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तू न रोना कि तू है भगतसिंह की माँ

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तू न रोना कि तू है भगत सिंह की माँ 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐  सन 1965 में ,शहीद ए आज़म स0 भगत सिंह व उनके साथियो पर पहली बार एक फ़िल्म "शहीद "सिनेजगत में आई ।यह वह दौर था जब देश की आज़ादी को बचाने व उसकी रक्षा करने का जज्बा पुरे जोरो पर था ,और उनमे था अग्रणी सरताज हीरो भगत सिंह ।आर्य समाज के भजनीक शहरो ,कस्बो व गाँवो के चौराहो पर स0 भगत सिंह के गीत ,भजनों की लय पर ढोलकी ,बाजे व चिमटों के संगीत पर सुनाया करते जिनको सुनने के लिए सेंकडो की भीड़ एकत्रित होती थी । मेरा परिवार  स्वतन्त्रता संग्राम ,कांग्रेस व आर्य समाज से जुड़ा हुआ था ,इसलिए सभी को शाम ढलते ही  जल्दी खाना बनाने व खाने के बाद इन कार्यक्रमों में जाने का जनून होता था । स0 भगत सिंह के परिवार का आर्य समाज से जुड़ाव की गाथा सब से ज्यादा प्रभावित करती कि किस प्रकार उनके दादा स0 अर्जुन सिंह ने आर्य समाज के प्रवर्तक  स्वामी दयानंद सरस्वती से दीक्षा लेकर समाज सुधार का काम किया  था । उनके पिता स0 किशन सिंह व चाचा स0 अजीत सिंह     ने देश की आज़ादी के लिए सजाए काटी । भगत सिंह की माँ तथा बहनो की तरफ स...

जिया को विनम्र श्रद्धांजलि

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श्रीमती केसरदेवी माली आज 94 वर्ष की अवस्था मे अनन्त में विलीन हो गयी ।     वैसे तो वह एक सहज ,सरल व गुमनाम जीवन जीने वाली महिला थी परन्तु एक महिला क्या कर सकती है ,उसकी एक साकार प्रतिमूर्ति थी ।     उनका जन्म सन 1927 में तत्कालीन उदयपुर (राजस्थान) के नाथद्वारा कस्बे में शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था । पिता तुलसीदास एक साधारण किसान थे व माता एक बहुत ही साधारण महिला । वे अपने माता-पिता की तीन बेटियाँ थी लाली बाई , कमला देवी और सबसे छोटी वह खुद केसर ।पूरा परिवार ही तिलकायत वैष्णव सम्प्रदाय का आस्थावान मतावलम्बी । ठाकुर की पूजा ,आरती व सेवा ही उनका सर्वोपरि कर्त्तव्य था । घर भी श्री नाथद्वारा मंदिर के बिल्कुल सटा हुआ था ।  दिन में आठ बार ज्योही दर्शन के लिये द्वार खुलते ,पूरा परिवार ही दर्शन लाभ करता । घर में भी ठाकुर जी का विग्रह विराजमान था । बाकी समय उसी लड्डू गोपाल जी को साकार रूप मान कर उनकी सेवा -पूजा ।उनके लिए यह ही एक अनिवार्य शिक्षा थी जो उन्होंने सीखी थी । कस्बे में कोई स्कूल भी नही था और फिर लड़कियों के लिये इसका नाम भी लेना एक गुनाह था     ...

