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Showing posts from July, 2022

धन निरंकार जी

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इस बार की हमारी अमेरिका यात्रा विभिन्न आयामों से परिपूर्ण है. पारिवारिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक तीनों भावनाओं से आलोकित है.     इस चित्र मे हम एक ऐसे युवा और उनकी पत्नी के साथ खड़े है जो अलौकिक मेधा बुद्धी से आलोकित है.  उनका जन्म और शिक्षा-दीक्षा अंबाला (हरियाणा) में हुई परंतु अब Seattle, Washington-USA में Microsoft कम्पनी में उच्च अधिकारी हैं.  बहुत ही संजीदा नौजवान जो शारीरिक तौर पर फुर्तीला , सामाजिक रूप से अत्यंत सक्रीय तथा आध्यात्मिक स्तर पर अत्यंत परिपक्व है.  एक ऐसा युवा जो सर्व गुण सम्पन्न है.  जिसके पास सकारात्मक ऊर्जा है तथा किसी भी काम को आगे बढ़ कर करने का रसिया है.  वास्तव मे हमारी यात्रा का तो  वह ही संयोजक है. यह युवक संत निरंकारी मिशन  का अग्रणी कार्यकर्ता हैं.  तारीफ  सुन कर बोलता है कि मैं कुछ नहीं करता जो वह परम सत्ता निरंकार मुझसे करवाती है,  उसे ही कर  देता हूं.      उनका कहना है कि मेरे लिए किसी का बस एक ही परिचय काफी है कि जब वह प्यार से धन निरंकार बोलता है.  ये शब्द ही मुझे उसका और उन्हें मेरा बना देते हैं.      ऐसे निष्काम, सेवाभावी एवं समर्पित सा

Aagaz-e-Dosti Yatra-2022

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Aagaz-e-Dosti यात्रा-2022 की तैयारी की जानकारी के लिए एक webinar का आयोजन Google Meet पर किया गया जिसका संचालन यात्रा के वरिष्ठ सदस्य श्री ऐस पी  सिंह ने किया. उन्होंने अपने वक्तव्य में विषय तथा वक्ताओं का परिचय देते हुए उनका स्वागत किया.      वार्ता में मुख्य वक्ता के रूप मे अपना वक्तव्य रखते हुए पाकिस्तान इन्टरनैशनल अकादेमी की अध्यक्ष तथा पूर्व राजनयिक डॉ. मासूमा हसन ने कहा कि पानीपत उनके पूर्वजों का शहर है जहां उनके पुरखे लगभग 750 वर्ष पहले खोरासान के हैरात से आकर बसे थे.  हज़रत बु अली शाह कलंदर तथा उनकी ही पीढ़ी के अनेक सूफ़ी संतों, दार्शनिकों तथा हाली पानीपती जैसे मशहूर शायर उनके परिवार में हुए जिन्होंने अपने जीवन,  दर्शन एवं संदेश से पूरी मानवता को आलोकित किया.  उनका जन्म बेशक पानीपत में हुआ परंतु  शिक्षा-दीक्षा दिल्ली में हुई.  बेशक आज  75 साल भारत छोड़े को हुए हैं परंतु उन्हें  अपने  बचपन की यादें भूली नहीं है. .  वे चाहती हैं कि भारत  और पाकिस्तान अच्छे पड़ोसी की ही तरह नहीं अपितु एक मजबूत भाई की तरह ही रहे.  दोनों देशों में अच्छे समबन्ध ही  न केवल  दक्षिण  एशिया म

निरंकारी संगत परिवार की प्यार और सेवा भाव

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*नित्यनूतन*           पिछले दो दिनों से हम एक ऐसे परिवार में रह रहे हैं जिनका हमारा किसी भी प्रकार का कोई समबन्ध नहीं था।  पिछले शनिवार को रेमंड में आयोजित निरंकारी संगत वे हमसे मिले और उन्होंने हमें अपने घर आने का निमन्त्रण दिया । उन्होंने कहा कि उनका घर सिएटल  से कुछ दूर टाकोमा के पार एक बहुत ही सुन्दर टापू पर स्थित एक पहाड़ी पर है । मन तो मन है जो एक तरह से ऐसी खूबसूरत जगह आना चाहता था पर कुछ दुविधा में था। घर लौट कर मैंने इस निमन्त्रण को चर्चा अपनी बेटी के परिवार से की तो उनका मानना था कि कहीं ऐसे भी होता है कि  कोई अपरिचित आपको बुलाए और  आप उनके साथ चल पड़ो।  हो सकता है कि लोक व्यवहार में वे उन्होंने आपको औपचारिकता भर बुलाया हो? पर मुझे यकीन था कि उनका बुलावा मन से है अतः मैंने तो चलने की तैयारी कर ली परंतु शंकित रहा कि कभी बच्चों की ही बात सही न  हो।     इस रविवार को वे पुनः मिले और बोले सामान पैक कर लिया चलने के  लिए। हमने अपना संशय बताया पर यह क्या वे मेरी बेटी के घर आ  गए उन्हें आश्वस्त करने और इस प्रकार अब हम उनके घर मे  पिछले दो दिन से है।    यह दंपति है इंजीनियर

