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Showing posts from May, 2022

पुनर्पाठ

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Inner Voice. *कामरेड डांगे का पुनर्पाठ*       गत दिवस बेंगलुरु में कुछ गैर  राजनीतिक संगठनों और व्यक्तियों द्वारा अपनी पहल पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के  संस्थापकों में से एक, प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी एवं सांसद कामरेड एस. ए . डांगे के जीवन एवं विचारों पर एक विचार गोष्ठी आयोजित की गयी। जिसमें सैंकड़ों की संख्या में  युवाओं , विद्यार्थियों, ट्रेड यूनियन नेताओं और बुद्धिजीवियों ने भाग लिया । इस कार्यक्रम में एस. ए. डांगे के जीवनकाल के कार्यो की विषद आलोचनात्मक समीक्षा की गयी। संगोष्ठी में मुख्य वक्तव्य प्रसिद्ध ट्रेड यूनियन नेता बाबा मैथ्यू तथा युवा समाजवादी चिंतक मेघना ने  रखा, जबकि इसकी अध्यक्षता....ने  की।        कामरेड श्री पाद अमृत  डांगे भारत के राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन के वह नेता रहे ,जिन्होंने अपने युवा जीवन का एक बड़ा हिस्सा  अंग्रेजी शासन की जेल में बिताया। वर्ष 1924 में  वे अनेक क्रांतिकारी  साथियो  का0 घाटे, मुजफ्फर अहमद आदि  के साथ  कानपुर बोल्शेविक षड्यंत्र केस में जेल में रहे। यह वह दौर था जब महात्मा गांधी आज़ादी के प्रमुख नायक बन चुके थे। परन्तु असहयोग आं

Pilgrimage of nonviolence

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भारत की स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के अवसर पर Saturday Free School, Pheledelphia ( USA) के तत्वाधान में  आजादी शीर्षक के अंतर्गत गांधी ग्लोबल फॅमिली के महासचिव तथा नित्यनूतन पत्रिका के मुख्य संपादक के रूप मे भाग लेने का सुअवसर प्राप्त हुआ.  इस कार्यक्रम में मेरे अतिरिक्त कुल  24 लोगों ने भाग लिया जिसमें अधिकांश विभिन्न देशों के  युवा रहे.     प्रारम्भ  में  पूर्वा चटर्जी ने मार्टिन लूथर किंग जूनियर के गांधी विचार के विभिन्न पक्षों को संजोये था, पढ़ा गया. तत्पश्चात चर्चा प्रारम्भ हुई.      भागीदारों ने बड़े ही सुन्दर ढंग से बापू के अहिंसात्मक सत्याग्रह की विवेचना की तथा उसे आज के संदर्भ तथा स्थितियों में प्रासंगिक बताया.  Non Violence or Non Existence (अहिंसा अथवा विनाश) के  सिद्धांत को संदर्भित कर महात्मा गाँधी एवं  मार्टिन लूथर किंग जूनियर  के विभिन्न उद्धरणों को प्रस्तुत किया गया.      अपनी बात रखते हुए मेने भी कहा कि यद्यपि बापू तथा किंग की उनके जीवन काल में कभी कोई मुलाकात नहीं हुई फिर भी वे  गांधी जी के सत्य व अहिंसा के प्रयोगों द्वारा भारत द्वारा प्राप्त आज़ादी को विश

