घुमक्कड़ की डायरी-11. Gauda, Netherlands/20.04.2025
घुमक्कड़ की डायरी-11
खाउदा (Gouda), नीदरलैंड्स.
आज, रविवार और ईस्टर का पवित्र त्योहार, हम अपने सुपुत्र उत्कर्ष के साथ नीदरलैंड्स के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध शहर (Gouda) की सैर के लिए निकले। स्थानीय डच उच्चारण में इसे "खाउदा" कहा जाता है। यह शहर अपनी विश्व प्रसिद्ध गौड़ा चीज़, शहद, मोमबत्तियों, स्ट्रूपवाफल्स (एक स्थानीय मिठाई), और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए जाना जाता है। खाउदा का नाम सुनते ही भारत में लोग इसे चीज़ से जोड़ते हैं, ठीक वैसे ही जैसे हम वनस्पति घी को "डालडा" कहते हैं, जो वास्तव में एक कंपनी का नाम है। गौड़ा चीज़, हालांकि शहर में नहीं बनती, लेकिन यहीं के बाजारों में इसका व्यापार सदियों से होता आया है, जिसने इसे वैश्विक पहचान दी।
हमारी यह यात्रा गौड़ा के प्रमुख स्थानों, उनके इतिहास, और महत्व को जानने का एक सुंदर अवसर थी। इस यात्रा वृत्तांत में मैं गौड़ा के दर्शनीय स्थलों का विस्तार से वर्णन करूंगा, साथ ही भारत और नीदरलैंड्स में दुधारू पशुओं की संख्या की तुलना भी प्रस्तुत करूंगा।
हम स्टेशन से पैदल चलते हुए शहर के मुख्य बाजार को पार करते हुए अपनी यात्रा की शुरुआत गौड़ा के सबसे प्रतिष्ठित स्थल, सेंट-जॉन्स चर्च (Grote of Sint-Janskerk) से की। यह नीदरलैंड्स का सबसे लंबा चर्च है, जिसकी लंबाई 123 मीटर है। यह गोथिक शैली का एक शानदार नमूना है और अपनी 72 रंग-बिरंगी स्टेन्ड-ग्लास खिड़कियों (Goudse Glazen) के लिए विश्व प्रसिद्ध है। ये खिड़कियां 1530 से 1603 के बीच बनाई गई थीं और इन्हें नीदरलैंड्स की सबसे महत्वपूर्ण स्टेन्ड-ग्लास कला माना जाता है। 17वीं शताब्दी में ही यह चर्च पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन चुका था।
चर्च का निर्माण 15वीं शताब्दी में शुरू हुआ, लेकिन 1552 में आग लगने के बाद इसका पुनर्निर्माण किया गया। खिड़कियों में धार्मिक और ऐतिहासिक दृश्यों को चित्रित किया गया है, जो उस समय की कला और संस्कृति को दर्शाते हैं। यह चर्च गौड़ा के धार्मिक और सांस्कृतिक इतिहास का प्रतीक है। चर्च के पास ही **व्रोसेनटुइन** (Vroesentuin) है, जो पहले कब्रिस्तान था और अब एक शांतिपूर्ण उद्यान है।
हमने चर्च के अंदर का भव्य वातावरण और खिड़कियों से छनकर आती रंगीन रोशनी का आनंद लिया। ऑडियो गाइड के साथ यह अनुभव और भी जानकारीपूर्ण हो गया।
