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Showing posts from May, 2021

Arya Samaj today and the challenges before it-1

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 आर्य समाज की स्थापना महर्षि दयानंद सरस्वती ने सन 1875 में की थी। इसके लिए सर्वप्रथम उन्होंने इसके नियमों की रचना की और बाद में स्थानादि की व्यवस्था के प्रश्न को देखा। स्वामी जी ने आर्य समाज के नियमों में कुल 10 नियमों में संजोया तथा इसकी रचना लाहौर में अपने एक मुस्लिम मित्र डॉ रहीम खान अंसारी के निवास स्थान पर रहकर की थी ।पहले 27 नियम थे । बाद में उन्हें व्यवस्थित करके 10 नियमों में संजोया गया। जिसके छठे नियम में उन्होंने लिखा, 'संसार का उपकार करना इस समाज का मुख्य उद्देश्य है।'आर्य समाज के दूसरे नियम में स्वामी जी ने कहा कि ईश्वर सच्चिदानंद स्वरूप निराकार    आर्य समाज की स्थापना महर्षि दयानंद सरस्वती ने सन 1875 में की थी। इसके लिए सर्वप्रथम उन्होंने इसके नियमों की रचना की और बाद में स्थानादि की व्यवस्था के प्रश्न को देखा। स्वामी जी ने आर्य समाज के नियमों की रचना लाहौर में अपने एक मुस्लिम मित्र के निवास स्थान पर रहकर की थी ।पहले अनेक नियम थे । बाद में उन्हें व्यवस्थित करके 10 नियमों में संजोया गया। जिसके छठे नियम में उन्होंने लिखा, 'संसार का उपकार करना इस समाज का मुख्य उद्

भरा पूरा परिवार

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 *भरा पूरा परिवार*            हमारे एक साथी का आज संदेश था कि आपको बहुत ही दुख भरे दिन देखने पड़ रहे हैं। सोशल मीडिया में आपकी रोजाना कोई न कोई पोस्ट होती है। जिसमें आप कोई शोक समाचार लिखते हैं ।एक अन्य मित्र का कहना था कि पता नहीं और कितने संस्मरण लिखने होंगे। इन मित्रों की मुझसे बहुत ही आत्मीय सहानुभूति रही। मैं अपने मित्रों का आभार व्यक्त करता हूं कि वे मेरी वेदना को समझते हैं।            रोजाना कोई न कोई शोक समाचार देने का सिलसिला इसलिए भी है कि मेरा परिवार बहुत बड़ा है।       आज से लगभग 30 वर्ष पूर्व मेरी माता श्रीमती सीता रानी सैनी जी का निधन हुआ था। मेरे होशो हवास में परिवार में यह पहली मृत्यु थी। परंतु उस समय मुझे संतोष भी था कि माताजी लगभग 3 वर्ष तक बैड पर रही और अनेक शारीरिक कष्ट सहन किए। वह मृत्यु उनकी कष्टों से निर्वृति भी थी। इसके 7 वर्षों बाद मेरे पूज्य पिता  मास्टर सीताराम जी सैनी का निधन हुआ और उनके जाने में दो-तीन मिनट से भी ज्यादा का समय नहीं लगा। तब मन में प्रश्न उठा कि क्या मृत्यु भी इतनी जल्दी हो जाती है? माता जी को 3 साल लगे। इस हिसाब से पिताजी को भी साल डेढ़ साल

अभय संधू को श्रद्धांजलि

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 क्रांतिकारी परिवार के सदस्य तथा महान स्वतंत्रता सेनानी डॉ गया प्रसाद कटियार के सुपुत्र श्री क्रांति कुमार कटियार से इस बहुत ही हृदयविदारक समाचार पता चला कि शहीद ए आज़म स0 भगतसिंह के छोटे भाई स0 कुलबीर सिंह  के सुपुत्र स0 अभय सिंह संधू का कोरोना बीमारी के आफ्टर इफेक्ट्स के कारण निधन हो गया है । अभी पिछले महीने ही स0 किरणजीत सिंह की बेटी के विवाह समारोह( सहारनपुर)  उनसे मिलने की बेहद इंतज़ार रही परन्तु उनकी बीमारी के कारण ऐसा सम्भव न हो सका ।      मेरा यह सौभाग्य रहा है कि शहीद भगतसिंह के समूचे परिवार से उनके प्रति मेरे स्नेह एवम आदर के कारण घनिष्ठता रही है । स0 अभयसिंह से मेरी मुलाकात स0 किरणजीत(सुपुत्र स0 कुलतार सिंह) के माध्यम से मोहाली स्थित उनके आवास पर ही हुई थी । एक बार उनके ,उनकी पत्नी तथा उनके ममेरे भाई प्रो0 जगमोहन सिंह जी के साथ उनके बाबा ए गांव में पाकिस्तान जाने की योजना भी बनी थी । वीज़ा भी लग गया था परन्तु वह कार्यक्रम सिरे न चढ़ा । इसी दौरान वे हमारे घर पानीपत में सपत्नीक पधारे थे ।       उनका सुपुत्र अभिजीत सिंह भी एक बहुत ही होनहार युवक था परन्तु कुछ वर्ष पूर्व उनकी भी एक

