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विश्व आर्य समाज

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*विश्व आर्य समाज* (Nityanootan Broadcast Service) आज का दिन आर्य समाज के इतिहास में संक्रमण का युग रहा ,जब पूरे देश के गणमान्य कार्यकर्ता प्रसिद्ध आर्य सन्यासी ,मानवाधिकार कार्यकर्ता तथा वैदिक विचारक स्वामी अग्निवेश जी के आह्वान पर जंतर मंतर रोड स्थित केरल भवन में एकत्रित हुए तथा उन्होंने प्रसिद्ध पत्रकार व मनीषी डॉ वेद प्रताप वैदिक की अध्यक्षता में पूरे दिन चली संगोष्ठी में यह निश्चय किया कि वे विश्व आर्य समाज का निर्माण करेंगे तथा एक नई विश्व व्यवस्था के निर्माण के लिये कार्य करेंगे ।     संगोष्ठी की खूबसूरती इसमे रही कि इसमें भारत के हर हिस्से से वे  प्रतिनिधि थे जो आर्य समाज के आंदोलन को इसके संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती के विचार दर्शन के अनुकूल इसे आगे ले जाना चाहते थे ।     स्वामी अग्निवेश ने अपने मुख्य वक्तव्य में अपने संघर्षमय जीवन का सजीव चित्रण करते हुए वर्तमान स्थिति में विश्व आर्य समाज की प्रासंगिकता विषय पर अपने विचार रखे ,ततपश्चात स्वामी वेदात्मवेश (महाराष्ट्र), आर्य कुमार (ओड़िसा), निर्मल कुमार शर्मा, मनोहर मानव(बिहार), श्रीमती पद...

सृजन यात्रा

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सत्यशोधक फाउंडेशन एवं देस हरियाणा पत्रिका की और से आयोजित एक सृजन यात्रा का पानीपत पहुंचने पर हाली पानीपती ट्रस्ट  तथा उनके सहयोगी अन्य संगठनों ने प्रसिद्ध उर्दू शायर तथा समाज सुधारक ख्वाजा अल्ताफ हुसैन हाली की मजार पर एक संगोष्ठी आयोजित कर स्वागत किया गया । इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि हाली पानीपती उर्दू साहित्य के पहले समीक्षक हैं, जिनका उर्दू साहित्य पर गहरा प्रभाव रहा। वह मिर्जा गालिब के अभिन्न मित्रों में से एक थे और उन्होंने अनेक विधाओं में साहित्य रचना की और अपने समाज में जागरूकता का मार्ग प्रशस्त किया। वह विश्व शांति, राष्ट्रीय एकता तथा महिला सशक्तिकरण के समर्थक थे। जिन्होंने अपने साहित्य एवं शायरी के माध्यम से समाज के  जागतिक मुद्दों को उजागर किया। यह नगर न केवल हाली की जन्मभूमि  है अपितु पुण्यभूमि भी है । हाली पानीपती ने संयुक्त पंजाब में लड़कियों का स्कूल खोलकर शिक्षा की  मशाल जलाई। युगो युगो तक उनका नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा। यात्रा के संयोजक डॉ सुभाष चंद्र ने कहा कि 29 फरवरी व 1 मार्च  को यह  सृजन यात्रा पानीपत में हजरत बू अली शाह ...

साम्प्रदायिक दंगे और उनका इलाज- सरदार भगत सिंह

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*साम्प्रदायिक दंगे और उनका  इलाज*        -  *सरदार भगतसिंह* (Nityanootan Broadcast Service) 28. 02.2020          शहीद भगत सिंह ने आजादी से पहले देश में होने वाले सांप्रदायिक दंगों पर अफसोस जाहिर करते हुए जून 1948 में "किरती" नामक अखबार में एक लंबा लेख लिखा था. उन्होंने इन दंगों के लिए नेताओं को जमकर कोसा था. आज भी उनका ये लेख बहुत मौजूं है. लगता है वही हालात आज भी बरकरार हैं. भगत सिंह पर प्रकाशित एक किताब ‘इंकलाब जिंदाबाद’ में इस लेख को संकलित कर प्रकाशित किया गया       भारतवर्ष की दशा इस समय बड़ी दयनीय है. एक धर्म के अनुयायी दूसरे धर्म के अनुयायियों के जानी दुश्मन हैं. अब तो एक धर्म का होना ही दूसरे धर्म का कट्टर शत्रु होना है. यदि इस बात का अभी यक़ीन न हो तो लाहौर के ताज़ा दंगे ही देख लें. किस प्रकार मुसलमानों ने निर्दोष सिखों, हिंदुओं को मारा है और किस प्रकार सिखों ने भी वश चलते कोई कसर नहीं छोड़ी है. यह मार-काट इसलिए नहीं की गई कि फलां आदमी दोषी है, वरन इसलिए कि फलां आदमी हिंदू है या सिख है या मुसलमान है. बस...

