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We love you and miss you Jia

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*जीया (मेवाड़ी में माँ के लिये प्रयुक्त उदबोधन/मेरी सासु माँ)* को यह वायदा करते कि वे पानीपत आएंगी, 37 वर्ष हो गए थे। जीया, श्रीमती केसर देवी पत्नी स्वर्गीय श्री गणेश लाल माली, पूर्व सांसद, उदयपुर,( राजस्थान) ने अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को बहुत ही अच्छे ढंग से निभाया। जब वह आठ साल की बालिका थी, तभी उनका विवाह मेरे ससुर श्री गणेश लाल माली के साथ नाथद्वारा में हुआ था। लगभग अर्द्ध शताब्दी से ज्यादा वक्त तक वह उनकी जीवन संगिनी बनी रही। वर्ष 1992 में उनके पति के देहांत के बाद भी उन्होंने अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को बदस्तूर जारी रखा। चार बेटियों और दो बेटों के परिवारों को एकजुट करने की हर सफल कोशिश की।     राजस्थान के मेवाड़ क्षेत्र में दामादों को कंवर साहब कह कर संबोधित करते हैं।  एग्रीकल्चर प्रधान हरियाणा में रहने वाले मुझको तो यह मेवाड़ी कल्चर अजीब सा लगता था। पर जब भी कोई मुझे कंवर  साहब कहकर संबोधित करता तो मुझे खूब खुशी होती।        प्रतिवर्ष दो बार तो अपने ससुराल उदयपुर जाने का मौका मिलता था। स्कूली छात्रों की तरह ही वकीलों की छुट्टियो...

Aruna Asif Ali

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अरुणा आसफ अली के जन्म दिवस 16 जुलाई को उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि (nityanootan.com) 💐💐💐💐💐💐💐💐अरुणा जी से वायदा 👊👊👊👊👊👊👊👊👊 माता -पिता के कांग्रेस व स्वतन्त्रता आंदोलन में सक्रिय होने की वजह से परिवार में अरुणा आसफ अली का नाम श्रद्धा व सम्मान से लिया जाता था ।पिता जी जब भी देशभक्ति व वीरता की कोई मिसाल देते तो अरुणा आसफ अली का नाम जरूर लेते ,यही कारण था कि उन्होंने मेरी बड़ी बहन का नाम 'अरुणा 'रखा ।वे हमे  उनकी जीवन गाथा भी बताते कि किस तरह 1942 के भारत छोडो आंदोलन में ,मुम्बई के परेड ग्राउंड में अनेक बेतहाशा पाबंदियों के बावजूद भी अँगरेज़ सैनिको व सिपाहियो को चकमा देकर उन्होंने तिरंगा फहराया था व अपनी गिरफ्तारी दी थी । हमारे परिवार के लिए वे एक आदर्श थी ।         अब एक अवसर आया जब मै दिल्ली गया और वहाँ कृष्णा राजिमवाले के माध्यम से बहादुर शाह ज़फर मार्ग स्थित उनके पायनियर /लिंक  के दफ्तर में उनसे मिलने का । मैने उनको श्री दीप चंद्र निर्मोही द्वारा इंदिरा जी पर लिखी पुस्तक 'विश्व की सर्वाधिक संघर्षशील महिला ' भेंट करते हुए अपने शहर पानीपत आने...

