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Showing posts from August, 2025

Morena's Immortal Martyr Pandit Ram Prasad Bismil Museum: An Unforgettable Travelogue/12.08.2025

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  मुरैना के अमर शहीद पंडित राम प्रसाद बिस्मिल संग्रहालय: एक अविस्मरणीय यात्रा वृतांत       मैंने कभी सोचा नहीं था कि मध्य प्रदेश की धरती पर इतनी गहराई से इतिहास और स्वतंत्रता संग्राम की कहानियां छिपी होंगी। अगस्त 2025 की एक धूप भरी दोपहर थी, जब मैं मुरैना से जौरा की ओर अपनी कार से यात्रा कर रहा था। सड़कें चंबल की घाटियों से गुजरती हुईं, हरे-भरे खेतों और पुरानी इमारतों के बीच से निकल रही थीं। अचानक, रेलवे रोड पर एक साइनबोर्ड ने मेरा ध्यान खींचा – "अमर शहीद पंडित राम प्रसाद बिस्मिल संग्रहालय"। नाम सुनते ही मन में एक उत्सुकता जागी। राम प्रसाद बिस्मिल, वह क्रांतिकारी कवि और स्वतंत्रता सेनानी जिन्होंने काकोरी कांड में अपनी जान की बाजी लगा दी थी। मैंने कार रोकी और सोचा, क्यों ना इसमें घूम लिया जाए? यह निर्णय मेरी यात्रा का सबसे यादगार हिस्सा बन गया। यदि आप भी मुरैना क्षेत्र में हैं, तो इसे छोड़ना मत – यह न केवल इतिहास की किताबों को जीवंत करता है, बल्कि राष्ट्रभक्ति की एक नई लहर पैदा करता है।   संग्रहालय रेलवे रोड पर स्थित है, पुलिस लाइन के पास,...

Interview: With Bahadur Singh, Who Abandoned Violence to Embrace the Path of Non-Violence/13.08.2025

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□साक्षात्कार: बहादुर सिंह के साथ, जिन्होंने हिंसा छोड़कर अपनाया अहिंसा का मार्ग ●स्थान: जौरा, मध्यप्रदेश, महात्मा गांधी सेवा आश्रम*   तारीख: 13 अगस्त, 2025 ■प्रश्न: बहादुर सिंह जी, आपकी जिंदगी में एक समय ऐसा था जब आप दस्यु जीवन जी रहे थे। उस जीवन से निकलकर आज आप इस आश्रम में सेवा कर रहे हैं। यह बदलाव कैसे आया? ●बहादुर सिंह: यह सब भाई जी सुब्बाराव जी की प्रेरणा और उनके अथक प्रयासों का नतीजा है। 14 अप्रैल, 1972 का वह दिन मेरे जीवन का सबसे बड़ा मोड़ था। उस दिन भाई जी हमारे बीच आए थे। हम, जो उस समय हिंसा और बगावत के रास्ते पर थे, उनके सामने नतमस्तक हो गए। भाई जी ने बड़े प्यार से, "मैं आया हूं दरबार तुम्हारे" भजन गाया। उस भजन ने हमारे दिलों को पिघला दिया। उनकी आवाज में एक ऐसी सादगी और सच्चाई थी कि हमें लगा, यह इंसान हमारा भला चाहता है। फिर,  मोहर सिंह और तहसीलदार सिंह जी के साथ हम 657 बागियों ने मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश चंद्र सेठी, संत विनोबाजी और लोकनायक जय प्रकाश नारायण के सहयोग से आत्मसमर्पण किया। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी ने भी इस प...

An Unforgettable Experience in the Sacred Land of Jaura, the Karambhumi of Bhai Ji Subbarao .12-13/08/2025

