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Our pilgrimage to Shantiniketan in the Centenary year of Tagore's visit of China (Hindi - English)

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यात्रा का वजूद: एक विचारधारात्मक और सांस्कृतिक संगम यह यात्रा कई विचारधारात्मक, सामाजिक और सांस्कृतिक धागों से बुनी गई है, जो अलग-अलग पृष्ठभूमियों और अनुभवों से जुड़े लोगों को एक साझा लक्ष्य की ओर ले जाती है। यह यात्रा न केवल एक भौगोलिक सफर है, बल्कि विचारों, संस्कृतियों और इतिहास के प्रति गहरी समझ और प्रतिबद्धता का प्रतीक है। इस यात्रा के पीछे की कहानी कई चरणों में विकसित हुई है, जिसमें युवाओं की ऊर्जा, विचारकों का मार्गदर्शन और ऐतिहासिक घटनाओं की प्रासंगिकता शामिल है।  1. युवाओं की विचारधारात्मक प्रतिबद्धता इस यात्रा की शुरुआत दो युवा साथियों, "अर्चिष्मान राजू** और **नंदिता चतुर्वेदी**, के साथ हुई। दोनों ही राजनीतिक और सामाजिक रूप से वैचारिक प्रतिबद्धता रखते हैं। उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा अमेरिका के फिलाडेल्फिया में प्राप्त की और वहां **Saturday Free School** से जुड़े। यह संस्था विश्व प्रसिद्ध विचारक और अफ्रीकी-अमेरिकी नेता **डॉ. एंथनी मोंटेरो** के नेतृत्व में काम करती है। डॉ. मोंटेरो के सानिध्य में उन्होंने अपनी वैचारिक समृद्धि को और गहराई से विकसित किया।   ...

Our trip to the land of Rabindranath Tagore (Traveling is my destiny) Train yatra to Shantiniketan

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*शांतिनिकेतन के लिए रेलगाड़ी का सफ़र * कोलकाता की भागदौड़ भरी जिंदगी से कुछ पल की राहत पाने के लिए हमने अपना अगला पड़ाव शांतिनिकेतन तय किया। यह यात्रा न केवल एक नए स्थान की खोज थी, बल्कि मन को शांति और प्रकृति के साथ जुड़ने का एक अवसर भी था। हमने पहले से ही हावड़ा स्टेशन से बोलपुर तक की ट्रेन की आरक्षण करवा ली थी, ताकि यात्रा सुविधाजनक और आरामदायक रहे। सुबह 8.30 बजे, बिमल शर्मा जी हमें लेने अपनी कार के साथ पहुंचे। उनकी मदद से हम समय पर हावड़ा स्टेशन की ओर रवाना हो गए। हावड़ा पुल को पार करते हुए हम स्टेशन पर पहुंचे, जहां प्लेटफॉर्म नंबर 12 से हमने अपनी ट्रेन पकड़ी। रेल यात्रा हमेशा से ही एक सुखद अनुभव रही है, और यह यात्रा भी कुछ खास थी। इस ट्रेन की खासियत यह थी कि इसमें न केवल खाने-पीने की चीजें बेचने वाले थे, बल्कि कुछ विक्रेता प्रसिद्ध लेखकों और साहित्यकारों की किताबें भी बेच रहे थे। वे किताबों की विषय वस्तु और उनकी खासियत को बताते हुए यात्रियों को आकर्षित कर रहे थे। इसके अलावा, ट्रेन में कुछ लोक गायक भी मौजूद थे, जो स्थानीय वाद्ययंत्रों के साथ रबीन्द्रनाथ टैगोर के गीत और ...

Our trip to the land of Rabindranath Tagore. My friend Comrade Mohd Salim

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मोहम्मद सलीम: एक सच्चे मित्र और प्रतिबद्ध नेता मोहम्मद सलीम जी से मेरी मित्रता लगभग 28 वर्षों से है, जब वे राज्य सभा के सदस्य और सीपीआईएम (CPI(M)) संसदीय दल के नेता थे। उनके व्यक्तित्व और कार्यशैली ने हमेशा मुझे प्रभावित किया है। वे न केवल एक कुशल राजनेता हैं, बल्कि एक सच्चे मित्र और सहयोगी भी हैं।   दीदी निर्मला देशपांडे जी, जो एक प्रखर समाजसेवी और गांधीवादी विचारधारा की प्रतिनिधि थीं, उनके साथ भी मोहम्मद सलीम जी के गहरे संबंध थे। दीदी उन्हें प्यार से "रेड गांधी" कहकर बुलाती थीं, जो उनके प्रति उनके स्नेह और सम्मान को दर्शाता है। यह संबंध केवल राजनीतिक नहीं था, बल्कि मानवीय मूल्यों और सामाजिक सरोकारों पर आधारित था।   जब भी मैं कोलकाता गया, मोहम्मद सलीम जी ने मेरे ठहरने और खाने की व्यवस्था का पूरा ध्यान रखा। उनकी मेहमाननवाजी और सहजता ने हर बार मुझे उनके और करीब ला दिया। आज उनसे औपचारिक रूप से मिलने उनके कार्यालय गया, जहाँ उन्होंने गांधी ग्लोबल फैमिली (Gandhi Global Family) के कार्यों के लिए अपनी शुभकामनाएं प्रेषित कीं। उनका यह स्नेह और समर्थन ह...

