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Meeting with Dr. G. G. Parikh, 101 years old: A Hero of the Freedom Struggle, Ardent Socialist, and Gandhian Inspiration

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डॉ. जी. जी. पारिख,101 वर्षीय (स्वतंत्रता संग्राम के नायक, प्रखर समाजवादी और गांधीवादी प्रेरणा के स्रोत) से मुलाकात.    ●डॉ. गोविंद गणेश पारिख, जिन्हें 'जी. जी.' के नाम से जाना जाता है, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के उन जीवंत नायकों में से एक हैं, जिन्होंने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अपने जीवन को गांधीवादी और समाजवादी सिद्धांतों के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित कर दिया। 101 वर्ष की आयु में भी उनकी मानसिक प्रखरता, विचारों की स्पष्टता और सामाजिक बदलाव के प्रति उत्साह युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। हाल ही में उनके निवास पर हुई मुलाकात एक अविस्मरणीय अनुभव रहा, जहां उनकी जीवटता और गांधीवादी विचारधारा के प्रति अटूट निष्ठा स्पष्ट रूप से झलकी। यह लेख डॉ. पारिख के जीवन परिचय, उनके स्वतंत्रता संग्राम और सामाजिक कार्यों के योगदान के साथ-साथ उनकी मुलाकात में हुई बातचीत को प्रमुखता देता है।    ● जीवन परिचय; डॉ. जी. जी. पारिख का जन्म 30 दिसंबर, 1923 को हुआ। बचपन से ही वे स्वतंत्रता संग्राम और गांधीवादी विचारधारा से प्रभावित थे। मात्र आठ वर...

A meaningful meeting with Mahatma Gandhi's great-grandson "Tushar Gandhi" /04.08.2025

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■मुंबई प्रवास: तुषार गांधी के साथ एक सार्थक मुलाकात: ●मुंबई, भारत की आर्थिक राजधानी और सांस्कृतिक नगरी, हमेशा से अपने जीवंत इतिहास और प्रेरणादायक व्यक्तित्वों के लिए जानी जाती है। हाल ही में मेरे मुंबई प्रवास के दौरान एक ऐसी मुलाकात हुई, जो न केवल मेरे लिए, बल्कि मेरे साथ मौजूद सभी लोगों के लिए अविस्मरणीय रही। यह मुलाकात थी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पड़पोते डॉ. तुषार गांधी से, जिनके साथ हमारी बातचीत ने गांधीवादी विचारधारा की वर्तमान प्रासंगिकता और भविष्य की संभावनाओं को नए आयाम दिए। इस लेख में मैं उस मुलाकात के अनुभव, विचार-विमर्श और गांधीवादी दर्शन की वैश्विक पहुंच के बारे में विस्तार से साझा करूंगा। ●मुलाकात का परिदृश्य:    मुंबई के यूसुफ मेहर सेंटर में यह मुलाकात तय थी। मेरे साथ मेरी पत्नी कृष्णा कांता, गांधी सेवक जयंत दीवान, और कुतुब किदवई भी थे। मुलाकात का समय दोपहर 2 बजे तय था, लेकिन हम कुछ जल्दी पहुंच गए, जिसके कारण हमारी बातचीत समय से पहले शुरू हो गई। यह अनौपचारिक शुरुआत ही बातचीत को और अधिक सौहार्दपूर्ण और गहन बना गई। तुषार गांधी, जो गांधी प...

