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शोली भाई साहब (28.08.2024-19.12.2024)

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मेरे बड़े भाई श्री मन मोहन बहादुर(शोली भाई) का जन्म 28 अगस्त, 1933 को पानीपत में हुआ था. उनके अलावा हम दो भाई मदन मोहन (राना) और मैं( कुक्कू) तथा एक बहन अरुणा(मुन्नी) भी थे . इनमें भाई साहब सबसे बड़े और मैं सबसे छोटा था. उनमें और मेरी उम्र में 24 साल का अन्तर था. हमारे माता- पिता ने अपनी चारों संतान का पालन पोषण बिना किसी भेदभाव के किया. बड़े भाई साहब ने जैन हाई स्कूल, पानीपत से ही अपनी पढ़ाई पूरी की और फिर वहीं कार्यालय में कार्यरत रहे तथा बाद में सिविल कोर्ट, रोपड़ में चयनित हो गए और बाद में इसी विभाग में कार्यरत रहते हुए सुपरिटेंडेंट के पद से सेवा निवृत हुए.  उनका विवाह पहाड़ी धीरज, दिल्ली के एक प्रतिष्ठित व्यक्ति चौधरी प्रभु सिंह की सुपुत्री विद्या देवी से हुआ जिनसे उनके दो पुत्र नवीन और नितिन तथा दो पुत्रियों अंजू और गुड्डू ने जन्म लिया. वे अंत तक चंडीगढ़ में ही रहे. कुछ वर्ष पूर्व उनके छोटे पुत्र नितिन का भी एक सड़क एक्सीडेंट में निधन हो गया और लगभग आठ वर्ष पूर्व हमारी भाभी भी इस दुनिया से चली गई. उनका बड़ा पुत्र नवीन चौधरी और पौत्र अंकित अब हाई कोर्...

Gharana Wetland, R. S. Pura /11.12.2024

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  वेटलैंड, घराना की यात्रा आज हमारा जम्मू में तीसरा दिन था, और हम अपने मित्र रोबिन गिल एवं उनकी पत्नी रूथ के साथ वेटलैंड घराना जाने का कार्यक्रम बना रहे थे। यह जगह आरएस पुरा के नजदीक स्थित है और इस समय यहाँ हजारों पक्षियों का आगमन होता है।      बेशक दोपहर के एक बज चुके थे फिर भी हमने अपनी यात्रा की शुरुआत की। रोबिन और रूथ ने हमें बताया कि वेटलैंड घराना एक अद्भुत जगह है, जहाँ विविधता से भरे पक्षियों का साक्षात्कार किया जा सकता है। हमने नाश्ता किया और फिर कार में बैठकर वेटलैंड की ओर रवाना हुए। रास्ते में हमने जम्मू के खूबसूरत दृश्यों का आनंद लिया, जो पहाड़ों और हरियाली से भरे हुए थे।   वेटलैंड पहुँचते ही हमने देखा कि यह जगह कितनी मनमोहक है। यहाँ का वातावरण शांत था, और चारों ओर पानी से भरी झीलें थीं। जैसे ही हम आगे बढ़े, हमें दूर-दूर तक फैले हुए पक्षियों के झुंड दिखाई दिए। यहाँ कई प्रकार के प्रवासी पक्षी आए हुए थे, जैसे कि बगुले, बत्तखें, और कई अन्य रंग-बिरंगे पक्षी।    हमने दूरबीनों ली  और पक्षियों का अवलोकन करना शुरू किया। श्रीमती ज्योत...

