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पानीपत की गलियां-23. (जगन्नाथ मन्दिर से अमर अमर भवन चौक तक)

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पानीपत की गलियां-23 ( जगन्नाथ मन्दिर से अमर भवन चौक तक) पानीपत शहर की संकरी-संकरी गलियां न केवल इतिहास की गवाह हैं, बल्कि यहां की सांस्कृतिक और सामाजिक विरासत को भी जीवंत रखती हैं। आज हम एक ऐसे ही सफर पर निकलते हैं, जो जीटी रोड से शुरू होकर अमर भवन चौक की ओर जाता है। यह रास्ता डंगरों वाले अस्पताल के ठीक सामने से गुजरता है। इस गली में प्रवेश करते ही दाईं-बाईं तरफ हथकरघा (हैंडलूम) की दुकानें और अन्य छोटी-मोटी दुकानें नजर आती हैं, जहां स्थानीय कारीगरों की मेहनत की झलक मिलती है। इन दुकानों के बीच से गुजरते हुए, बाईं तरफ एक संकरी गली में भगवान जगन्नाथ का प्राचीन मंदिर स्थित है। यह मंदिर पानीपत के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक है। यहां न केवल अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं हैं, बल्कि ओडिशा की पुरी परंपरा के अनुरूप भगवान जगन्नाथ, उनकी बहन सुभद्रा और भाई बलराम जी की प्रमुख मूर्तियां भी स्थापित हैं। इन मूर्तियों की बनावट और पूजा-अर्चना की शैली पुरी की रथयात्रा की याद दिलाती है। मंदिर का प्रबंधन स्थानीय अग्रवाल समुदाय के लोग संभालते हैं, जो अपनी धार्मिक और सामाजिक जिम्म...

पानीपत की गलियां 22. (सुभाष बाजार रोड से किले तक)

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पानीपत की गलियां- 22  (सुभाष बाजार रोड से किले की ओर) पानीपत, हरियाणा का एक प्राचीन शहर, जो तीन ऐतिहासिक युद्धों के लिए विश्व प्रसिद्ध है, अपनी संकरी गलियों, विविध समुदायों और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है। आज हम एक ऐसे सफर पर चलते हैं जो सुभाष बाजार रोड से शुरू होकर किले की ओर बढ़ता है, और रास्ते में जुही मुड़े क्षेत्र से गुजरता है। यह सफर न केवल भौगोलिक है, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी समृद्ध है। आइए, इसे विस्तार से समझते हैं। सफर की शुरुआत: सुभाष बाजार रोड से सनातन धर्म गर्ल्स स्कूल  चौक तक: हमारा सफर सुभाष बाजार रोड से शुरू होता है, जो पानीपत के व्यस्त बाजार क्षेत्रों में से एक है। यहां से आगे बढ़ते हुए हम किले की तरफ  मुड़ते है तो  कई तरह की दुकानें शुरू हो जाती हैं। इस क्षेत्र में कुछ फास्ट फूड की दुकानें दिखाई देती हैं, जो आधुनिक जीवन की झलक देती हैं। लेकिन जैसे-जैसे हम आगे बढ़ते हैं, दाहिनी तरफ एक गली नजर आती है, जो कभी गंजो गढ़ी कहलाती थी, लेकिन अब इसका नाम रामनगर पड़ गया है। इस गली के बाहर सिख भाइ...

पानीपत की गलियां-21. (जी टी रोड से असंध रोड रेल्वे लाइन तक)