Hali ki Betiyan

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حالی کی بیٹیاں۔     آج کل ہم اپنی بڑی بیٹی اور اس کے خاندان کے ساتھ امریکہ کے شہر سیٹل میں ہیں لیکن یہاں ہماری ایک اور بیٹی بھی ہے۔  بے شک ان ​​کی پیدائش لاہور (پاکستان) میں ہوئی لیکن پرورش، تعلیم وغیرہ امریکہ میں ہی ہوئی۔  2017 میں جب ہم دوسری بار امریکہ آئے تو غیر ارادی طور پر ایک میوزیم میں ان کے اہل خانہ سے ملے۔  ان کے شوہر ڈاکٹر اورنگزیب احمد ایک مشہور نوجوان سائنسدان ہیں اور یہاں کام کر رہے ہیں۔  ان کی دو پیاری بیٹیاں الیا اور نوری ہیں۔      زندگی کے کچھ نیک اعمال ہوں گے جو اس خاندان سے ملے اور پھر یہ روابط تعلقات بن گئے۔  اب حالت ایسی ہو گئی ہے کہ وہ میری حقیقی بیٹی جیسی ہو گئی ہے۔  ہر دوسرے یا تیسرے دن ہماری دوسری بیٹیوں کی طرح بلا ناگا بھی ہمارے موڈ بدلنے کے لیے فون کرتی۔  ہم دیوالی، ہولی، اپنی سالگرہ، شادی کی سالگرہ بھول سکتے ہیں، لیکن وہ ہمیں مبارکباد دینا نہیں بھولی۔     فضا کا چہرہ نہ صرف دیکھنے میں خوبصورت ہے بلکہ جسمانی شکل میں بھی اس سے بڑھ کر ہے۔  کوئی کام ایسا نہیں جس میں اسے مہارت نہ ہو۔  وہ کھانا پکانے، گھر بنانے، پینٹنگ، کڑھائی وغیرہ میں ٹاپر ہے۔  ان کے شوہر نہ صرف

हाली की बेटियां

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  हाली की बेटियां.     आजकल हम अमेरिका के सिएटल में अपनी बड़ी बेटी और उसके परिवार के साथ हैं पर यहाँ हमारी एक और बेटी भी है. बेशक उसका जन्म लाहौर (पाकिस्तान)में हुआ परंतु लालन-पालन, शिक्षा आदि अमेरिका में ही हुए. सन 2017 में जब हम दूसरी बार अमेरिका आए तो उसके परिवार से अनायास ही एक म्युजियम में मुलाकात हुई. उनके पति डॉ औरंगजेब अहमद एक विख्यात युवा वैज्ञानिक हैं तथा यहीं कार्यरत हैं. उनकी दो प्यारी-सी बेटियाँ इलिया और नूरी है.      जीवन के कोई पुण्यकर्म होंगे कि इस परिवार से मुलाकात हुई और फिर यह संपर्क समबन्ध बन गए. अब तो हालात य़ह हो गए कि वह मेरी सगी बेटी की तरह हो गयी. हर दूसरे-तीसरे दिन बिला नागा हमारी दूसरी बेटियों की तरह हमारी मिजाज़ पूरसी के लिए फोन आते. दिवाली, होली, हमारे जन्मदिन, शादी की साल गिरह को हम बेशक भूल जाए पर वह हमे विश करना नहीं भूली.     फिज़ा शक्ल सूरत से ही खूबसूरत नहीं अपितु जहनी तौर पर उससे भी बढ़ कर है . एसा कोई काम नहीं जिसमे उसे महारत न हो. कुकिंग, हाउस मेकिंग, पेंटिंग, कशीदाकारी आदि आदि सभी में वह अव्वल है. उसके पति न केवल एक साइंटिस्

श्री गणेश लाल जी माली

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*समाज रत्न, बहुमुखी प्रतिभा के धनी स्वनाम धन्य - स्वर्गीय श्री गणेश लाल माली*                                भारतीय समाज एक परंपरागत समृद्ध संस्कृति व सभ्यता से परिपूर्ण व्यवस्था है। वर्ण व्यवस्था तथा जातीय व्यवस्थाओं में यह बंटा है। ऐसा माना जाता है  कि महर्षि मनु ने वर्णो  का विभाजन जन्म से न कर  कर्म से किया था। परंतु धीरे-धीरे यह रूढ़ीगत हो गया तथा समाज पर उन जातिगत समुदायों का वर्चस्व हो गया जो सामाजिक राजनैतिक व आर्थिक दृष्टि से शक्तिशाली थे। व्यक्ति के कार्यों को उनकी जाति बना दिया गया और समाज की शोषित श्रेणी ने इसे अपनी नियति मान कर अपना जीवन यापन प्रारंभ किया ।कई ऐसी जातियों ने अपने कार्यों , प्रयोग की गई तकनीकों तथा श्रमशक्ति के माध्यम से व्यवसाय को इतना विकसित किया कि वे जातियां वर्ण का ही  पर्याय बन गई । ऐसी ही एक विकसित जाति माली समाज है जो देश के विभिन्न भागों में फैली है तथा माली ,फूल माली  सैनी, शाक्य,मौर्य, कुशवाहा, कोइरी, रेड्डी,पुष्पधब्राह्मण  ,शूर सैनी तथा अनेकों नामों से जानी जाती है तथा जिनका कार्य खेती-बाड़ी तथा बागवानी ही है । इन जातियों का मानना है

