"बाल भारत उत्सव: संत निरंकारी मिशन, पानीपत द्वारा आयोजित एक अविस्मरणीय बाल समागम"
संत निरंकारी मिशन, पानीपत द्वारा आयोजित बाल समागम में शामिल होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, जिसके लिए श्री अरविंद डावर और उनकी यशस्वी पत्नी श्रीमती श्वेता डावर द्वारा सादर निमंत्रण दिया गया था। यह आयोजन न केवल एक सांस्कृतिक समारोह था, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिकता, और राष्ट्रीय एकता का एक जीवंत संगम था, जिसने प्रत्येक उपस्थित व्यक्ति के मन को आशा और उमंग से भर दिया।
गर्मी और उमस की चुनौती के बावजूद, इस खुले मैदान में आयोजित समागम में लगभग 2,000 महिला-पुरुष उत्साहपूर्वक शामिल हुए। आयोजकों की सूझबूझ और व्यवस्था ऐसी थी कि पंखे और कूलर की पर्याप्त उपलब्धता ने सभी को आरामदायक अनुभव प्रदान किया। इस आयोजन की सबसे खास बात थी बच्चों द्वारा प्रस्तुत रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम, जो भारत की विविधता और एकता का प्रतीक था। बच्चों ने पंजाबी भांगड़ा, हरियाणवी रागिनी, कव्वाली, और अन्य क्षेत्रीय नृत्य-संगीत के माध्यम से भारत की हर भाषा और संस्कृति को मंच पर जीवंत कर दिया। यह दृश्य न केवल मनोरंजक था, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक समृद्धि का एक जीता-जागता प्रमाण था।
कार्यक्रम में आधुनिक तकनीक के लाभ-हानि और विज्ञान से संबंधित प्रश्नों को भी शामिल किया गया, जो बच्चों ने आध्यात्मिक दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत किया। सर्व धर्म समभाव, राष्ट्रीय एकता, और विश्व शांति जैसे गहन विषयों पर बच्चों की प्रस्तुतियों में दिखी प्रौढ़ता ने सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। यह देखकर मन में एक सुखद विश्वास जगा कि हमारा भविष्य इन नन्हे सांस्कृतिक कर्मियों के हाथों में सुरक्षित है। यह आयोजन वास्तव में एक "बाल भारत उत्सव" था, जिसमें बच्चों ने अपनी प्रतिभा और विचारों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम निर्धारित समय से लगभग एक घंटा अधिक चला, लेकिन श्रोताओं का उत्साह और ध्यान एक पल के लिए भी कम नहीं हुआ। प्रत्येक प्रस्तुति इतनी प्रभावशाली थी कि दर्शक मंच से नजरें नहीं हटा सके। मंच संचालन दो युवाओं द्वारा किया गया, जिन्होंने अपनी कुशलता से कार्यक्रम को और भी जीवंत बना दिया। चंडीगढ़ से पधारी एक युवा महिला वक्ता ने अपने उद्बोधन में गागर में सागर भरने का कार्य किया। उनके शब्दों में आध्यात्मिकता, प्रेरणा, और सामाजिक जागरूकता का ऐसा समन्वय था, जो हर दिल को छू गया।
कार्यक्रम के समापन के बाद प्रीतिभोज की व्यवस्था थी, जो इतनी सुचारु थी कि मात्र आधे घंटे में सभी अतिथियों ने भोजन ग्रहण कर लिया। यह आयोजन न केवल अपनी सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के लिए, बल्कि अपनी व्यवस्थित और अनुशासित संरचना के लिए भी प्रशंसनीय था।
यह बाल समागम केवल एक आयोजन नहीं था, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिकता, और एकता का एक उत्सव था। संत निरंकारी मिशन, पानीपत ने इस आयोजन के माध्यम से यह सिद्ध कर दिया कि बच्चों की प्रतिभा और उत्साह, यदि सही दिशा में प्रेरित हो, तो समाज को एक नई दिशा और ऊर्जा प्रदान कर सकते हैं। इस आयोजन की जितनी प्रशंसा की जाए, कम है। यह एक ऐसा अनुभव था, जो न केवल स्मरणीय रहेगा, बल्कि यह भविष्य के लिए एक प्रेरणा भी बनेगा।
Ram Mohan Rai.
14.06.2025
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