सुहाना सफ़र -9 (Gheesbach Water Fall, Brienz) My trip to the Switzerland
वैसे तो स्विटजरलैंड के चप्पे-चप्पे पर दिलचस्प प्राकृतिक नजारे हैं जो दिलों दिमाग़ को प्रभावित करते हैं पर घिसबाक झरने का दृश्य तो बिल्कुल ही अलग है. Brienz जहां के गेस्ट हाउस में हम ठहरे थे, से मात्र 15 किलोमीटर सड़क मार्ग पर गाड़ी से चल कर हम यहां पहुंचे. गाड़ी खड़ी की और लगभग 400 फीट ऊंचाई तक ट्रैकिंग कर हम इस स्थान पर पहुंचे. बेशक हल्की-फुल्की बूंदा बांदी हो रही थी और मौसम भी कुछ ठंडा था पर सुहावना था. रास्ता भी घुमावदार और पत्थरों से बना था यानी की सुगम नहीं था, परंतु हमारे उत्साह में कोई कमी नहीं थी.
हम सपरिवार केदारनाथ और वैष्णो देवी की भी चढ़ाई चढ़े हैं, तब हम दोनों युवा थे परन्तु अब उम्र का भी अह्सास था, पर हम समझते हैं कि उम्र तो एक नम्बर है यदि मन मे उमंग रहे तो उसे भी मनाया जा सकता है.
ऊपर पहुंच कर इस तरह के नदी के झरने को बहते देख कर मन पुलकित हो गया. मुझे, गंगोत्री और यमुनोत्री के उद्गम स्थल के दर्शन करने का सौभाग्य मिला है पर यह जल प्रपात उनसे किसी भी तरह से कम नहीं था. फ़र्क इतना ही है कि यहां कोई धार्मिक आस्था नहीं थी, और यह पूरी तरह प्राकृतिक नजारा ही था. इतना स्वच्छ और निर्मल जल बिल्कुल सफेद दुग्ध की तरह दिख रहा था और उसकी साय- साय करती गूंजती आवाज़ बेहद आकर्षक थी. हम आस्थावान लोग हैं और ऐसा देख कर हम दोनों पति-पत्नी के मुँह से ओम नमः शिवाय और हर हर गंगा का स्वर ही निकल रहा था. हमे ऐसा प्रतीत हो रहा था कि हम गौमुख से गंगोत्री तक की यात्रा पर निकले हैं.
इसे देख कर हमनें उतरने का मार्ग दूसरा पकड़ा जो घुमावदार छोटी छोटी पगडंडियों से Brienz झील की तरफ आ रहा था और Gheesback Fall.
वैसे तो स्विटजरलैंड के चप्पे-चप्पे पर दिलचस्प प्राकृतिक नजारे हैं जो दिलों दिमाग़ को प्रभावित करते हैं पर घिसबाक झरने का दृश्य तो बिल्कुल ही अलग है. Brienz जहां के गेस्ट हाउस में हम ठहरे थे, से मात्र 15 किलोमीटर सड़क मार्ग पर गाड़ी से चल कर हम यहां पहुंचे. गाड़ी खड़ी की और लगभग 400 फीट ऊंचाई तक ट्रैकिंग कर हम इस स्थान पर पहुंचे. बेशक हल्की-फुल्की बूंदा बांदी हो रही थी और मौसम भी कुछ ठंडा था पर सुहावना था. रास्ता भी घुमावदार और पत्थरों से बना था यानी की सुगम नहीं था, परंतु हमारे उत्साह में कोई कमी नहीं थी.
हम सपरिवार केदारनाथ और वैष्णो देवी की भी चढ़ाई चढ़े हैं, तब हम दोनों युवा थे परन्तु अब उम्र का भी अह्सास था, पर हम समझते हैं कि उम्र तो एक नम्बर है यदि मन मे उमंग रहे तो उसे भी मनाया जा सकता है.
ऊपर पहुंच कर इस तरह के नदी के झरने को बहते देख कर मन पुलकित हो गया. मुझे, गंगोत्री और यमुनोत्री के उद्गम स्थल के दर्शन करने का सौभाग्य मिला है पर यह जल प्रपात उनसे किसी भी तरह से कम नहीं था. फ़र्क इतना ही है कि यहां कोई धार्मिक आस्था नहीं थी, और यह पूरी तरह प्राकृतिक नजारा ही था. इतना स्वच्छ और निर्मल जल बिल्कुल सफेद दुग्ध की तरह दिख रहा था और उसकी साय- साय करती गूंजती आवाज़ बेहद आकर्षक थी. हम आस्थावान लोग हैं और ऐसा देख कर हम दोनों पति-पत्नी के मुँह से ओम नमः शिवाय और हर हर गंगा का स्वर ही निकल रहा था. हमे ऐसा प्रतीत हो रहा था कि हम गौमुख से गंगोत्री तक की यात्रा पर निकले हैं.
इसे देख कर हमनें उतरने का मार्ग दूसरा पकड़ा जो घुमावदार छोटी छोटी पगडंडियों से Brienz झील की तरफ आ रहा था और यही तो इस विशालकाय झरने ने समाना था. रास्ते में अनेक छोटे बड़े पुल थे जो बहते झरने के पानी के छिड़काव से हमें भिगो रहे थे. रास्ता बहुत ही भयानक था और था भी ऐसा कि जहां थोड़ी भी ग़लती की, वहीं गिरे. पर रब - रब करते हुए हम नीचे उतरे और इस विशाल झील के किनारे पर पहुंचे. पर अभी यात्रा खत्म नही हुई थी. अपनी गाड़ी तक वापिस जाने के लिए फिर उपर चढ़ कर नीचे उतरना था. काफ़ी जोखिम भरी यात्रा रही पर हमे खुशी और इत्मिनान था कि हम इसे पूरा करने में कामयाबी हासिल हुई.
Ram Mohan Rai.
Gheesbach , Brienz.
Switzerland.
Remarkable description. Very nice place to visit. Thanks for sharing it. Regards.
ReplyDelete