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Showing posts from March, 2024

Launch of my book Suhana Safar by the HE Ambassador of the kingdom of Netherlands

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 *Launch of the second edition of Suhana Safar-Netherlands* By the grace of God, I have got the opportunity to travel around the country and abroad. Every place is beautiful in its own way, but my visit to Netherlands last year impressed me a lot and inspired me to write something about this journey and the result of this was that my book "Suhana Safar-Netherlands" came into existence in the form of that travelogue of 57 days. Just like the country is clean and full of fragrance, this book, also strengthened by the same feelings, was published with the help of young friends of Unicreations publisher. My well-wishing readers also accepted it with open arms and in just a span of one month, its colorful second edition has now come. I am also very enthusiastic about this book and want it to reach every person who is a part of the peace movement going on around the world. You may ask what is the connection of this travelogue with world peace, friendship and non-violenc

Suhana Safar -Netherlands second edition

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*सुहाना सफ़र -नेदरलैंड्स के दूसरे संस्करण का लोकार्पण*        प्रभु कृपा से मुझे देश देशांतर में घूमने फिरने का अवसर मिला है. हर जगह अपने अपने ढंग से सुन्दर है परन्तु गत वर्ष नेदरलैंड्स की यात्रा ने मुझे अत्याधिक प्रभावित किया और प्रेरणा दी कि अपनी इस यात्रा पर कुछ लिखूं और इसी का परिणाम यह रहा कि अपनी 57 दिनों की उस यात्रा वृतांत के रूप में मेरी पुस्तक "सुहाना सफ़र -नेदरलैंड्स" वजूद में आई. जैसा साफ सुथरा और सुगंध से भरा देश है वैसे ही उन्हीं भावों से पुष्ट यह पुस्तक भी Unicreations publisher के युवा मित्रों के सहयोग से प्रकाशित भी हुई. मेरे शुभचिंतक पाठकों ने भी इसे हाथो हाथ लिया और मात्र एक महीने के अंतराल में ही इसका रंग रंगीला दूसरा संस्करण अब आ गया है. इस किताब को लेकर मैं भी बड़ा उत्साही हूँ और इसे पहुंचना चाहता हूँ हर उस व्यक्ति तक जो दुनियां भर में चल रहें शांति आंदोलन का एक हिस्सा है.     सवाल हों सकता है कि इस यात्रा वृतांत का विश्व शांति, मैत्री और अहिंसा से क्या ताल्लुक है ?. इस पर मेरा एक ही आग्रह है कि इस देश ने अपने पड़ोसी देशों जिनसे इसने विगत अनेक वर

Habibpur Niwada (घूमकड़ की डायरी)

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*Habibpur Niwada*.      हबीब पुर निवादा, डाकखाना सिकरोडा, ब्लॉक भगवानपुर, तहसील रूड़की, ज़िला सहारनपुर, यू पी का पता मेरे जहन में वर्ष 1974 से है जब मेरी बहन अरुणा (मुन्नी ) का रिश्ता इस गांव के एक अध्यापक एवम किसान मास्टर चौहल सिंह जी के वकील सुपुत्र विजय पाल सिंह सैनी(M. A., LL. b) से हुआ था.  मास्टर जी के परिवार की पूरे इलाके में ख्याति थी. उनके सबसे बड़े सुपुत्र देव वर्मा ने अपने समय में आई आई टी, रुड़की में इंजीनियरिंग में टॉप किया था और तब वें XEN के पद पर कार्यरत थे, उनसे छोटा बेटा मलखान सिंह गांव में रह कर खेती का काम संभालते रहें और तीन बहनें दया, संतोष और बाला भी उच्च शिक्षा प्राप्त कर अपने अपने पति का घर बार संभाल रही थी. परिवार में आर्य समाज का सात्विक प्रभाव था. मास्टर चौहल सिंह जी और उनकी पत्नी श्रीमती बुगली देवी का पूरा जीवन अपने परिवार की परवरिश में गुजरा, पर हाँ मास्टर जी न केवल एक अच्छे गायक थे वहीं एक रंगकर्मी भी थे. महात्मा गाँधी और आर्य समाज के विचारों की झलक उनके गीत संगीत में हमेशा मिलती थी.      मैं अपने बहन भाइयों में सबसे छोटा था परन्तु घर के तमाम महत्वपूर्ण क