सुचेत गढ़ बॉर्डर - एक पुल दोनों देशों के बीच/11.12.2024

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सचेत गढ़: एक पुल दोनों देशों के बीच जम्मू से लगभग 35 किलोमीटर दूर आरएस पुरा कस्बे के निकट स्थित सचेत गढ़ भारत-पाकिस्तान बॉर्डर, न केवल एक भौगोलिक सीमांकन है, बल्कि यह दो देशों की जनता के बीच की भावनाओं और संबंधों का प्रतीक भी है। इस वर्ष, जब हम प्रसिद्ध अभिनेता, लेखक और निर्देशक राज कपूर की जन्म शताब्दी मना रहे हैं, यह स्थान और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। राज कपूर का जन्म सियालकोट में हुआ था, जो सचेत गढ़ से मात्र 11 किलोमीटर दूर है। एक समय था जब भारत और पाकिस्तान एक थे, और सियालकोट, जम्मू और आरएस पुरा जैसे क्षेत्र आपस में घनिष्ठता से जुड़े हुए थे। गुलाबगढ़ स्टेशन से गाड़ी सियालकोट की ओर बढ़ती थी, और लोग एक-दूसरे के साथ व्यापार, सामाजिक और पारिवारिक संबंधों में लिपटे रहते थे। लेकिन समय ने सीमाओं को खींच दिया, जिससे इन संबंधों में दरार आ गई। हालांकि, आज भी नागरिक स्तर पर लोगों की यह इच्छा है कि वीजा फ्री बॉर्डर बने ताकि दोनों देशों के लोग एक-दूसरे से मिल सकें। अल्लामा इकबाल, जो दोनों देशों के लिए एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक प्रतीक हैं, ने अपने ...

राज कपूर - ख्वाजा अहमद अब्बास और पानीपत

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राज कपूर और ख्वाजा अहमद अब्बास: एक अद्वितीय साझेदारी इस वर्ष प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता, निर्देशक और भारतीय फिल्म जगत के महान व्यक्तित्व राज कपूर का जन्म शताब्दी वर्ष है। उनका जन्म 14 फ़रवरी 1924 को सियालकोट, पाकिस्तान में हुआ था। राज कपूर के पिता पृथ्वीराज कपूर एक महान अभिनेता थे, जिन्होंने भारतीय सिनेमा में अपनी अद्वितीय प्रतिभा का प्रदर्शन किया। राज कपूर ने अपने करियर में कई यादगार फिल्में बनाई और भारतीय सिनेमा को एक नई दिशा दी। वहीं, ख्वाजा अहमद अब्बास का जन्म 7 जून 1914 को पानीपत, हरियाणा में हुआ। उनके नाना ख्वाजा अल्ताफ हुसैन हाली एक प्रसिद्ध शायर थे, जिन्होंने अपने लेखन के माध्यम से साहित्य जगत में महत्वपूर्ण स्थान बनाया। ख्वाजा अहमद अब्बास प्रगतिशील लेखक संघ के संस्थापकों में से एक रहे और उनके विचारों का प्रभाव उनके लेखन में स्पष्ट दिखाई देता है। उन्होंने न केवल उपन्यास और निबंध लिखे, बल्कि फ़िल्मों के लिए भी पटकथाएं और संवाद लिखे। राज कपूर और ख्वाजा अहमद अब्बास के बीच का संबंध गहरा और महत्वपूर्ण था। दोनों ने मिलकर कई सफल फ़िल्में बनाई, जिनमें 'आग' (1948), '...