Neta ji Subhash Chander Bose and Independence movement

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Saturday Free School, Pheledelphia, USA द्वारा इंडिया की आजादी की 75 वीं  जयन्ती वर्ष में Collective Reading group में  नेता जी सुभाष चंद्र बोस एवं भारतीय स्वतंत्रता संग्राम विषय पर एक संगोष्ठी आयोजित की गयी .जिसमें सर्वप्रथम पूर्वा चटर्जी ने नेता जी द्वारा भारत की आज़ादी के आंदोलन 1756-1936 के विभिन्न अध्यायों का पाठन किया गया. इसमें पलासी युद्ध से इतिहास को बताते हुए, नव जागरण, 1857 के पहली क्रांति, भारतीय राष्ट्रीय कॉंग्रेस की स्थापना, बंग-भंग , महात्मा गांधी का आगमन, सन 1917 की रूसी क्रांति का प्रभाव, प्रथम विश्वयुद्ध के बाद की स्थिति,  असहयोग आंदोलन,  हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन का अभ्युदय व उसके बाद तक के हालात का विश्लेषण किया है.  नेता जी  सुभाष चंद्र बोस ने अपनी इस पुस्तक में भारतीय राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन पर दुनियां में घटनाक्रम के असर पर भी प्रकाश डाला है कि सन 1848 की विश्व क्रांति का  1857 की क्रांति , दुनियाभर में अनेक राजनीतिक हलचलों के प्रभाव  से भारतीय राष्ट्रीय कॉंग्रेस की स्थापना,  1905 की बोएर वार ऑफ साउथ अफ्रीका तथा  रूसी क्रांति का बंग-भ

श्रम दान in wood ville by S Nirankari Mission(USA) and GGF.

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महात्मा गांधी, विश्व इतिहास के ऐसे विराट पुरुष थे जिन्होंने सत्य और अहिंसा के माध्यम से न केवल अपने देश को आजादी दिलवाने का अद्भुत कार्य किया वही सत्याग्रह के हथियार से पूरी दुनियां को शांति मय अहिंसक क्रांति का अद्भुत मंत्र दिया.  भारत में वर्तमान मे इसके कितने प्रयोग हो रहे हैं यह तो एक  महत्वपूर्ण बात है ही परंतु सुदूर अमेरिका में इसकी ध्वनि हर दम सुनाई देती है.      महात्माजी ने  सभी ज़न की शारीरिक, सामाजिक एवं आत्मिक शुद्धि के लिए 11 नियम बताए.  यह वे ही सूत्र थे जो हमारे ऋषि-मुनियों ने आदिकाल में ही बताए थे और जिसका विस्तार एवं प्रयोग बापू ने किया.     "अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य,  असंग्रह , शरीर श्रम, अस्वाद , सर्वत्र भय वर्जन,  सर्व धर्म समानत्व, स्वदेशी स्पर्श भावना, नियम व्रत निष्ठा से ये एकादश सेवय है. "      इनमे शरीर श्रम का एक व्रत अत्यंत ही महत्वपूर्ण है.  आज उसी व्रत का पालन करने का पुण्य अवसर प्राप्त हुआ और यह मौका प्रदान किया संत निरंकारी मिशन ,सियाटल द्वारा.      मिशन के अग्रणी कार्यकर्ता श्री  अमित ओबेरॉय का विशेष आग्रह था कि हम उनके युवा

Saturday Free School, 🇺🇸 and GGF celebrated 75th anniversary of India's Independence. 🇮🇳

