घुमक्कड़ की डायरी -16. Three Country Point- Vaalserberg, Germany/Belgium/Netherlands .05.05.2025
वॉल्सरबर्ग: तीन देशों का मिलन, शांति की कामना
आज का दिन मेरे लिए अविस्मरणीय रहा। मैं वॉल्सरबर्ग पहुँचा, वह स्थल जहाँ नीदरलैंड, बेल्जियम और जर्मनी की सीमाएँ एक-दूसरे से मिलती हैं। इसे 'थ्री कंट्री पॉइंट' कहते हैं, जहाँ तीन देशों की सीमाएँ एक बिंदु पर आकर एक-दूसरे को छूती हैं। यह जगह न केवल भौगोलिक रूप से अनूठी है, बल्कि मानवीय एकता और शांति का प्रतीक भी है। यहाँ खड़े होकर मैंने उन दिनों को याद किया जब ये देश आपस में युद्धों में उलझे थे, और आज कैसे वे शांति और सहयोग के साथ एक-दूसरे के पड़ोसी बने हैं।
वॉल्सरबर्ग की यात्रा मेरे लिए सिर्फ एक पर्यटन स्थल की सैर नहीं थी, बल्कि यह एक गहरे चिंतन का अवसर था। यहाँ की हरी-भरी पहाड़ियाँ, शांत वातावरण और तीन देशों की सीमाओं को चिह्नित करने वाला स्मारक मुझे मेरे अपने देश और उसके पड़ोसियों की याद दिला गया। मैंने भारत के पड़ोसी देशों—बांग्लादेश, पाकिस्तान और नेपाल—की अपनी यात्राओं को याद किया। सड़क मार्ग से इन देशों में जाना, भले ही वीजा हो, कितना जटिल और थकाऊ हो सकता है। सीमा पर लंबी कतारें, कागजी कार्यवाही और तनाव का माहौल—यह सब मुझे यहाँ के खुले और शांतिपूर्ण बॉर्डर के ठीक विपरीत लगा।
वॉल्सरबर्ग में मैंने देखा कि कैसे लोग बिना किसी रोक-टोक के एक देश से दूसरे देश में चले जाते हैं। कोई वीजा, कोई पासपोर्ट चेक, बस एक स्मारक जो बताता है कि आपने एक देश छोड़ा और दूसरे में प्रवेश किया। यहाँ के लोग अपनी साझा संस्कृति और इतिहास को गर्व के साथ अपनाते हैं। मैंने सोचा, काश हमारे दक्षिण एशियाई देश भी ऐसी शांति और सहयोग की भावना को अपनाएँ। हमारी संस्कृति, भाषाएँ और परंपराएँ इतनी समान हैं, फिर भी सीमाएँ हमें बाँटती हैं।
हमने यहाँ खूब तस्वीरें खींचीं। मैंने उस स्मारक के पास खड़े होकर, जहाँ तीन देश मिलते हैं, अपने दोस्तों के साथ हँसी-मजाक किया। हमने एक-दूसरे के साथ कॉफी पी, स्थानीय खाने का लुत्फ उठाया और इस अनूठे अनुभव को अपने कैमरे में कैद किया। लेकिन मेरे मन में बार-बार एक ही कामना उठ रही थी—काश हमारी सीमाएँ भी ऐसी ही खुली और शांतिपूर्ण हों। काश हम भी अपने पड़ोसियों के साथ बिना किसी भय या संकोच के मित्रता का हाथ बढ़ाएँ।
वॉल्सरबर्ग ने मुझे सिखाया कि शांति कोई असंभव सपना नहीं है। जर्मनी, नीदरलैंड और बेल्जियम, जो सैकड़ों साल तक एक-दूसरे से लड़े, आज शांति और सहयोग के रास्ते पर हैं। उन्होंने युद्ध की कीमत को समझा और शांति को चुना। शायद हम भी अपने इतिहास से सीख सकते हैं। मैंने यहाँ से लौटते वक्त एक संकल्प लिया—मैं अपने छोटे-छोटे प्रयासों से, अपनी बातों और सोच से, शांति और सहअस्तित्व की भावना को बढ़ावा दूँगा।
वॉल्सरबर्ग मेरे लिए सिर्फ एक जगह नहीं, बल्कि एक प्रेरणा बन गया। यहाँ की हवा में बसी शांति और एकता की खुशबू को मैं अपने साथ ले जा रहा हूँ, और उम्मीद करता हूँ कि एक दिन हमारी सीमाएँ भी सिर्फ एक स्मारक बनें, जो हमें जोड़े, न कि बाँटे।
Ram Mohan Rai ,
Vaalserberg, Germany/Belgium/Netherlands.
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