My trip to the Switzerland - 1

घुमक्कड़ की डायरी  (स्विटजरलैंड -1)

लो अखिरकार हम आ ही गए अपने सपनों के देश स्विटजरलैंड में. बचपन से इसका नाम सुना था. जब भी किसी प्राकृतिक सौंदर्य से सम्पन्न स्थान को देखने अथवा उसका नाम सुनते तो कहा जाता कि यह तो यहां का स्विटजरलैंड है, फिर चाहे हो कश्मीर का गुलमर्ग हो, या हिमाचल प्रदेश का डलहौजी अथवा तमिलनाडु का ऊटी. यानी कि हम उस जगह को स्विटजरलैंड नाम की उपमा देने में कोई गुरेज नहीं करते जो पहाड़ी हो, ठण्डी हो और पानी और जंगलों से भरी हो. पर आज हम सचमुच मे स्विटजरलैंड की धरती पर आ पहुँचे हैं और यहां देखना और जानना चाहेंगे कि ऐसी क्या बात है कि यहां की कल्पनाओं मे हम अपने देश मे ढूंढते हैं.
    आज सुबह 8 बजे हम स्किपोल एयरपोर्ट, एम्सटर्डम, नीदरलैंड्स से स्विस Airways के एक विमान से मात्र दो घंटे मे स्विटजरलैंड के एक प्रमुख नगर बसाना एयरपोर्ट पर उतरे. एक देश से दूसरे देश में आए हैं तो सोच रहीं कि वीजा /पासपोर्ट अथवा अन्य दस्तावेज की चेकिंग के लिए हम तैय्यार रहे परंतु ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. हम इत्मीनान से एयरपोर्ट से बाहर निकले और एक किराये पर ली गयी कार से अपने अगले गन्तव्य स्थान की ओर रवाना हो गए.
   यद्यपि, यह देश यूरोपीय फ्री ट्रेड एसोसिएशन का संस्थापक सदस्य है परंतु यूरोपीयन यूनियन का मेंबर नहीं है यानी इसमे प्रवेश के लिए शेनगन वीजा जो एक ही सभी 12 यूरोपीय देशों (जर्मनी ) के लिए लागू होता है, को ही मान्यता है परंतु अन्य यूरोपीय देशों की तरह एक ही currency(मुद्रा) लागू नहीं है. इसके लिए हमे युरो (यूरोपीय मुद्रा ) के स्थान पर स्विस फ़्रैंक का इंतजाम करना पड़ा, जिसकी क़ीमत प्रति युरो (भारतीय मूल्य 93 रुपये ) से कुछ अधिक है.
      इस देश की सीमाएँ चार अलग- अलग देशों से जुड़ी हुई हैं. उत्तर मे जर्मनी, दक्षिण में इटली, पूर्व में ऑस्ट्रिया और Liechtenstein और पश्चिम में france. मज़े की बात यह है कि जिस जिस देश से इसकी सीमाएँ जुड़ी हैं, उस उस देश की भाषाओं  को इस देश के लोग अपनी भाषा और बोली के तौर पर इस्तेमाल करते हैं यानी जर्मन, फ्रेंच, इटालियन और रोमांस इनकी भी भाषा है.
  यह देश दो मुख्य हिस्सों मे बँटा है. एक - अल्पू और दूसरे जुड़ा.अल्पू इसका बड़ा भाग है जहां Zurich, जेनेवा और बसेल. इनमें सबसे
    कुल आबादी 8,902,308 में से 90 लाख लोग इसी हिस्से मे रहते हैं. उपरोक्त तीनों बड़े प्रमुख शहरों की आबादी ही नहीं अपितु दुनियां भर मे इनकी जीवन गुणवत्ता भी सबसे अधिक है. संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा स्थापित विश्व व्यापार संगठन (WTO), विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन(ILO) और FIFA के वैश्विक कार्यालय यद्यपि इन्हीं नगरों में हैं परंतु इस देश की औपचारिक राजधानी बर्न (Bern) ही है. रेड क्रॉस सोसाइटी जैसे विश्वव्यापी संस्थाओं की न केवल यहां स्थापना हुई अपितु इसका मुख्यालय भी इसी देश में है.
