घुमक्कड़ की डायरी-15. (Leiden, Netherlands-02.05.2025)
आज सुबह जब ट्रेन लीडेन सेंट्रल स्टेशन पर रुकी, नीदरलैंड की ठंडी हवा और हल्की धुंध ने हमें इस शहर की बाहों में खींच लिया। लीडेन, जिसे लोग "फ्लोरेंस ऑफ नीदरलैंड" कहते हैं, अपनी नहरों, कोब्बल्ड गलियों और इतिहास से भरे कोनों के साथ हमारे सामने था। हमारे पास सिर्फ पांच घंटे थे, और मन में एक लंबी सूची—हिस्टोरिक सेंटर, डे वाल्क विंडमिल, रिज्क्सम्यूजियम, कॉर्पस क्लॉक, बर्च वैन लीडेन, मोलन डे पुत, सेंट पीटरस्कर्क, लीडेन की दीवारें, और प्राचीन किला बर्च वैन लीडेन। समय कम था, लेकिन हर घुमक्कड़ की तरह, हमने इस चुनौती को उत्साह के साथ स्वीकार किया।
● हिस्टोरिक सेंटर: लीडेन की धड़कन
लीडेन के हिस्टोरिक सेंटर में कदम रखते ही समय मानो ठहर गया। रापेनबर्ग नहर के किनारे बनी पुरानी इमारतें, उनके रंग-बिरंगे दरवाजे और खिड़कियां, और पानी पर तैरती छोटी-सी नावें—यह सब किसी पुरानी डच पेंटिंग से निकला हुआ लगता था। नहर के किनारे टहलते हुए हम एक छोटे से कैफे में रुके, जहां लकड़ी की मेज पर बैठकर एक कप डच कॉफी का स्वाद लिया। कॉफी की गर्माहट और नहर की ठंडी हवा का मेल मन को सुकून दे गया। आसपास साइकिल पर किताबें लिए छात्र, पैदल टहलते स्थानीय लोग, और दुकानों की रौनक ने लीडेन की जीवंत आत्मा को उजागर किया। हिस्टोरिक सेंटर की गलियां सिर्फ रास्ते नहीं, बल्कि इतिहास और संस्कृति का खजाना हैं।
● डे वाल्क विंडमिल: समय के पंख
हिस्टोरिक सेंटर से हम डे वाल्क विंडमिल की ओर बढ़े। यह ऐतिहासिक पवनचक्की लीडेन की शान है, जो नहर के किनारे गर्व से खड़ी है। इसके विशाल पंख हवा में धीरे-धीरे घूम रहे थे, मानो सदियों पुरानी कहानियां सुना रहे हों। विंडमिल के अंदर एक छोटा-सा संग्रहालय है, जहां पुराने अनाज पीसने के औजार और डच ग्रामीण जीवन की झलक दिखती है। संकरी सीढ़ियां चढ़कर ऊपर पहुंचे, तो लीडेन का मनोरम दृश्य सामने था—नहरों का जाल, लाल छतों वाली इमारतें, और दूर तक फैला हरा-भरा मैदान। वहां खड़े होकर लगा कि यह विंडमिल सिर्फ पत्थर और लकड़ी का ढांचा नहीं, बल्कि लीडेन के अतीत की जीवंत स्मृति है।
● रिज्क्सम्यूजियम वैन ओउडहेडेन: इतिहास की गहराई
समय की कमी के बावजूद, रिज्क्सम्यूजियम वैन ओउडहेडेन को छोड़ना नामुमकिन था। यह राष्ट्रीय पुरातत्व संग्रहालय लीडेन के इतिहास और डच संस्कृति का अनमोल खजाना है। अंदर प्रवेश करते ही प्राचीन मिस्र की मूर्तियां, रोमन सिक्के, और मध्यकालीन डच कलाकृतियां ने हमें मंत्रमुग्ध कर दिया। एक खास प्रदर्शनी में लीडेन के आसपास की खुदाई में मिले अवशेष थे—पुराने मिट्टी के बर्तन, हथियार, और नाजुक गहने। हर वस्तु के पीछे एक कहानी थी, और संग्रहालय की शांत गलियारों में खोए हुए, समय का अहसास ही नहीं हुआ।
हिस्टोरिक सेंटर की गलियों में भटकते हुए हम कॉर्पस क्लॉक के पास पहुंचे। यह घड़ी सिर्फ समय बताने का यंत्र नहीं, बल्कि कला का एक अनोखा नमूना है। इसके जटिल डिजाइन और हर घंटे होने वाला छोटा-सा "नाटक"—जिसमें छोटी-छोटी मूर्तियां हिलती-डुलती हैं—देखकर हम हैरान रह गए। यह घड़ी लीडेन की रचनात्मकता और नवाचार की मिसाल है। वहां खड़े होकर कुछ देर के लिए समय को भूल गए, और बस उस जादू में खो गए।
