सुहाना सफ़र - 16(Honesty Shop in Grindelwald, Switzerland - 16)


जयेश भाई की याद.
Grindelwald में घूमते हुए एक जगह पहुंच कर हमारे कदम एक दुकान पर लगे "Honesty Shop" "ईमानदारी की दुकान"  लगे बोर्ड को देख कर ठिठक गए. हम रुके और अंदर गए तो पाया कि पूरी दुकान स्थानीय उत्पाद, गिफ्ट आइटम, संग्रहणीय वस्तुओं से भरी हुई है पर यहाँ न तो कोई दुकानदार है और न ही कोई इसकी देखरेख करने वाला. हाँ इस दुकान के भीतर ही एक सूचना पट्ट पर लिखा हुआ था कि आप अपना पसंदीदा सामान ले ले और उसकी क़ीमत का भुगतान अपने मन मुताबिक यहां रखे एक लिफ़ाफ़े में डाल कर बॉक्स में डाल दें. भुगतान का दूसरा ऑप्शन QR कोड से भी था. यहां यह भी लिखा था कि यदि क़ीमत नहीं देना चाहे अथवा बाद में देना चाहे तो भी कोई बात नहीं. इस दुकान में रखे खूबसूरत रंग बिरंगे लिफ़ाफ़े और bedges जिन पर ईमानदारी के बारे में छोटी-छोटी सूक्तियां अंकित थी, वे इस दुकान की तरफ से मुफ़्त भेंट स्वरूप थी. ऐसा देख कर मेरे बेटे उत्कर्ष और मैंने एक दूसरे को देखा और हम मुस्कुराये.
     हम एक दूसरे के मन की बात आपस में बिना बोले ही समझ रहे थे. हमने ऐसे सफ़ल प्रयोग अहमदाबाद में देखे थे. हमारे प्रिय मित्र जयेश भाई, जो अनेक पदों पर प्रतिष्ठित हैं परंतु उन सब के सम्मान करते हुए हम उन्हें अपने एक विश्वसनीय पारिवारिक मित्र ही मानते हैं, इस तरह के प्रेरणादायक प्रयोग कर रहे हैं. एक बार वे हमें साबरमती आश्रम में एक दुकान पर ले गए जहां एक से एक बेहतरीन वस्तुएं बिक्री के लिए रखी थी पर उन पर दाम अंकित नहीं थे. ऐसे ही न तो वहां कोई विक्रेता था और न ही कोई कथित चौकीदार. ग्राहक आएँ, मनपसंद सामान ले और फिर अपनी समझ से उसका भुगतान एक बॉक्स में डाल दे. और यदि मुफ़्त में भी ले जाना चाहें तो कोई रोक नहीं. जयेश भाई का काम तो स्विटजरलैंड की इस दुकान से भी आगे है. उन्होंने अपने साथी कार्यकर्ताओं के सहयोग से अहमदाबाद के एक मुख्य बाजार में एक रेस्तरां का भी प्रयोग किया हुआ है जहां ग्राहक अपनी पसन्द के खाने का ऑर्डर कर सकता है और तबियत होने पर बना भी सकता है और फ़िर पेट भर कर खाने का भुगतान अथवा न भुगतान अपने मन से कर सकता है. एक तीसरा प्रयोग तो और भी मज़ेदार है जहां एक ऑटो रिक्शा जो कि पानी, नाश्ते आदि की सुविधाओं से युक्त है उनका एक कार्यकर्ता साथी चलाता है. आपके बैठने पर वह आपको पानी - नाश्ते की पूछ करता है और आपके निर्धारित स्थान पर पहुंचा कर वह किराये की मांग न कर आप पर ही छोड़ता है कि आप कितना पैसा दे अथवा न दे. मैंने और उत्कर्ष दोनों ने जयेश भाई के इन तीनों कामों का ईस्तेमाल किया है. 
   यूरोप में ईमानदारी की दुकान का एक प्रयोग तो मिल गया पर अभी वह अहमदाबाद में हो रहे प्रयोगों से काफ़ी दूर है.
Ram Mohan Rai,
Grindelwald, Switzerland.
03.06.2024.

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