    पूरे विश्व मानचित्र पर यह देश शांति का देश माना जाता है. बेशक, हर 17 से 21 वर्ष के नौजवान के लिए मिलिट्री ट्रेनिंग अनिवार्य है परंतु इस देश ने 16 वीं शताब्दी में ही निशस्त्रीकरण का सिद्धांत अपनाया था और वर्ष 1815 से किसी भी रूप मे इनका किसी भी देश के विरुद्ध युद्ध नहीं हुआ है. यह तो संयुक्त राष्ट्र संघ का भी सदस्य साल 2002 में ही बना है.
     यह एक धर्म निरपेक्ष राष्ट्र है अर्थात सरकार का कोई धार्मिक सरोकार नहीं है. यहां 58.2 प्रतिशत ईसाई, 5.9 प्रतिशत मुस्लिम, 1.3 अन्य, 33.5 नास्तिक और 0.9 प्रतिशत कोई ज़वाब नहीं लोग हैं. Alpo क्षेत्र के कई हिस्सों में रोमन catholics को अवश्य शासकीय अनुदान मिलता है.
    इस देश की जड़े लगभग डेड़ लाख साल पुरानी है. ईसा से लगभग 5300 साल पूर्व यानी कि 7300 साल पूर्व यहां खेती होनी शुरू हो गई थी. स्विटजरलैंड जिसे पांच अलग अलग नामों जैसे sehweiz मे varts, Suisse मे सुइस, फ्रेंच मे swizzwra, इटालियन में Swizera और रोमांस पुकारा जाता है, की राष्ट्र के रूप में स्थापना एक अगस्त, 1291 को हुई थी और 24 अक्तूबर, 1648 को एक शांति प्रस्ताव (Peace of West Phalilia) ने इसे सम्प्रभु घोषित किया और बाद मे समय समय पर साल 1815 और 1848 में इसमे संघीय समझौते हुए. वर्ष 1999 में एक नया संविधान बना जिसमें मुल्क पर शासन का अधिकार स्विस संसद को दिया गया जिसके दो सदन हैं. एक - राज्य परिषद जिसमें 23 क्षेत्रों के प्रत्येक से दो सदस्य और दूसरा - राष्ट्रीय परिषद, जिसमें कुल 200 सदस्य हैं, जिनका निर्वाचन आनुपातिक चुनाव प्रक्रिया द्वारा होता है. यदि भारतीय संदर्भ में कहें तो जिसकी जितनी संख्या भारी - उसकी उतनी भागीदारी. अच्छाई यह भी है कि जनता को अपने प्रतिनिधियों को वापिस बुलाने का अधिकार भी है अर्थात यदि 50 हजार मतदाता 100 दिन के भीतर हस्ताक्षर करके याचिका दे तो refrendum हो सकता है और यदि संसद कोई कानून पास कर दे तो 18 माह के अंदर यदि एक लाख लोग अपने हस्ताक्षर करके याचिका दे तो कानून पर पुनर्विचार होगा. इस तरह के सीधे लोकतंत्र का विचार सर्वोदयी नेता लोकनायक जयप्रकाश नारायण और कम्युनिस्ट पार्टी ने रखा था जो सिरे नहीं चढ़ा, पर हाँ मध्यप्रदेश में जब कॉंग्रेस की दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में हुकुमत थी तो पंचायतों में इसे लागू किया गया था. इसके इतिहास, संस्कृति और सभ्यता को समझने के लिए लगभग 100 म्युजियम देश के अनेक हिस्सों में स्थित है. 
     शिक्षा के क्षेत्र में भी इसका उच्च स्थान है. हाई स्कूल तक प्रत्येक को निशुल्क शिक्षा है और बाद मे योग्यता के अनुसार वजीफा है. देश भर मे कुल 10 निकायों में 12 विश्वविद्यालय हैं. अकेले University of Zurich में 25 हज़ार छात्र पढ़ते हैं. 
       इसी देश ने महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन, जो हमारे देश के महान नायक महात्मा गांधी के अनन्य प्रशंसक और पंडित जवाहर लाल नेहरू के प्रगाढ़ मित्र थे, ने यहीं जन्म लिया. इनके अतिरिक्त सात और भी ऐसे व्यक्तित्त्व हैं जिन्हें विज्ञान के विभिन्न विषयों पर नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ.
     पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान यहां की सरकार और जनता का विशेष ध्यान है. इसीलिए यहाँ सर्वश्रेष्ठ परस्पर सहयोग संगठन हैं, जो इस कार्य को करते हैं. लगभग 66 से 96 प्रतिशत सामान की रीसाइक्लिंग कर उनका पुनः उपयोग किया जाता है.
    हाँ इसी देश की बैंक व्यवस्था भी बहुत सुरक्षित एवं व्यवस्थित है. पूरे दुनियां के अधिकांश देशों की सरकारों का पैसा और सोना यहां रखा है और उन पूंजीपतियों का भी जिसे उनके देश मे काला धन कहा जाता है.
   ऐसे इस प्यारे से देश मे हम कुछ दिन गुजारेंगे और कोशिश करेंगे इस देश, देशवासियों और विविध प्रकार की संपदा को.
Ram Mohan Rai.
Switzerland.
01.06.2024.
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घुमक्कड़ की डायरी 
(Switzerland - 2) 
बासेल (Basel)
   हमारा हवाई जहाज जिस एयरपोर्ट पर उतरा, वह स्विटजरलैंड की साँस्कृतिक राजधानी Basel का अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा था. यह शहर से मात्र चार किलोमीटर दूर जर्मनी और फ्रांस की सीमा के निकट ही है.
 यह शहर रहिन नदी के दोनों तरफ बसा हुआ है और इसमे लगभग 800 वर्ष पुरानी Gothic परंपरा पर cathedral बहुत ही दर्शनीय है. हजारों की संख्या में लोग यहां आते हैं और इसकी कलाकारी को निहारते है. लाल रंग के पत्थर से बने टाउन हॉल जो की नगर की बिल्कुल बीच में है, उसकी तो छटा ही निराली है.
  इसे Baselstad के नाम से भी जाना जाता है और यह इस देश के 26 जनपदों मे से एक प्रमुख जनपद है. तीन नगर निगम इसके अंतर्गत है और यह खुद दो भागों शहरी और देहात मे बँटा है. इन दोनों की कुल जनसंख्या 201,156 है और प्रत्येक निवासी की प्रतिव्यक्ति आय लगभग 2 लाख स्विस फ़्रैंक है. यह युरोप का सातवां बड़ा जीडीपी आर्थिक केंद्र है और देश का 94 प्रतिशत केमिकल और pharmaceuticals का निर्यात यहीं से होता है. यहां बहुराष्ट्रीय कंपनियों के अनेक कार्यालय हैं और देश का 20 प्रतिशत निर्यात यहीं से होता है.
    Basel मे राजनीतिक संघर्ष का भी समय रहा है. कभी एकीकरण के लिए तो कभी विभाजन के लिए. सन 1833 मे संघर्ष इस बात के लिए रहा कि Basel को दो हिस्सों मे बांटा जाए इसमे 26 अगस्त, 1833 को कामयाबी मिली. वर्ष 1900 तक यहां उद्योगीकरण हो चुका था अतः फिर एकीकरण की मांग उभरी और 1969 मे दोनों हिस्सों मे फिर अलग होने की संभावना उभरी और सन 2014 मे यह तीसरी बार अलग अलग हो गए. यह ही है सीधे लोकतंत्र का नमूना.
   Switzerland का एक मात्र बंदरगाह मात्र Basel मे ही है जो Rhine नदी को समुद्र से जोड़ता है. यहीं से पेरिस तथा बर्लिन के लिए भी सुपरफास्ट ट्रेन चलती है.
     यहीं विश्व प्रसिद्ध अनेक म्युजियम है.