इसके बाद हम पहुंचे चर्च से ही स्टे गौड़ा के मध्य में स्थित मार्कट स्क्वायर (Markt Square) में खड़ा टाउन हॉल में, जो इस शहर का एक और रत्न है। 1448-1450 में निर्मित यह नीदरलैंड्स का सबसे पुराना गोथिक टाउन हॉल है। इसकी वास्तुकला किसी परीकथा के महल जैसी है, जिसमें लाल और सफेद शटर वाली छोटी खिड़कियां और एक ऊंचा गैबल इसे और आकर्षक बनाते हैं।
यह भवन मध्यकाल में गौड़ा की समृद्धि और प्रशासनिक महत्व का प्रतीक था। आज यह पर्यटकों के लिए खुला है, जहां शादी समारोह और अन्य आयोजन भी होते हैं। टाउन हॉल के सामने हर गुरुवार (अप्रैल से अगस्त) गौड़ा चीज़ मार्केट लगता है, जो पर्यटकों के लिए एक बड़ा आकर्षण है। हालांकि हम रविवार को आए थे, इसलिए मार्केट नहीं देख पाए, लेकिन टाउन हॉल की भव्यता ने हमें मंत्रमुग्ध कर दिया।
इसके बाद का हमारा पड़ाव था द वाग (De Waag) और गौड़ा चीज़ संग्रहालय जो टाउन हॉल के सामने द वाग (The Weigh House) में स्थित है, जिसे 1667 में बनाया गया था। यह भवन पहले वस्तुओं (विशेष रूप से चीज़) का वजन करने और कर लगाने के लिए उपयोग होता था। आज यह एक चीज़ और शिल्प संग्रहालय (Gouda Cheese and Crafts Museum) के रूप में कार्य करता है।
गौड़ा चीज़ का नाम इसी शहर से पड़ा, क्योंकि मध्यकाल में आसपास के किसान अपनी चीज़ को यहीं वाग में वजन करवाने और बेचने आते थे। संग्रहालय में चीज़ बनाने की प्रक्रिया, गौड़ा की व्यापारिक परंपराएं, और स्थानीय शिल्प के बारे में जानकारी दी जाती है। हमने यहां चीज़ टेस्टिंग सेशन में हिस्सा लिया, जहां हमें विभिन्न प्रकार की गौड़ा चीज़ का स्वाद लेने का मौका मिला।
गौड़ा में हर गली में चीज़ की दुकानें मिलती हैं, जो स्थानीय और पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। हमने Cheese Experience (Agnietenstraat) का दौरा किया, जो एक इंटरैक्टिव संग्रहालय है। यहां हमने चीज़ बनाने की प्रक्रिया को समझा और पांच अलग-अलग प्रकार की गौड़ा चीज़ का स्वाद चखा।
गौड़ा चीज़ का इतिहास 12वीं शताब्दी से शुरू होता है। यह चीज़ अपनी मलाईदार बनावट और हल्के अखरोट जैसे स्वाद के लिए जानी जाती है। हर किलोग्राम गौड़ा चीज़ बनाने के लिए 14-16 किलोग्राम ताजा गाय का दूध चाहिए। हमने कुछ स्थानीय दुकानों से चीज़ खरीदी, जो उपहार के रूप में भी लोकप्रिय हैं।
गौड़ा की सुंदरता उसकी नहरों (grachten) और नदियों, जैसे गौवे (Gouwe) और हॉलैंड्से आइजसेल (Hollandse IJssel) में छिपी है। शहर का पुराना हिस्सा नहरों से घिरा है, जो इसे एक शांत और मनोरम रूप देता है। हमने नहरों के किनारे सैर की और कुछ स्थानों पर सप (SUP - Stand Up Paddle) और कैनोइंग करने वालों को देखा।
