Blessings to my son Utkarsh.
प्रिय बेटा उत्कर्ष,
चिरंजीवी भव!
आभार व्यक्त करने से तो अन्यत्र समबन्ध हो जाएंगे परंतु हम दोनों इस बार के प्रवास से अभिभूत है और हृदय के अंतर्तम से अनेकों आशीष एवं शुभकामनाएं व्यक्त करते हैं. दीदी निर्मला देशपांडे जी के शब्दों में तुम दोनों का जीवन सुखमय एवं सेवामय हो.
हम कहते हैं कि हमारा तुम्हारे पास आने और रहने का मन करता है ऐसा इस लिए भी कि तुम हमारे पुत्र हो. तुमने कहा कि बेटा - बेटी में क्या अन्तर? मैं इस बात से कतई तौर पर सहमत हूँ. हमने अपनी तीनों संतान की परवरिश बिना किसी भेदभाव की है. हमारे तीनों बच्चों की अलग पहचान है. सुलभा हमारी पहली संतान है जिसको लेकर पूरे परिवार का हर सदस्य उत्सुक रहा और उसे स्नेह मिला. संघमित्रा तो थी ही निर्मला दीदी के आशीर्वाद से प्राप्त. उस का नाम भी हमने उन्हीं से प्राप्त किया. परंतु तुम मेरी माँ, जिसे मैं अपने जीवन में सर्वाधिक प्यार करता रहूं, की इच्छा और आशीर्वाद से ही तुम्हारा जन्म हुआ है. इसलिए अपनी माँ के साक्षात दर्शन मैं तुम में करता हूं और इसीलिए ज्यादा स्नेही भी हूँ.
कई बार कुछ कहने के बाद तुम कहते हो कि पापा बुरा न मानना गलती से निकल गया, सॉरी. पर मैं इसे बखूबी समझता हूं क्योंकि मैं भी अपने पिता जी को ऐसे ही कह देता था और बाद में एहसास भी करता तो वे मुझे कहते कि वे जानते और समझते है कि यह किन्ही दुर्भावनावश नहीं है. वही स्थिति मेरी भी है और आज मैं तुम्हें अपने स्थान और खुद को अपने पिता की जगह देखता हूं.
तुम्हारे जन्म के बाद मैं तो तुम्हारा नाम पार्थ रखना चाहता था यानी कृष्ण का मित्र, सखा और शिष्य. पर नामकरण के समय उत्कर्ष रखा गया जिसका अर्थ है कि जो उत्कृष्टता को प्राप्त कर अन्यों को भी अपनी और आकर्षित करे. एक अच्छा नेतृत्वकर्ता. तुम अपने नाम के अनुरूप बनो, ऐसी मंगल कामना है.
तुम अभावों के वैभव को जानते हो क्योंकि तुम तीनों भाई-बहनो का जन्म एक पारदर्शिता भरे परिवार में हुआ है जहां सब मित्र हैं. महात्मा गांधी कहते थे कि संस्कारवान परिवार जैसा कोई विद्यालय नहीं और चरित्रवान माता पिता जैसे अध्यापक नहीं. हम इस उक्ति पर पूरे तो नहीं उतरे ऐसे किसी परीक्षण का समय नहीं आया, पर जब तुम तीनों को देखते हैं तो स्वयं को उत्तीर्ण महसूस करते हैं.
तुम इस रूप में भी बहुत सौभाग्यशाली हो कि तुम्हें आकांक्षा जैसी पत्नी मिली जो सम्पूर्ण मानवीय गुणों से परिपूर्ण है. उसके माता पिता भी ऐसी सन्तान पाकर धन्य हो गए है. मेरे पिता ऐसे व्यक्तित्वों के बारे में कहते की कम गो, यानी संजीदा और स्नेही हृदय की धनी.
हम ऐसा परिवार पाकर अत्यंत प्रसन्न है और इसके लिए परमपिता परमात्मा का हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं.
तुम दोनों का जीवन यशस्वी और मंगलमय हो, ऐसी हम कामना करते हैं.
स्नेह,
तुम्हारे,
मम्मी - पापा,
Warsaw, Poland.
07.08.2024.
[8/7, 3:29 PM
आशीर्वाद
पश्येम शरदः शतं जीवेम शरद: शत्तं श्रुणुयाम शरद: शतं
प्रब्रवाम शरद: शतमदीनाः स्याम शरद: शत भूयश्च शरदः शतात्।।
(शुक्लयजुर्वेदसंहिता, अध्याय 36, मंत्र 24)
हिंदी अर्थ: हम सौ शरद ऋतु देखें, यानी सौ वर्षों तक हमारे आंखों की ज्योति स्पष्ट बनी रहे। सौ वर्षों तक हम जीवित रहें। सौ वर्षों तक हमारी बुद्धि सक्षम रहे, हम ज्ञानवान् बने रहे, सौ वर्षों तक हम वृद्धि करते रहें, हमारी उन्नति होती रहे, सौ वर्षों तक हम पुष्टि प्राप्त करते रहें, हमें पोषण मिलता रहे, हम सौ वर्षों तक बने रहें (वस्तुतः दूसरे मंत्र की पुनरावृत्ति!), सौ वर्षों तक हम पवित्र बने रहें, कुत्सित भावनाओं से मुक्त रहें, सौ वर्षों से भी आगे ये सब कल्याणमय बातें होती रहें।
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