मंजुल भारद्वाज से दोस्ती: एक वैचारिक यात्रा.
मंजुल भारद्वाज से मेरी दोस्ती की कहानी एक वैचारिक साझेदारी की तरह है, जो समय के साथ मजबूत होती गई। हम दोनों पिछले 6-7 वर्षों से एक-दूसरे से परिचित हैं, लेकिन साक्षात मुलाकात पहली बार कल मुंबई में हुई। इस मुलाकात में ऐसा लगा मानो हम रोजाना मिलते-जुलते रहे हों। कोई औपचारिकता नहीं, बस एक सहज और गहरा जुड़ाव। कोविड महामारी के दौरान, जब सारी दुनिया ठहर-सी गई थी, तब 'नित्यनुतन वार्ता' में वे शामिल हुए थे। उस समय से ही हमारे बीच एक विचारधारात्मक पुल बनना शुरू हो गया था।
● मुलाकात का सिलसिला:
हमारी इस मुलाकात का श्रेय कुछ विशेष लोगों को जाता है, जो इस रिश्ते की कड़ी बने। विशेष रूप से यायावर स्मृति और अद्वैत ने इस सिलसिले को जोड़ा। पिछले महीने, मंजुल जी की एक सहयोगी अश्विनी अपने पति के साथ अपने सुपुत्र ओम के दाखिले के सिलसिले में पानीपत आईं। उनके व्यवहार ने इस रिश्ते को और अधिक मजबूत किया। अश्विनी ने मुझे और मेरी पत्नी को माता-पिता का सम्मान दिया, जो हृदयस्पर्शी था। यह साबित करता है कि बेटी, बहन और माँ जैसे रिश्ते दुनिया में सबसे पवित्र और मजबूत होते हैं। इन छोटी-छोटी घटनाओं ने हमारी दोस्ती की नींव को और गहरा किया।
●सहयोग का निर्णय और दोस्ती की शुरुआत:
मुलाकात के दौरान मंजुल जी से चर्चा हुई, और हमने तय किया कि हम मिलकर काम करेंगे। यही से हमारी दोस्ती की असली शुरुआत हुई – एक वैचारिक दोस्ती। यह दोस्ती सिर्फ व्यक्तिगत स्तर पर नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक बदलाव की दिशा में एक साझा प्रयास है। हम दोनों की सोच में समानता है, जो हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।
●मंजुल भारद्वाज: एक बहुमुखी रंगकर्मी का परिचय:
मंजुल भारद्वाज 'थिएटर ऑफ़ रेलेवंस' (Theater of Relevance) नाट्य सिद्धांत के सर्जक और प्रयोगकर्ता हैं। वे एक ऐसे थिएटर व्यक्तित्व हैं, जो राष्ट्रीय चुनौतियों को न केवल स्वीकार करते हैं, बल्कि अपने रंग विचार 'थिएटर ऑफ़ रेलेवंस' के माध्यम से राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने का काम करते हैं। अभिनय और प्रदर्शन कौशल से भरपूर, उन्होंने मंच पर 20,000 से अधिक बार अपनी उपस्थिति दर्ज की है। वे न केवल अभिनेता हैं, बल्कि निर्देशक, लेखक, फैसिलिटेटर (उद्बोधक) और पहलकर्ता भी हैं। लेखक-निर्देशक के रूप में उन्होंने 28 से अधिक नाटकों का लेखन और निर्देशन किया है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 'थिएटर ऑफ़ रेलेवंस' सिद्धांत के तहत उन्होंने 10,000 से अधिक नाट्य कार्यशालाओं का संचालन किया है।
●थिएटर ऑफ़ रेलेवंस: विचारधारा और दर्शन:
मंजुल भारद्वाज की संस्था 'थिएटर ऑफ़ रेलेवंस' की विचारधारा जीवन की वास्तविक चुनौतियों से जुड़ी हुई है। वे रंगकर्म को सिर्फ 'स्वांतः सुखाय' (अपने सुख के लिए) नहीं मानते, बल्कि इसे जीवन की चुनौतियों के खिलाफ एक शक्तिशाली हथियार के रूप में देखते हैं। इसी दर्शन से प्रेरित होकर उन्होंने 'थिएटर ऑफ़ रेलेवंस' नाम से एक नया रंग सिद्धांत विकसित किया। इस सिद्धांत के माध्यम से वे भारत की गरीब बस्तियों से लेकर विदेशों के समृद्ध रंगप्रेमियों तक रंगकर्म के सफल प्रयोग कर रहे हैं। उन्होंने अब तक लगभग 28 नाटक लिखे हैं, जिनके हजारों प्रदर्शन हो चुके हैं। यह सिद्धांत नाटक को समाज की प्रासंगिकता से जोड़ता है, जहां हर प्रदर्शन एक सामाजिक संदेश देता है।
●वर्तमान कार्य: शिक्षा जगत में बदलाव की मुहिम
वर्तमान में मंजुल भारद्वाज शिक्षा जगत में बदलाव लाने की मुहिम पर काम कर रहे हैं। उनके निर्देशन में आयोजित 'थिएटर ऑफ़ रेलेवंस' नाट्य कार्यशालाओं में छात्र, शिक्षक, अभिभावक, स्कूल प्रशासक, व्यवस्थापक और ग्रामवासी सक्रिय रूप से भाग लेते हैं। इन कार्यशालाओं में शिक्षा के मूल्यों, उद्देश्यों, शिक्षक की भूमिका और गरिमा, स्कूल की स्वामित्व (स्कूल किसका है?), छात्रों के स्कूल आने के उद्देश्य आदि जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा और अभिनय के माध्यम से जागरूकता फैलाई जाती है। यह प्रयास शिक्षा को न केवल किताबी ज्ञान तक सीमित रखने के बजाय, इसे जीवन से जोड़ने का माध्यम बनाता है।
●एक प्रेरणादायक दोस्ती:
मंजुल भारद्वाज से दोस्ती मेरे लिए एक प्रेरणा है। यह दोस्ती वैचारिक स्तर पर है, जो समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में काम करेगी। उनकी यात्रा से सीख मिलती है कि रंगकर्म सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और एकता का माध्यम भी हो सकता है। उम्मीद है कि हमारा यह सहयोग आगे भी जारी रहेगा और कई नई दिशाओं को खोलेगा।
Ram Mohan Rai,
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