घुमक्कड़ की डायरी-18. आखेन,Aachen, Germany/05.05.2025
घुमक्कड़ की डायरी -18: आखेन, जर्मनी की सैर
●जब कोई यायावर अपनी यात्रा की डायरी में एक नया पन्ना जोड़ता है, तो वह सिर्फ जगहों का वर्णन नहीं करता, बल्कि उस स्थान की आत्मा, उसका इतिहास, संस्कृति और वहां की हवा में बसी कहानियों को भी कागज पर उतारता है। आज हमारी सैर थी जर्मनी के एक ऐतिहासिक और जीवंत शहर आखेन (Aachen) की, जो बेल्जियम और नीदरलैंड की सीमा पर बसा है। यह शहर न केवल व्यापार का केंद्र है, बल्कि इतिहास, संस्कृति और आधुनिकता का एक अनूठा संगम भी है। आइए, इस यात्रा को विस्तार से जीवंत करें।
●आखेन की शुरुआत: पाषाण और लौह युग के स्मृति अवशेष
हमारी यात्रा की शुरुआत हुई आखेन के उन प्राचीन अवशेषों से, जो पाषाण और लौह युग की कहानियां कहते हैं। इन अवशेषों को देखकर मन में एक अजीब-सी जिज्ञासा जागती है कि हजारों साल पहले इंसान कैसे रहा होगा, उसने क्या सोचा होगा। ये स्मृति अवशेष सिर्फ पत्थर या धातु के टुकड़े नहीं, बल्कि मानव सभ्यता के विकास की गवाही हैं। आखेन में इन अवशेषों को संरक्षित करने की कला देखकर मन में भारत के लिए एक विचार कौंधा—हमारे देश में भी इतिहास को इसी तरह संजोने की जरूरत है।
●आखेन का दिल: चर्च, मुख्य चौक और टाउन हॉल
आखेन का सबसे प्रसिद्ध स्थल है इसका ऐतिहासिक चर्च, जिसे आखेन कैथेड्रल (Aachener Dom) के नाम से जाना जाता है। यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है और यूरोप के सबसे पुराने चर्चों में से एक है। इसकी स्थापत्य कला, खासकर इसका आठ कोणीय गुंबद, रोमन और बाइजेंटाइन शैली का अनूठा मिश्रण है। चर्च के अंदर की शांति और भव्यता मन को एक अलग ही सुकून देती है।


●मुख्य चौक (Markt) शहर का जीवंत केंद्र है, जहां लोग मिलते-जुलते हैं, और आसपास की दुकानों और कैफे में समय बिताते हैं। यहां से कुछ ही दूरी पर है रेडहॉर्स (Rathaus), यानी टाउन हॉल, जो गोथिक वास्तुकला का शानदार नमूना है। इसकी दीवारों पर नक्काशी और भित्ति चित्र आखेन के गौरवशाली इतिहास को बयां करते हैं। पुराने शहर के दरवाजे (Porta Nigra जैसे अवशेष) और पुरातन चर्च भी देखने लायक हैं, जो इस शहर के रोमन काल से जुड़े होने की कहानी कहते हैं।


●बाजार की रौनक और बच्चों के खिलौने
आखेन के बाजार में घूमना किसी उत्सव से कम नहीं। बाजार की गलियों में रंग-बिरंगे शोकेस बच्चों के खिलौनों से सजे थे। कारें, ट्रेनें, खेलकूद का सामान—सब कुछ इतने आकर्षक ढंग से सजा था कि बड़े भी बच्चे बन जाएं। इन खिलौनों को देखकर यह अहसास हुआ कि आखेन में हर उम्र के लिए कुछ न कुछ है। बाजार की रौनक, स्थानीय लोगों की हंसी-ठिठोली और वहां की ताजा हवा ने इस अनुभव को और खास बना दिया।



