत्सव में शामिल हुए.
    भाई साहब एक बहुत ही हिम्मत वाले व्यक्ति थे. उनकी किडनी खराब हों गई और इन हालात में अनीता भाभी एक विश्वास के साथ आगे आई और उन्होंने अपनी एक किडनी देकर अपने पति को प्रोत्साहित किया. अब वें सामान्य जीवन जीने लगे थे. एक बार हम जब उदयपुर आये तो उन्होंने हमारे साथ ही श्री नाथद्वारा जाने का कार्यक्रम बनाया. वें हमेशा हमें घूमने -घुमाने के लिए उत्साहित करते और आज जो यह आदत बनी है, सम्भवतः उन्हीं की देन है.
    मेरे से उनके दो तरह से पारिवारिक रिश्ते थे. एक - उनके पूर्वज हमारे शहर पानीपत के थे और दूसरे - मेरी पत्नी कृष्णा कांता उनके शहर उदयपुर की है. उनकी खूबी यह रही कि उन्होंने यें दोनों संबंध बखूबी निभाए.
    आज वें अब इस दुनियां में नहीं है पर अब भी हम जब भी उदयपुर आते है तो उनकी याद बन आती है पर अब उस काम को उनकी पत्नी अनीता करती है.
    आज हम उनके घर आये है. यहां हर कोई है पर उनकी कमी बेहद महसूस हों रही है.
We miss you Udai Bhai Sb.
We love you.
Ram Mohan Rai.
25.02.2024.
Hari dass ji ki Magri,
Udaipur.

Comments

Popular posts from this blog

Gandhi Global Family program on Mahatma Gandhi martyrdom day in Panipat

Aaghaz e Dosti yatra - 2024

पानीपत की बहादुर बेटी सैयदा- जो ना थकी और ना झुकी :