A fortunate father of a brave daughter

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 *नताशा नरवाल से बात कर उन्हें उनके पिता डॉ महावीर नरवाल के निधन पर अपनी संवेदना व्यक्त की । यह अवसर उनके फूफा श्री एस पी सिंह ने जुटाया था ।इस तमाम विपरीत परिस्थितियों में भी वह हौसले में थी तथा उल्टे मुझसे ही हमारे परिवार में सबकी खैरियत के बारे में जानकारी लेनी लगी । बातचीत करते हुए मैंने पाया कि मेरे पास शब्द कम थे और जो थे भी उन्हें इज़हार करना बहुत मुश्किल था* ।        *हरियाणा में ज्ञान विज्ञान आंदोलन के अग्रणी नेता महावीर नरवाल मेरे बहुत अच्छे मित्र व साथी थे । उनसे सबसे पहली मुलाकात हिसार कृषि यूनिवर्सिटी में उनके निवास पर हुई थी जब सन 2008 में, मैं व मेरा साथी दीपक  भगतसिंह से दोस्ती अभियान के तहत हिसार पहुंचे तथा हमें आपके घर मे ठहरने का मौका मिला । तभी लम्बी बातचीत हुई व अंतरंगता भी* ।      *विगत माह आर्य समाज के एक कार्यक्रम में रोहतक के गांव टिटौली जाने का मौका मिला । दीपक ने रास्ते मे खेतों के बीच एक फोटो ली और फिर रोहतक की लोकेशन डाल कर उसे फेसबुक पर लगाया । उसे देखते ही डॉ नरवाल का फोन आया "रोहतक में कहाँ हो भाई , हमारे घर भी मिल कर जाओ*" ।       *उसके बाद भी

Long live Sunder Lal Bahuguna

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 बड़े लोग बड़े ही होते है ।       और वे वे नही जिनके पास अत्यंत धन संपदा हो बल्कि जिनके पास महान विचार व व्यवहार हो ।      पर्यावरण विद श्री सुन्दर लाल जी बहुगुणा व उनकी पत्नी श्रीमती विमला जी से गत अक्टूबर में उनके निवास देहरादून  में मिला था । तब से माता जी के विशेष स्नेह प्राप्त करने का सौभाग्य मिल रहा है । चाहे दीवाली हो या नववर्ष  वे अपने आशीर्वचन से हमे अभिभूत करती है । ऐसा करते वे मेरे पुत्र उत्कर्ष को कभी नही भूलती । मानों हम उनके ही पुत्र, पुत्रवधू व पौत्र हो । हमारे जैसे सौभाग्यशाली असंख्य लोग होंगे जिन्हें उनकी कृपा मिलती होगी व वे सभी स्वयं को उनके निकटतम महसूस करते होंगे ।       कुछ दिन पहले ही पिता जी (श्री सुन्दर लाल जी बहुगुणा)  अस्वस्थ होने के कारण अस्पताल में भर्ती है । उनके पत्रकार सुपुत्र श्री राजीव नयन बहुगुणा से मैं मैसेंजर चैट पर उनका हाल पूछता ही रहता हूँ । इसके बावजूद भी माता जी से भी फोन मिला लेता हूँ । आज दिन में ऐसा ही किया पर शायद वे व्यस्त थी । पर अभी उनकी रिटर्न कॉल आयी तथा उन्होंने बहुत ही स्थिर मन से पिता जी की तबियत के बारे में बताया कि बहुत कम ही सुधार