Our visit to Mumbai University/02.08.2025

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मुंबई विश्वविद्यालय की एक यादगार यात्रा: गांधी दर्शन, शैक्षणिक वैभव और क्रांतिकारी प्रेरणा     आज का दिन मेरे और मेरी पत्नी कृष्णा कांता के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव लेकर आया। हम मुंबई विश्वविद्यालय पहुंचे, जहां कुछ छात्रों ने हमें आमंत्रित किया था। उनका आग्रह था कि हम विश्वविद्यालय में भारतीय और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के विद्यार्थियों से मिलें और महात्मा गांधी तथा गांधी ग्लोबल फैमिली के विचारों पर चर्चा करें। इस यात्रा ने न केवल हमें शैक्षणिक उत्कृष्टता का दर्शन कराया, बल्कि क्रांतिकारी हस्तियों के नाम पर बने हॉस्टलों के माध्यम से भारत के स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरणा भी प्रदान की।  विश्वविद्यालय की स्थापना और इसका ऐतिहासिक महत्व: मुंबई विश्वविद्यालय की स्थापना 18 जुलाई 1857 को हुई थी, जब भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार को बॉम्बे एसोसिएशन द्वारा सर चार्ल्स वुड की याचिका प्रस्तुत की गई थी। यह विश्वविद्यालय यूनाइटेड किंगडम के लंदन विश्वविद्यालय के मॉडल पर स्थापित किया गया था, जिसका उद्देश्य भारत में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देना था। यह भारत के पहले तीन वि...

Visit of August Kranti Maidan ,Mumbai/25.07.2025

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अगस्त क्रांति मैदान और तेजपाल हॉल: स्वतंत्रता संग्राम की स्मृतियों की एक जीवंत यात्रा     मुंबई की सैर मेरे लिए हमेशा से एक रोमांचक अनुभव रही है, लेकिन इस बार की यात्रा मेरे दिल में हमेशा के लिए बस गई। यह यात्रा थी अगस्त क्रांति मैदान और गोकुलदास तेजपाल हॉल की, दो ऐसे ऐतिहासिक स्थानों की, जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को न केवल देखा, बल्कि उसे आकार भी दिया। इस यात्रा में मेरे साथी थे सामाजिक कार्यकर्ता जयंत दीवान, जिन्हें मैं "जीवंत विश्वकोश" कहना पसंद करूंगा। उनके 50 वर्षों के अनुभव और कहानियों ने इस यात्रा को और भी जीवंत बना दिया।  अगस्त क्रांति मैदान: जहां गूंजा "करो या मरो" का नारा जब हम ग्रांट रोड पश्चिम, दक्षिण मुंबई की ओर बढ़े, तो अगस्त क्रांति मैदान का दृश्य हमारे सामने था। पहले इसे  गोवालिया टैंक मैदान कहा जाता था, क्योंकि यहां गायों को नहलाया जाता था। मराठी में "गो" यानी गाय और "वाला" यानी मालिक—नाम सुनते ही पुराने मुंबई की तस्वीर आंखों के सामने आ जाती है। लेकिन यह मैदान केवल गायों की कहानी नहीं कहता। 8 अग...

Visit of Kanheri Caves ,Sanjay Gandhi National Park, Mumbai/01.08.2025

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आज की शाम मुंबई के संजय गांधी नेशनल पार्क की यात्रा के साथ एक अनमोल अनुभव लेकर आई। शहर की भागदौड़ से दूर, हरे-भरे जंगल और शांति की गोद में यह यात्रा एक ताज़ा हवा के झोंके की तरह थी। दोपहर बाद करीब  चार बजे मैं और मेरी पत्नी पार्क के मुख्य द्वार पर पहुंचा। ठंडी हवा और पक्षियों की चहचहाहट ने स्वागत किया।  पार्क का मुख्य आकर्षण कांजुरमार्ग गुफाएं, जिन्हें स्थानीय रूप से 'कान्हेरी गुफाएं' कहते हैं, मेरी सूची में सबसे ऊपर थीं। इन गुफाओं तक पहुंचने के लिए पार्क के घने जंगल से होकर एक छोटी ट्रेकिंग करनी पड़ी। सुविधाजनक बस सेवा भी उपलब्ध है रास्ते में ऊंचे-ऊंचे पेड़, रंग-बिरंगे फूल और कभी-कभार दिखने वाले छोटे जानवरों ने मन मोह लिया। खासकर बन्दरों और उनकी उन्नत प्रजाति के  काले मुहँ और लम्बी पूंछ के बन्दरों ने .एक स्थान पर तो वे एक दीवार पर एक लाइन में दीवार की पिछली तरफ पूंछ लटकाये बैठे थे. हम डरे भी क्योंकि वृंदावन का हमारा दूसरा ही अनुभव था पर ये सिर्फ खाने की चीजों पर ही झपटते थे न किसी अन्य वस्तु पर.     कान्हेरी गुफाएं दूसरी...

