An Unforgettable Experience in the Sacred Land of Jaura, the Karambhumi of Bhai Ji Subbarao .12-13/08/2025

भाई जी सुब्बाराव की पुण्यभूमि जौरा में एक अविस्मरणीय अनुभव
     ● 2 अक्टूबर से 7 अक्टूबर, 2025 तक पानीपत में प्रस्तावित ग्लोबल यूथ फेस्टिवल की तैयारियों के लिए आयोजित बैठक में भाग लेने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इस विशेष अवसर पर मुझे भाई जी सुब्बाराव की कर्मभूमि और पुण्यभूमि, जौरा (मुरैना, मध्यप्रदेश) में उनके द्वारा स्थापित गांधी सेवा आश्रम आने का मौका मिला। यह स्थान न केवल उनकी स्मृतियों का केंद्र है, बल्कि उनके विचारों, आदर्शों और सेवा भाव का जीवंत प्रतीक भी है। यही वह स्थान है जब 1971-72 में 14 अप्रैल के दिन 654 बागियों (डाकुओं)ने भाई जी के सामने आत्मसमर्पण किया था और वे अहिंसा की मुख्य धारा में शामिल हुए थे. इन्हीं आत्मसमर्पण करने वालों ने सुब्बाराव जी को पहली बार "भाई जी" कह कर संबोधित किया था. 
    ●डॉ. भाई जी सुब्बाराव एक ऐसे युगपुरुष थे, जिन्होंने अपने जीवन को सामाजिक उत्थान, युवा जागरण और गांधीवादी मूल्यों के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित कर दिया। उनका जन्म साधारण परिस्थितियों में हुआ, किंतु उनकी असाधारण सोच और कर्मठता ने उन्हें देश-विदेश में लाखों लोगों का प्रेरणास्रोत बना दिया। वे एक शिक्षक, समाजसेवी, और दार्शनिक थे, जिन्होंने गांधीवादी सिद्धांतों को न केवल अपनाया, बल्कि उसे युवाओं के बीच जीवंत किया। उनके शिष्य, समर्थक और शुभचिंतक विश्व भर में फैले हैं, और मैं स्वयं को सौभाग्यशाली मानता हूँ कि मुझे भी उनकी छत्रछाया में उनके विचारों से प्रेरणा लेने का अवसर मिला। भाई जी चार बार पानीपत में निर्मला देशपांडे संस्थान पधारे, और विशेष रूप से मेरे लिए वह क्षण अविस्मरणीय रहा जब वे अमेरिका प्रवास के दौरान मेरी बेटी सुलभा और उल्लास के सिएटल स्थित घर पधारे। उनकी सादगी, गहन चिंतन और हृदय को छू लेने वाली बातों ने हम सभी को गहराई से प्रभावित किया।
 ●जौरा: भाई जी की पुण्यभूमि
27 अक्टूबर, 2022 को जयपुर में भाई जी का देहांत हुआ, किंतु उनके पार्थिव शरीर को यहीं जौरा में अग्नि को समर्पित किया गया। उनकी स्मृति में निर्मित काले संगमरमर की समाधि इस आश्रम के हृदय में स्थित है। आज भले ही वे शरीर से हमारे बीच न हों, लेकिन गांधी सेवा आश्रम के हर कण में उनकी उपस्थिति महसूस होती है। यहाँ की हवाओं में उनकी प्रेरणा, घास के तृणों में उनकी सादगी, और हर कोने में उनकी सेवा भावना की सुगंध बसी है। आश्रम परिसर में उनकी जीवंत मूर्ति और दीवारों पर उनके जीवन के विभिन्न पड़ावों को दर्शाते चित्र उनके कृतित्व को जीवंत बनाए रखते हैं।
   ●गांधी सेवा आश्रम: युवा जागरण का केंद्र
भाई जी ने इस आश्रम को न केवल एक स्थान बनाया, बल्कि इसे एक विचारधारा का केंद्र बनाया। यहाँ देश-विदेश से युवाओं की निरंतर ट्रेनिंग चलती रहती है। वर्तमान में उनके द्वारा निर्देशित "भारत की संतान" कार्यक्रम के तहत ग्यारह राज्यों से आए 50 से अधिक युवक-युवतियों का शिविर आयोजित हो रहा है। इससे पहले ऐसा ही शिविर त्रिशूर, केरल में हुआ था। यहाँ की हर गतिविधि भाई जी के सपनों को साकार करती है—युवाओं को नैतिकता, सेवा और आत्मनिर्भरता के मार्ग पर ले जाना।
    ●निर्मला देशपांडे जी कहा करती थीं कि यदि शिष्य अपने गुरु के दिखाए मार्ग पर चलकर उनके कार्य को आगे बढ़ाए, तो वह गुरु का सच्चा पुनर्जन्म होता है। भाई जी के मानस पुत्र रन सिंह परमार और उनके सहयोगी मधुसूदन दास, सुकुमारन जी और पूरी टीम ने इसे साकार किया है। इस आश्रम को जीवंत रखते हुए, उन्होंने भाई जी के आदर्शों को न केवल संरक्षित किया, बल्कि उसे नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया। यहाँ की हर गतिविधि, हर शिविर, और हर प्रयास उनके सपनों का जीवंत प्रमाण है।
     ●जौरा में कदम रखते ही मन में एक अद्भुत शांति और प्रेरणा का संचार होता है। यहाँ का वातावरण ऐसा है मानो भाई जी स्वयं हमसे बात कर रहे हों। उनकी मूर्ति के सामने खड़े होकर, उनकी समाधि को नमन करते हुए, और आश्रम की गतिविधियों को देखकर यह विश्वास और गहरा हो जाता है कि सच्चे कर्मयोगी कभी मरते नहीं; वे अपने कार्यों और विचारों में जीवित रहते हैं। यहाँ की हर दीवार, हर पेड़, और हर व्यक्ति भाई जी की उस विरासत को जी रहा है, जो युवाओं को देश और समाज के प्रति समर्पित होने की प्रेरणा देती है।
   ●पानीपत में प्रस्तावित ग्लोबल यूथ फेस्टिवल की तैयारियों के लिए यहाँ की बैठक न केवल एक औपचारिक आयोजन है, बल्कि भाई जी के विचारों को विश्व मंच पर ले जाने का एक संकल्प भी है। इस पुण्यभूमि से प्रेरणा लेकर, हम सभी उनके दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं, ताकि उनकी विरासत को और सशक्त बनाया जा सके।
   ●जौरा का गांधी सेवा आश्रम और भाई जी सुब्बाराव की स्मृतियाँ हमें यह सिखाती हैं कि सच्ची सेवा और समर्पण कभी समाप्त नहीं होते। उनके विचार आज भी युवाओं को प्रेरित कर रहे हैं, और उनकी पुण्यभूमि एक तीर्थस्थल की तरह है, जहाँ हर आगंतुक को नई दिशा और प्रेरणा मिलती है। यहाँ आकर मन में एक ही भाव उभरता है—भाई जी, आप शरीर से भले ही न हों, किंतु आपकी आत्मा इस आश्रम के हर कण में बसी है, और हम आपके दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं।
Ram Mohan Rai, 
Jaura, Morena, (MadhyaPrdesh)
13.08 2025

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

Gandhi Global Family program on Mahatma Gandhi martyrdom day in Panipat

Aaghaz e Dosti yatra - 2024

पानीपत की बहादुर बेटी सैयदा- जो ना थकी और ना झुकी :