    शहर के लगभग चालीस संग्रहालय प्राचीन काल से लेकर वर्तमान तक की दृश्य कलाओं को प्रदर्शित करते हैं। फंडेशन बेयेलर, कुन्स्टम्यूजियम (ललित कला संग्रहालय) और एंटिकेनम्यूजियम (प्राचीन कला संग्रहालय) द्वारा आयोजित प्रतिष्ठित प्रदर्शनियां अंतर्राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित करती हैं। प्रदर्शनियों की गुणवत्ता को लंदन स्थित समाचार पत्र 'द टाइम्स' के सम्मानित कला समीक्षकों ने भी मान्यता दी, जिन्होंने 2013 में कुन्स्टम्यूजियम बेसल को दुनिया के पांचवें सर्वश्रेष्ठ संग्रहालय के रूप में नामित किया था। लेकिन कला केवल घर के अंदर तक ही सीमित नहीं है। शहर में टहलते हुए, हर कोने में प्रशंसा करने के लिए कुछ न कुछ है: रिचर्ड सेरा द्वारा "इंटरसेक्शन", जीन टिंगुएली का "कार्निवल फाउंटेन" और बेटिना ईचिन का "हेल्वेटिया" कला के कई कार्यों में से कुछ हैं
    शहर मे घूमने मात्र से इसकी कला और संस्कृति का आभास होता है. प्रसिद्ध चित्रकार वान गो ने सही कहा था कि कला मे मन और आत्मा का समावेश होता है. यहां घूम कर, लोगों से मिल कर और दर्शनीय स्थलों मे हमें इसके साक्षात दर्शन होते हैं.
Ram Mohan Rai.
Basel, Switzerland.
01.06.2024.
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घुमक्कड़ की डायरी 
(Switzerland - 5) 
     Lake Brienz 
        हमें तीन रात और चार दिन इस झील के किनारे बने अतिथि गृह में ही रहने का अवसर मिला. हम सुबह ही नाश्ता करके निकलते और फिर शाम तक इस झील के किनारे - किनारे स्थित अनेक दर्शनीय स्थलों पर जाकर उनका आनंद लेते. वास्तव मे इसके चारों तरफ के स्थानों को देखने के लिए ही पूरे 8-10 दिन चाहिए. झील क्या यह तो पूरा समंदर ही था. जहां एक छोर से दूसरा दिखाई नहीं देता था.
     इसका वास्तविक नाम लेक ब्रिएन्ज़ (जर्मन: ब्रिएन्ज़र्सी) है. स्विटज़रलैंड के बर्न कैंटन में आल्प्स के ठीक उत्तर में यह स्थित है। इसकी लंबाई लगभग 14 किलोमीटर (8.7 मील), चौड़ाई 2.8 किलोमीटर (1.7 मील) और अधिकतम गहराई 260 मीटर (850 फीट) है। इसका क्षेत्रफल 29.8 वर्ग किलोमीटर (11.5 वर्ग मील) है; सतह समुद्र तल से 564 मीटर (1,850 फीट) ऊपर है।  अन्य बातों के अलावा, यह अपने पूर्वी छोर पर आरे की ऊपरी पहुंच से, अपने दक्षिणी किनारे पर गीसबाख से, जो झील से 2,000 मीटर (6,600 फीट) से अधिक ऊंचे फाउलहॉर्न और श्वार्ज़ोरेन की खड़ी, जंगली और चट्टानी पहाड़ियों से आती है, साथ ही लुत्शाइन के दोनों हेडवाटर, ग्रिंडेलवाल्ड से बहने वाली श्वार्ज लुत्शाइन (ब्लैक लुत्शाइन) और दक्षिण-पश्चिमी कोने पर लॉटरब्रुनेन घाटी से बहने वाली वीसे लुत्शाइन (व्हाइट लुत्शाइन) से आती है। लुत्शाइन के प्रवाह से बहुत दूर उत्तर में नहीं, झील अपने पश्चिमी छोर पर आरे के एक और हिस्से में बहती है। झील के जल निकासी बेसिन का चरम बिंदु समुद्र तल से 4,274 मीटर ऊपर फिनस्टेराहॉर्न है।
    ब्रिएन्ज़ गांव, जिससे झील का नाम पड़ा है, इसके पूर्वी छोर पर उत्तरी तट पर स्थित है। पश्चिम में, झील बोडेली में समाप्त होती है, जो भूमि में इसे समा लेती है जो इसे पड़ोसी थून झील से अलग करती है। बोनिगेन गांव बोडेली के झील के सामने स्थित है, जबकि इंटरलेकन का बड़ा रिसॉर्ट शहर दो झीलों के बीच Brienz और आरे के बीच स्थित है। इसेल्टवाल्ड गांव दक्षिण तट पर स्थित है, जबकि रिंगजेनबर्ग, नीडेरिड और ओबेरीड गांव उत्तरी तट पर हैं।
  झील की एक कमजोरी भी है कि इसमे पोषक तत्त्वों की कमी है जिसके कारण जल में रहने वाले जीव-जन्तु अधिक मात्रा में नहीं पनप पाते. 

