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मित्र मिलन की चाह / 03.05.2018

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 आज तो मेरा और मेरे मित्र प्रिंस Ruhin Hossain Prince का दिन है । ढाका (बांग्लादेश) में आते ही हमारी मेजबान तन्द्रा बरुआ Tandra Barua ने दो काम मेरे पसंदीदा किये । एक तो एयरपोर्ट से अपने घर ,धान मंडी में पहुचने से पहले गोलगप्पे खिलाये दूसरा मेरे 38 वर्षो से बिछड़े मित्र प्रिंस से मेरी बात करवाई ।  वीडियो मेसेंजर पर बात करते हुए हम दोनों भाव विह्वल हो गए ।  प्रिंस मेरे साथ 38 वर्ष पहले ताशकंद ( तत्कालीन सोवियत संघ ) में साथ पढ़े थे । तब से किसी भी प्रकार से सम्पर्क में नही रहे  पर एक दूसरे को मिलने की चाहत सदा बरकरार रही । इंशाअल्लाह ,अब 7 मई को मिलने जा रहे है । आप भी दुआ कीजिये कि यह मिलन सफल हो  । आभार नब कुमार राहा जी

Nirmala Deshpande's memory meet

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 *दीदी निर्मला देशपांडे की 13वीं पुण्यतिथि*          गांधी ग्लोबल फैमिली/ निर्मला देशपांडे संस्थान तथा नित्यनूतन वार्ता के संयुक्त तत्वावधान में दीदी निर्मला देशपांडे जी की 13वीं पुण्यतिथि के अवसर पर एक स्मृति सभा का आयोजन गूगल मिनट पर किया गया जिसकी अध्यक्षता माता रुकमणी देवी सेवा संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष एवं स्वर्गीय दीदी के अनन्य सहयोगी पद्मश्री धर्मपाल सैनी ने की।      संगोष्ठी का शुभारंभ करते हुए राममोहन राय एडवोकेट ने कहा कि दीदी के पुण्य स्मरण करने का अर्थ है कि हम उनके विश्वशांति, राष्ट्रीय एकता तथा सांप्रदायिक सद्भाव के मूल्यों को आत्मसात करें [    दीदी निर्मला देशपांडे के जीवन वृतांत तथा यात्रा पर लिखें एक निबंध का पाठन महादेव देसाई पुस्तकालय, गांधी आश्रम, दिल्ली की पुस्तकालयाध्यक्ष  सीमा शर्मा ने किया। इस निबंध में स्वर्गीय दीदी के जन्म से मृत्यु पर्यंत उनके कार्यों की व्यापक चर्चा की गई थी ।       होप( हाली ओपन इंस्टिट्यूट फ़ॉर पीस एंड एजुकेशन) की संयोजिका पूजा सैनी ने निर्मला देशपांडे संस्थान, पानी...

In memory of Didi Nirmala Deshpande

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   *दीदी निर्मला देशपांडे* ( 17 अक्टूबर को उनकी जन्म दिवस पर विशेष स्मरण)        देश-विदेश के अपने प्रशसंकों, साथियो तथा अनुयायियों में 'दीदी'के नाम से प्रख्यात निर्मला देशपांडे का जन्म 17 अक्टूबर, 1929 को नागपुर (महाराष्ट्र) में प्रसिद्ध चिंतक, मनीषी व राजनेता माता-पिता श्रीमती विमला बाई देशपांडे तथा श्री पुरुषोत्तम यशवंत देशपांडे के घर हुआ था। उनके पिता जहां इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस(इंटक) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर सुशोभित रहे, वहीं स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भारत की संविधान सभा के सदस्य रहे। माता भी मध्य भारत प्रांत की सरकार में मंत्री पद पर आसीन रहीं। बाद में देशपांडे दंपत्ति ने राजनीति को सदा-सदा के लिए त्याग कर समाजसेवा तथा साहित्य सृजन का महत्वपूर्ण कार्य किया। परिवार में प्रारंभ से ही इतना खुलापन था कि कम्युनिस्ट नेता ई.वी.एस. नम्बदूरीपाद,श्री पाद अमृत डांगे, समाजवादी नेता श्री राम मनोहर लोहिया, श्री अच्युत पटवर्धन, आर.एस.एस. के संस्थापक डॉ. हेडगवार, कांग्रेस नेता पं. जवाहर लाल नेहरू, पं. रवि शंकर शुक्ल, श्री द्वारिका प्रसाद मिश्र तथा ब...

