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Showing posts from July, 2025

जयंत दीवान से दोस्ती

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■मुंबई सर्वोदय मण्डल के ग्रांट रोड कार्यालय की यात्रा और जयंत दीवान से एक प्रेरक मुलाकात.   मुंबई के हृदयस्थल ग्रांट रोड पर स्थित बॉम्बे सर्वोदय मण्डल का कार्यालय गांधीवादी विचारधारा का एक जीवंत केंद्र है, जो शांति, अहिंसा और सामाजिक समरसता के सिद्धांतों को समर्पित है। हाल ही में इस कार्यालय में जाना और वहां के व्यवस्थापक श्री जयंत दीवान से मिलना मेरे लिए एक अविस्मरणीय और सौभाग्यशाली अनुभव रहा। यह स्थान न केवल गांधीवादी दर्शन का प्रतीक है, बल्कि यह उन लोगों के लिए एक प्रेरणा स्रोत भी है जो सामाजिक परिवर्तन और आत्मनिर्भरता के मार्ग पर चलना चाहते हैं। इस लेख में मैं इस स्थान का संक्षिप्त परिचय, यहां उपलब्ध सेवाएं, और जयंत दीवान जी के व्यक्तित्व, उनके कार्यों, और उनकी पुस्तकों का उल्लेख करूंगा।    बॉम्बे सर्वोदय मण्डल, जिसकी स्थापना गांधीवादी सिद्धांतों के प्रचार-प्रसार के लिए की गई थी, ग्रांट रोड के 299, तरदेव रोड, नाना चौक पर स्थित है। यह स्थान गांधीवादी विचारधारा के अध्ययन, प्रचार और अभ्यास का एक प्रमुख केंद्र है। इस कार्यालय को सरकार से प्राप्त करने में मेरी...

गेटवे ऑफ इंडिया: एक ऐतिहासिक यात्रा का संस्मरण

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गेटवे ऑफ इंडिया: एक ऐतिहासिक यात्रा का संस्मरण   मुंबई, यह शहर न केवल भारत का आर्थिक केंद्र है, बल्कि इतिहास और संस्कृति का एक जीवंत ताना-बाना भी है। आज, 28 जुलाई 2025 की सुबह, मैं और मेरी पत्नी कृष्णा कांता और बहन कुतुब एक ऐसी यात्रा पर निकले, जिसका मकसद केवल गेटवे ऑफ इंडिया या ताजमहल होटल की भव्यता देखना नहीं था, बल्कि उस स्थान को महसूस करना था, जहां से भारत के इतिहास की कई महत्वपूर्ण कहानियां शुरू और खत्म हुईं।   सुबह से ही मुंबई में रिमझिम बारिश का आलम था। बारिश का मौसम मुंबई की पहचान है, और इस शहर की फिजा में कुछ ऐसा जादू है कि बूंदों की सरसराहट के बीच भी हर कोना जीवंत लगता है। बारिश की वजह से हमारा मन थोड़ा डगमगाया, लेकिन कुतुब का जोश और हौसला ऐसा था कि उसने मुझे इस ऐतिहासिक यात्रा के लिए प्रेरित कर दिया। उसने कहा, "बारिश तो मुंबई की शान है, और गेटवे को बारिश में देखने का मजा ही कुछ और होगा।" उसकी बात मानकर हम निकल पड़े।   जब हम गेटवे ऑफ इंडिया पहुंचे, तो वहां का नजारा देखते ही बनता था। समुद्र के किनारे खड़ा यह विशाल स्मारक अपनी भव्यता और ऐति...

मुंबई के मध्य में शांति का द्वीप: एक अविस्मरणीय यात्रा

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मुंबई के मध्य में शांति का द्वीप: एक अविस्मरणीय यात्रा मुंबई, वह नगरी जो कभी सोती नहीं, जहाँ चकाचौंध और भागदौड़ जीवन का पर्याय है, जहाँ प्रत्येक क्षण गति और ऊर्जा से भरा है। इस महानगर की चमक और निरंतर गतिशीलता के बीच, प्रिय कुतूब किदवई बहन ने एक ऐसी जगह का उल्लेख किया जो इस शोर-शराबे से परे, शांति और अध्यात्म का आश्रय है। उनके शब्दों में, यह स्थान समुद्र के मध्य एक छोटे से द्वीप पर स्थित एक पगोडा है, जो आत्मा को सुकून और मन को शांति प्रदान करता है। उनके इस वर्णन ने मेरे हृदय में उत्सुकता जगा दी, और हमने इस स्थान की सैर करने का निश्चय किया।    हमारी यात्रा की योजना बनाते समय यह तय हुआ कि हम दोपहर 12:30 बजे बोरीवली रेलवे स्टेशन पर मिलेंगे। मैं और मेरी पत्नी, जो कांदिवली ईस्ट में निवास करते हैं, तथा कुतूब किदवई बहन, जो जोगेश्वरी वेस्ट से थीं, सभी ने समय पर स्टेशन पर उपस्थिति दर्ज की। वह क्षण, जब हम तीनों एकत्र हुए, उत्साह और प्रत्याशा से भरा था। हमने तुरंत एक ऑटोरिक्शा लिया और समुद्र तट की ओर प्रस्थान किया, जहाँ से उस पवित्र द्वीप तक पहुँचन...