1839 से झील में यात्री जहाजों की भी आवाजाही हैं, और वर्तमान में झील पर पाँच यात्री जहाज हैं।  जहाजों का संचालन स्थानीय रेलवे कंपनी बीएलएस एजी द्वारा किया जाता है, और वे इंटरलेकन ओस्ट रेलवे स्टेशन को इससे जोड़ते हैं, जिस तक वे आरे के 1.3 किलोमीटर (0.81 मील) लंबे नौगम्य खंड का उपयोग करके  ब्रिएन्ज़ और अन्य झील किनारे की बस्तियों के साथ होते हुए पहुंचते हैं । अन्य जहाज गिएस्बाचबान से भी जुड़ते हैं, जो एक फनिक्युलर है जो प्रसिद्ध गिएस्बाच फॉल्स तक है. 

ब्रुनिग रेलवे लाइन एक स्थानीय सड़क के साथ झील के उत्तरी किनारे का अनुसरण करती है, जबकि ए8 मोटरवे दक्षिणी तट के ऊपर एक वैकल्पिक और अधिकतर सुरंग वाला मार्ग अपनाता है।
Ram Mohan Rai.
Brienz, Switzerland.
02.06.2024



















Diary - 3
    हमारा पहला पड़ाव यहां से लगभग 200 किलोमीटर दूर एक कस्बा ब्रेजन रहा. रास्ते भर प्राकृतिक सौंदर्य से भरा एक अजब ही नजारा रहा, जिसे हम अनेक घरों मे लगे वॉल पोस्टर से महसूस कर सकते हैं पर यहां तो ऐसा महसूस हो रहा था मानो हम रंग बिरंगे उन पोस्टर्स की अकल्पनीय रील मे से गुजर रहे हो.
   ऊंचे ऊंचे पर्वत शृंखला मे इठलाते हुई घुमावदार सडकों से प्राकृतिक सौंदर्य का नजारा बहुत ही सुन्दर था. यहां भी हमे अपने देश की यादें बरकरार रहीं. बड़ी बड़ी झीलें देख कर कभी हमे हमे यह झीलों की नगरी उदयपुर लगता, पहाडियों को देख कर कुल्लू - मनाली की याद आती, चारो तरफ ऊंची ऊंची बर्फीली पहाडियों से घिरी यह घाटी कश्मीर की याद दिलाती, फ़ूलों की ये घाटियां हिमाचल प्रदेश और मणिपुर से कहीं भी कम नहीं है और जल प्रपात देख कर तो गौमुख और केदारनाथ के पास श्यामा वन की याद आई. घूम हम स्विटजरलैंड मे रहे थे और तुलना हम अपने देश से कर रहे थे. वैसा भी क्या कमाल है इस छोटे से देश जिसकी कुल आबादी 80 लाख के करीब है, यह सब सौंदर्य एक खिते मे ही समाया हुआ है और हमारे विशाल देश मे भी ये सब चीज़े है पर दूर दूर विभिन्न स्थानों पर.
   हमारे देश के अनेक ऐसे स्थानो को अनेक उपमाओं से नवाजा गया है जैसे कश्मीर को जन्नत, हिमाचल और उत्तराखंड को देव भूमि, उत्तर-पूर्वी राज्यों को मोती आदि आदि. हिमाचल के डलहौजी के पास एक स्थान खिजर को भारत का स्विटजरलैंड कहा है.