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पानीपत की गलियां-21 (जी टी रोड से असंध रोड रेल्वे लाइन तक) पानीपत की गलियों की सैर करते हुए आज हमने जी.टी. रोड के लाल बत्ती चौक से असंध रोड की ओर रुख किया। यह सैर न केवल शहर के भौगोलिक परिवेश की याद दिलाती है, बल्कि उन पुराने दिनों की सामाजिक-सांस्कृतिक और राजनीतिक जिंदगी को भी जीवंत कर देती है, जब विचारधाराएँ भले ही अलग हों, पर इंसानियत एक ही थी। ●शुरुआत की गलियाँ और बाजार: असंध रोड की शुरुआत में ही दाईं ओर कांग्रेस भवन है। इसके ठीक साथ ही मीट मार्केट है। पहले यह मार्केट अंसार चौक में शाह जी की कोठी के सामने लगती थी। बाद में इसे शिफ्ट कर कांग्रेस भवन के साथ वाली गली में लाया गया। यह गली गवर्नमेंट गर्ल्स स्कूल के साथ-साथ चलती हुई स्कूल के पिछले गेट से गुजरती है। यहीं से दो रास्ते निकलते हैं—एक सीधे असंध रोड की ओर, दूसरा बिशन स्वरूप कॉलोनी की तरफ।   कांग्रेस भवन के नीचे आज भी क्वालिटी कन्फेक्शनरी की दुकान है—वही पुरानी स्वाद वाली मिठाइयाँ, वही पुरानी यादें। ●असंध रोड का पुराना स्वरूप:  कभी यह सड़क बिल्कुल सुनसान थी। मैंने यहाँ खेत देखे हैं, जहाँ हवा में सरसों क...

पानीपत की गालियां- 20. (जी टी रोड से श्री गीता मंदिर)

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पानीपत की  गालियां- 20  (जी टी रोड से श्री गीता मंदिर)  पानीपत की गलियों में एक यादों भरी यात्रा पर निकले हम, जीटी रोड से गीता मंदिर रोड में दाखिल हुए। हमारा गंतव्य था श्री गीता मंदिर—वह पवित्र स्थल जिसकी स्थापना, आधारशिला रखने के क्षण, अनेक धार्मिक कार्यक्रमों और आयोजनों में मैं न केवल भागीदार रहा हूँ, बल्कि उसका एक प्रमुख साक्षी भी हूँ। साल था 1963-64 का, जब स्वामी गीता नंद जी महाराज पहली बार पानीपत पधारे। लम्बे, छरहरे और बेहद आकर्षक नौजवान थे वे। उनका पहला आगमन हमारे घर के ठीक पास वाली परम हंस कुटिया में हुआ। देखते ही देखते उनकी लोकप्रियता आसमान छूने लगी। हर घर में उनके शिष्य बनने की होड़ सी मच गई। ऐसा प्रतीत होता था मानो 2500 वर्ष बाद स्वयं गौतम बुद्ध पुनः पानीपत में अवतरित हो गए हों। अनेक युवा-युवतियाँ उनके शिष्य बने, और उनमें से कई तो भिक्षु-भिक्षुणी बनकर सन्यास का मार्ग अपनाने लगे। अंततः वर्ष 1964 में उन्होंने जीटी रोड पर रेलवे स्टेशन के पास इस मंदिर की नींव रखी। उस समय मंदिर के आगे रेलवे कॉलोनी थी और उसके बाद तो खेत ही खेत फैले हुए थे। आज हम उसी मंदिर ...

पानीपत की गलियां-19. (नवल सिनेमा से रेलवे रोड तक)

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पानीपत की गलियां-19 पानीपत की गलियों का सफ़र: नवल सिनेमा से रेलवे रोड तक पानीपत – वह शहर जो तीन ऐतिहासिक युद्धों की गवाही देता है, हथकरघा और टेक्सटाइल की जीवंत धड़कन है, और मेरे बचपन की अनगिनत यादों का खज़ाना। आज इस यात्रा वृत्तांत में हम शहर की उन पुरानी गलियों में घूमेंगे जो कभी मनोरंजन, संघर्ष, व्यापार और रोज़मर्रा की ज़िंदगी का केंद्र हुआ करती थीं। हमारी यात्रा शुरू होती है नवल सिनेमा (नॉवल्टी थियेटर) से, जो रेलवे रोड पर अपनी नब्बे साल पुरानी शान लिए आज भी खड़ा है, और धीरे-धीरे आगे बढ़ते हुए रेलवे स्टेशन तक का सफ़र तय करेंगे। यह सिर्फ़ एक सड़क नहीं, बल्कि पानीपत की आत्मा की एक झलक है – जहाँ इतिहास, संस्कृति और बदलते समय की कहानियाँ एक-दूसरे में गुंथी हुई हैं। नवल थियेटर: नब्बे साल पुरानी सिनेमाई विरासत रेलवे रोड की शुरुआत में ही खड़ा है नवल थियेटर, जिसे शहरवासी प्यार से नॉवल्टी कहते हैं। यह पानीपत का सबसे पुराना सिनेमा हॉल है, जिसकी नींव लगभग नब्बे वर्ष पहले (1930 के दशक में) रखी गई थी। इसे शहर के प्रसिद्ध रईस बाबू नवल किशोर गर्ग की स्मृति में उनके पुत्रों ने बनवाया था।...

