अथ इटली सफ़र कथा - 1

अथ इटली सफ़र कथा - 1
    Switzerland की यात्रा खत्म कर हम ट्रेन द्वारा कुछ देरी से इटली के सीमांत शहर मिलान में पहुंचे. वैसे तो यहां सूर्योदय सुबह 5 बजे होकर अस्त रात 9.30-10 बजे तक हो जाता है. लोग भी अपना काम धंधा बंद कर अपने घर आकर परिवार के साथ समय बिताते हैं परंतु सूरज निकलने के बावजूद भी रेस्तरां और बार के इलावा सब कुछ लगभग बंद ही होता है. हम रात 9.30 बजे मिलान के रेलवे-स्टेशन पर पहुँचे. बाहर निकलने पर अपने होटल जो पहले ही बुक करवा रखा था वहां जाने का विचार बनाने लगे. इटली आने से पहले ही हमें हमारे शुभचिंतकों ने सलाह दी थी कि यहां जेब कटना एक सामान्य सी बात है इसलिए सावधान रहे और यदि कोई व्यक्ति आपकी मदद की भी पहल करे तो पहले जांच ले और फिर मदद ले. प्लेट फार्म की सीढियों से उतरते हुए मेरी पत्नी कृष्णा कांता उनके पास कुछ ज्यादा सामान होने की वज़ह से असहज थी. तभी एक युवती आई और उसने सहायता की पेशकश की. पर हम तो शंकित थे इसलिए मना कर दिया. फिर देखा कि उस बालिका ने एक अन्य बुज़ुर्ग की उतरने में सहायता कर रहीं है तब पछतावा हुआ कि हम गलत थे. दीदी निर्मला देशपांडे जी अक्सर कहती थी कि धोखा देने से अच्छा है, धोखा खा जाना.
     स्टेशन से बाहर निकलने पर फिर सवाल था कि होटल कैसे पहुँचा जाए. एक यातायात सहायता केंद्र था पर वह भी बंद था. पर तभी एक अन्य युवती आई. सम्भवतः उसने हमारी दिक्कत को समझ लिया था और उसने हमारी मदद की पेशकश की और अब हमने बेझिझक कहा कि हम फलां होटल में ठहरे है और हम वहां कैसे जाए इसके बारे में भ्रमित है. तो उस बेटी हमे सड़क के पार ले गई और फिर एक ट्राम आई और उसने हमे इसमे बैठने के लिए कहा और बताया कि अब आठवे पड़ाव पर जाकर उतर जाना और वहां सामने ही वह होटल है.
      ट्राम क्या, यह तो लोहे की पटरी पर चलने वाली लकड़ी की बनी पुरानी तरह की गाड़ी थी, जिस पर तीन सीढ़ियां चढ़ने के लिए पूरी मशक्कत करनी पड़ती थी और फिर दरवाज़ा जोरदार खट्टाक की आवाज़ कर खुलता और बंद होता था. यह ऐसी लगती थी कि मानो ट्राम  के शुरूआती दौर की हो यानी कम से कम दौ सौ साल पुरानी हो. पर इसका सफ़र बहुत ही यादगार रहा और आखिरकार हम होटल पहुंचे और चेक इन कर रात्री विश्राम किया. पूरे दिन से थके हुए थे इसलिए सुबह कुछ देर से ही उठ पाए.
Ram Mohan Rai,
Milan, Italy.
06.06.2024

Comments

Popular posts from this blog

Justice Vijender Jain, as I know

Aaghaz e Dosti yatra - 2024

मुजीब, गांधी और टैगोर पर हमले किस के निशाने पर