लीडेन की सबसे खास जगहों में से एक थी बर्च वैन लीडेन, एक प्राचीन किला जो शहर के बीचों-बीच एक छोटी-सी पहाड़ी पर खड़ा है। नहरों से घिरा यह किला 11वीं सदी का है और लीडेन की रक्षा का प्रतीक रहा है। संकरे रास्ते से ऊपर चढ़ते हुए हम किले के प्रवेश द्वार पर पहुंचे। अंदर का दृश्य मनमोहक था—पुराने पत्थरों की दीवारें, जिन पर समय की छाप साफ दिखती थी, और चारों ओर फैला हरा-भरा बगीचा। किले की दीवारों से लीडेन का 360-डिग्री नजारा दिखता था—नहरों का जाल, चर्चों की मीनारें, और दूर तक फैली छतें। वहां खड़े होकर 1574 की उस ऐतिहासिक घेराबंदी की कल्पना की, जब लीडेन ने हिम्मत से डच स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी थी। किले की शांति और इतिहास का बोझ एक साथ मन को छू गया।
● मोलन डे पुत: रेम्ब्रांट की याद
नहर के किनारे टहलते हुए हम मोलन डे पुत पहुंचे, एक छोटी-सी पवनचक्की जो रेम्ब्रांट के समय की याद दिलाती है। यह विंडमिल उसी जगह के पास है, जहां महान चित्रकार का जन्म हुआ था। नहर के किनारे खड़ी यह पवनचक्की और उसका प्रतिबिंब पानी में—यह दृश्य इतना खूबसूरत था कि हम कुछ देर वहीं ठहर गए। आसपास खिले फूलों की क्यारियां और हल्की-सी हवा ने माहौल को और रंगीन बना दिया। वहां खड़े होकर रेम्ब्रांट की कला और लीडेन के उनके जीवन के बारे में सोचना स्वाभाविक था।
●सेंट पीटरस्कर्क: शांति का आलम
अगला पड़ाव था सेंट पीटरस्कर्क, लीडेन का ऐतिहासिक चर्च। इसके विशाल दरवाजे पार करते ही हम एक शांत और पवित्र दुनिया में पहुंच गए। ऊंची छत, रंग-बिरंगी कांच की खिड़कियों से छनकर आती रोशनी, और पुराने पत्थरों की दीवारें—यह जगह सैकड़ों सालों की कहानियों की गवाह थी। चर्च के अंदर की शांति ने मन को सुकून दिया। बाहर एक छोटा-सा बाजार लगा था, जहां हमने स्थानीय डच पनीर का एक टुकड़ा और गर्मागर्म स्ट्रूपवाफल खरीदा। स्ट्रूपवाफल की कारमेल मिठास और पनीर की तीखी खुशबू आज भी जीभ पर बरकरार है।
●लीडेन की दीवारें: इतिहास की गूंज
लीडेन की पुरानी शहर की दीवारें (Leiden Walls) हमारी आखिरी मंजिल थीं। ये दीवारें, जो कभी शहर को दुश्मनों से बचाती थीं, अब इतिहास की मूक गवाह हैं। दीवारों के साथ टहलते हुए हमने उन दिनों की कल्पना की, जब ये पत्थर लीडेन की हिफाजत करते थे। दीवारों के पास बने छोटे-छोटे पार्क और नहरों ने इस अनुभव को और खास बना दिया। वहां खड़े होकर लगा कि लीडेन सिर्फ एक शहर नहीं, बल्कि एक जीवित इतिहास है।
अलविदा लीडेन
पांच घंटे पलक झपकते बीत गए। लीडेन यूनिवर्सिटी और हॉर्टस बोटैनिकस देखने का मन था, लेकिन समय ने साथ नहीं दिया। आखिरी बार नहर के किनारे खड़े होकर शहर को निहारा। सूरज ढल रहा था, और नहर का पानी सुनहरा चमक रहा था। ट्रेन में लौटते वक्त डायरी में ये पंक्तियां लिखीं: *लीडेन, मैंने तुझे पूरी तरह नहीं देखा, पर जो देखा, वो दिल में बस गया। तू कोई शहर नहीं, एक कविता है, जिसे बार-बार पढ़ने का मन करता है।
Ram Mohan Rai,
Leiden, Netherlands,
Amazing journey.
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