मध्यकाल में गौड़ा इन नदियों और नहरों के कारण एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र बन गया। 1225 तक गौवे नदी को एक नहर से जोड़ा गया, जिसने शहर को एक बंदरगाह में बदल दिया। नहरों के किनारे बने पुराने घर और पुल गौड़ा की मध्ययुगीन वास्तुकला को दर्शाते हैं।
हमने म्यूज़ियम गौड़ा का भी दौरा किया, जो पहले कैथरीना हॉस्पिटल (Catharina Gasthuis) हुआ करता था। यह संग्रहालय शहर के इतिहास, कला, और संस्कृति को प्रदर्शित करता है। यहां 16वीं शताब्दी के अल्टारपीस, 19वीं शताब्दी के चित्र, और गौड़ा पॉटरी (प्लेटेल) की व्यापक संग्रह देखने को मिला। संग्रहालय में एक पुरानी फार्मेसी, सर्जन गिल्ड रूम, और मध्ययुगीन यातना उपकरण भी प्रदर्शित हैं।
यह संग्रहालय गौड़ा की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करता है। 2012 में यहां 1562 के गौड़ा का एक मॉडल (स्केल 1:350) जोड़ा गया, जो उस समय के शहर की झलक देता है।
इनके बाद पहुंचे हम मार्कट स्क्वायर जो गौड़ा का दिल है, जहां टाउन हॉल, द वाग, और कई कैफे और दुकानें हैं। हमने यहां कैम्फ्यूज़ेन सिरपवाफल फैक्ट्री (Kamphuisen Siroopwafelfabriek) का दौरा किया, जहां ताज़ा स्ट्रूपवाफल्स बनते देखे। यह दो पतली वेफर्स के बीच कैरमल या सिरप की परत वाला एक स्वादिष्ट व्यंजन है। स्ट्रूपवाफल्स 19वीं शताब्दी से गौड़ा की पहचान रहे हैं। इसके अलावा, गौड़ा की मोमबत्तियां(Goudse kaarsen) भी प्रसिद्ध हैं, जिनका उत्पादन 1853 से शुरू हुआ। हमने स्थानीय कैफे में स्ट्रूपवाफल के साथ कॉफी का आनंद लिया, जो ईस्टर के उत्सव के माहौल में और भी खास लगा।
गौड़ा को 2023 में नीदरलैंड्स का सबसे मधुमक्खी-अनुकूल शहर चुना गया, जो इसकी हरियाली और पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हमने हाउटमन्सप्लांट्सून (Houtmansplantsoen) और वान बर्गेन आइजेंडोर्नपार्क (Van Bergen IJzendoornpark) में सैर की। ये पार्क शहर के व्यस्त माहौल से राहत देते हैं.
वान बर्गेन आइजेंडोर्नपार्क का नाम एक पूर्व मेयर के नाम पर है, जिन्होंने अपनी निजी बाग को शहर को दान किया। यह पार्क 1900 में लैंडस्केप शैली में निर्मित हुआ.
हमारी यात्रा का समापन गौड़ा की प्रसिद्ध विंडमिल(De Roode Leeuw - The Red Lion) के दर्शन के साथ हुआ। गौड़ा में चार विंडमिल हैं, लेकिन यह सबसे प्रसिद्ध है। यह 18वीं शताब्दी की पवनचक्की अभी भी पारंपरिक तरीके से आटा पीसती है, जिसे खरीदा जा सकता है। विंडमिल नीदरलैंड्स की तकनीकी और कृषि विरासत का प्रतीक है। गौड़ा जैसे शहर में विंडमिल का होना आश्चर्यजनक लगता है, लेकिन यह इस क्षेत्र की ग्रामीण और औद्योगिक संस्कृति को दर्शाता है.