पैट्रिस ललूमबा: कांगो के स्वतंत्रता संग्राम का अमिट दीप

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पैट्रिस लूलंबा: कांगो के स्वतंत्रता संग्राम का अमिट दीप (राम मोहन राय, एडवोकेट, पानीपत) मानव इतिहास ऐसे असंख्य स्वर्णिम पृष्ठों से भरा पड़ा है जहाँ किसी एक व्यक्ति की आवाज़ ने पूरी एक कौम को जगा दिया, उसकी चेतना को दिशा दी और संघर्ष की आग में उसे तपाकर स्वतंत्रता के अलख से आलोकित कर दिया। ऐसे ही इतिहास पुरुष थे – पैट्रिस एमरी लुंबा।   जिनकी जन्मतिथि 2 जुलाई 1925 थी, स्थान: बेल्जियन कांगो का एक सामान्य-सा गाँव – ओनालुआ। एक साधारण किसान परिवार के पुत्र – फ्राँस्वा टोलेंगा ओटेटशिमा और जूलियन वामाटो लोमेंजा की संतान। टेटेला जनजाति से संबंध रखने वाला यह बालक जन्म से ही अद्वितीय था। प्रारंभ में जिनका नाम था – एलियास ओकित’असोम्बो, जिसका अर्थ टेटेला भाषा में था – “शापितों का उत्तराधिकारी”। किंतु उन्होंने अपनी चेतना के प्रकाश से अपने भाग्य का नवलेखन किया और फ्रांसीसी नाम “पैट्रिस” को अपनाया, जैसा उस समय की औपनिवेशिक परंपरा थी।    औपनिवेशिक बेल्जियन शासन में शिक्षा सीमित थी। मिशनरी स्कूलों के माध्यम से ही थोड़ा बहुत शिक्षण सुलभ था। लुंबा ने इसी वातावरण में शिक्षा प्राप्...

"राष्ट्रीय एकता, शांति और मैत्री: मेरे विचार"

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"राष्ट्रीय एकता, शांति और मैत्री: मेरे विचार"   ●कई मित्र मुझसे अक्सर यह सवाल करते हैं, "आप हिंदू होकर मुसलमानों का पक्ष क्यों लेते हैं?" यह प्रश्न सुनकर मैं मुस्कुराता हूँ, क्योंकि मेरा उत्तर साधारण, परंतु गहरा है। मैं एक सत्य सनातन वैदिक धर्मी हिंदू हूँ। मैं यज्ञोपवीत धारण करता हूँ, प्रतिदिन यज्ञ करता हूँ और वैदिक मंत्रों के साथ प्रार्थना करता हूँ—"सर्वं भवन्तु सुखिनः, सर्वं सन्तु निरामयाः"—सभी सुखी हों, सभी निरोगी हों। मेरे लिए धर्म का अर्थ है मानवता, एकता और करुणा। स्वामी विवेकानंद ने कहा था, "धर्म वह है जो मनुष्य को मनुष्य से जोड़े, न कि उसे तोड़े।" यही मेरे विश्वास का आधार है।   ● विभाजन और हिंसा का दंश: मेरे माता-पिता ने 1947 के भारत-पाकिस्तान विभाजन की त्रासदी को प्रत्यक्ष रूप से देखा। उन्होंने मुझे उस दौर की भयावह कहानियाँ सुनाईं—घरों का उजड़ना, परिवारों का बिछड़ना, और नफरत की आग में जलता मानवता का स्वरूप। मैं उस समय नहीं था, परंतु 1984 में सिख समुदाय के खिलाफ हुए जनसंहार को मैंने अपनी आँखों से देखा। उन दृश्यों की कल्पना आज भी मेरे रोंगट...