Dr Asghar Ali Engineer

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*डॉ असगर अली इंजीनियर*          जीवन में अनेक महान व्यक्तित्वो से मिलने और सीखने का सौभाग्य मिला उनमें एक नाम डा0 असगर अली इंजीनियर का भी है ।      मैने उनका नाम खूब सुना था और एक बार उनकी एक किताब धर्म और सांप्रदायिक को पढ़ने का अवसर मिला । उनकी उस पुस्तक में मेरे जीवन की सोच को बदलने का काम किया । इतिहास से जुड़े अनेक ऐसे प्रसंग एवम तथ्यात्मक विश्लेषण उसमें थे जो स्वत:ही भ्रम दूर करने का काम करते थे । इसे पढ़ने के बाद तो उनसे मिलने की ओर अधिक अभिलाषा जागृत हुई।       डा0 असगर अली इंजीनियर मुस्लिम समुदाय में एक बोहरा समुदाय से ताल्लुक रखते थे। इस  तबके में भी कर्म कांडो को लेकर अनेक विवादास्पद बाते थी और वे इन सब के सिद्दत के साथ विरोधी थे । वास्तव में वे एक सुधार आंदोलन के जनक एवम प्रवक्ता थे । वाजिब है कि इस बात के लिए उनका अपने ही समुदाय में भारी विरोध था । पर वे ठहरे एक सिधानतनिष्ठ व्यक्ति । उनके मित्र भी उन जैसे ही थे । आर्य समाज के समाज सुधारक स्वामी अग्निवेश, ईसाई समुदाय के प्रवक्ता वालसन थम्पू आदि आदि । यानी की जैसे वे खुद ऐसे ही उनके दोस्त ।       शहीद भगत सिंह शत

श्रीमद राजचन्द्र मिशन के सौजन्य से घर घर गांधी अभियान का शुभारंभ

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श्रीमद राजचन्द्र मिशन, धर्मपुर के सौजन्य से दीदी निर्मला देशपांडे जी की 14 वीं पुण्यतिथि पर हाली अपना स्कुल, पानीपत में घर घर गांधी अभियान का शुभारम्भ किया गया . इस अवसर पर मिशन द्वारा महात्मा गांधी के आध्यात्मिक गुरु श्रीमद राजचन्द्र जी महाराज के संदेश तथा चित्र से अलंकृत नोट बुक्स को विद्यार्थियों में वितरित किया गया . नोट बुक में ही महात्मा गाँधी के श्रीमद के प्रति भावों को भी अंकित किया है. जिसमें कहा है कि ज्यों ज्यों वे कविश्री के जीवन एवं लेखन को पढ़ते हैं त्यों त्यों उनका य़ह विचार परिपक्व होता है कि अपने समय के सर्वोत्तम भारतीय थे .      इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए गांधी ग्लोबल फॅमिली के महासचिव राम मोहन राय ने कहा कि बच्चों में घर घर गांधी अभियान की शुरुआत एक नए विचार एवं संस्कार को जन्म देगा. संकीर्णता के इस दौर में आपसी समझ और भाईचारा की जरूरत है जिसे श्रीमद् राजचंद्र  तथा महात्मा गांधी के विचार से ही स्थापित किया जा सकता है.  उन्होंने सुप्रसिद्ध गांधीवादी श्री सुज्ञान मोदी जी का आभार व्यक्त किया कि उनके माध्यम से ही इस अभिया