our visit to the birthplace of Swami Vivekanand.

*कोलकाता यात्रा: स्वामी विवेकानंद के जन्मस्थान की ओर एक आध्यात्मिक यात्रा*

हाल ही में मैंने कोलकाता की यात्रा की, और इस यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव था स्वामी विवेकानंद का जन्मस्थान। कोलकाता, जो कि भारत के इतिहास, संस्कृति और आध्यात्मिकता का एक प्रमुख केंद्र है, वहां स्वामी विवेकानंद के जन्मस्थान का दर्शन करना मेरे लिए एक अद्वितीय अनुभव था।  

स्वामी विवेकानंद, जिन्हें नरेंद्रनाथ दत्त के नाम से भी जाना जाता है, भारत के महान आध्यात्मिक गुरु और समाज सुधारक थे। उनका जन्म 12 जनवरी, 1863 को कोलकाता के एक पारंपरिक बंगाली परिवार में हुआ था। उनका जन्मस्थान, जो अब एक संग्रहालय के रूप में संरक्षित है, उनके जीवन और दर्शन को समझने का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।  

जैसे ही मैं स्वामी विवेकानंद के जन्मस्थान पहुंचा, वहां का वातावरण मुझे एक अलग ही दुनिया में ले गया। यह स्थान उनके बचपन, शिक्षा और आध्यात्मिक जागरण की कहानी को बयां करता है। संग्रहालय में उनके व्यक्तिगत सामान, पत्र, फोटोग्राफ और उनकी रचनाएं देखकर मैं उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं से रूबरू हुआ।  

संग्रहालय के प्रवेश द्वार पर ही मुझे स्वामी विवेकानंद की एक विशाल प्रतिमा दिखाई दी, जो उनके तेजस्वी व्यक्तित्व को दर्शाती है। अंदर जाकर मैंने उनके बचपन के कमरे को देखा, जहां उन्होंने अपने प्रारंभिक वर्ष बिताए थे। यह कमरा उनकी सादगी और गहन अध्ययनशीलता को दर्शाता है।  

संग्रहालय में उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस के साथ की गई चर्चाओं और उनके शिकागो भाषण की झलक भी देखने को मिली। स्वामी विवेकानंद का शिकागो भाषण, जिसमें उन्होंने विश्व को भारतीय अध्यात्म और सनातन धर्म का संदेश दिया, आज भी प्रेरणादायक है। संग्रहालय में उनके इस भाषण की ऑडियो रिकॉर्डिंग सुनकर मैं गद्गद् हो उठा।  

स्वामी विवेकानंद के जन्मस्थान पर बिताए गए समय ने मुझे उनके दर्शन और विचारों को और गहराई से समझने का अवसर दिया। उनका जीवन संदेश – "उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए" – आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।  

इस यात्रा ने मुझे यह एहसास दिलाया कि स्वामी विवेकानंद केवल एक आध्यात्मिक गुरु ही नहीं थे, बल्कि वे एक महान देशभक्त, समाज सुधारक और युवाओं के मार्गदर्शक भी थे। उनका जीवन और संदेश आज भी हमें अपने लक्ष्यों की ओर अग्रसर होने के लिए प्रेरित करता है।  

**समापन**  
कोलकाता की यात्रा और स्वामी विवेकानंद के जन्मस्थान का दर्शन करना मेरे लिए एक आध्यात्मिक और प्रेरणादायक अनुभव था। यह यात्रा न केवल मेरे ज्ञान को विस्तृत करती है, बल्कि मेरे मन में स्वामी विवेकानंद के प्रति गहरी श्रद्धा भी जगाती है। मैं इस अनुभव को हमेशा संजोकर रखूंगा और उनके विचारों को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करूंगा।  
Ram Mohan Rai, Kolkata. 
16.03.2025


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