पूरी दुनिया मे मनाई गई दीदी निर्मला देशपांडे की पुण्यतिथि

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*स्व0 निर्मला देशपांडे जी की पुण्यतिथि पूरी दुनियां में मनाई गई -एक रिपोर्ट* 🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️👏🏵️👏        स्व0 दीदी निर्मला देशपांडे जी की   त्रेहवी पुण्यतिथि पर कोरोना के संकट के बावजूद अनेक स्थानों पर अनेक कार्यक्रम आयोजित किये गए । इनमें सर्वधर्म प्रार्थना ,पुष्पांजलि एवम जरूरतमन्द लोगो को राशन वितरण प्रमुख रहा । देश में कश्मीर से कन्याकुमारी तक  लगभग हर हिस्से में उन्हें श्रद्धाजंलि अर्पित की गई । सोशल मीडिया के फेसबुक ,व्हाट्सएप ,ब्लॉगर पर अनेक चित्रों ,समाचारों को दर्शाया गया । भारत से बाहर नेपाल ,बांग्लादेश एवम पाकिस्तान में भी कोरोना की अनेक पाबंदियों के बावजूद उन्हें श्रद्धांजलि देने के संक्षिप्त कार्यक्रम हुए ।            नेपाल: गांधी ग्लोबल फैमिली ,नेपाल की ओर से काठमांडू में स्व0 दीदी के चित्र पर  पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें याद किया गया। दीदी के अनन्य साथी श्री सूर्य भूषाल एवम श्रीमती पार्बती भंडारी ने अपने अनेक साथियो सहित उन्हें याद किया ।         बांग्लादेश :  गांधी ...

विश्व शांति की पुरोधा दीदी निर्मला देशपांडे

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*01 मई को 13 वीं पुण्यतिथि पर विशेष* 🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️ *बहन ,साथी और गुरु दीदी निर्मला देशपांडे* (राम मोहन राय)    देश- विदेश के अपने प्रशंसकों, साथियों तथा अनुयायियों में 'दीदी' के नाम से प्रख्यात निर्मला देशपांडे का जन्म 17 अक्टूबर ,1929 को नागपुर (महाराष्ट्र) में प्रसिद्ध चिंतक ,मनीषी व राजनेता माता-पिता श्रीमती विमला बाई देशपांडे तथा श्री पुरुषोत्तम यशवंत देशपांडे के घर हुआ था। उनके पिता जहां इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर सुशोभित रहे, वहीं स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भारत की संविधान सभा के सदस्य रहे। माता भी मध्य भारत प्रांत की सरकार में मंत्री पद पर आसीन रहीं। बाद में देशपांडे  दंपत्ति ने राजनीति को सदा- सदा के लिए त्याग कर समाज सेवा तथा साहित्य सृजन का महत्वपूर्ण कार्य किया। परिवार में प्रारंभ से ही इतना खुलापन था कि कम्युनिस्ट नेता ई.वी.एस.    नम्बदूरीपाद, श्रीपाद अमृत डांगे, समाजवादी नेता श्री राम मनोहर लोहिया,श्री अच्युत पटवर्धन, आर. एस. एस. के संस्थापक डॉ हेडगवार ,कांग्रेस नेता पंडित जवाहरलाल नेहरू,...

त्यागमूर्ति महात्मा हंसराज

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*त्यागमूर्ति महात्मा हंसराज* (लेखक डॉ धर्मदेव विद्यार्थी)              महात्मा हंसराजजी को भारतीय शिक्षा के पुनरुद्वारक के रूप में सदा याद किया जायेगा। इन्होने अपना जीवन शिक्षा के लिए अर्पण कर दिया। जिस शिक्षणालय के माध्यम से इन्होने भारतीय  पुनर्जागरण का शंख बजाया,वह आज  विशाल वट वृक्ष की भान्ति  विस्तार करके भारत का सबसे बड़ा शिक्षा संस्थान बन गया है, जिसका नाम डी.ए.वी. कॉलेज प्रबन्ध समिति है। महात्माजी डीएवी स्कूल के प्रथम प्राचार्य बने और तत्पश्चात् अपनी लोकप्रियता के बल पर इस डीएवी कॉलेज प्रबंध समिति के प्रधान भी बने। आपने नेतृत्व में इस संस्थान ने स्थान-स्थान  पर डी.ए.वी. विद्यालय और महाविद्यालय खोले।        महात्मा हंसराज का जन्म पंजाब के जिला होशियारपुर के  बजवाड़ा   गाँव में 19 अप्रैल 1864 को हुआ था। इनके पिता काम लाला चुन्नी लाल था  तथा  माता का नाम श्रीमती गणेशी देवी था । इनकी माता बड़ी धर्मपरायण  महिला और कुशल गृहिणी थी। बालक हंसराज के जन्म के साथ  गऊ सेवा का अद...

