घुमक्कड़ की डायरी-17. कार्ल मार्क्स के देश जर्मनी में और फासीवाद पर विजय का दिन

घुमक्कड़ की डायरी -17: 
कार्ल मार्क्स के देश जर्मनी में और फासीवाद पर विजय का दिन
    आज, 5 मई 2025, न केवल कार्ल मार्क्स का जन्मदिवस है, बल्कि यह वह दिन भी है जब मानवता ने फासीवाद पर ऐतिहासिक विजय की स्मृति को ताजा किया। 1945 में, इसी माह में, नाजी जर्मनी ने मित्र राष्ट्रों के सामने आत्मसमर्पण किया, जिसने द्वितीय विश्व युद्ध के यूरोपीय मोर्चे पर फासीवाद के अंत को चिह्नित किया। यह संयोग विचारणीय है कि मार्क्स, जिन्होंने शोषण और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई, और फासीवाद, जो मानवता के सबसे क्रूर और दमनकारी चेहरों में से एक था, दोनों का जर्मनी से गहरा नाता है। इस लेख में, हम मार्क्स के विचारों के साथ-साथ फासीवाद पर विजय के महत्व को भी रेखांकित करते हैं।
 कार्ल मार्क्स: समानता के पैरोकार
कार्ल मार्क्स, जिनका जन्म 1818 में जर्मनी के ट्रायर में हुआ, ने विश्व को एक ऐसी विचारधारा दी जो आज भी सामाजिक न्याय और समानता की खोज में प्रासंगिक है। उनकी कृतियाँ, जैसे "कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो" और "दास कैपिटल", ने पूंजीवाद की कमियों को उजागर किया और एक शोषणमुक्त समाज का सपना देखा। मार्क्स का नारा, "दुनियाभर के मेहनतकशों, एक हो जाओ!" न केवल आर्थिक शोषण के खिलाफ, बल्कि हर प्रकार के दमन और अन्याय के खिलाफ एकजुटता का प्रतीक है।
  विनोबा भावे ने मार्क्स को "महर्षि" कहकर उनकी वैश्विक दृष्टि और मानवता के प्रति संवेदना को रेखांकित किया। मार्क्स के विचार "वसुधैव कुटुंबकम" की भावना से मेल खाते हैं, जो सभी मानवों को एक परिवार मानता है। उनके विचारों ने न केवल रूस, चीन और क्यूबा जैसे देशों में क्रांतियों को प्रेरित किया, बल्कि वैश्विक स्तर पर सामाजिक आंदोलनों को भी दिशा दी।
   जर्मनी: विचारों और विरोधाभासों का गढ़
जर्मनी वह भूमि है जहाँ मार्क्स, हेगेल, कांट और नीत्शे जैसे विचारकों ने मानवता को नई दृष्टि दी। लेकिन यह वही जर्मनी है, जहाँ हिटलर और गोएबल्स जैसे फासीवादी ताकतों ने मानव इतिहास के सबसे अंधेरे अध्याय लिखे। यह विरोधाभास जर्मनी को एक अनूठा चरित्र देता है। एक ओर यह विचारों की स्वतंत्रता और मानवता के उच्च आदर्शों का प्रतीक है, तो दूसरी ओर यह हमें सतर्क करता है कि स्वतंत्रता और समानता की रक्षा के लिए निरंतर प्रयास आवश्यक है।
   फासीवाद पर विजय: 5 मई का ऐतिहासिक महत्व
5 मई 1945 को, नाजी जर्मनी के आत्मसमर्पण की प्रक्रिया शुरू हुई, और 8-9 मई को यूरोप में "विक्ट्री इन यूरोप डे" (VE Day) के रूप में मनाया गया। यह फासीवाद पर मानवता की विजय का प्रतीक था। फासीवाद, जो नस्लवाद, दमन और युद्ध की विचारधारा थी, ने लाखों लोगों की जान ली और विश्व को विनाश के कगार पर ला खड़ा किया। इस विजय ने यह साबित किया कि एकजुटता और साहस के बल पर सबसे क्रूर ताकतों को भी परास्त किया जा सकता है।
 मार्क्स के विचार और फासीवाद पर विजय का यह संयोग गहरा अर्थ रखता है। जहाँ मार्क्स ने शोषण और असमानता के खिलाफ आवाज उठाई, वहीं फासीवाद ने इन बुराइयों को चरम पर पहुँचाया। फासीवाद का अंत मार्क्स के उस विश्वास को पुष्ट करता है कि इतिहास का विकास संघर्षों के माध्यम से आगे बढ़ता है, और अंततः न्याय और समानता की जीत होती है।
   आज के संदर्भ में मार्क्स और फासीवाद पर विजय
आज, जब हम मार्क्स के जन्मदिवस और फासीवाद पर विजय की स्मृति को एक साथ याद करते हैं, यह विचार करना आवश्यक है कि इन दोनों का संदेश आज कितना प्रासंगिक है। वैश्वीकरण, जलवायु संकट और बढ़ती असमानता के इस दौर में, मार्क्स हमें सिखाते हैं कि संसाधनों का उपयोग सभी के लाभ के लिए होना चाहिए। दूसरी ओर, फासीवाद पर विजय हमें याद दिलाती है कि स्वतंत्रता, समानता और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए निरंतर सतर्कता और एकजुटता जरूरी है।

जर्मनी आज एक आधुनिक और लोकतांत्रिक राष्ट्र है, जो अपनी ऐतिहासिक गलतियों से सबक लेकर आगे बढ़ा है। लेकिन विश्व के कई हिस्सों में, फासीवादी और दमनकारी विचारधाराएँ फिर से सिर उठा रही हैं। मार्क्स का वर्ग संघर्ष का सिद्धांत और फासीवाद के खिलाफ एकजुटता का सबक हमें यह सिखाता है कि हमें हर प्रकार के शोषण और अन्याय के खिलाफ खड़ा होना होगा।
  5 मई का दिन हमें दो ऐतिहासिक संदेश देता है: कार्ल मार्क्स के विचार, जो एक समतामूलक और शोषणमुक्त विश्व का सपना देखते हैं, और फासीवाद पर विजय, जो हमें स्वतंत्रता और एकजुटता की ताकत सिखाती है। जर्मनी, जो इन दोनों कहानियों की गवाह है, हमें विचारों और विरोधाभासों के बीच संतुलन की सीख देता है। मार्क्स का "महर्षि" व्यक्तित्व और फासीवाद पर विजय की स्मृति हमें प्रेरित करती है कि हम एक ऐसी दुनिया की कल्पना करें, जहाँ "वसुधैव कुटुंबकम" का आदर्श साकार हो।

इस घुमक्कड़ की डायरी में, हम न केवल मार्क्स और जर्मनी को सलाम करते हैं, बल्कि उस मानवता को भी, जिसने फासीवाद जैसे अंधेरे को परास्त कर एक उज्जवल भविष्य की नींव रखी। यह दिन हमें सिखाता है कि विचारों और एकजुटता की शक्ति से दुनिया को बेहतर बनाया जा सकता है।
Ram Mohan Rai, 
Aachen, Germany. 
05.05.2025

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