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भाई जी सुब्बाराव की पुण्यभूमि जौरा में एक अविस्मरणीय अनुभव      ● 2 अक्टूबर से 7 अक्टूबर, 2025 तक पानीपत में प्रस्तावित ग्लोबल यूथ फेस्टिवल की तैयारियों के लिए आयोजित बैठक में भाग लेने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इस विशेष अवसर पर मुझे भाई जी सुब्बाराव की कर्मभूमि और पुण्यभूमि, जौरा (मुरैना, मध्यप्रदेश) में उनके द्वारा स्थापित गांधी सेवा आश्रम आने का मौका मिला। यह स्थान न केवल उनकी स्मृतियों का केंद्र है, बल्कि उनके विचारों, आदर्शों और सेवा भाव का जीवंत प्रतीक भी है। यही वह स्थान है जब 1971-72 में 14 अप्रैल के दिन 654 बागियों (डाकुओं)ने भाई जी के सामने आत्मसमर्पण किया था और वे अहिंसा की मुख्य धारा में शामिल हुए थे. इन्हीं आत्मसमर्पण करने वालों ने सुब्बाराव जी को पहली बार "भाई जी" कह कर संबोधित किया था.      ●डॉ. भाई जी सुब्बाराव एक ऐसे युगपुरुष थे, जिन्होंने अपने जीवन को सामाजिक उत्थान, युवा जागरण और गांधीवादी मूल्यों के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित कर दिया। उनका जन्म साधारण परिस्थितियों में हुआ, किंतु उनकी असाधारण सोच और कर्...

A new era of beginning of India-China relations- the need of the hour

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■भारत-चीन संबंध: शांति, सहयोग और समृद्धि की ओर एक कदम    ●प्रधानमंत्री की प्रस्तावित चीन यात्रा और इसका महत्व : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रस्तावित चीन यात्रा भारत-चीन संबंधों के लिए एक ऐतिहासिक कदम है। यह न केवल दोनों देशों के बीच विश्वास और सहयोग को बढ़ाएगी, बल्कि वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए भी एक सकारात्मक संदेश देगी। भारत और चीन, दो प्राचीन सभ्यताएं और विश्व की सबसे बड़ी जनसंख्या वाले पड़ोसी देश, भौगोलिक, आर्थिक, सामाजिक और सामरिक दृष्टिकोण से एक-दूसरे के पूरक हैं। पड़ोसियों को बदला नहीं जा सकता, इसलिए मैत्रीपूर्ण संबंध न केवल अपरिहार्य हैं, बल्कि वैश्विक परिस्थितियों में अनिवार्य भी हैं। ●वैश्विक परिदृश्य और भारत-चीन-रूस त्रिकोण:      वर्तमान वैश्विक मंच पर भारत, चीन और रूस के बीच नए समीकरण उभर रहे हैं। यह त्रिकोणीय सहयोग एशिया को सशक्त बनाने और विश्व शांति की गारंटी बन सकता है। अमेरिका की कमजोर आर्थिक स्थिति और उसकी मनमानी नीतियों, जैसे टैरिफ वृद्धि और दबाव की रणनीति, ने कई देशों को वैकल्पिक साझेदारियों की ओर प्रेरित किया है। ऐसे में भा...

our visit to the Mani Bhawan, Mumbai- Saga of India’s freedom struggle

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मणि भवन: गांधी के आदर्शों और इतिहास का जीवंत स्मारक मुंबई का मणि भवन और इलाहाबाद का स्वराज भवन दोनों ही भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के ऐतिहासिक केंद्र रहे हैं, जो महात्मा गांधी के जीवन और उनके विचारों की अमर गाथा को संजोए हुए हैं। दोनों भवनों का ऐतिहासिक महत्व और उनके द्वारा दर्शायी गई गांधी की यात्रा उन्हें राष्ट्रीय धरोहर बनाती है। मणि भवन, जहां गांधी 1917 से 1934 तक रुके, और स्वराज भवन, जो नेहरू परिवार का निवास और स्वतंत्रता आंदोलन का गढ़ रहा, दोनों ने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जहां मणि भवन सविनय अवज्ञा आंदोलन और गांधी के सत्याग्रह के केंद्र के रूप में उभरा, वहीं स्वराज भवन कांग्रेस के नेताओं का मिलन स्थल था, जहां स्वतंत्रता की रणनीतियां बनीं। दोनों ही स्थल आज गांधी और स्वतंत्रता संग्राम की स्मृतियों को जीवंत रखते हैं, जो आगंतुकों को उस युग की भावना और संघर्ष से जोड़ते हैं। मणि भवन, मुंबई के ग्रांट रोड पर स्थित, एक तीन मंजिला भवन है, जो गांधी के विचारों और उनके योगदान का जीवंत दस्तावेज है। भूतल पर एक पुस्तकालय और प्रदर्शनी कक्ष है, जहां गांधी के ज...