    इस रास्ते मे लगभग 100 लम्बी - छोटी सुरंगे है. 500 मीटर से 5 किलोमीटर लम्बी. इनमें जाने के बाद जी पी ऐस काम करना बंद कर देता है और इसी वज़ह से जो रास्ता आधे घण्टे बकाया था अब वह डेड़ घण्टे लम्बा हो गया. पर हमे इसका मलाल नहीं था और इस दूरी के कारण उन दुर्लभ स्थानों को भी देख पाए जो हमारे रूट प्लान मे नहीं थी. यह पूरा का पूरा देश ही पिकनिक स्पॉट है जिधर चले जाइए आनंद ही आनंद. रास्ते भर चलते हुए इन
      सभी स्थानों की न तो वीडियो ग्राफी सम्भव है और न ही एक एक का तस्वीर लेना पर है सब एक से  एक बढ़ कर. दो घण्टे का यह रास्ता कैसे पूरा हो गया पता ही नहीं चला. स्वर्गलोक मे तो न ही हम अभी गए नहीं और न ही वहां गया कोई लौट कर आया, जो वहां के हाल चाल बताए पर जैसी कहानियों मे उसके बारे मे सुना है तो यह देश उससे कोई कमतर भी नहीं है.
Ram Mohan Rai.
Basel, Switzerland.
01.05.2024
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घुमक्कड़ की डायरी 
(Switzerland-4) 
 Brienze पहुंचने पर हम एक अतिथिगृह मे पहुचे जिसका संचालन Sara schmidth और उनके सहयोगी Andrei Creanga चलाते हैं. हम अपने देश मे यदि किसी युवा लड़का - लड़की को एक साथ देखते हैं तो हम उनके रिश्ते तलाशना शुरू कर देते हैं जबकि यहां वे मात्र युवक - युवती हैं और उनके आपसी समबन्ध क्या है, इनकी जानकारी लेना कोई अच्छी बात नहीं समझी जाती. ये दोनों मिल कर ही इस अतिथि गृह का संचालन करते हैं. इस गृह की location बहुत ही रमणीय है. मीलों फैली झील का किनारा और उसके उस पर आकाश चूमती पर्वत श्रृंखला. यह झील यहां से लगभग 25-30 किलोमीटर दूर स्थित एक अन्य शहर Interlocken तक फैली है. Interlocken नाम ही इसलिए है कि झील दोनों कस्बों को जोड़ने का काम करती है. इसका प्राकृतिक दृश्य अत्यंत प्रभावित करता था. इसी झील मे पास से ही एक नदी जो एक नाले की तरह सकड़ी थी दूसरी तरफ की पहाड़ों से आकर बहती हुई इसमे समा रहीं थी. इस नाले का पानी इतना पारदर्शी और स्वच्छ था जिसकी कल्पना हम वर्तमान मे अपने देश मे नहीं कर सकते.
      इसी झील के किनारे अनेक पर्यटकों ने अपने air बीम लाकर खड़े किए हुए थे और साथ ही अपने तंबू भी गाड़े थे. एयर बीन चार पहियों पर चलने वाले एक ऐसे कमरे को कहा जाता है जिसे लोग अपनी गाड़ी के पीछे कस कर बांधने से, कहीं भी ले जाया जा सकता है. पर्यटन विभाग भी ऐसे साधनों को इंतजाम मुहैया करवाने का बंदोबस्त करता है ताकि इन्हें बिजली, पानी, शौचालय आदि की असुविधा न हो. पश्चिम तथा अमेरिका सहित अनेक देशों में मैंने इसके इस्तेमाल को देखा है. खुद मेरी बेटी सुलभा ने भी इस तरह की एक गाड़ी ली हुई है और वे अपने परिवार सहित घूमते फिरते हैं. इसका मुख्य फायदा यह होता है कि किसी भी जगह होटल आदि की बुकिंग की कोई जरूरत नहीं और खाना बनाने के लिए भी अंदर ही रसोई होती है, जहां अपना मन भाता खाना खाओ और आनंद करो. इस तरह से रेस्तरां में जाने और ज्यादा खर्च से भी बचेंगे. लोग शाम ढलते ही आग जला कर उसके चारों तरफ बैठ कर गीत- संगीत का कार्यक्रम करते हैं और वह भी किसी अन्य कि बिला किसी दखल के.