Udaipur-8. Navlakha Mahal, Gulab Bagh, Udaipur

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Udaipur Diary-8 गुलाब बाग में नवलखा महल        सन 1983 में मेरा संबंध उदयपुर से बना जब यहाँ के प्रतिष्ठित एडवोकेट तथा राजनेता श्री गणेश लाल माली, पूर्व सांसद की पुत्री कृष्णा कांता के साथ मेरा विवाह संपन्न हुआ। विवाह के सभी संस्कार तो जयपुर में हुए थे परंतु कुछ ही दिनों बाद यहाँ आना हुआ।             मेरे माता-पिता आर्य समाज के विचारों से ओतप्रोत थे। महर्षि दयानंद सरस्वती उनके लिए एक आदर्श थे और सत्यार्थ प्रकाश एक ऐसा ग्रंथ था जिसके विचारों से हम सब अभिभूत थे। विवाह से पूर्व अनेकों बार समूचे सत्यार्थ प्रकाश को मैंने श्रद्धा भाव से पढ़ा था और यहाँ तक जब दसवीं की बोर्ड परीक्षा में हिंदी विषय में मेरी प्रिय पुस्तक का प्रस्ताव आया था तब मैंने परीक्षा काल के तीन घंटे में अकेले ढाई घंटे तक सत्यार्थ प्रकाश के हर पहलू को रखने की कोशिश की थी। बाद में मेरे मित्रों का कहना था कि चूंकि तुमने अन्य प्रश्नों के उत्तर देने में समय नहीं लगाया है इसलिए प्रस्ताव में चाहे पूरे नंबर आ जाएं परंतु अन्य प्रश्नों के उत्तर में तुम मार्जनल ही रहोगे। परीक्षा परिणाम आया, वह मेरे लिए अद्भुत था और उसने मे

Udaipur-7 (Kailashpuri -Eklingji)

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*कैलाशपुरी -एकलिंग*           नाथद्वारा से उदयपुर के लिए लौटते हुए मात्र 27 किलोमीटर की दूरी पर ही हाईवे से मात्र 3-4 किलोमीटर पर ही एक ऐतिहासिक कस्बा कैलाशपुरी स्थित है जहाँ मेवाड़ के महाराणाओं तथा अन्य राजपूतों के कुलदेव भगवान शंकर का विशाल मंदिर है जिसे एकलिंग जी के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर का निर्माण, मेवाड़ के बप्पा रावल ने आठवीं शताब्दी में करवाया था और फिर इसका पुनरनिर्माण महाराणा मोकल ने करवाया और अंततः महाराणा रायमल ने इसका जीर्णोद्धार करवाया।सभी जगह प्रचलित कथाओं जैसी एक कथा यहाँ भी है कि यहां स्थापित प्रतिमा स्वयं प्रकट है यानि डूंगरपुर से आती नदी में यहाँ प्राप्त हुई थी. मंदिर का कई बार पुनरनिर्माण और जीर्णोद्धार भी हुआ और अब यह मंदिर इस अवस्था में विशाल मजबूत पत्थरों से निर्मित है। मंदिर परिसर में ही अन्य 108 देवी देवताओं के मंदिर है और मूल मंदिर इसके बीचो बीच स्थित है।        मुख्य मंदिर में लगभग 50 फुट ऊँची चतुर्मूखी शिव जी की प्रतिमा प्रतिष्ठित है जिसके आसपास ही उनका परिवार पार्वती और गणेश की प्रतिमा है और मंदिर के बाहर शिव वहां नंदी की मूर्ति है। मंदिर क

Udaipur Diary-6 Nathdwara

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Udaipur Diary-6 *नाथद्वारा* चालीस वर्ष पूर्व जब उदयपुर से नाथद्वारा जाते थे तो रास्ते में पड़ने वाली पहाड़ियों की घुमावदार सड़कों से गुजरना होता था पर अब उदयपुर से बेहतरीन सड़कें बनीं हैं और पहाड़ी को काटकर सुरंगों से होकर गुजरती हैं । पैतालिस किलोमीटर का यह रास्ता अब आधे घंटे में ही पूरा हो जाता है।            नाथद्वारा कस्बा कोई बहुत पुराना नहीं है। इसका निर्माण लगभग 337 वर्ष पूर्व हुआ था। अब आबादी भी 42,016 है और यह  पुष्टिमार्गीय वैष्णव संप्रदाय का प्रमुख स्थान है जहाँ पर भगवान कृष्ण की गोवर्धनधारी के स्वरूप में प्रतिमा प्रतिष्ठित है। जो बहुत ही खूबसूरत है और उनकी ठोडी में हीरा जड़ा है जिसकी चमक श्रद्धालुओं को अनायास ही आकर्षित करती है। मंदिर परिसर में ही विट्ठलनाथ जी एवं हरि राय प्रभु की बैठक है और फिर साथ ही वनमाली मंदिर एवं मीरा मंदिर है। मंदिर के चारों तरफ कुछ दूरी पर गणगौर बाग,  लाल बाग, गिरिराज पर्वत और वल्लभ आश्रम है। वास्तव में नाथद्वारा मंदिर पर ही आश्रित  कस्बा है। खेती -बाड़ी, व्यापार, सेवा सब मंदिर को ही समर्पित है ।मंदिर से निकलते ही आप दर्जियो