Our trip to the birthplace and Museum of Raja Ram Mohan Roy (Traveling is my destiny)

Visit of Raja Ram Mohan Roy Birthplace and Museum. 
मेरे पिता मास्टर सीताराम और माता सीता रानी सैनी, महात्मा गांधी के अनन्य अनुरागी थे और उनके व्यक्तित्व की प्रेरणा से वे स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुए. महर्षि दयानन्द के मिशन आर्य समाज के प्रति उनकी निष्ठा एवं समर्पण शब्दातीत था. वे व्यवहार में लोकतांत्रिक और धर्म निरपेक्ष, कार्यो और सेवा में सामाजिक कार्यकर्ता थे. इसी वज़ह से उन्होंने अपनी चारों संतानों के नाम प्रसिद्ध समाज सुधारक हस्तियों पर रखे जैसे मेरा नाम ब्रह्मो समाज के संस्थापक राजा राम मोहन राय के नाम पर.
   आज हम ने उनके कोलकाता स्थित घर एवं म्युजियम के घर में आए और उसे देख कर धन्य हो गए. 
   राजा राम मोहन राय का जन्म 22 मई 1772 को बंगाल के राधा नगर में हुआ। वे एक महान समाज सुधारक, शिक्षाविद् और धार्मिक विचारक थे, जिन्होंने भारतीय समाज में कई महत्वपूर्ण परिवर्तनों की नींव रखी। उनका जीवन और कार्य न केवल उनके समय के लिए महत्वपूर्ण थे, बल्कि आज भी हम उन्हें एक प्रेरणा स्रोत के रूप में देखते हैं।
  राजा राम मोहन राय ने सती प्रथा के खिलाफ आवाज उठाई, जो उस समय भारतीय समाज में एक आम प्रथा थी। सती प्रथा में एक विधवा महिला को अपने पति की चिता पर आत्मदाह करने के लिए मजबूर किया जाता था। यह प्रथा महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन करती थी और उन्हें सामाजिक रूप से अपमानित करती थी। राजा राम मोहन राय ने इस प्रथा को समाप्त करने के लिए कई प्रयास किए। 

उन्होंने 1818 में ब्रिटिश सरकार के समक्ष सती प्रथा के खिलाफ याचिका प्रस्तुत की और इसके प्रति जागरूकता फैलाने के लिए लेखन और भाषणों का सहारा लिया। उनकी मेहनत रंग लाई और 1829 में ब्रिटिश सरकार ने सती प्रथा को अवैध घोषित कर दिया। यह कदम भारतीय समाज में महिलाओं के अधिकारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ।

   राजा राम मोहन राय का जीवन कई पहलुओं से भरा हुआ था। वे एक शिक्षित व्यक्ति थे और उन्होंने संस्कृत, फारसी, अरबी और अंग्रेजी भाषाओं का अध्ययन किया। उन्होंने भारतीय संस्कृति और धर्म को समझने के लिए विभिन्न धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन किया और अपने विचारों को विकसित किया। 

राजा राम मोहन राय ने 1828 में ब्रह्मो समाज की स्थापना की, जिसका उद्देश्य धार्मिक और सामाजिक सुधार करना था। उन्होंने अंधविश्वास, जातिवाद और असमानता के खिलाफ आवाज उठाई। उनका मानना था कि सभी मनुष्यों को समान अधिकार मिलना चाहिए और उन्होंने महिलाओं की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया।
   राजा राम मोहन राय का घर अब एक म्यूजियम में परिवर्तित हो चुका है, जो उनके जीवन और कार्यों को दर्शाता है। इस म्यूजियम में उनके व्यक्तिगत सामान, दस्तावेज और उनके द्वारा स्थापित ब्रह्मो समाज से संबंधित वस्तुएं रखी गई हैं। 

जब हम इस म्यूजियम में गए, तो वहां राजा राम मोहन राय की तस्वीरें, उनके द्वारा लिखे गए लेख और उनके विचारों को प्रदर्शित करने वाली सामग्री देख कर धन्य महसूस हुआ। यह स्थान न केवल उनके जीवन की गाथा को जीवित रखता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित भी करता है।
  राजा राम मोहन राय का जीवन हमें यह सिखाता है कि एक व्यक्ति अपनी सोच और कार्यों से समाज में बदलाव ला सकता है। उन्होंने न केवल सती प्रथा को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, बल्कि भारतीय समाज में कई अन्य सुधारों की दिशा में भी कदम बढ़ाए। उनका योगदान आज भी हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है, और हमें अपने समाज को बेहतर बनाने के लिए प्रेरित करता है।
   मुझे खेद है यह म्युजियम  जिस भावना एवं सम्मान का हकदार है उससे यह उपेक्षित है. कारण कुछ भी हो पर मेरी नजर में यह उस भाव का शिकार है जो पूरे समाज में समाज सुधार और आंदोलन के प्रति है. हाँ यदि कोई पूजा स्थल और अंधविश्वास होता तो श्रद्धालुओं की रेलमपेल होती.
Ram Mohan Rai,
Kolkata, West Bengal.

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