गौड़ा का इतिहास मध्यकाल से शुरू होता है, जब वान डर गौड़े परिवार ने गौवे नदी के किनारे एक किला बनाया। 1272 में गौड़ा को शहर के अधिकार मिले, और यह मध्यकाल के अंत तक हॉलैंड का पांचवां सबसे बड़ा शहर बन गया। यह शहर कपड़ा व्यापार, बियर उत्पादन, और चीज़ व्यापार का केंद्र रहा। 2022 में गौड़ा ने अपनी 750वीं वर्षगांठ मनाई, जिसमें शहर के अधिकारों की प्रति (1335 की कॉपी) म्यूज़ियम गौड़ा में प्रदर्शित की गई।
गौड़ा की समृद्धि नदियों और नहरों के कारण थी, जिन्होंने इसे व्यापारिक केंद्र बनाया। आज, गौड़ा का अर्थव्यवस्था पर्यटन, अवकाश, और खुदरा व्यापार पर आधारित है, जिसमें 32,000 से अधिक लोगों को काम मिला हुआ हैं।
हमारे देश भारत की अनुमानित जनसंख्या लगभग 1.43 करोड़ (2023 अनुमान) होंगी और जिसमें दुधारू पशु
लगभग 303 मिलियन मवेशी हैं (20वां पशुधन जनगणना, 2019), जिनमें से लगभग 80 मिलियन दुधारू गायें और 110 मिलियन भैंसें हैं और
प्रति व्यक्ति दुधारू पशु 1.43 करोड़ जनसंख्या के लिए 190 करोड़ दुधारू पशु, यानी प्रति 1000 व्यक्ति पर लगभग 133 दुधारू पशु। इसके विपरित
नीदरलैंड्स की जनसंख्या लगभग एक करोड़ 80 लाख(2023 अनुमान) हैं और - दुधारू पशु नीदरलैंड्स में लगभग 1 करोड़ 60 लाख डेयरी गायें हैं और भैंसों की संख्या नगण्य है।
यानी एक करोड़ अस्सी लाख जनसंख्या के लिए एक करोड़ साठ लाख गायें, यानी प्रति 1000 व्यक्ति पर लगभग 89 दुधारू पशु। अब अगर तुलना करें तो
प्रति व्यक्ति: भारत में प्रति व्यक्ति दुधारू पशुओं की संख्या (133 प्रति 1000) नीदरलैंड्स (89 प्रति 1000) से अधिक है। इसका कारण भारत की विशाल ग्रामीण अर्थव्यवस्था और डेयरी पर निर्भरता है। भारत में प्रति वर्ग किमी दुधारू पशुओं की संख्या (58) नीदरलैंड्स (38) से अधिक है, लेकिन नीदरलैंड्स का छोटा क्षेत्रफल और गहन डेयरी फार्मिंग इसे विश्व के शीर्ष डेयरी उत्पादकों में शामिल करता है। नीदरलैंड्स में प्रति गाय दूध उत्पादन (लगभग 8,000 लीटर/वर्ष) भारत (1,500-2,000 लीटर/वर्ष) से कहीं अधिक है, जिसके कारण नीदरलैंड्स कम पशुओं के साथ अधिक डेयरी उत्पादन करता है। अतः हमारे दुग्ध उत्पादन हमारी खुद की खपत से भी कम है. जरूरत है कि हम पशुओं की नस्लें सुधार कर उत्पादन बढ़ाये.
गौड़ा की यह यात्रा हमारे लिए अविस्मरणीय रही। ईस्टर के उत्सव ने शहर को और जीवंत बना दिया था। सेंट-जॉन्स चर्च की भव्यता, टाउन हॉल की गोथिक सुंदरता, चीज़ की दुकानों का स्वाद, नहरों का शांत माहौल, और विंडमिल की ऐतिहासिकता ने इस दिन को खास बना दिया। गौड़ा का हर कोना अपने आप में एक कहानी कहता है, जो मध्यकाल से लेकर आधुनिक समय तक की यात्रा को दर्शाता है।
हमने स्थानीय कैफे में स्ट्रूपवाफल और कॉफी के साथ दिन का अंत किया, और यह सोचकर वापस लौटे कि गौड़ा न केवल चीज़ का शहर है, बल्कि इतिहास, संस्कृति, और प्रकृति का एक अनूठा संगम भी है।
नोट: इस वृत्तांत में दी गई जानकारी विश्वसनीय स्रोतों पर आधारित है, और मैंने स्थानीय अनुभवों को शामिल कर इसे जीवंत बनाने की कोशिश की है.
Ram Mohan Rai,
Gauda, Netherlands 🇳🇱.
20.04.2025
Comments
Post a Comment