घुमक्कड़ की डायरी-21. एम्सटर्डम के बाजारों की सैर और नौका विहार.

घुमक्कड़ की डायरी-21: 
       ■ एम्स्टर्डम की सैर और ऐतिहासिक पुलों की कहानी
  नीदरलैंड में आए हुए हमें डेढ़ महीना होने को है, और इस दौरान एक भी दिन ऐसा नहीं बीता जब हमने घूमने-फिरने का लुत्फ न उठाया हो। यहां हमारा मुख्य काम है—आराम करना, सैर-सपाटा और सोशल मीडिया पर समय बिताना। हां, कुछ समय शारीरिक व्यायाम और घर के बगीचे की देखभाल में भी गुजरता है। नीदरलैंड की खूबसूरती और सुकून भरा माहौल हर पल को यादगार बना देता है।
  ●इन दिनों हमारे पारिवारिक मित्र सचिन शिंगला और उनकी पत्नी रीना यूरोप की यात्रा पर हैं। हमारे और उनके परिवार का रिश्ता एक शताब्दी से भी अधिक पुराना है। उनके परदादा लाला छज्जू राम ने मेरे पिता मास्टर सीता राम को आर्य समाज से जोड़ा था। मेरे पिता ने लाला छज्जू राम के चारों बेटों—श्री ओम प्रकाश, ब्रह्म दत्त, विश्वनाथ और रामा नंद—को बतौर शिक्षक पढ़ाया। मुझे आर्य समाज से जोड़ने और इसका प्रमुख पदाधिकारी बनाने में लाला रामा नंद जी का विशेष योगदान रहा। उनके पुत्र वीरेंद्र शिंगला के बेटे ही सचिन हैं। उनकी माता कामिनी भी एक सहृदय महिला हैं. इस पारिवारिक रिश्ते की गर्माहट और गहराई आज भी बरकरार है।
  सचिन और रीना के एम्सटर्डम आने का उद्देश्य इस शहर को देखने के साथ-साथ हमसे मिलना भी था, जिसके लिए मैं उनका आभारी हूं। यद्यपि यूरोप में घूमने के लिए केवल संकल्प शक्ति ही काफी है, फिर भी इस मुलाकात ने हमारी यात्रा को और खास बना दिया।
    ●मैं और मेरी पत्नी कृष्णा कांता, दोपहर करीब 12 बजे एम्स्टर्डम सेंट्रल स्टेशन पहुंचे। वहां से हम नदी के किनारे टहलते हुए नीमो साइंस म्यूजियम गए। नेमा (NEMO)का अनोखा डिजाइन और वैज्ञानिक प्रदर्शनियां हमेशा आकर्षण का केंद्र रहती हैं। इसके बाद, हम डैम स्क्वायर पहुंचे, जो एम्स्टर्डम का दिल कहलाता है। इस चौराहे की चहल-पहल और ऐतिहासिक इमारतें हर बार एक नया अनुभव देती हैं।
  ●फिर हमने एम्स्टर्डम की प्रसिद्ध नहरों में नौका विहार का आनंद लिया। नाव धीरे-धीरे नहरों में सरकती रही, और हम छोटे-बड़े पुलों के नीचे से गुजरते हुए शहर की खूबसूरती में खो गए। इन नहरों और पुलों का इतिहास बेहद रोचक है। पूरी नौका यात्रा के दौरान हमे नाविक की ओर से हर स्थान की पूरी जानकारी दी जाती. उन्होंने एम्स्टर्डम के पुलों का इतिहास भी बताया और यह भी कि एम्स्टर्डम को "उत्तर का वेनिस" कहा जाता है, क्योंकि यहां 100 से अधिक किलोमीटर लंबी नहरें और 1,200 से ज्यादा पुल हैं। ये नहरें और पुल 17वीं शताब्दी के "डच गोल्डन एज" में शहर के विस्तार और व्यापार के लिए बनाए गए थे। उस समय एम्स्टर्डम दुनिया का व्यापारिक केंद्र था, और इन नहरों ने माल ढुलाई और आवागमन को आसान बनाया। उन्होंने कुछ प्रसिद्ध पुलों का जिक्र भी किया जिनमें 
1. टॉरेन्सलूस (Torensluis): यह एम्स्टर्डम का सबसे पुराना और चौड़ा पुल है, जो 1648 में बनाया गया। यह सिंगल नहर पर बना है और अपने ऐतिहासिक मेहराबदार डिजाइन के लिए जाना जाता है। इस पुल के नीचे से गुजरते हुए हमें उस दौर की इंजीनियरिंग का अहसास हुआ।
2. मैगरे ब्रग (Magere Brug): इसे "स्किनी ब्रिज" भी कहते हैं। यह एम्स्टेल नदी पर बना एक लकड़ी का ड्रॉब्रिज है, जिसे पहली बार 1691 में बनाया गया था। वर्तमान संरचना 1934 की है। रात में रोशनी से जगमगाता यह पुल बेहद खूबसूरत लगता है। हमारी नाव जब इसके नीचे से गुजरी, तो इसकी सादगी और इतिहास ने मन मोह लिया।
3. ब्लाउवब्रग (Blauwbrug): यह नीदरलैंड की रीज़ेंट शैली में बना एक शानदार पुल है, जो 1883 में बनाया गया। इसका डिजाइन पेरिस के सीन नदी के पुलों से प्रेरित है। इसके अलंकृत लैंपपोस्ट और मेहराबें इसे खास बनाती हैं।
4. सेंट एन्टोनीसब्री (St. Antoniesbreestraat Bridge): यह नहरों के साथ बने कई छोटे पुलों में से एक है, जो 17वीं शताब्दी से शहर की शोभा बढ़ा रहा है। इसका साधारण लेकिन मजबूत डिजाइन उस दौर की जरूरतों को दर्शाता है।
   इन पुलों के नीचे से गुजरते हुए हमें न केवल शहर की खूबसूरती, बल्कि डच इंजीनियरिंग और इतिहास की गहराई का भी अहसास हुआ। नौका विहार के दौरान नहरों के किनारे बनी रंग-बिरंगी इमारतें, हाउसबोट और स्थानीय लोगों की जीवंतता ने इस अनुभव को और यादगार बना दिया।
    ●नौका विहार के बाद हम कुछ देर मार्केट में घूमे। एम्स्टर्डम की मार्केट्स में हमेशा कुछ न कुछ अनोखा मिलता है। हमने कुछ स्मृति चिन्ह (souvenirs) खरीदे, जैसे मिनी विंडमिल मॉडल और ट्यूलिप थीम वाली सजावटी वस्तुएं। जैसे-जैसे शाम ढलने लगी, हमें घर लौटने की तैयारी करनी थी। सचिन और रीना को यूट्रेक्ट जाना था, जबकि हमें अलमेरे। हमने एम्स्टर्डम सेंट्रल स्टेशन से अपनी-अपनी ट्रेन पकड़ी और घर पहुंचे।   
●यह दिन बेहद खास रहा। पुराने पारिवारिक रिश्तों की गर्माहट, एम्स्टर्डम की ऐतिहासिक नहरों और पुलों की सैर, और नौका विहार का रोमांच—सब कुछ मिलकर इस दिन को हमारी डायरी का एक सुनहरा पन्ना बना गया। नीदरलैंड की यह यात्रा हमें बार-बार बुलाती है, और हर बार एक नया अनुभव देती है।
■Ram Mohan Rai, 
Amsterdam, Netherlands 🇳🇱. 16.05.2025

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