नागरिक मंच ,पानीपत का ज़िला प्रशासन को साम्प्रदायिक सद्भाव के लिये ज्ञापन

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 पानीपत/ 27.02.2020.नागरिक मंच ,पानीपत के तत्वावधान में एक संयुक्त प्रतिनिधिमंडल ज़िला बार एसोसिएशन के दो पूर्व अध्यक्षो सर्व श्री सूरत सिंह ,एडवोकेट तथा नकुल सिंह छौकर ,एडवोकेट, हाली पानीपती ट्रस्ट के सचिव ,राम मोहन राय ,एडवोकेट परीक्षित कुमार अहलावत, इंडियन एसोसिएशन ऑफ लॉयर्स के अध्यक्ष श्री पवन सैनी , राम रतन सैनी, भगत सिंह से दोस्ती मंच के संयोजक दीपक कथूरिया, जनवादी महिला समिति की सह सचिव उपासना वशिष्ठ , माता सीता रानी सेवा संस्था की उपाध्यक्ष नीलम तागड़ा, मजदूर नेता जय भगवान व राजू डाहर , व जतिन चावला , जन कल्याण  सोसाइटी के अध्यक्ष सरदार सतपाल सिंह चौहान , नेम   चंद जैन के नेतृत्व में अतिरिक्त उपायुक्त सुश्री प्रीति आई ए एस से उनके कार्यालय में मिला तथा उन्हें एक ज्ञापन देश मे हो रही हिंसक वारदातों के विरोध में दिया व मांग की कि हम राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और अन्य स्थानों में फूटी साम्प्रदायिक हिंसा से व्यथित और दुखी हैं तथा वहाँ हुए नकारात्मक घटनाक्रम पर अपनी चिंता और कन्सर्न व्यक्त करते हुए ज़िला पानीपत में शांति, सद्भाव और न्याय के लिए निम्नोक्त अपेक्षायें ...

सबको सन्मति दे भगवान

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सबको सन्मति दे भगवान! 💐💐💐💐 (Nityanootan Broadcast Service)  सोशल मीडिया एवम अन्य समाचारों से खबरें आ रही है कि दिल्ली में साम्प्रदायिक हालात ठीक नही है तथा दंगे होने की स्थिति है । कुछ कह रहे है हिन्दू भारी पड़ेंगे और कुछ मुस्लिमों को  । यह भी समाचार है कि नागरिकता कानून के पक्ष -विपक्ष के लोगों का झगड़ा है जो उन्माद का रूप ले रहा है ।        एक शांति सैनिक होने के नाते मेरा कोई बहुत ज्यादा अनुभव तो नही है ,परन्तु मैने 1982 से 1984 तक के सिख विरोधी माहौल व दंगो को न केवल देखा है अपितु शांति के लिये काम भी किया है । उस समय के दंगों में न तो हिन्दू दंगाई थे और न ही सिख । हां उन्माद जरूर तैयार किया गया था जिसे असमाजिक तत्वों ,लुटेरों तथा शरारती लोगों ने अंजाम दिया । ये तत्व किस धर्म के थे इसकी न तो आज तक किसी ने कोई खोज खबर की और न ही उन्हें पकड़ कर सजा दिलवाई गयी । नेता जरूर गिरफ्त में आये और वे आज भी लम्बी और सुस्त कानूनी प्रक्रिया के कारण बाहर मौज मस्ती कर रहे है । इस बारे में दो राय नही की इन दंगाइयों को पूरी तरह से राजनीतिक संरक्षण प्राप्त था । ...

पाकिस्तान नही , जनता की दोस्ती ज़िंदाबाद ।

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*भारत-पाकिस्तान जनता की दोस्ती ज़िंदाबाद* । 💐💐💐💐💐💐💐 (Inner voice/ Nityanootan Broadcast Service)          *पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा लगाना न केवल नासमझी है अपितु निंदनीय भी है । इसे लगा कर इसे अंतरराष्ट्रीय वाद के चश्मे से देखना और अपनी उदार दृष्टि और व्यापकता का परिचय देना कदापि नही हो सकता । बेशक हम दोनों देशों की जनता के बीच बेहतर दोस्ताना सम्बन्धो के प्रबल समर्थक है पर इसका मायना यह बिल्कुल भी नही है कि पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने लगे ।यह एक उकसावे के अतिरिक्त कुछ भी नही है । अंध राष्ट्रवाद का मुकाबला किसी भी तरह के अंध अंतरराष्ट्रीय वाद से नही हो सकता ।  किसी भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर जाकर आप बेशक किसी की भी ज़िंदाबाद के नारे लगाओ पर किसी भी जगह अपनी उदारता को, जो बेशक सस्ती लोकप्रियता है का प्रदर्शन करने को समर्थन नही किया जाना चाहिए*।   *अगर कोई नागरिकता कानून का विरोध करने के लिये पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे का उपयोग करे तो यह उसकी नादानी है । ऐसा करके वह उन्हीं ताकतों का अपरोक्ष समर्थन कर रहा है जिन्होंने इस कानून को बना कर प...
कस्तूरबा गाँधी के 76वें निर्वाण दिवस पर  निर्मला देशपांडे संस्थान, सेक्टर 25 स्थित हाली अपना स्कूल के विद्यार्थियों द्वारा बा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए सर्वधर्म प्रार्थना का पाठ किया गया व मौन रखा गया। इस अवसर पर स्कूल की मुख्य अध्यापिका श्रीमती प्रिया लूथरा ने कहा कि कस्तूरबा गांधी जी जिन्हें बा के नाम से जाना जाता है, वह नागरिक हक के लिये  लड़ने वाली भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थी। उनका जन्म 11 अप्रैल 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उनका विवाह उस समय की परंपराओं के अनुसार 13 वर्ष की आयु में ही मोहनदास करमचंद गांधी के साथ हो गया था ।परंतु महात्मा गांधी जी की पत्नी होने के अलावा उनकी अपनी भी एक पहचान थी। वह एक दृढ़ आत्मशक्ति वाली महिला व स्वतंत्रता सेनानी थी। उनके गंभीर स्वभाव के कारण सभी उन्हें बा कहकर  पुकारते थे। उन्होंने भी गांधीजी की तरह गरीब और पिछड़े वर्ग के लिए कार्य किया। दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों को काम कराने के विरुद्ध आवाज उठाने वाली कस्तूरबा ही थी। इसके विरुद्ध संघर्ष करते हुए  उन्हें जेल भी जाना पड़ा। स्वतंत्रता की लड़ाई  करते हुए जब महात...