जयंत दीवान से दोस्ती

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■मुंबई सर्वोदय मण्डल के ग्रांट रोड कार्यालय की यात्रा और जयंत दीवान से एक प्रेरक मुलाकात.   मुंबई के हृदयस्थल ग्रांट रोड पर स्थित बॉम्बे सर्वोदय मण्डल का कार्यालय गांधीवादी विचारधारा का एक जीवंत केंद्र है, जो शांति, अहिंसा और सामाजिक समरसता के सिद्धांतों को समर्पित है। हाल ही में इस कार्यालय में जाना और वहां के व्यवस्थापक श्री जयंत दीवान से मिलना मेरे लिए एक अविस्मरणीय और सौभाग्यशाली अनुभव रहा। यह स्थान न केवल गांधीवादी दर्शन का प्रतीक है, बल्कि यह उन लोगों के लिए एक प्रेरणा स्रोत भी है जो सामाजिक परिवर्तन और आत्मनिर्भरता के मार्ग पर चलना चाहते हैं। इस लेख में मैं इस स्थान का संक्षिप्त परिचय, यहां उपलब्ध सेवाएं, और जयंत दीवान जी के व्यक्तित्व, उनके कार्यों, और उनकी पुस्तकों का उल्लेख करूंगा।    बॉम्बे सर्वोदय मण्डल, जिसकी स्थापना गांधीवादी सिद्धांतों के प्रचार-प्रसार के लिए की गई थी, ग्रांट रोड के 299, तरदेव रोड, नाना चौक पर स्थित है। यह स्थान गांधीवादी विचारधारा के अध्ययन, प्रचार और अभ्यास का एक प्रमुख केंद्र है। इस कार्यालय को सरकार से प्राप्त करने में मेरी...

गेटवे ऑफ इंडिया: एक ऐतिहासिक यात्रा का संस्मरण

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गेटवे ऑफ इंडिया: एक ऐतिहासिक यात्रा का संस्मरण   मुंबई, यह शहर न केवल भारत का आर्थिक केंद्र है, बल्कि इतिहास और संस्कृति का एक जीवंत ताना-बाना भी है। आज, 28 जुलाई 2025 की सुबह, मैं और मेरी पत्नी कृष्णा कांता और बहन कुतुब एक ऐसी यात्रा पर निकले, जिसका मकसद केवल गेटवे ऑफ इंडिया या ताजमहल होटल की भव्यता देखना नहीं था, बल्कि उस स्थान को महसूस करना था, जहां से भारत के इतिहास की कई महत्वपूर्ण कहानियां शुरू और खत्म हुईं।   सुबह से ही मुंबई में रिमझिम बारिश का आलम था। बारिश का मौसम मुंबई की पहचान है, और इस शहर की फिजा में कुछ ऐसा जादू है कि बूंदों की सरसराहट के बीच भी हर कोना जीवंत लगता है। बारिश की वजह से हमारा मन थोड़ा डगमगाया, लेकिन कुतुब का जोश और हौसला ऐसा था कि उसने मुझे इस ऐतिहासिक यात्रा के लिए प्रेरित कर दिया। उसने कहा, "बारिश तो मुंबई की शान है, और गेटवे को बारिश में देखने का मजा ही कुछ और होगा।" उसकी बात मानकर हम निकल पड़े।   जब हम गेटवे ऑफ इंडिया पहुंचे, तो वहां का नजारा देखते ही बनता था। समुद्र के किनारे खड़ा यह विशाल स्मारक अपनी भव्यता और ऐति...