मेरी आपा

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Zubaida Nomani ज़ुबैदा का परिवार 1947 में विभाजन के समय पानीपत से लाहौर जाकर बस गया था । उनके पिता अब्दुल रब अब्बासी मेरे पिता मास्टर सीताराम सैनी के विद्यार्थी थे । वे मेरे पिता से जैन हाई स्कूल ,पानीपत में उर्दू, अरबी व फ़ारसी पढ़ते थे । सन 1997 में आदरणीय दीदी निर्मला देशपाण्डे जी के प्रयासों से वे 50 वर्षो बाद, परिवार सहित अपने पैतृक नगर पानीपत आये । ज़ुबैदा का विवाह हज़रत बू अली शाह क़लन्दर के वर्तमान सज्जादानशीन आबिद आरिफ नौमानी जो पेशे से इंजीनियर है ,उनसे हुआ था । उनकी पानीपत यात्रा के दौरान रिश्ते ऐसे बने की हम भाई-बहन बने ।       वर्ष 2014 में ज़ुबैदा कैंसर रोग से पीड़ित हुई । पता चलने पर मैं उनकी मिजाजपुर्सी के लिये लाहौर उनके घर गया । इतिफाक से वह महीना रमज़ान का था । मैने भी अपनी बहन की सेहत की दुआ करते उनके साथ वहीं रोज़ा रखा और फिर वहीं इफ्तारी की ।     दुआ कबूल हुई । मेरी बहन ज़ुबैदा अब पूर्ण स्वस्थ है । उन्होंने आज ही यह चित्र पुरानी यादों को संजो कर भेजा है ।

भारत-नेपाल सम्बन्ध

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*Inner Voice* (Nityanootan Broadcast Service) *भारत -नेपाल के बीच बेहतर सम्बन्धों के लिये संवाद जरूरी हमारे पड़ोसी देश नेपाल की संसद द्वारा कल अपने नक्शा सम्बन्धी पारित प्रस्ताव से दोनों देशों के बीच टकराहट की गूंज सुनाई देने लगी है । हर नेपाली नागरिक अपनी संसद ,संविधान व सम्प्रभुता का उसी तरह सम्मान करता है जैसे कि हर भारतीय करता है । उसमें संशोधनों व नया कानून कई बार इतना लोकप्रिय अथवा आलोचनात्मक होता है जिसे बहुमत तो पसंद करता है , परन्तु अल्पमत उससे स्वयं को भयभीत महसूस करता है जो कि स्वभाविक भी है ।     नेपाल हमारा पड़ोसी देश ही नही अपितु अनेक मामलों में हमारे जैसा ही है। हमारे सांस्कृतिक , सामाजिक व पारिवारिक सम्बन्ध तो है ही, इसके अतिरिक्त भावनात्मक सम्बन्ध भी है । पर ऐसा नहीं है कि ऐसे सम्बन्ध हमारे इसी पड़ोसी देश से है। पाकिस्तान ,बांग्लादेश तथा बर्मा तो एक समय मे  एक ही देश थे । इसके विपरीत नेपाल न तो कभी भी हमारा हिस्सा रहा ,न ही ईस्ट इंडिया कंपनी व ब्रिटिश साम्राज्य का ग़ुलाम। सन 1816 में तत्कालीन कम्पनी सरकार और नेपाल शाही के कुछ समझौते हुए जिनकी बुनिया...

तू न रोना कि तू है भगतसिंह की माँ

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तू न रोना कि तू है भगत सिंह की माँ 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐  सन 1965 में ,शहीद ए आज़म स0 भगत सिंह व उनके साथियो पर पहली बार एक फ़िल्म "शहीद "सिनेजगत में आई ।यह वह दौर था जब देश की आज़ादी को बचाने व उसकी रक्षा करने का जज्बा पुरे जोरो पर था ,और उनमे था अग्रणी सरताज हीरो भगत सिंह ।आर्य समाज के भजनीक शहरो ,कस्बो व गाँवो के चौराहो पर स0 भगत सिंह के गीत ,भजनों की लय पर ढोलकी ,बाजे व चिमटों के संगीत पर सुनाया करते जिनको सुनने के लिए सेंकडो की भीड़ एकत्रित होती थी । मेरा परिवार  स्वतन्त्रता संग्राम ,कांग्रेस व आर्य समाज से जुड़ा हुआ था ,इसलिए सभी को शाम ढलते ही  जल्दी खाना बनाने व खाने के बाद इन कार्यक्रमों में जाने का जनून होता था । स0 भगत सिंह के परिवार का आर्य समाज से जुड़ाव की गाथा सब से ज्यादा प्रभावित करती कि किस प्रकार उनके दादा स0 अर्जुन सिंह ने आर्य समाज के प्रवर्तक  स्वामी दयानंद सरस्वती से दीक्षा लेकर समाज सुधार का काम किया  था । उनके पिता स0 किशन सिंह व चाचा स0 अजीत सिंह     ने देश की आज़ादी के लिए सजाए काटी । भगत सिंह की माँ तथा बहनो की तरफ स...

