राष्ट्रीय भारतीय महिला संघ (NFIW): महिलाओं की आवाज और मेरी जीवन यात्रा
राष्ट्रीय भारतीय महिला संघ (एनएफआईडब्ल्यू) भारत में महिलाओं का एक प्रमुख संगठन है, जो भारतीय राष्ट्रीय आजादी के मूल्यों, भारतीय संविधान के सिद्धांतों—लोकतंत्र, सर्वधर्म समभाव (धर्मनिरपेक्षता) और समाजवाद की रक्षा के लिए अग्रणी भूमिका निभाता रहा है। इस संगठन की स्थापना 4 जून 1954 को हुई थी, जब महिला आत्म रक्षा समिति की कई प्रमुख नेत्रियों, जिनमें प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी अरुणा आसिफ़ अली शामिल थीं, ने इसे गठित किया। यह एक अग्रणी महिला संगठन है, जो महिलाओं के अधिकारों, समानता और सामाजिक अन्यायों के खिलाफ संघर्ष करने के लिए प्रतिबद्ध है।
पिछले सात दशकों में, एनएफआईडब्ल्यू ने महिलाओं के सामाजिक-आर्थिक मुद्दों, सांप्रदायिक हिंसा के खिलाफ और दक्षिण एशिया में शांति के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। यह संगठन विमेंस इंटरनेशनल डेमोक्रेटिक फेडरेशन से संबद्ध है और भारत की महिलाओं की आवाज को वैश्विक मंच पर मजबूत बनाता रहा है।
मेरा यह सौभाग्य रहा है कि अपनी बाल्यावस्था से ही मुझे इस संगठन को निकट से जानने का अवसर मिला। मेरी माता सीता रानी जी के सान्निध्य में मैंने एनएफआईडब्ल्यू की गतिविधियों को देखा और समझा। हरियाणा महिला सभा की नेत्री शकुंतला सखुन अक्सर हमारे घर आती थीं, और उनकी बातें तथा कार्य मेरी मां को गहराई से प्रेरित करते थे। मेरी मां उनके संघर्षों से प्रभावित होकर महिलाओं के अधिकारों के प्रति जागरूक रहतीं, और यही प्रेरणा मुझे भी मिली। बाल्यकाल में घरेलू वातावरण में ही मैंने महिलाओं की मुक्ति और समानता के विचारों को आत्मसात किया, जो बाद में मेरे जीवन का आधार बने।
युवावस्था में, ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) के एक कार्यकर्ता के रूप में, मुझे प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन की नायिका अरुणा आसिफ़ अली के सान्निध्य में काम करने का अवसर मिला। 1984 में सांप्रदायिक हिंसा के विरुद्ध अभियान में मैंने उनके साथ सक्रिय भूमिका निभाई। यह वह समय था जब देश में सामाजिक तनाव चरम पर थे, और एनएफआईडब्ल्यू जैसा संगठन हिंसा के खिलाफ एकजुट होकर खड़ा था। इसी दौरान, संगठन की वर्तमान अध्यक्ष सैयदा हमीद के नेतृत्व में दक्षिण एशिया की जनता के बीच मैत्रीपूर्ण सद्भावना बढ़ाने के लिए काम करने का मौका मिला। हमने विभिन्न देशों की महिलाओं के साथ मिलकर शांति और सहयोग के पुल बनाए, जो आज भी प्रासंगिक हैं।
एनएफआईडब्ल्यू की नेत्री अमरजीत कौर मेरी मित्र, साथी और बड़ी बहन की तरह हैं। उनके साथ बिताए पल और उनके मार्गदर्शन ने मुझे महिलाओं के मुद्दों पर गहराई से सोचने के लिए प्रेरित किया। मुझे इस बात का भी गौरव है कि विमेंस इनिशिएटिव फॉर पीस इन एशिया की कार्यकारिणी का मैं एकमात्र पुरुष सदस्य हूं। इस भूमिका में मैंने महिलाओं के नेतृत्व में शांति प्रयासों को देखा और योगदान दिया, जो मेरे लिए एक अनोखा अनुभव रहा।
आजकल हम मुंबई में हैं, और यहां एनएफआईडब्ल्यू के बदलापुर कार्यालय में संगठन और थिएटर ऑफ रेलेवेंस के द्वारा आयोजित एक नाट्य कार्यशाला में पूरे दिन रहने का अवसर मिला। इस कार्यशाला ने मुझे अपने पिछले 60 वर्षों के जीवन का पुनर्पाठ करने का मौका दिया। मैंने अपने बाल्यकाल से लेकर युवावस्था तक की यादों को ताजा किया, और महसूस किया कि कैसे एनएफआईडब्ल्यू जैसे संगठन ने मेरे विचारों को आकार दिया। लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद हमारे राष्ट्र के प्राण हैं; इनकी सुरक्षा और सम्मान की रक्षा करना जीवन रक्षा से भी बढ़कर है। ऐसे संगठनों की अहम भूमिका है जो हमें आत्मगौरव प्रदान करते हैं और समाज को मजबूत बनाते हैं।
आज की इस कार्यशाला में प्रसिद्ध नाट्यकर्मी मंजुल भारद्वाज के नेतृत्व में उनके सभी साथियों से मुलाकात हुई, जो अधिकांश एनएफआईडब्ल्यू के नेतृत्व cadre में शामिल हैं। यह मुलाकात एक अविस्मरणीय घटना रहेगी। गांधी ग्लोबल फैमिली की ओर से हमने इन साथियों—अश्विनी नांदेडकर, पुष्पा , कोमल, अनीता, सोनू, करिश्मा, श्रेय, निशा और मनीषा और तुषार. का सम्मान भी किया। इस सम्मान समारोह ने कार्यशाला को और अधिक अर्थपूर्ण बनाया, और हमें याद दिलाया कि महिलाओं के संघर्ष में पुरुषों की सहभागिता भी महत्वपूर्ण है।
एनएफआईडब्ल्यू न केवल महिलाओं की आवाज है, बल्कि पूरे समाज के लिए एक प्रेरणा स्रोत है। इसका इतिहास और मेरी व्यक्तिगत यात्रा यह साबित करती है कि सच्चे मूल्यों की रक्षा के लिए निरंतर प्रयास आवश्यक हैं। ऐसे संगठनों के माध्यम से हम एक बेहतर, समान और शांतिपूर्ण भारत का निर्माण कर सकते हैं।
Ram Mohan Rai,
मुंबई, 29.12.2025
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