My trip to the Rome - 2 (अंजान स्टेशन पर बुजुर्ग की अगुआई)

अनजान स्टेशन पर बुजुर्ग की अगुवाई: एक यादगार अनुभव

जब हम किसी अनजान जगह पर पहुँचते हैं, तो वहाँ का माहौल और वातावरण अक्सर हमें अज्ञातता के डर से भर देता है। लेकिन यदि कोई अपना, विशेषकर कोई बुजुर्ग व्यक्ति, हमें लेने के लिए आता है, तो यह न केवल हमें खुशी देता है बल्कि एक अद्वितीय ढाढस भी प्रदान करता है। ऐसा ही एक अनुभव हमें रोम रेल्वे स्टेशन पर मिला, जहाँ सरदार मोहन सिंह जी ने हमारी अगुवाई की।

पहली मुलाकात: एक नई शुरुआत

हम रोम के रेल्वे स्टेशन पर पहुँचे, और जैसे ही हमने अपनी यात्रा समाप्त की, हमारी आँखों में थकान और उत्साह दोनों का मिश्रण था। स्टेशन की हलचल के बीच, हमें सरदार मोहन सिंह जी का चेहरा नजर आया। वे हमारे लिए अनजान थे, लेकिन उनके चेहरे पर एक सजीव मुस्कान और आत्मीयता थी। यह देखकर हमें तुरंत ही एक अपनापन सा महसूस हुआ।

सरदार जी के बारे में पहले से ही हमें जानकारी मिली थी। निरंकारी मिशन जर्मनी के मुखी राजेंद्र चोपड़ा जी और मिलान के सुरेंद्र पाल जी ने हमें बताया था कि सरदार मोहन सिंह जी हमारे स्वागत के लिए आएंगे। उनकी इस जानकारी ने हमें एक मानसिक संतोष दिया था। लेकिन जब हम उन्हें अपने सामने देख रहे थे, तब वह अनुभव और भी खास हो गया।

आत्मीयता और स्नेह का अहसास

सरदार मोहन सिंह जी ने हमें अपने गर्मजोशी से गले लगाया। उनकी आवाज में एक सहजता थी, जो हमें तुरंत आरामदायक महसूस करवा गई। उन्होंने हमें बताया कि वे यहाँ हमारे स्वागत के लिए विशेष रूप से आए हैं और हमें हमारे अतिथि गृह तक छोड़ने का प्रस्ताव रखा। यह सुनकर हमारी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा।

उनकी बातों में अनुभव और ज्ञान का गहराई था। उन्होंने हमें रोम के बारे में कई रोचक बातें बताईं, जैसे कि यहाँ की संस्कृति, इतिहास और स्थानीय विशेषताएँ। उनकी बातें सुनकर ऐसा लगता था कि हम किसी पुराने मित्र से मिल रहे हैं, न कि किसी अनजान व्यक्ति से।

यात्रा का सुखद अनुभव

जैसे ही हम सरदार जी के साथ  गाड़ी में बैठे, हमारे मन में एक अद्भुत शांति थी। ड्राइवर गाड़ी चला रहा था और वे साथ ही साथ हमें रोम की खूबसूरत सड़कों के बारे में बता रहे थे। उन्होंने हमें कुछ प्रसिद्ध स्थलों की जानकारी दी, जिन्हें हम अपनी यात्रा के दौरान देख सकते थे। उनकी बातें सुनकर ऐसा लग रहा था कि हम केवल एक यात्रा नहीं कर रहे, बल्कि एक नई दुनिया की खोज कर रहे हैं।

हमारी यात्रा लगभग काफी दूर तक चली। रास्ते में उन्होंने हमें अपनी ज़िंदगी की कुछ कहानियाँ भी सुनाईं, जो हमें प्रेरित करती रहीं। उनकी उम्र और अनुभव ने हमें उनके प्रति और अधिक सम्मानित किया। यह अनुभव केवल एक साधारण यात्रा नहीं था; यह एक आत्मीयता और स्नेह का बंधन बन गया था।

ईश्वर की मेहरबानी

जब हम अपने अतिथि गृह पहुँचे, तब हमने सरदार मोहन सिंह जी को धन्यवाद दिया। उनका आभार व्यक्त करते हुए हमने महसूस किया कि ईश्वर ने सचमुच हम पर मेहरबानी की है। उनकी उपस्थिति ने हमारी यात्रा को और भी विशेष बना दिया था।

इस अनुभव ने हमें यह सिखाया कि अनजान स्थानों पर भी यदि हमारे पास अच्छे लोग हों, तो हर यात्रा सुखद और यादगार बन सकती है। सरदार मोहन सिंह जी की अगुवाई ने हमें यह एहसास दिलाया कि सच्चे रिश्ते और मानवता की भावना कहीं भी और कभी भी मिल सकती है।
   अनजान स्टेशन पर किसी बुजुर्ग व्यक्ति द्वारा स्वागत पाना न केवल खुशी का कारण होता है, बल्कि यह एक अद्वितीय अनुभव भी प्रदान करता है। सरदार मोहन सिंह जी का हमारे स्वागत में आना, उनकी आत्मीयता और स्नेह ने हमारी यात्रा को अविस्मरणीय बना दिया। इस प्रकार के अनुभव जीवन में हमेशा याद रहते हैं और हमें यह सिखाते हैं कि सच्चे रिश्ते और मानवता की भावना हमेशा हमारे चारों ओर होती है, बस उन्हें पहचानने की जरूरत होती है।

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