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आज़ादी का अमृत महोत्सव                    Saturday Free School, Pheledelphia,संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा हिन्दुस्तान की आज़ादी की 75 वीं वर्षगांठ पर आयोजित आज़ादी Collective Reading कार्यक्रम के अन्तर्गत आज  डॉ डब्ल्यू इ बी डू बोयस की पुस्तक से  "यूरोप के विघटन" अध्याय का पाठ सुश्री पूर्वा चटर्जी द्वारा किया गया जिसमें अन्तरराष्ट्रीय परिदृश्य में प्रथम विश्व युद्ध से पहले तथा बाद के हालात में अश्वेत लोगों की स्थिति, उसे बेहतर बनाने के लिए संयुक्त कार्यनीति एवं संगठन बनाने  तथा डॉ बोयस की भूमिका की चर्चा की गयी थी.     तत्पश्चात सम्वर्त चटर्जी ने नेता जी सुभाष चंद्र बोस द्वारा      की भूमिका का पाठन किया.  इस लेख में नेता जी ने भारत की हजारों वर्षों की संस्कृति, सभ्यता एवं इतिहास का  विषद विश्लेषण किया है.  उन्होंने राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संदर्भों में भारत की आज़ादी के आंदोलन की व्यापक चर्चा एवं व्याख्या की है.  नेता जी का मानना था कि अंग्रेजों के आगमन के बाद पहली बार हिन्दुस्तानियों को एहसास हुआ कि उन पर किसी ने विजय प्राप्त की है तथा वे किसी विदेशी सत्ता क

Sant Nirankari Mission sangat for service of humanity and mankind.

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अपनी  USA प्रवास के दौरान आज का दिन अत्यंत महत्वपूर्ण एवं आनंददायक रहा कि सिएटल के निकट रेडमनड कस्बे के श्री शिरडी साई मन्दिर में  संत निरंकारी मिशन द्वारा  आयोजित  एक कार्यक्रम में भाग लेने का अवसर मिला.  संत निरंकारी मिशन न केवल भारत में अपितु दुनियाभर के सौ से भी अधिक देशों में मानवता की सेवा , विश्व बंधुत्व एवं आत्मिक आंतरिक चेतना के लिए अद्भुत कार्य कर रहा है.  अकेले अमेरिका में विभिन्न प्रमुख नगरों  में इसके 12 केंद्र है. कार्यक्रम संख्यात्मक तथा गुणात्मक दृष्टि से बहुत ही प्रभावित करने वाला था जिसमें गांधी ग्लोबल फॅमिली के महासचिव के तौर पर मुख्य अतिथि के रूप मे आमंत्रित किया गया था.      कार्यक्रम को संचालित करते हुए मिशन ,सियाटल के सचिव श्री अमित ओबेरॉय ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन, कार्यो एवं विचारों को बहुत ही सारगर्भित ढंग से प्रस्तुत किया.  उन्होंने गांधी ग्लोबल फॅमिली की स्थापना, उसके उद्देश्यों तथा नेतृत्व का भी परिचय दिया.  GGF के अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री गुलाम नबी आजाद की राष्ट्र निर्माण एवं गांधी विचार के प्रति उनके समर्पण

बाबु जी श्री केयूर भूषण जी

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*बाबु जी श्री केयूर भूषण*           गुरु नानक देव जी महाराज ने अपने मूल मंत्र में परमपिता परमात्मा के स्वरूप का स्मरण करते हुए उन्हें निरभऊ तथा निरवैर कहा है।      स्वामी दयानन्द सरस्वती ने कहा है कि ईश्वर के गुणों का बखान इसलिए करना चाहिए ताकि हम उससे प्रेरित होकर उन गुणों का अनुसरण करते हुए अपने जीवन मे उतारे।     मुझे अपने जीवन मे अनेक संत-महात्माओं,  सामाजिक एवं  राजनैतिक कार्यकर्ताओं तथा बुद्धिजीवियों का सानिध्य एवं संरक्षण प्राप्त करने का अवसर मिला  है.  वे सभी अपने जीवन, कार्यों एवं विचारों से इतने सम्पन्न रहे कि उनकी स्मृति मात्र से मन प्रफुल्लित हो उठता है.  ऐसे ही एक दिव्य विभूति का स्नेह पूर्ण साथ,  जीवन रूपी प्रेरणा तथा ज्ञानवर्धक वृतांत मिला जिससे मेरे सम्पूर्ण जीवन को स्पंदित किया.    वे महात्मा गांधी के परम भक्त,  संत विनोबा जी के अनुरागी तथा दीदी निर्मला देशपांडे जी के अनन्य सहयोगी ऐसा व्यक्तित्व जो अपने कृति एवं कृतित्व से गुरु नानक देव जी महाराज  के आख्यान निडर एवं निरवैर थे। एक  अद्भुत योगी जो राजनीति में होते हुए भी उसकी दल- दल से परे थे। एक कवि,  लेखक ए