सुहाना सफ़र - 14(Staubbachfall, Lauterbrunnen, Switzerland - 14)

 Lauterbrunnen एक बहुत ही छोटा गांव है पर इसका प्राकृतिक सौंदर्य अतुलनीय है. सड़क मार्ग से पहुंचते ही गाड़ी खड़ी करने पर ही इसका अह्सास हो जाता है और चारों तरफ झरने ही झरने दिखाई देते है और उनका कोलाहल हर किसी को आनंदित करता है. कई झरने तो ऐसे मानों चार - पांच मीटर ऊंचाई से मानों भाप उड़ रही हो. यह स्थान वास्तव में एक घाटी है जो इसे और रमणीय बना देती है. लगता है कि हम किसी कुंड में है और इसके चारों तरफ के पर्वत की शृंखला,  अगणित झरनों की छटा और हरियाली हमारा स्वागत कर रहीं हैं. ऐसा ही आनंद हमें केदारनाथ से पहले गुप्तकाशी से स्टे श्यामावन में रहने पर हुआ था. वह अवसर हमें श्री आत्माराम बहुगुणा और उनके परिवार ने प्रदान किया था. वहां हम बीस दिन रुके थे. सुबह उठते ही एक तरफ केदार पहाड़ी थी, दूसरी तरफ तुंग नाथ, पिछली तरफ गुप्तकाशी और नीचे अविरल बहती मन्दाकिनी. क्या अद्भुत प्राकृतिक दृश्य था और आज अपने देश से आठ हजार किलोमीटर दूर स्विटजरलैंड के इस Lauterbrunnen में उसे देख रहे थे. बेशक हम आज शरीर से यहां है परंतु हमारा ध्यान और स्मृति श्यामावन में है.
      इस स्थान का मुख्य आकर्षण Staubbachfall है जिसके शिखर पर पहुचने के लिए  इठलाते हुए घुमावदार सीढ़ियों से चढ़ना पड़ता है. रास्ते में गुफा भी आती है और फिर पहुंचते हैं इसकी सबसे ऊंची पोस्ट पर. ऊंचाई ज्यादा है पर इसे पाकर चारों तरफ के नजारे देखने का आकर्षण उत्साहित करता है. मन में यही रहता है कि उम्र के इस पड़ाव में तो आए हैं, फिर कभी आना हो या न आना हो तो फिर इसे क्यों छोड़ा जाए फिर चाहे कितनी भी तकलीफ़ क्यों न हो.
     घाटी की चट्टानी दीवारों के किनारे पर पहुँचने पर, धारा इतना ऊँचा झरना बनाती है कि घाटी के स्तर तक पहुँचने से पहले ही यह लगभग छींटे में खो जाती है। बारिश के बाद, और मौसम की शुरुआत में जब पिघलती बर्फ से पानी मिलता है, तो स्टॉबबैक फॉल्स बहुत ही आकर्षक होता है। ऐसे समय में झरने के ऊपर धारा का बल पानी को खाई से साफ करने के लिए पर्याप्त होता है, और पूरा द्रव्यमान तरल धूल की स्थिति में नीचे उतरता है, छींटे और बादल के बीच, जो हल्की हवा के साथ इधर-उधर झूलता है। शुष्क गर्मियों में, जब पानी की आपूर्ति बहुत कम हो जाती है, तो प्रभाव तुलनात्मक रूप से नगण्य होता है।
     हिम्मत कर हम ऊपर तकरीबन 974 फीट चढ़े और वहां पहुंच कर ही इत्मीनान की साँस ली. नीचे से तो 8-10 लोग साथ साथ चढ़ सकते है पर जैसे जैसे हम ऊपर पहुंचते हैं तो धारा तो मोटी होती जाती है पर हमारी लाइन एक व्यक्ति की. शायद ऐसे दृश्यों को ही स्वर्गिक आनंद कहा जाता होगा.
Ram Mohan Rai,
Lauterbrunnen,
Switzerland.
03.06.2024.

Comments

  1. Wonderful and beautiful journey. Beautiful scenes. Rare opportunity in one's life.

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