In memory of Didi Nirmala Deshpande

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 *दीदी निर्मला देशपांडे* (एक मई को उनकी पुण्यतिथि पर विशेष स्मरण)        देश-विदेश के अपने प्रशसंकों, साथियो तथा अनुयायियों में 'दीदी'के नाम से प्रख्यात निर्मला देशपांडे का जन्म 17 अक्टूबर, 1929 को नागपुर (महाराष्ट्र) में प्रसिद्ध चिंतक, मनीषी व राजनेता माता-पिता श्रीमती विमला बाई देशपांडे तथा श्री पुरुषोत्तम यशवंत देशपांडे के घर हुआ था। उनके पिता जहां इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस(इंटक) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर सुशोभित रहे, वहीं स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भारत की संविधान सभा के सदस्य रहे। माता भी मध्य भारत प्रांत की सरकार में मंत्री पद पर आसीन रहीं। बाद में देशपांडे दंपत्ति ने राजनीति को सदा-सदा के लिए त्याग कर समाजसेवा तथा साहित्य सृजन का महत्वपूर्ण कार्य किया। परिवार में प्रारंभ से ही इतना खुलापन था कि कम्युनिस्ट नेता ई.वी.एस. नम्बदूरीपाद,श्री पाद अमृत डांगे, समाजवादी नेता श्री राम मनोहर लोहिया, श्री अच्युत पटवर्धन, आर.एस.एस. के संस्थापक डॉ. हेडगवार, कांग्रेस नेता पं. जवाहर लाल नेहरू, पं. रवि शंकर शुक्ल, श्री द्वारिका प्रसाद मिश्र तथा बाबा साहब डा. ...

In memory of Hz Boo Ali Shah Qalandar Panipati

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 A webinar was organized on the occasion of Urs of Hazrat Bu Ali Shah Qalandar (Panipat) on behalf of the Nityanutan Varta.  In which chief guest was the present Sajjadanshin of the dargah Mr.  Abid Arif Nomani (residing in Lahore).  In his keynote statement on this occasion, renowned scholar writer Professor Rajendra Ranjan Chaturvedi spoke on the life, thoughts and messages of Hazrat Qalandar.  He said that Hazrat Qalandar was a revolutionary rebel thinker.  Who gave the message of equality, brotherhood and love among the common people.  In the Vedic perspective, he is synonymous with monotheism.  The Chief Guest Abid Arif Nomani said in his statement that Hazrat Bu Al Shah Qalandar gave the message of humanity by rising above religion, caste and region.  Humanity was his greatest worship and service.  At the start of the program, Ram Mohan Rai kept the relationship of Hazrat Qalander sahab and his city Panipat.  Late Didi Nirmala...

हज़रत बू अली शाह कलंदर ,पानीपती की याद में

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        नित्यनूतन वार्ता की ओर से हज़रत बू अली शाह कलंदर (पानीपत) के उर्स के अवसर पर एक वेबिनार का आयोजन किया गया । जिसमें मुख्यातिथि दरगाह हज़रत कलंदर के वर्तमान सज्जादानशीन आबिद आरिफ नोमानी (लाहौर) रहे ।       इस अवसर पर अपना मुख्य वक्तव्य में प्रसिद्ध विद्वान लेखक प्रोफेसर राजेन्द्र रंजन चतुर्वेदी ने हज़रत कलंदर के जीवन ,विचार एवम सन्देश पर विचार रखे । उन्होंने कहा कि हज़रत कलंदर एक क्रांतिकारी विद्रोही विचारक थे । जिन्होंने आम जन में समता ,भाईचारे एवम प्रेम का संदेश दिया । वैदिक परिपेक्ष्य में वे  अद्वैतवाद के पर्याय है ।        मुख्यातिथि आबिद आरिफ नोमानी ने अपने वक्तव्य में कहा कि हज़रत कलंदर ने धर्म, जाति एवम क्षेत्र से ऊपर उठ कर मानवता का संदेश दिया । इंसानियत ही उनके लिए सबसे बड़ी इबादत व सेवा थी ।      उनके बुजुर्गों ने पानीपत में रह कर व भारत विभाजन के बाद पाकिस्तान में आकर सत्य-प्रेम-करुणा के उन्ही संदेशों के प्रचार-प्रसार का काम जारी रखा है ।      कार्यक्रम के प्रारंभ में राम मोहन राय ने हज़...

शांतिसैनिक धर्मपाल सैनी

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 *अहिंसात्मक शांतिपूर्ण क्रांति के संवाहक धर्मपाल सैनी*  💐💐💐💐💐💐💐💐💐श्री धर्मपाल सैनी ने जो कार्य अपने जीवन के सबसे सम्पन्न  काल अपनी आयु के 92वें वर्ष में  किया है, वह उनके संपूर्ण जीवन का एक अत्यंत गौरवपूर्ण पक्ष है। स्मरण रहे कि विगत दिनों जब बीजापुर *(छत्तीसगढ़) में नक्सल वादियों के हमले में कई जवान शहीद हुए तथा उन्होंने एक जवान राकेश्वर सिंह को  अगवा कर लिया तो  उनका परिवार ही नही पूरा देश  भी त्राहि-त्राहि कर रहा था । ऐसे समय में कोई भी विकल्प न तो सरकार के सामने था और न ही  परिवार के पास । ऐसी स्थिति में  एक ही आशा की किरण थी  और वह थी पद्मश्री श्री धर्मपाल सैनी ।      श्री धर्मपाल सैनी  का जन्म यद्यपि 24 जून 1930 को जिला सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) के एक गांव में हुआ था । उनकी प्रारंभिक शिक्षा भी वहीं हुई परंतु अपनी युवावस्था में ही वे संत विनोबा भावे तथा उनके नेतृत्व में चल रहे भूदान आंदोलन से जुड़ गए और यही वह रास्ता था जिस पर चलते हुए धर्मपाल सैनी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा  ।      ...