      Sara Schmidt और Andrie के इस अतिथि गृह के रूप मे सभी सुविधाएं उपलब्ध थी. यह कुल तीन मंजिल था और एक basement जहां television सहित मनोरंजन की सभी सुविधाएं उपलब्ध थी. चाय - कॉफी इत्यादि उनके नियत समय पर ही उपलब्ध था परंतु यदि किसी को भी बिना टाइम के तलब हो तो वह basement में जाकर खुद बना सकता था. केतली सहित सभी सामान वहां उपलब्ध थे. जैसे मुझे तो सुबह उठते ही बेड टी की तलब रहती है, बेशक यह अच्छी नहीं है, पर तलब तो तलब है. मैं उठता और वहां जाकर चाय बनाता और मोबाईल मे अपलोड किए गए कई अखबारों को पढ़ते हुए, उसकी चुस्कियों का मज़ा लेता. इसके बाद बाहर निकल कर झील और उसकी चारों तरफ फैली सुन्दरता को निहारता.
     इस अतिथि गृह की दूसरी मंजिल पर हमारा रुकने का स्थान था. हम तीनों - मेरी पत्नी, सुपुत्र और मैं उसी में रुके थे. इस कमरे की एक खिड़की, झील की तरफ खुलती थी और उसका फायदा यह था कि जब मन करता वहां पहुंच कर बाहर के विहंगम दृश्यों को निहारते.
    हम सुबह का नाश्ता और डिनर यहीं करते. इनमें हमारे पसन्द की अनेक चीज़े होती सिर्फ पराठे, पूरी और सब्ज़ी को छोड़ कर. शाकाहारी भोजन करने वाले लोगों के लिए तो अनेक खाद्य पदार्थ. सबसे अच्छा cheese और दूध लगता, जो गाय का ही होता. अक्सर हमें गाय के दूध से शिकायत होती है कि यह पतला होता है और चाय तो बिल्कुल ही पनियल बनती है. पर यहां जैसा बिल्कुल सफेद और गाढ़ा दूध हमारी गौ दुग्ध के प्रति भ्रांति को खत्म कर देगा. हमारे मेजबान को पता चल गया था कि हम शाकाहारी भोजन करने वाले हैं तो वे डिनर मे चावल, करी और अनेक प्रकार के सलाद, पनीर आदि देते जिससे गैर शाकाहारी भोजन करने वालों को ईर्ष्या वाज़िब थी.
    हम इस अतिथि गृह में चार दिन रहे और इन दिनों मे हमारे मेजबान से हमारे रिश्ते और गहरे से गहरे होते गए. उसका एक कारण यह भी रहा कि वे भारत के बारे मे परिचित थे. उनसे, हमारी विदाई बहुत ही मार्मिक थी. हम उन्हें कुछ भेंट करना चाहते थे और हमारे पास थी अंग्रेज़ी मे लिखी महात्मा गांधी की आत्मकथा. जब हमनें उन्हें यह भेंट की तो प्रसन्नता से वे चहकने लगे और बापू के प्रति अपनी जानकारी को बताने लगे. Sara का कहना था कि उसने अपनी दादी से उनके बारे मे सुना है और उनकी दादी ने बचपन में जर्मन भाषा में अनुदित महात्मा गांधी की आत्मकथा की एक प्रति उन्हें दी थी, जो आज भी उसके पास सुरक्षित है. इन्हीं तमाम तरह की मधुर स्मृतियाँ संजोए हमने उनसे विदा ली. वे उत्सुक रहे गांधी ग्लोबल फॅमिली के बारे मे जानने के और उससे जुड़ने के. वे अपनी छुट्टियों मे भारत आना चाहते हैं और बिताना चाहते हैं अपने कुछ दिन.
Ram Mohan Rai.
Brienze, Switzerland.
02.06.2024



















































Our 





















































































































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