पानीपत की गलियां-18.(पानीपत की यात्रा: एसडी कॉलेज रोड से अमर भवन चौक तक)

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पानीपत की गलियां-18. (पानीपत की यात्रा: एसडी कॉलेज रोड से अमर भवन चौक तक) आज हम अपनी पानीपत शहर की यात्रा की शुरुआत एसडी कॉलेज रोड से कर रहे हैं, जो शहर के दिल में बसी एक ऐतिहासिक और व्यावसायिक रूप से जीवंत सड़क है। यह यात्रा हमें अमर भवन चौक तक ले जाएगी, जहां शिक्षा, उद्योग, व्यापार और सामाजिक सरोकारों की यादें एक साथ समाहित हो जाती हैं। चलिए, इस छोटी लेकिन यादगार यात्रा को विस्तार से जीते हैं। इस यात्रा के सहयात्री बने श्री पवन कुमार सैनी, एडवोकेट.  एसडी कॉलेज: पानीपत की शैक्षणिक धरोहर यात्रा की शुरुआत होती है सनातन धर्म (एसडी) कॉलेज से, जो पानीपत का सबसे पुराना और प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान है। यह कॉलेज शहर की आर्य समाजी परंपरा का प्रतीक है, लेकिन इसकी स्थापना आर्य कॉलेज के बाद हुई। कॉलेज की नींव रखने में प्रमुख भूमिका निभाई श्री जयनारायण गोयला ने, जो पानीपत के एक मशहूर उद्योगपति और लोकप्रिय नेता थे। उन्होंने सनातन धर्म एजुकेशन सोसाइटी की स्थापना की और शहरवासियों से सहयोग जुटाकर इस कॉलेज को साकार किया। इस कॉलेज का उद्धाटन स्वामी गीता नंद महाराज के सानिध्य में चौधरी ...

पानीपत की गलियां 17. (हनुमान मंदिर चौक से अमर भवन तक)

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पानीपत की गलियां 17 हनुमान मंदिर चौक से अमर भवन तक) पचरंगा बाज़ार की सैर करते हुए हम लोग एक चौराहे पर पहुँचे। यह चौराहा चारों दिशाओं में फैले रास्तों का संगम था। सीधा रास्ता हनुमान मंदिर के सामने से गुज़रता हुआ रामधारी चौक की ओर जाता था। बाईं ओर का रास्ता दिगंबर जैन मंदिर के पास से होता हुआ इंसान चौक तक पहुँचता था। पूरब की दिशा में रास्ता अमर भवन चौक की ओर खुलता था। हमने अमर भवन वाले रास्ते को चुना और उस दिशा में चल पड़े। यह रास्ता हमारे लिए बहुत परिचित था, जैसे बचपन की कोई पुरानी गली जो दिल में बसी हो। इस रास्ते के कोने पर एक तरफ रघुबीर सैनी का पुराना मकान था, जो अब भी अपनी मजबूत दीवारों से खड़ा नज़र आता है। दूसरी तरफ खारी कुई मोहल्ला है, जिसके किनारे पर कई मकान एक लंबी कतार में खड़े हैं। इनमें से कुछ मकान खारी कुई की ओर मुड़े हुए हैं, तो कुछ इस सड़क की तरफ। थोड़ा आगे बढ़ने पर आर्य समाज के प्रमुख नेता लाला दलीप सिंह आर्य और उनके भाई जय भगवान दास आर्य के मकान आते हैं। ये दोनों भाई न केवल आर्य समाज बड़ा बाज़ार के कद्दावर नेता थे, बल्कि कई वर्षों तक प्रधान भी रहे। मेरा सौभाग्...