43 years of togetherness. हमारी प्रेम कहानी- Amsterdam, Netherlands. 19.05.2025.🥰

☆हमारी प्रेम कहानी: 43 वर्षों का अटूट बंधन
   ●आज, 19 मई 2025, हमारे विवाह की 43वीं वर्षगांठ है। यह एक ऐसा अवसर है जो न केवल हमारी प्रेम कहानी को याद करने का मौका देता है, बल्कि उन मूल्यों, समझौतों और साझा सपनों को भी रेखांकित करता है, जिन्होंने हमें एक-दूसरे के करीब रखा। हमारी कहानी 1974 में शुरू हुई थी, जब हमारी राहें पहली बार पानीपत के गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल में एक राष्ट्रीय एकता शिविर में मिलीं। मैं, एक बी.ए. प्रथम वर्ष का छात्र, और मेरी पत्नी, नौवीं कक्षा की एक होनहार छात्रा, जो उदयपुर, राजस्थान से आई थीं। उनके पिता एक प्रतिष्ठित वकील और सांसद थे, जबकि मेरे माता-पिता शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता। पानीपत और उदयपुर की भौगोलिक दूरी के बावजूद, हमारे परिवारों को एक संदर्भ के रूप में एक-दूसरे से जोड़ा गया।
   ●हमारी पहली मुलाकात तब हुई जब वे हमारे घर आईं। वह एक संक्षिप्त मुलाकात थी, लेकिन उसने हमारे दिलों में एक अनकही छाप छोड़ी। इसके बाद, दस साल का लंबा अंतराल रहा। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। ग्यारहवें वर्ष, यानी 1983 में, हमारा विवाह हो गया। यह एक ऐसा बंधन था जो न केवल दो व्यक्तियों, बल्कि दो भिन्न संस्कृतियों, विचारधाराओं और जीवनशैलियों का संगम था। मेरी पत्नी एक राजनीतिक परिवार की अराजनीतिक सदस्य थीं, जबकि मैं शुरू से ही राजनीति और सामाजिक कार्यों में रुचि रखता था। वे शुद्ध वैष्णव सनातनी थीं, और मैं आर्य समाजी-कम्युनिस्ट। फिर भी, हमारी विचारधाराओं का यह अंतर कभी हमारे बीच टकराव का कारण नहीं बना। वे मेरे साथ आर्य समाज की सभाओं में जाने लगीं, और मैं उनके साथ मंदिर। यह एक-दूसरे के प्रति सम्मान और प्रेम का प्रतीक था।
   ●हमारी इस यात्रा में तीन संतानों ने हमारे जीवन को और समृद्ध किया—दो बेटियां, सुलभा और संघमित्रा, और एक बेटा, उत्कर्ष। हमने मिलकर उनकी परवरिश और शिक्षा का दायित्व निभाया। आज, यह देखकर संतोष होता है कि वे सभी अपने जीवन में स्थापित और खुशहाल हैं। सामाजिक क्षेत्र में भी हमने हमेशा एक-दूसरे का साथ दिया। मेरी पत्नी अब मेरी मां के नाम पर स्थापित "माता सीता रानी सेवा संस्था" की अध्यक्ष हैं और सामाजिक कार्यों में सक्रिय रूप से योगदान दे रही हैं।
   ●मैंने वकालत में खूब नाम कमाया पर  पैसा नहीं। एक समय तो कोर्ट में मेरे पास इतने वैवाहिक मामले थे कि अन्य सभी वकीलों के मामलों को मिलाकर भी उतने नहीं थे। एक लोक अदालत तो केवल मेरे मामलों पर ही आधारित थी। लेकिन मेरी असली रुचि हमेशा राजनीति और सामाजिक कार्यों में रही। इस दौरान मेरी पत्नी ने हर कदम पर मेरा साथ दिया। आर्थिक तंगी के दिनों में उन्होंने स्कूल शिक्षिका के रूप में और जिला उपभोक्ता अदालत की सदस्य के रूप में भी काम किया। उनकी यह सहभागिता और समर्पण ही हमारी साझा यात्रा को मजबूत करता रहा।
   ●हम दोनों को खाना बनाने का भी शौक है। मिलकर हमने हर तरह के व्यंजन बनाए, यहाँ तक कि गोल गप्पे भी! अब उम्र के इस पड़ाव पर हम खाने में थोड़ा परहेज करने लगे हैं, हालाँकि सौभाग्य से हमें कोई गंभीर बीमारी नहीं है। स्वभाव से मैं थोड़ा उग्र हूँ, जबकि मेरी पत्नी बेहद शांत और धैर्यवान। वे मेरा ख्याल उसी तरह रखती हैं जैसे एक माँ अपने बच्चे का रखती है। उम्र के तीसरे पड़ाव में भी हमारा घूमने का शौक बरकरार है। दुनिया भर की सैर करना हमें आज भी उतना ही रोमांचित करता है।
  ●हमारी यह 43 वर्षों की यात्रा प्रेम, समझ, और एक-दूसरे के प्रति सम्मान की मिसाल है। हमने साबित किया कि भिन्न विचारधाराएँ और पृष्ठभूमियाँ एक सुखी और समृद्ध विवाह के आड़े नहीं आतीं, बशर्ते प्रेम और विश्वास की नींव मजबूत हो। जैसा कि मशहूर शायर हाफ़िज़ जालंधरी ने अपनी नज़्म "अभी तो मैं जवान हूँ"
 में कहा:
"हवा भी ख़ुश-गवार है
गुलों पे भी निखार है
तरन्नुम-ए-हज़ार है
बहार पुर-बहार है
कहाँ चला है साक़िया
इधर तो लौट इधर तो आ
अरे ये देखता है क्या
उठा सुबू सुबू उठा
सुबू उठा प्याला भर
प्याला भर के दे इधर
चमन की सम्त कर नज़र
समाँ तो देख बे-ख़बर
वो काली काली बदलियाँ
उफ़ुक़ पे हो गईं अयाँ
वो इक हुजूम-ए-मय-कशाँ
है सू-ए-मय-कदा रवाँ
ये क्या गुमाँ है बद-गुमाँ
समझ न मुझ में हैं अभी, 
अभी तो मैं जवान हूं. "
    यह नज़्म हमारे जोश और उत्साह को बयां करती है। उम्र भले ही बढ़ रही हो, लेकिन हमारा दिल और हमारी आत्मा अभी भी जवान है। हमारी यह प्रेम कहानी न केवल हमारी, बल्कि उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है जो प्रेम और समर्पण में विश्वास रखते हैं। हम अपने परिवार, मित्रों और समाज के आशीर्वाद और शुभकामनाओं के साथ इस यात्रा को और आगे बढ़ाने को तैयार हैं।
शुभकामनाओं के साथ,  
राम मोहन राय और कृष्णा कांता. 
Amsterdam, Netherlands 🇳🇱. 
19.05.2025

Comments

  1. हमसफ़र ही होती है जो फर्श से अर्श तक का सफर तय करती है ,, मोहब्बत, सब्र, सुकून, इम्तिहान यही जिंदगी है

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  2. Thanks a lot my dear beti. Stay blessed always

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