●आखेन: व्यापार और सीमांत का शहर
आखेन बेल्जियम और नीदरलैंड की सीमा पर बसा होने के कारण एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र है। यह शहर तीन देशों के संगम पर स्थित है, जिसे "Dreiländereck" (तीन देशों का कोना) कहा जाता है। इसकी भौगोलिक स्थिति ने इसे ऐतिहासिक रूप से व्यापार और संस्कृति का केंद्र बनाया है। यहां का पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम बेहद सुविधाजनक और व्यवस्थित है। हालांकि, मेरा सुझाव है कि आखेन को पैदल या साइकिल से ही देखा जाए। पैदल चलते हुए आप हर गली, हर कोने की कहानी को करीब से महसूस कर सकते हैं।
●हमने अपनी यात्रा का कुछ हिस्सा बस से तय किया, लेकिन बाकी सैर पैदल ही की। मैं रोजाना औसतन 6,000 कदम चलता हूं, लेकिन आखेन की सैर में मेरे कदम 15,000 से भी ज्यादा हो गए। यह थकान नहीं, बल्कि एक सुखद अनुभव था, क्योंकि हर कदम पर कुछ नया देखने को मिला।
●आखेन का इतिहास: सीखने की प्रेरणा
आखेन का इतिहास बेहद समृद्ध है। यह शहर रोमन काल से लेकर मध्ययुग तक यूरोप के सबसे महत्वपूर्ण केंद्रों में से एक रहा है। सम्राट चार्लमेन (Charlemagne) ने इसे अपनी राजधानी बनाया था, और यहीं से पवित्र रोमन साम्राज्य की नींव पड़ी। आखेन के संग्रहालयों और स्मारकों में इसका इतिहास इस तरह संरक्षित है कि हर यात्री को यह प्रेरणा मिलती है कि इतिहास को सिर्फ किताबों में नहीं, बल्कि जीवंत रूप में भी सहेजा जा सकता है।
●भारत में भी हमारे पास इतिहास का खजाना है, लेकिन इसे संजोने और प्रस्तुत करने की कला हमें आखेन जैसे शहरों से सीखनी चाहिए। हमारे पुरातन मंदिर, किले और स्मारक न केवल धार्मिक महत्व रखते हैं, बल्कि वे हमारी सांस्कृतिक धरोहर भी हैं। इन्हें सहेजने के लिए हमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण और जागरूकता की जरूरत है।
●यात्रा का सबक: समय और जिज्ञासा
आखेन की सैर ने मुझे एक महत्वपूर्ण बात सिखाई—किसी स्थान को वास्तव में जानने के लिए वहां समय बिताना जरूरी है। कम से कम एक सप्ताह तो हर शहर को देना चाहिए। कई लोग यूरोप को 10 दिन के टूर पैकेज में देखने की कोशिश करते हैं, लेकिन यह सिर्फ सतही अनुभव है। आप जगहों को देख तो लेते हैं, लेकिन उनकी आत्मा को नहीं छू पाते।
●पिछले महीने मैं शांतिनिकेतन गया था, लेकिन दो दिन में मन नहीं भरा। वहां की शांति, रवींद्रनाथ टैगोर की स्मृतियां, और प्रकृति का सान्निध्य मुझे और समय के लिए बुला रहे हैं। अब भारत लौटकर मैं उत्तराखंड, कश्मीर, काशी और नेपाल की यात्रा करना चाहता हूं। लेकिन यह यात्रा मैं एक दर्शनार्थी की तरह नहीं, बल्कि एक जिज्ञासु यायावर की तरह करना चाहता हूं। मैं हर स्थान की कहानी, उसकी संस्कृति और इतिहास को गहराई से जानना चाहता हूं।
●आखेन की यादें
आखेन की सैर मेरे लिए सिर्फ एक यात्रा नहीं, बल्कि एक अनुभव थी। इस शहर ने मुझे इतिहास की गहराई, संस्कृति की रंगीनता और मानव सभ्यता की यात्रा का अहसास कराया। इसकी गलियां, चर्च, बाजार और लोग—सब कुछ मेरी डायरी में हमेशा के लिए दर्ज हो गया है। अगर आप कभी आखेन जाएं, तो इसे पैदल या साइकिल से देखें, इसके इतिहास को जानें, और सबसे जरूरी, इसे समय दें। क्योंकि सच्ची यात्रा वही है, जो आपको सिर्फ दिखाए नहीं, बल्कि महसूस कराए।
●आखेन, तुम्हारी यादें मेरे साथ हमेशा रहेंगी।
Ram Mohan Rai,
Aachen, Germany,
05 05.2025

Wonderful to go through the travelogue. Lots of interesting information. The description by Ram Mohan Rai is absorbing. Keep it up!
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