"राष्ट्रीय एकता, शांति और मैत्री: मेरे विचार"
"राष्ट्रीय एकता, शांति और मैत्री: मेरे विचार" ●कई मित्र मुझसे अक्सर यह सवाल करते हैं, "आप हिंदू होकर मुसलमानों का पक्ष क्यों लेते हैं?" यह प्रश्न सुनकर मैं मुस्कुराता हूँ, क्योंकि मेरा उत्तर साधारण, परंतु गहरा है। मैं एक सत्य सनातन वैदिक धर्मी हिंदू हूँ। मैं यज्ञोपवीत धारण करता हूँ, प्रतिदिन यज्ञ करता हूँ और वैदिक मंत्रों के साथ प्रार्थना करता हूँ—"सर्वं भवन्तु सुखिनः, सर्वं सन्तु निरामयाः"—सभी सुखी हों, सभी निरोगी हों। मेरे लिए धर्म का अर्थ है मानवता, एकता और करुणा। स्वामी विवेकानंद ने कहा था, "धर्म वह है जो मनुष्य को मनुष्य से जोड़े, न कि उसे तोड़े।" यही मेरे विश्वास का आधार है। ● विभाजन और हिंसा का दंश: मेरे माता-पिता ने 1947 के भारत-पाकिस्तान विभाजन की त्रासदी को प्रत्यक्ष रूप से देखा। उन्होंने मुझे उस दौर की भयावह कहानियाँ सुनाईं—घरों का उजड़ना, परिवारों का बिछड़ना, और नफरत की आग में जलता मानवता का स्वरूप। मैं उस समय नहीं था, परंतु 1984 में सिख समुदाय के खिलाफ हुए जनसंहार को मैंने अपनी आँखों से देखा। उन दृश्यों की कल्पना आज भी मेरे रोंगट...