■"भारत:मातृभूमि, कर्मभूमि और प्रेरणा का स्त्रोत"/18.05.2025●

■भारत: मातृभूमि, कर्मभूमि और प्रेरणा का स्रोत
    ●भारत, वह पावन धरती जहां हमने जन्म लिया, जहां हमारी जड़ें हैं, और जहां हमारी आत्मा बसती है। यह केवल एक भौगोलिक क्षेत्र नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, परंपराओं, और आदर्शों का वह जीवंत केंद्र है, जो हमें जीवन के हर पड़ाव पर प्रेरित करता है। मेरे यूरोप प्रवास से भारत लौटने का समय जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, अनेक शुभचिंतकों के संदेश आ रहे हैं कि दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में इस समय भीषण गर्मी है, इसलिए अभी रुक जाओ। कुछ समय पहले, जब भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव की स्थिति थी, तब भी कुछ लोगों ने सुझाव दिया था कि या तो रुक जाओ या फिर अमेरिका जैसे किसी अन्य देश में चले जाओ। लेकिन मेरा जवाब हमेशा एक ही रहा है—ऐसा कैसे हो सकता है कि मैं अपनी मातृभूमि को छोड़कर कहीं और चला जाऊं और वहां अमर हो जाऊं? मेरी ख्वाहिश तो यही है कि जिस धरती ने मुझे जन्म दिया, पाला-पोसा, और जिसने मुझे मुकाम दिया, उसी की सेवा करते हुए मैं एक दिन उसी की मिट्टी में समा जाऊं।
  ●परिवार और संस्कार: वसुधैव कुटुंबकम का आदर्श
मेरा परिवार आर्य समाज से जुड़ा रहा है, जो 'वसुधैव कुटुंबकम' और 'जय जगत' के आदर्शों को जीता है। इन आदर्शों ने हमें सिखाया कि पूरी दुनिया एक परिवार है और हमें सभी के प्रति प्रेम और सम्मान का भाव रखना चाहिए। मेरे माता-पिता ने भारत की आजादी के लिए स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भाग लिया, अनेक बार जेल गए, और देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने को तत्पर रहे। उनके इन बलिदानों और समर्पण ने मेरे जीवन को एक दिशा दी। उन्होंने हमें यही संस्कार दिए कि देश के प्रति प्रेम और कर्तव्य से बढ़कर कुछ भी नहीं। यही कारण है कि चाहे गर्मी हो, तनाव हो, या कोई अन्य चुनौती, मेरे लिए भारत लौटना केवल एक यात्रा नहीं, बल्कि मेरे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है।
  ●बचपन की कविता और जीवन का दर्शन:
बचपन में पढ़ी एक कविता आज भी मेरे मन में गूंजती है, जिसका सार था, "तुम क्यों जलते पक्षियों, जब पंख तुम्हारे पास?" और पक्षियों का जवाब था, "फल खाए इस वृक्ष के, गंदे किए पत्र, यही हमारा धर्म है, जलेंगे इसके साथ।" यह कविता मेरे लिए केवल शब्दों का समूह नहीं, बल्कि जीवन का एक दर्शन है। जिस धरती ने हमें सब कुछ दिया, उसका ऋण चुकाना हमारा धर्म है। भारत मेरी मातृभूमि होने के साथ-साथ मेरी कर्मभूमि भी है। मैं दुनिया भर में घूमता हूं, लेकिन मेरे आदर्श और प्रेरणा का स्रोत हमेशा यही देश रहा है।

● साम्प्रदायिक तनाव और अनेकता में एकता:
     भारत की सबसे बड़ी ताकत उसकी'अनेकता मेंएकता'' है। शायर अल्लामा इकबाल ने ठीक ही कहा था, "क्या बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी।" यह ताकत हमारी सांस्कृतिक विविधता, धार्मिक सहिष्णुता, और सामाजिक एकजुटता में निहित है। जब भी देश में साम्प्रदायिक तनाव की स्थिति उत्पन्न होती है, मेरा मन चिंतित हो उठता है। हम बहुसंख्यक समुदाय के लोग हैं, फिर भी हमें हर समुदाय के प्रति मित्रवत भाव रखना चाहिए। वेदों का संदेश है, "मित्रस्य चक्षुषा समीक्षामहे"—हम सभी को मित्र की दृष्टि से देखें। "सर्वं विश्वेन संनादति" और "सर्वं आशा मम मित्रं भवन्तु"—सब मेरे मित्र हों, यही हमारा आदर्श है। भारत का यही संदेश है कि हमारा कोई शत्रु नहीं, क्योंकि हम सभी को अपने परिवार का हिस्सा मानते हैं।
 ●भारत: प्रेरणा का स्रोत
भारत मेरे लिए कोई राजनीतिक विचारधारा नहीं, बल्कि एक प्रेरणा स्थल है। यह वह भूमि है, जहां से मैंने सहिष्णुता, प्रेम, और विश्व बंधुत्व के मूल्य सीखे। यही मूल्य मुझे दुनिया भर में ले जाते हैं और हर परिस्थिति में मुझे दृढ़ता प्रदान करते हैं। भारत केवल एक देश नहीं, बल्कि एक विचार है, एक संस्कृति है, जो हमें सिखाती है कि जीवन का असली मकसद दूसरों की सेवा और समाज के उत्थान में है। मेरे लिए भारत लौटना केवल एक भौतिक यात्रा नहीं, बल्कि मेरे संस्कारों, मेरे आदर्शों, और मेरे कर्तव्यों की ओर वापसी है।
    चाहे कितनी भी चुनौतियां हों, चाहे गर्मी हो या तनाव, मेरी मातृभूमि की पुकार मुझे हमेशा वापस बुलाती है। यह वह धरती है, जिसने मुझे जीवन दिया, और मैं उसी की सेवा में अपना जीवन समर्पित करना चाहता हूं। भारत का संदेश विश्व शांति, प्रेम, और एकता का है, और मैं इसे अपने जीवन में उतारने का प्रयास करता हूं। जैसा कि वेद कहते हैं, "सर्वं विश्वेन संनादति"—सब कुछ विश्व के साथ संनादति है। यही भारत का असली स्वर है, और यही मेरी प्रेरणा है। मैं भारत लौट रहा हूं, क्योंकि यह मेरा घर है, मेरी कर्मभूमि है, और मेरे जीवन का आधार है।
Ram Mohan Rai ,
Amsterdam, Netherlands. 
18.05.2025

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