जिया को विनम्र श्रद्धांजलि

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श्रीमती केसरदेवी माली आज 94 वर्ष की अवस्था मे अनन्त में विलीन हो गयी ।     वैसे तो वह एक सहज ,सरल व गुमनाम जीवन जीने वाली महिला थी परन्तु एक महिला क्या कर सकती है ,उसकी एक साकार प्रतिमूर्ति थी ।     उनका जन्म सन 1927 में तत्कालीन उदयपुर (राजस्थान) के नाथद्वारा कस्बे में शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था । पिता तुलसीदास एक साधारण किसान थे व माता एक बहुत ही साधारण महिला । वे अपने माता-पिता की तीन बेटियाँ थी लाली बाई , कमला देवी और सबसे छोटी वह खुद केसर ।पूरा परिवार ही तिलकायत वैष्णव सम्प्रदाय का आस्थावान मतावलम्बी । ठाकुर की पूजा ,आरती व सेवा ही उनका सर्वोपरि कर्त्तव्य था । घर भी श्री नाथद्वारा मंदिर के बिल्कुल सटा हुआ था ।  दिन में आठ बार ज्योही दर्शन के लिये द्वार खुलते ,पूरा परिवार ही दर्शन लाभ करता । घर में भी ठाकुर जी का विग्रह विराजमान था । बाकी समय उसी लड्डू गोपाल जी को साकार रूप मान कर उनकी सेवा -पूजा ।उनके लिए यह ही एक अनिवार्य शिक्षा थी जो उन्होंने सीखी थी । कस्बे में कोई स्कूल भी नही था और फिर लड़कियों के लिये इसका नाम भी लेना एक गुनाह था     ...

पूरी दुनिया मे मनाई गई दीदी निर्मला देशपांडे की पुण्यतिथि

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*स्व0 निर्मला देशपांडे जी की पुण्यतिथि पूरी दुनियां में मनाई गई -एक रिपोर्ट* 🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️👏🏵️👏        स्व0 दीदी निर्मला देशपांडे जी की   त्रेहवी पुण्यतिथि पर कोरोना के संकट के बावजूद अनेक स्थानों पर अनेक कार्यक्रम आयोजित किये गए । इनमें सर्वधर्म प्रार्थना ,पुष्पांजलि एवम जरूरतमन्द लोगो को राशन वितरण प्रमुख रहा । देश में कश्मीर से कन्याकुमारी तक  लगभग हर हिस्से में उन्हें श्रद्धाजंलि अर्पित की गई । सोशल मीडिया के फेसबुक ,व्हाट्सएप ,ब्लॉगर पर अनेक चित्रों ,समाचारों को दर्शाया गया । भारत से बाहर नेपाल ,बांग्लादेश एवम पाकिस्तान में भी कोरोना की अनेक पाबंदियों के बावजूद उन्हें श्रद्धांजलि देने के संक्षिप्त कार्यक्रम हुए ।            नेपाल: गांधी ग्लोबल फैमिली ,नेपाल की ओर से काठमांडू में स्व0 दीदी के चित्र पर  पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें याद किया गया। दीदी के अनन्य साथी श्री सूर्य भूषाल एवम श्रीमती पार्बती भंडारी ने अपने अनेक साथियो सहित उन्हें याद किया ।         बांग्लादेश :  गांधी ...