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आस्तिक नेहरू पद्य पुस्तक की समीक्षा

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 शिक्षिका श्रीमती सुषमा गुप्ता के माध्यम से सन 1968 में प्रकाशित उनके पिता श्री गोपालदास गुप्त की पद्य पुस्तक "आस्तिक नेहरू" को पढ़ने का अवसर मिला । कविताओं का विषय एवम भावाव्यक्ति इस तरह रोचक रही कि एक ही बार मे पूरी की पूरी उनकी कविता के सभी छंदों को  पढ़ गया ।       श्री गुप्त न केवल लोकतांत्रिक सिद्धान्तों को समर्पित रहे वहीं शांति ,एकता ,भाईचारे एवम समता के प्रबल पक्षधर रहे । जिनकी निष्ठा की पूर्ण अभिव्यक्ति इन 10 कविताओं में है ।गांधी-विनोबा विचार से वे सरोबार है । नेहरु-इंदिरा की पंचशील , विश्वशांति एवम गुटनिरपेक्षता की नीतियों के वे न केवल समर्थक ही नही अपितु प्रचारक भी रहे । डॉ ज़ाकिर हुसैन उनके लिए एक महामहिम राष्ट्रपति ही नही अपितु महात्मा गांधी के महान सुयोग्य शिष्य रहे जो बुनियादी तालीम के माध्यम से एक नए भारत के निर्माण के लिए क्रियाशील थे ।      पुस्तक की भाषा इतनी सरल एवम भक्तिपूर्ण है कि हर सुधि पाठक को प्रेरित करती है ।     राष्ट्रकवि श्री रामधारी सिंह दिनकर ने इस पुस्तक का आलेख लिख कर लेखक के प्रति न केवल अपने सम्मान की अ...

HOPE Hali open institute for peace and education

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 होप (HOPE) के शुभारंभ के अवसर पर हरियाणा शिक्षा विभाग की पूर्व अतिरिक्त निदेशक एवम प्रमुख शिक्षाविद सरोज बाला गुर ने कहा कि वर्तमान आवश्यकताओं को देखते हुए एक नए ढंग से शिक्षा के मायने तलाशने की जरूरत है । कोरोना काल मे जब स्कूल व अन्य संस्थान बंद रहे तब विद्यार्थियों ने एक शून्यता का आभास किया । ऑनलाइन शिक्षा कभी भी पढ़ाई का माध्यम नही बन सकती । हाली पानीपती ट्रस्ट ने निर्मला देशपांडे संस्थान ,पानीपत में यह एक सराहनीय पहल की है जिसका हम स्वागत करते है ।        होप की निदेशिका पूजा सैनी ने कहा कि यह संस्थान   एक नए तरह का वैकल्पिक प्रयोग है  जहां विद्यार्थी एक नए ढंग से शिक्षा ग्रहण करेंगे । इस संस्थान में शिक्षा का माध्यम बेशक पुस्तके होंगी परंतु वे विभिन्न विषयों की और विभिन्न लेखकों की होंगी। यहां बेशक टीचर्स ही पढ़ाएंगे परंतु यह सभी वास्तविक ज्ञान से व्यवहारिक ज्ञान को जोड़ेंगे । जहां शिक्षा  हूनर व ज्ञान से जुड़ी होंगी । यहां प्रबंधन भी होगा परंतु यह कोई समिति न होकर पढ़ने, पढ़ाने एवं इससे जुड़े सभी लोगों से मिलकर बनेगा । यहां एक भाषा नही...

किसान आंदोलन और युवा

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 किसान आंदोलन के हृदयंगम स्थल सिंघु बॉर्डर,दिल्ली जाने का मौका मिला। काफी चहलकदमी थी। हर एक गांव, खाप एवं किसानी समुदाय के जगह जगह या तो तंबू लगे थे अथवा ट्रैक्टर ट्रॉली पर ही घर बनाए गए थे। ये सभी जगह देश के प्रेरक किसान नेताओं के चित्रों से सुसज्जित थी। उसी समय मेरी नजर दो-तीन तंबुओं के एक बड़े समूह स्थल पर पड़ी, जहां शहीद भगत सिंह का बहुत ही आकर्षक चित्र लगा हुआ था। हम बरबस उस चित्र की ओर आकर्षित होकर वहां गए तो पाया वहां कुर्सियों पर काशीपुर (उत्तराखंड) से आई दो नवयुवतियां जोकि  आधुनिक परिवेश में ही नहीं थी ,अपितु हाव भाव में भी  थीं तथा चंडीगढ़ से आये एक युवक से बात कर रही थीं। मेरी उत्सुकता उनकी बातें सुनने की हुई कि ऐसे हालात में ये क्या बात कर रहे हैं? पर मुझे ताज्जुब हुआ कि उनकी बातचीत, का विषय सांप्रदायिकता जातीयता एवं राष्ट्रवाद था। मैं भी हौसला करके उनकी बातचीत में शामिल हो गया। उनकी बातों और तर्कों से मैं अत्यंत प्रभावित रहा। बातचीत में ही मैंने यह जानना चाहा कि वे किस संगठन से हैं अथवा किस विचारधारा से हैं तो यह पाया कि उनका किसी भी संगठन से संबंध नहीं है न ...