Our trip to the birthplace and Museum of Raja Ram Mohan Roy (Traveling is my destiny)

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Visit of Raja Ram Mohan Roy Birthplace and Museum.  मेरे पिता मास्टर सीताराम और माता सीता रानी सैनी, महात्मा गांधी के अनन्य अनुरागी थे और उनके व्यक्तित्व की प्रेरणा से वे स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुए. महर्षि दयानन्द के मिशन आर्य समाज के प्रति उनकी निष्ठा एवं समर्पण शब्दातीत था. वे व्यवहार में लोकतांत्रिक और धर्म निरपेक्ष, कार्यो और सेवा में सामाजिक कार्यकर्ता थे. इसी वज़ह से उन्होंने अपनी चारों संतानों के नाम प्रसिद्ध समाज सुधारक हस्तियों पर रखे जैसे मेरा नाम ब्रह्मो समाज के संस्थापक राजा राम मोहन राय के नाम पर.    आज हम ने उनके कोलकाता स्थित घर एवं म्युजियम के घर में आए और उसे देख कर धन्य हो गए.     राजा राम मोहन राय का जन्म 22 मई 1772 को बंगाल के राधा नगर में हुआ। वे एक महान समाज सुधारक, शिक्षाविद् और धार्मिक विचारक थे, जिन्होंने भारतीय समाज में कई महत्वपूर्ण परिवर्तनों की नींव रखी। उनका जीवन और कार्य न केवल उनके समय के लिए महत्वपूर्ण थे, बल्कि आज भी हम उन्हें एक प्रेरणा स्रोत के रूप में देखते हैं।   राजा राम मोहन राय ने सती प्रथा के ...

Dargah Hz boo Ali shah kalandar Panipat

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Hazrat Bu Ali ( Fragrance of Ali) Qalandar Wrote Hayderum,Qalandrum, Mustam Banda-e-Murtuza Ali Hastum Peshwa-e-Tamaam Rindan Num Kay Sagae kuo-e-Sher-e-Yazdan Num Translation: I am Haideri (a follower of Haider, aka Ali ibn Abi Talib), I am a Qalandar and I am intoxicated (with inspiration). I am a servant of Ali Murtaza (aka Ali ibn Abi Talib) I am leader of all saints Because I am a dog of the lane of “Allah’s Lion” (referring to Maula Ali Murtaza)    His real name was Sheikh Sharf Uddin and Bu-Ali Shah the title. His father, Sheikh Fakhar Uddin was a great scholar and saint of his time. The mother, Bibi Hafiza Jamal, was the daughter of Maulana Syed Nemat Ullah Hamdani. His father came from Ganja, Azerbaijan in the year 600 Hijri and settled down in Panipat. His lineage with several links reached Hazrat Imam Abu Hanifa. One account says he was born in 1209 AD in Panipat, India. However an epitaph on his tomb in Persian gives his birthplace as Ganja in present-d...

Our trip to the land of Rabindranath Tagore /Meeting with Ms Uma Das Gupta

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उमा दास गुप्ता भारतीय इतिहासकार और शोध लेखिका के रूप में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। उनका कार्य विशेष रूप से गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर के जीवन, उनके कार्यों और दर्शनों पर केंद्रित है। उन्होंने इस महान व्यक्तित्व की जटिलताओं और गहराइयों को समझने के लिए कई पुस्तकें लिखी हैं, जो न केवल साहित्यिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक अध्ययन के लिए भी अत्यंत उपयोगी हैं। हाल ही में, गांधी ग्लोबल फैमिली के प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने उमा दास गुप्ता से बंगाल क्लब में मुलाकात की। इस विशेष अवसर पर एक लंच का आयोजन किया गया था, जिसमें उमा दास गुप्ता ने महात्मा गांधी और गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर के बीच के पारस्परिक संबंधों पर विस्तृत चर्चा की। उनकी बातचीत में यह स्पष्ट हुआ कि दोनों महान विभूतियों के विचारों में गहरी समानताएँ थीं, जो मानवता के प्रति उनके दृष्टिकोण को दर्शाती थीं। उमा दास गुप्ता की ज्ञान और अनुभव ने उपस्थित सदस्यों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनकी बातों से ऐसा प्रतीत हुआ जैसे हम सभी ने एक साथ अनेक पुस्तकों का अध्ययन किया हो। उन्होंने जिस प्रकार से टैगोर और...

our trip to the land of Rabindranath Tagore. - 1

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Our trip to the land of Rabindranath Tagore.  (Traveling is my destiny)     कोलकाता आने का यह मेरा चौथा अवसर था.   इससे पहले दो बार मैं, दीदी निर्मला देशपांडे जी के साथ यहां आया था और सन 2018 में ढाका (बांग्लादेश) जाते हुए यहां दो दिन रुका था. इस बार फिर मुझे  बंगाल आने का अवसर मिला है और इस बार सबसे ज्यादा चाहत इस बात की थी कि हम गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर द्वारा स्थापित शांतिनिकेतन में जाएं और वहां गुरुदेव की चरण रज को अपने माथे पर लगाए. इस शुभ अवसर पर यहां आने का जो अवसर मिला वह मेरे लिए हमेशा यादगार रहेगा.     आज शाम 4:30 बजे हमारी दिल्ली से कोलकाता तक की फ्लाइट थी. इसके लिए हमें पानीपत से चलना था और हम अपनी सहूलियत के अनुसार यहां से 11:00 बजे निकलना चाहते थे, परंतु मेरे सहकर्मी एडवोकेट  विदुर, जो कि मेरे प्रिय मित्र बलिंदर सिंह के सुपुत्र हैं तथा जिनके दादा कामरेड रघुवीर सिंह चौधरी के साथ मुझे काम करने का अवसर मिला है,  आग्रह था कि उनके द्वारा निर्मित लाइब्रेरी और एक सभागृह जिसका निर्माण  उत्तर प्रदेश के एक गांव...