Switzerland to Kashmir (घुमक्कड़ की डायरी - 11)

पहलीपोरा से हमें छोड़ने के लिए खुद हमारे मेजबान राजा शौकत बारामुला तक आए. दूसरी तरफ हमारी अगवाई करने के लिए हमारे दूसरे मेजबान हमीदुल्लाह हमीद साहब बारामूला में हमको लेने के लिए आए. बेशक हमारे दोनों मेजबानों की यह पहली मुलाकात थी परंतु उनके जज्बात से ऐसा लग रहा था कि मानो वह एक दूसरे से परिचित हो. ऐसा इसलिए भी लगता था कि दोनों सरल हृदय, सेवा भाव तथा अतिथि परायणता के के प्रतीक थे. हमीदुल्लाह हमीद साहब के साथ हमारे एक बहुत ही प्रिय मित्र, प्रसिद्ध गांधीवादी तथा दीदी निर्मला देश पांडे जी के अन्य अनुरागी सहयोगी श्री कलानंद मणि भी थे. सोशल मीडिया पर वे मेरे पुराने परिचित हैं, परंतु मुलाकात आज प्रत्यक्ष रूप से हो रही थी. आपस में अभिवादन के बाद हमीदुल्लाह हमीद साहब की गाड़ी में हम बैठ लिए और वे हमें तुंगमार्ग के रास्ते गुलमर्ग ले चले. जैसा कि हम जानते हैं की गुलमर्ग कश्मीर का ही नहीं अपितु पूरे विश्व में प्राकृतिक सौंदर्य से समृद्ध स्थान है, जहां पर भारत से ही नहीं अपितु दुनिया के दूसरे देशों से भी प्रकृति प्रेमी पर्यटक आते हैं. यहां की ठंडी हवाओं से ही नहीं अपितु सुंदर वातावरण और साफ सुथरे मौसम को देखकर हमें स्विट्जरलैंड का एहसास होने लगा. गुलमर्ग इतना खूबसूरत है कि उसका बखान शब्दों में नहीं किया जा सकता. वहां जाकर और फिर वहां घूम कर वहां के वहां होने का एहसास होता है. जमीन पर मखमली घास ऐसी प्रतीत होती थी जैसे कोई बहुत ही खूबसूरत हरे रंग का कालीन बिछा रखा हो. मुझे ऐसा लगता है कि ऐसी ही मखमली घास ही प्रेरणा रहा होगा कश्मीरी लोगों और कारीगरों के लिए खूबसूरत कालीन बनाने का. 
पूरी पहाड़ी का चक्कर लगाकर सामने गोंडोला यात्रा है. हमने गोंडोला का सफर किया है स्विट्जरलैंड के एक छोटे से कस्बे में जो की पहाड़ी तक जाता है और उस पहाड़ी पर बहुत ही सुंदर एक छोटा सा गांव बसा है. गुलमर्ग की तुलना स्विट्जरलैंड से करने का अभिप्राय सिर्फ इतना ही है की हमें एहसास हो कि भारत में भी ऐसे स्थान हैं जो विश्व पर्यटक क्षेत्र है. बस जरूरत है उनको प्रोत्साहित करने के. जब हम स्विट्जरलैंड गए थे तो पाया था कि बेशक स्वीटजरलैंड यूरोपीय यूनियन का सदस्य नहीं है परंतु शेनगण वीज़ा से वहां आवागमन हो सकता है  वहां की करेंसी अलग है. यूरो के मुकाबले इसकी कीमत भी ज्यादा है. पूरे यूरोप में घूमने पर कहीं भी  दूसरे देश में प्रवेश  करते हुए  गाड़ी का अतिरिक्त टैक्स नहीं देना पड़ता परंतु स्विट्जरलैंड में अलग टैक्स देना पड़ता है. यहां पेट्रोल की कीमत भी अन्य यूरोपियन देशों के मुकाबले ज्यादा है. पार्किंग फीस भी ज्यादा है. परंतु इसके बावजूद भी पर्यटकों की संख्या रुकने का नाम नहीं लेती. यह कीमत ज्यादा होना इस बात का भी द्योतक है की ज्यादा से ज्यादा लोग यहां आना चाहते हैं. बस हमारे देश के रमणीय स्थल चाहे वे कश्मीर में हो या डलहौजी में अथवा उत्तराखंड में या फिर नॉर्थ ईस्ट स्टेट के राज्यों में. हम ने वहां पर्यटन को बढ़ावा देने के उचित साधन नहीं अपनाए. अपनी यदि हम उचित साधन प्रदान करें, सुंदर व्यवस्था करें तो दुनिया का पर्यटक हमारे देश में भी आना चाहेगा.
    यूरोप के कई सुंदर देशों की तरह गुलमर्ग में भी यह मन करता है कि यहां के चप्पे-चप्पे  को अपने कैमरे में कैद कर लिया जाए. ऐसा कतई मुमकिन नहीं है परंतु हम अपनी स्मृति में तो इसे हमेशा के लिए रख सकते हैं और ऐसा रखना भी इसे संजोकर रखना ही होगा.
Ram Mohan Rai, 
Gulmarg, Jammu and Kashmir. 
04.10.2024

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