सुहाना सफ़र - 13(My trip to the Thun, Switzerland - 13).03.06.2024

बर्न की सैर कर हम वहां से लगभग 30 किलोमीटर दूर एक नए शहर थून पहुंचे. यह शहर अपने में मानव जीवन और सभ्यता का लाखों साल  पुराना इतिहास अपने में संजोए हुए है. ताम्र युग यानी कि 30 लाख साल पुरानी  जीवंत वस्तुए जिनमे तत्कालीन हथियार आदि यहां के म्युजियम में सुरक्षित है. किले मे एक पुरानी कब्र में उस युग की बेशकीमती चीज़ों को संजो कर रखा गया है. ऐसा एतिहासिक तथ्य है कि शहर में बहती नदी ने लाखों साल पहले ऊंचे ऊंचे पर्वतों को अपनी धार से काट कर अपनी राह बनाई.
    इस शहर का अपना गौरवशाली इतिहास भी है जिसे एक ऊंची पहाड़ी पर बने किले में स्थित एक म्युजियम में दर्शाया गया है. सन 58 ईसा पूर्व में यह डेनिम राज्य का हिस्सा बना और फिर सन 1033 में रोमन साम्राज्य का. सन 1264 में इसे नगर अधिकार प्राप्त हुए और फिर 1384 में यह बर्न जनपद में शामिल किया गया. वर्ष 1798-1803 Helvetic गणराज्य के Oberland जनपद का भाग बना. वैज्ञानिक प्रगति के अनेक सूचक यंत्र - तंत्र यहां बहुत पहले ही अपना लिए गए. मसलन सन 1858 में एक मिलिटरी स्कूल की स्थापना हुई और 1888 मे संचार का महत्वपूर्ण अंग टेलीफ़ोन यहां उपयोग किया जाने लगा.
    थून मे पर्यटकों को सबसे ज्यादा प्रभावित यहां 12 वीं शताब्दी में बना एक पहाड़ी पर बना किला है. नीचे बाजार से वहां पहुंचने के दो रास्ते थे, एक - घुमावदार सीढ़ियों और दूसरा पार्किंग को पार करके लिफ्ट से पहुंचने का. हमने लिफ्ट का रास्ता लिया जबकि हमारा बेटा तेजी से पैड़ी के रास्ते से हमारे से पहले ही पहुँचा पाया.
     यह किला बेशक बहुत ज्यादा बड़ा नहीं है. एक छोटा चक्कर लगा कर बाहर होटल और इसके साथ लगते म्युजियम में, जहां मध्ययुग में इस्तेमाल किए जाने वाले हथियारों के प्रदर्शन के साथ- साथ तत्कालीन ग्रामीण जनजीवन को भी दर्शाया गया है. बीच में ही पानी एक पुराना कुआं है जिसे अब जाल से ढक दिया गया है, पर अचरज यह है कि जमीन तल से लगभग 400 मीटर ऊंचे इसमे आज भी पानी है. किले के ऊपर से  पूरे के पूरे थूर शहर की एक खूबसूरत झलक मिलती है.
 नीचे उतर कर पास ही 16 वीं शताब्दी मे बना टाउन हॉल है जो चार सौ साल बाद आज भी मजबूत इमारत पर टिका है और उसके पास ही थून झील जो alps नदी से जुड़ी है. यह सब दर्शनीय स्थल आसपास ही हैं और इन्हीं से सटा हुआ है Penzer म्युजियम जिसमें द्वितीय विश्व युद्ध में इस्तेमाल हुई गाड़ियों का एक बड़ा ज़खीरा रखा है. बेशक यह देश स्विटजरलैंड उस युद्ध में परोक्ष रूप से भागीदार नहीं था परंतु मूक दर्शक भी नहीं रहा.
      इस बीच रास्ते मे ही दुकान से हमने एक यादगार फ्रेम खरीदा और फिर कुछ समय एक तिकोने पार्क में गए जहां दुधारू जानवरों की मूर्तियों के साथ-साथ एक स्थानीय संगीतज्ञ की मूर्ति लगी थी और उनके साथ ही उनका परिचय भी.
   अन्य यूरोपीय देशों के मुकाबले स्विटजरलैंड एक महंगा देश है. यह यूरोपीय संघ में शामिल तो है परंतु इसके बावजूद भी इसकी मुद्रा उनसे अलग है. यहां प्रवेश पर प्राइवेट वाहन को न केवल अलग प्रवेश पत्र लेना पड़ता है वहीं अतिरिक्त टैक्स भी देना होता है.
Ram Mohan Rai. 
Thun, Switzerland. 
03.06.2024

Comments

Popular posts from this blog

Gandhi Global Family program on Mahatma Gandhi martyrdom day in Panipat

Aaghaz e Dosti yatra - 2024

पानीपत की बहादुर बेटी सैयदा- जो ना थकी और ना झुकी :