बालिका शिक्षा गोद लेने के लिये प्रार्थना

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  प्रियवर,  कोरोना काल  की विपरीत परिस्थितियों में भी आपके सहयोग से निर्मला देशपांडे संस्थान में चल रहे हाली अपना स्कूल ,पानीपत में भी अनेक परिवर्तन कर इसे नई सोच के साथ चलाने की प्रेरणा दी है ।     जैसा कि हम जानते है कि इसमें पढ़ने वाले अधिकांश बच्चे या तो बाल श्रमिक थे अथवा इनके माता-पिता निर्धनता के कारण उन्हें पढ़ाने में असमर्थ थे ।      लॉक डाउन के कम होने के कारण अनेक बच्चे फिर कारखानों अथवा अन्य कामो पर जाने लगे । जिस कारण पारम्परिक स्कूल चलना अब मुश्किल रहेगा । अतः निश्चय किया गया कि अब नेशनल ओपन स्कूल के माध्यम से ओपन स्कूल चलाया जाए जहां बच्चों के समयानुसार ही उन्हें पढ़ाने की व्यवस्था हो ।      पढ़ाई को काम व तकनीक से जोड़ा जाए ताकि बच्चे अपने माता-पिता की भी मदद करें ।      उनकी आयु के अनुसार ही कक्षाओं में प्रवेश हो तथा उन्हें खूब मेहनत करवा कर तैयार किया जाए ।     हमे अभी 28 बच्चों ने अप्रोच किया है जिसमे से अधिकांश लड़कियां है जो 14 वर्ष अथवा उससे ज्यादा की है तथा ओपन स्कूल से दसवीं करने की इच्छुक ...

श्री देवराज डावर

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 98 वर्षीय पारिवारिक मित्र बुजुर्ग श्री देवराज डावर से उनके निवास खैल बाज़ार ,पानीपत जाकर मिलने का अवसर मिला । श्री डावर के पिता महाशय बागमल तथा माता श्रीमती वीरां देवी पानीपत में आर्य समाज के संस्थापको में से एक थे । उनकी बहन शांता देवी ने मेरी मां श्रीमती सीतारानी सैनी के साथ मिल कर आर्य महिला समाज की स्थापना की थी ।       श्री डावर स्वयं आर्य समाज ,पानीपत के प्रधान रहे और मैं उनके साथ मंत्री इसके विपरीत मैं आर्य शिक्षण संस्थाओं का प्रबन्धक रहा तो वे उप प्रबन्धक ।      श्री डावर की इस अवस्था मे भी याददाश्त व शरीर मजबूत है तथा वे 105 वर्ष जीने की कामना करते है । कुर्वननेहव कर्माणि जिजीविछेत सम: अर्थात संसार मे सत कर्म करते हुए सौ वर्ष तक जीने की इच्छा करें । राम मोहन राय, 06.02.2021

ज़िला बार एसोसिएशन ,पानीपत के 50 वकील सिंघु बॉर्डर रवाना

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  जिला बार एसोसियशन पानीपत के 50 वकीलों  का एक जत्था किसान आन्दोलन के धरने को समर्थन देने के लिये सिन्धु बार्डर की तरफ रवाना हुआ। जत्थे का नेतृत्व जिला बार एसोसियशन के प्रधान शेर सिंह खरब , संदीप रोड आदि कर रहे हैं । पानीपत के वरिष्ठ ऐडवोकेट राम मोहन राय, किसान यूनियन के प्रधान कुलदीप सिंह जागलान , किसान नेता मुख्त्यार सिंह विर्क, जोगन्द्र  सिंह चीमा, सुनील दत्त, मिन्टू मलिक, कुलदीप राठी , भगत सिंह से दोस्ती मंच के संयोजक दीपक कथूरिया , रवींद्र सरपंच के नेतृत्व मे टोल प्लाज़ा पहुंचने पर सभी वकीलों का  फूलमालाओं और किसान- वकील एकता के नारों से स्वागत किया गया ।           जिला बार एसोसियशन के प्रधान शेर सिंह खरब ने कहा कि वकीलो ने भारतीय  राष्ट्रीय आजादी के आन्दोलन में भी बड़- चड़ कर भाग लिया था। महात्मा गांधी , सरदार पटेल, डॉ राजेन्द्र प्रसाद, स्वामी श्रदानंद, चौ चरण सिंह ये सभी वकील थे और इनमें से अधिकांश किसान आन्दोलन के माध्यम से राजनीति  में आए थे।             वरिष्ठ एडवोकेट राम मोहन राय ने कहा कि पानीप...

राष्ट्रहित सर्वोपरि

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 https://nityanootan.blogspot.com/2021/01/blog-post_28.html 🤝🤝🤝🤝🤝🤝 *राष्ट्रीय एकता सर्वोपरि* । 60 दिनों से चल रहे किसान आंदोलन के 59वें दिन 26 जनवरी, गणतंत्र दिवस के अवसर पर लाल किले पर हुई बेअदबी की घटना ने न केवल पूरे किसान आंदोलन को कटघरे में खड़ा कर दिया है वहीं इस आंदोलन की धार को भी कमजोर करने का काम किया है  आंदोलन चलते हैं। कभी उतार चढ़ाव होते हैं। यह भी जरूरी नहीं कि हर आंदोलन को जीता ही जाए और उसमें कभी भी हार ना हो ।          फूट डालो और राज करो, षड्यंत्र और घृणित कृत्य शुरू से ही शासकों के हथियार रहे हैं । क्या प्रजातंत्र में भी इन्हीं हथियारों का इस्तेमाल होगा ? आज यह चिंता का विषय है परंतु किसान आंदोलन को विचारधारा की सॉन पर अपने हथियार  को तेज कर और अधिक ढंग से लामबंद होना होगा ताकि यह किसानों को विजयी कर सके। लाल किले की घटना ने जहां किसान जत्थेबंदियों की कमी को उजागर किया है, वही सरकारी तंत्र को भी बेनकाब किया है कि वह किस तरह के हथकंडे अपनाकर शांतिपूर्ण अहिंसक आंदोलनों को समाप्त करना चाहते हैं । यदि विरोध समाप्त कर दिया गया...