Kinderdijk, Netherlands /09.07.2024
आज हमे एम्सटर्डम से लगभग 100 किलोमीटर दूर एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान Kinderdjik जाने का अवसर मिला
नीदरलैंड्स आकर लोग इस देश के बड़े बड़े शहरों में तो जाकर यहां की एतिहासिक विरासत की नामसूची इमारतों, म्युजियम, पार्क, नदियों - नहरों और बंदरगाहों को घूमने के लिए तो जाते हैं परन्तु यहां के पराक्रमी लोगों के शौर्य को देखने नहीं जा पाते. इसका कारण यह भी हो सकता है कि सैलानी कुछ दिनों के लिए यहां आते हैं और उन दिनों में प्रमुख स्थानों पर ही जाना होता है. पर हम तो यहां पूरे तीन महिने के करीब रुके हुए हैं, इसलिए समय ही समय है दुर्लभ स्थानों को भी देखने का.
जैसा कि हम जानते हैं कि नीदरलैंड्स का 40 प्रतिशत भू-भाग समुद्र तल से 4-6 मीटर नीचे है. अर्थात यहां हर समय समुद्री तूफान और बाढ़ का खतरा बना रहता है. परंतु यहां के तकनीक विशेषज्ञों और जल प्रबंधन वैज्ञानिकों ने आज से लगभग 400 साल पहले ही ऐसी व्यवस्था की जिससे इन आपदाओं से बचा जा सके और आज उसी के प्रत्यक्ष प्रयोग को देखने यहां समुद्र से लगते Kinderdjik शहर में हम आए हैं.
इस स्थान पर समुद्र नजदीक होने की वज़ह से बारिश बहुत होती थी और जिससे न केवल यहां की नहरों में अपितु तालाबों और निचली जमीन पर पानी का अत्याधिक भराव रहता था. जन जीवन लगभग अस्त व्यस्त था. ऐसे में यह सोच सर्वोपरि थी कि जल -भराव को वापिस समुद्र में कैसे वापिस उड़ेला जाए? पन चक्की लगाने की योजना बनाई गई जिसके जरिए पानी को ऊंचाई पर ला कर वापिस समुद्र में वापिस उड़ेला जाता था. पानी चक्की को सबसे पहले आदमी ही खींच कर चलाते थे. बाद में घोड़ों से खींचना शुरू हुआ फिर भाप इंजन से और अब बिजली के इस्तेमाल से.
विकास की इन तमाम प्रक्रियाओं को दिखाने के लिए पुराने से आधुनिक युग तक होने वाले तमाम तकनीक, औजारों और संसाधनों को दर्शाया गया है. इस सब विकास को दिखाने के लिये - श्रवण, दृश्य, प्रत्यक्ष प्रयोग और मनोरंजन के साथ दिखाया गया है. इन्हें देखने के लिए प्रवेश टिकट खरीद कर हम इसके परिसर में प्रवेश करेंगे. पहले भाग में एक बड़ा म्युजियम है जहां उपकरणो तथा उनके प्रयोग, दूसरे में एक लगभग 20 मिनट की फिल्म, तीसरे में यहां रहने वाले 22 पक्षियों की उनकी चहकती आवाज सहित जानकारी और चौथे में बोटिंग से जगह जगह बनी 19 में से कुल तीन जो चालू हालात में है उन पन चक्कीयों के अंदर बाहर के देखने से हैं. इनसे डच लोगों के परिश्रम और साहस का भी इतिहास मालूम होता है. इन पन चक्की के अंदर ही इनका रहना, रसोई और कार्यशाला थी. हर समय मशीनों के साथ रहना और घर गृहस्थी के साथ - साथ अपने काम को अंजाम देना बहुत ही मेहनत का काम रहा होगा. इन सभी स्थानों पर जाने के लिए जहां पैदल जाया जा सकता है वही बोट से भी मनोरंजन करते हुए व्यवस्था है. प्रत्येक स्थान पर 40 मिनट का रूकाव होता है और उस समय में बोट से उतर कर पन चक्की और उनमें बने रिहायशी मकान, म्युजियम और फिल्म को देख कर वापिस सवार हुआ जा सकता है.
आज यह स्थान समुद्र तल से नीचे और साथ साथ होने के बावजूद भी पूरी तरह से सुरक्षित एक भरपूर सुख सुविधा से सम्पन्न शहर है. जिसे देख कर ही हम इसका अह्सास कर सकते हैं.
आभार Amir Niazi साहब एवं Nazma भाभी.
Ram Mohan Rai,Kinderdjik, Netherlands.
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