हम ईसाई भी हैं !

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*हम ईसाई भी है*  Merry Christmas *ईस्बा!            संत विनोबा भावे ने अपनी ऐतिहासिक व आध्यात्मिक कश्मीर यात्रा के दौरान अनेक प्रश्नों व भ्रांतियों का निराकरण सहज में ही कर दिया । जब वे वेदो और उपनिषदों के मन्त्र ,गीता के श्लोक धाराप्रवाह बोलते तो लोग उनसे पूछते की क्या आप हिन्दू है ? क्योंकि नाम व पहनावे से तो नही लगते । जब कुरान शरीफ़ की आयतें बोलते व उनका तरजुमा करते तो लोग पूछते, क्या   क्या आप मुसलमान है ? पर नाम से तो नही लगते । और फिर जब वे बाइबिल के सरमन बोलते, तो लोगों का सवाल होता कि क्या आप क्रिस्तान है ? भाषा और खानपान से तो नही लगते । जब भी अपनी मस्ती में गुरबाणी का पाठ करते तो लोग ऐसा ही सवाल करते । पर हर बार विनोबा का एक ही तरह का जवाब होता ' हां मैं हिन्दू भी हूं । मुसलमान भी हूं ,ईसाई भी और सिख भी । कई लोग व्यंग्यात्मक पूछते कि क्या नास्तिक भी अथवा कम्युनिस्ट भी ,तो भी वे उसी तपाक से जवाब देते ,जी जरूर मैं नास्तिक भी हूं और कम्युनिस्ट भी ।  मेरी गुरु माँ और संत विनोबा की मानस पुत्री दीदी निर्मला देशपांडे इसे बहुत ही रो...

का0 राजेश्वर राव को उनकी पुण्यतिथि पर स्मरण

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*का0 राजेश्वर राव को विनम्र श्रद्धांजलि* ! 9 अप्रैल के दिन आज हम ख्यातिप्राप्त कम्युनिस्ट लीडर , प्रसिद्ध स्वतंत्रता सैनानी,चिंतक व लेखक श्री चंद्र राजेश्वर राव की पुण्यतिथि पर हम उन्हें स्मरण कर रहे है । उनका जन्म आन्ध्रप्रदेश (वर्तमान तेलंगाना)के कृष्णा ज़िला में एक बड़े किसान परिवार में हुआ दि0  6 जून ,1914 को हुआ । बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में उनकी शिक्षा दीक्षा हुई और फिर वे अंग्रेज़ी दासता के खिलाफ आज़ादी की लड़ाई में शामिल हो गए । अनेक वर्षों तक जेल में रहे और भारत की आज़ादी के बाद भी एक नए भारत के निर्माण के लिये जिसमे कोई भूखा ,नँगा व बेकार नही होगा , लग गए । तेलंगाना में किसानों के सशस्त्र संघर्ष जो उनकी ही बिरादरी व वर्ग के अन्याय के खिलाफ था ,उसका नेतृत्व किया । और बाद में कम्युनिस्ट पार्टी के एक कुलवक्ति कार्यकर्ता बन के पार्टी के शीर्षस्थ नेतृत्व में शामिल हुए । इस दौरान उन्हें सौभाग्य रहा अजय घोष, एस ए डांगे, भूपेश गुप्त , ए जी अधिकारी , समर मुखर्जी , इंद्रजीत गुप्त जैसे महान चिंतकों व प्रखर नेताओ के साथ काम करने का । वे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के 22 वर्षो तक लगातार म...