बांग्लादेश मे अल्पसंख्यकों पर हमले और हम

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बांग्लादेश के एक मेरे मित्र जो इत्तेफाक से मुस्लिम है, ने मुझे एक मैसेज भेज कर वहाँ हो रहे घटनाक्रम पर चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि दुर्भाग्यवश उनके देश में बढ़ती संकीर्ण कट्टरता के कारण हिंदू अल्पसंख्यक भयभीत हैं। उनका यह भी कहना है कि अल्पसंख्यकों की संपत्ति और धर्मस्थलों पर लगातार हमले हो रहे हैं तथा इस्कॉन के एक प्रचारक दास की गिरफ्तारी तथा उनके वकील पर हमले ने इस घटनाक्रम को और अधिक गंभीर बनाया है। मेरे एक अन्य मित्र ने भी मुझे इसी तरह का एक मैसेज सोशल मीडिया पर फॉरवर्ड किया है कि वहाँ न केवल भारतीय ध्वज बल्कि भारत के राष्ट्रगान जो कि स्वयं गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर द्वारा स्वलिखित है, उसको भी अपमानित किया जा रहा है। अपने ही देश के प्रगतिशील साहित्यकारों, कलाकारों और सुविख्यात सामाजिक हस्तियों के उनके ही घरों मे बने म्युजियम को तहस- नहस कर जलाया जा रहा है और पूरे देश में इस्लामिक सरिया कानून को लागू करने की मांग जोर पकड़ती जा रही है और जब संजीदा लोग इसका प्रतिवाद करते हैं तो वे भारत में हिंदू राष्ट्र की मांग का हवाला देते है. पूरे देश में भारत विरोधी माहौल एक आग ...

डॉ वेद प्रताप वैदिक - एक दिव्य विभूति

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डॉ. वेद प्रताप वैदिक: एक दिव्य विभूति डॉ. वेद प्रताप वैदिक एक ऐसी अद्वितीय विभूति थे, जिन्होंने साहित्य, पत्रकारिता और सामाजिक क्षेत्र में अपनी विशेष पहचान बनाई। उनका योगदान न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी महत्वपूर्ण रहा। मैं उन्हें बचपन से जानता हूं और उनके लेखों के माध्यम से हमेशा उनके विचारों से प्रभावित होता रहा हूं। विशेष रूप से जब उन्होंने "हिंदी अपनाओ" आंदोलन की शुरुआत की और जंतर मंतर पर धरने पर बैठे, तब मेरी रुचि उनके प्रति और बढ़ गई। एक आर्य समाज के कार्यकर्ता के नाते, मैंने उनकी गतिविधियों को बहुत ध्यान से देखा और समझा। डॉ. वैदिक एक राष्ट्रवादी थे, जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन राष्ट्रीय भावनाओं को समर्पित किया। उनका उदार व्यक्तित्व, खुली सोच और अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण उनकी प्रतिभा को और अधिक निखारते थे। मेरी उनसे पहली मुलाकात स्वामी अग्निवेश जी के कार्यालय में हुई थी। स्वामी अग्निवेश और डॉ. वैदिक के बीच न केवल विचारों की निकटता थी, बल्कि वे आर्य समाज के क्षेत्र में भी घनिष्ठ मित्र थे। डॉ. वैदिक ने पाकिस्तान जाकर तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज ...

महात्मा गांधी के विचारों का भारतीय संविधान पर असर

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महात्मा गांधी का भारतीय संविधान पर असर महात्मा गांधी, जिन्हें राष्ट्रपिता के रूप में जाना जाता है, ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपनी अद्वितीय भूमिका के साथ-साथ भारतीय संविधान के निर्माण में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके विचार और सिद्धांतों ने भारतीय संविधान को आकार देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।  ▎गांधी जी का दृष्टिकोण गाँधी जी ने अपने जीवन में हमेशा सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों का पालन किया। उनका मानना था कि लोकतंत्र केवल एक राजनीतिक प्रणाली नहीं है, बल्कि यह एक नैतिक और सामाजिक व्यवस्था भी है। उन्होंने कहा, "हमारे देश के पास राजशाही, एकतंत्र प्रजातंत्र और गणराज्य का अनुभव है। हमें पश्चिम और अन्य देशों का अन्धानुकरण नहीं करना चाहिए।" उनके इस दृष्टिकोण ने भारतीय संविधान को एक विशेष दिशा दी, जिसमें केवल राजनीतिक अधिकारों की बात नहीं की गई, बल्कि सामाजिक न्याय और मानवाधिकारों पर भी जोर दिया गया।    2 अप्रैल, 1947 को दिल्ली में आयोजित एशियन देशों के एक सम्मलेन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि " मैं आशावादी हूं यदि आप सभी अपने दिलों को ...