Switzerland to Kashmir (घुमक्कड़ की डायरी - 8)

गांधी जयन्ती पर श्रीनगर में. 
       2 अक्टूबर को गांधी जयंती पर श्रीनगर में रहने की अभिलाषा एक लंबे समय से थी, जो आज फलीभूत हुई और हम आज महात्मा गांधी के जन्म दिवस को कश्मीर में मना रहे हैं. आज पूरे दिन ही अनेक कार्यक्रमों में व्यस्त रहे और पाया की अन्य प्रांतों में तो मैं नहीं कह सकता परंतु कश्मीर में आज भी प्रत्येक व्यक्ति चाहे वह किसी भी उम्र, लिंग, अथवा धर्म का वह गांधी बाबा को याद करता है.      
     आज सुबह 10:00 बजे से ही होटल इंटरनेशनल जो कि गांधी ग्लोबल फैमिली की कोऑर्डिनेटर महजबीन नबी चलाती हैं वहां के प्रांगण में गांधी जयंती पर एक विशेष कार्यक्रम रखा गया, इसमें पूरे श्रीनगर के सैकड़ो लोगों ने भाग लिया. मुझे भी इस कार्यक्रम में आने का अवसर मिला. मैंने पाया की शासन, प्रशासन जनता और युवा- विद्यार्थी इसमें बढ़-चढ़कर बापू को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए आए हैं.   
       इसके समापन के पश्चात यही से हम लोग राजभवन, जो की जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल श्री मनोज सिन्हा का राजकीय आवास है, वहां के लिए चल पड़े. वहां भी गांधी जयंती का कार्यक्रम था. यद्यपि समय 1:00 बजे का था और हम लोग पहुंचे लगभग पौने दो बजे दोपहर में. पर इसके बावजूद भी हमने पाया कि उपराज्यपाल महोदय बहुत ही उत्सुकता से हमारा इंतजार कर रहे थे. यहां उत्साह का माहौल इसलिए भी था की जम्मू कश्मीर में अभी हाल में ही चुनाव हुए हैं और ऐसा लोगों का कहना है की सम्भवत: पहली बार बहुत ही निष्पक्षता से यहां लोगों ने वोटिंग की है. बेशक यह बात संदेहास्पद हो सकती है अथवा अतिशयोक्ति या किसी पार्टी के प्रति लगाव भी परंतु यह बात जरूर थी कि जिस कश्मीर में आने से बारूद की महक आती थी अब वहां लोकतंत्र की महक है. लोगों में एक उत्साह पाया गया की 10 साल के बाद यहां चुनाव होने वाले हुए हैं और वह अपने मताधिकार का प्रयोग करके अपनी भावनाओं को व्यक्त करना चाहते हैं. इन्हीं तमाम भावनाओं के अभिव्यक्ति राजभवन में आयोजित कार्यक्रम में भी हुई.
   यहीं से उठकर हम सीधे टैगोर हॉल में महात्मा गांधी के सबसे पसंदीदा विषय धर्मनिरपेक्षता पर एक लघु नाटिका को देखने के लिए गए, जो कि समूह थिएटर द्वारा उन बच्चों से तैयार करवाई थी जिनके माता-पिता अनेक वर्ष पूर्व मिलिटेंसी से भयभीत होकर कश्मीर घाटी को छोड़ गए थे और जम्मू अथवा अन्य क्षेत्रों में जाकर बस गए थे. उनके द्वारा प्रस्तुत यह लघु नाटिका सचमुच अद्भुत थी.

 
   अब अंत में हम लोग पहुंचे कश्मीर के पहले मुस्लिम आईo एo एसo मोहम्मद शफी पंडित, जिनका विगत दिनों निधन हो गया था, उनके परिवार को सांत्वना देने के लिए. श्री मोहम्मद शफी पंडित से दीदी निर्मला देशपांडे और स्वामी अग्निवेश जी के साथ मेरी अनेक बार मुलाकात हुई थी. वे एक बहुत ही समृद्ध और तरोताजा मस्तिष्क के व्यक्ति थे. जब वी पी सिंह सरकार ने मंडल कमीशन का गठन किया तो वास्तव में उस पूरे मंडल कमीशन के पाठन, लेखन और दिशा देने का काम शफी पंडित जी द्वारा ही दिया गया था. उनकी पत्नी भी एक फाउंडेशन चलाती हैं जो कश्मीर में महिलाओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य पर अनेक कार्यक्रम आयोजित करती है. हमारा, उन्हें इतना ही आग्रह था कि वह जो काम स्वर्गीय शफी पंडित जी ने प्रारंभ किया था उसे काम को बरकरार रखें और इस पर उनके सुपुत्र जो कि अमेरिका में रहते हैं और उनके परिवार के अन्य लोगों ने आश्वस्त किया कि वह किसी भी रूप में उनके बुजुर्ग द्वारा किए गए काम में शिथलता नहीं आने देंगे.

    हम पंडित जी के घर से निकले ही थे तभी हमारे मित्र जो कि पहलीपोरा जो कि बारामूला के नजदीक एक गांव है, से हमारे पानीपत में रह रहे पारिवारिक मित्र के एक रिश्तेदार राजा शौक़त साहब का फोन आया कि वे हमें लेने के लिए आ रहे हैं. हम उनका निमंत्रण प्राप्त कर अभिभूत थे. इससे पहले भी उन्होंने हमें निमंत्रण दिया था पर हम असमंजस में थे कि जाएं या न जाएं. परंतु जब उनका यह संदेश आया तो अब तो हमारी विवशता भी थी और उनके आग्रह के सामने हम अपने आप को परास्त भी महसूस कर रहे थे, और हम रात को ही उनके घर के लिए रवाना हो गए और तकरीबन 10:30 बजे रात्रि को पहलीपोरा, जिला बारामूला में उनके घर पर पहुंचे.
Ram Mohan Rai,
Srinagar, Jammu and Kashmir.
02.10.2024

Comments

Popular posts from this blog

Gandhi Global Family program on Mahatma Gandhi martyrdom day in Panipat

पानीपत की बहादुर बेटी सैयदा- जो ना थकी और ना झुकी :

Global Youth Festival, 4th day ,Panipat/05.10.2025. Sant Nirankari Mission/National Youth Project/Gandhi Global Family