Nityanootan Varta 282

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      21वीं में मार्क्सवाद  नित्यनूतन वार्ता के 282 वें सत्र में 21वीं सदी की विचारधारा शीर्षक से चल कार्यक्रम में मार्क्सवाद विषय पर चर्चा करते हुए अम्बेडकर यूनिवर्सिटी ,दिल्ली के प्रोफेसर डॉ गोपालजी प्रधान ने अपने विस्तृत वक्तव्य में कहा कि कार्ल मार्क्स के समय से ही विरोधी लोग मार्क्सवाद के खात्मे की घोषणा करते रहे है । वास्तव में इस वाद के समाप्त होने की सबसे अधिक खुशी मार्क्सवादियों को ही होगी क्योंकि यह तभी खत्म हो सकता है जब मनुष्य द्वारा मनुष्य का शोषण समाप्त हो । ऐसा होने पर इस विचारधारा की कोई आवश्यकता नही रहेगी । उन्होंने कहा कि ज्यों ज्यों चीजें बदलती है त्यों त्यों वह यथावत स्थिति में प्रकट होती है । फासिज्म लोकतंत्र को समाप्त करके ही आया । पूंजीवाद के संकट ने ही राष्ट्रवाद को पैदा किया और उसी से फासिज्म उपजा । पुरानी चीजे भी वापिस आयी । अनेक लोग सोवियत संघ से विघटन से पूर्व वहाँ ख़ुफ़िया तंत्र की मजबूती , तनाशाही तथा प्रेस की स्वतंत्रता की बात करते थे,  पर आज की स्थितियां को देखे तो पाएंगे कि इंटरनेट ,सोशल मीडिया ने हमारी सारी जानकारी बिना चाहे सरकार व कॉरपोरेट को दे दी है

Tribute to Dr G Muniratnam

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 गांधी ग्लोबल फैमिली के तत्वावधान में प्रसिद्ध गांधीवादी , रायलसीमा सेवा समिति तथा अखिल भारत रचनात्मक समाज के अध्यक्ष डॉ जी मुनिरत्नम के निधन पर एक वर्चुअल श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता पूर्व सांसद ए आर शाहीन(कश्मीर), पद्मश्री एस पी वर्मा ( उपाध्यक्ष ,गांधी ग्लोबल फैमिली), श्रीमती शिखा सान्याल( सचिव ,हरिजन सेवक संघ , पश्चिम बंगाल), मो0 सन्नाउल्ला तमिरी ( श्रीनगर-कश्मीर) , सूर्या भुषाल( अध्यक्ष, गांधी ग्लोबल फैमिली, नेपाल) के संयुक्त अध्यक्षमंडल ने की । सभा का संचालन गांधी ग्लोबल फैमिली के महासचिव राम मोहन राय ने किया ।      सभा मे एक शोक प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया जिसमें डॉ जी मुनिरत्नम को विश्व शांति, राष्ट्रीय एकता एवम सर्वधर्म समभाव का प्रतीक बताया है । उनका जन्म 16 मई 1937 को आंध्रप्रदेश में हुआ तथा अपना अपनी कर्मभूमि तिरुपति में बनाई तथा वहाँ से जुड़े लगभग 2500 गांवों में महिला सशक्तिकरण , स्वरोजगार एवम स्वावलम्बन के लिए सघन कार्य किया । डॉ मुनिरत्नम ने भारत के दूर दराज के क्षेत्रों की यात्रा की वहीं दुनिया के अनेक देशों में गए । वे भारत सरकार के योजन

आमार बांलार झुली ( Amar Banlar Jhuli)

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1. नाम की महत्ता  मेरा नाम राम मोहन राय  अकस्मात ही नहीं रखा गया था । मेरी माता श्रीमती सीता रानी तथा पिता श्री सीताराम सैनी दोनों ही परिपक्व देशभक्त तथा सामाजिक सुधार आंदोलन से जुड़े थे  । वे भारतीय नवजागरण के पुरोधा ज्योतिबा फुले ,उनकी पत्नी सावित्री फुले ,राजा राममोहन राय तथा महर्षि दयानंद के जीवन, व्यक्तित्व तथा विचारों से प्रभावित थे ,इसलिए उन्होंने अपने जीवन को भी उन्हीं के मूल्यों  व  सिद्धांतो पर चलने का हर दम प्रयास किया ।मेरे पिता ज्योतिष विज्ञान के भी माहिर थे जबकि वे यह भी  मानते थे कि  फलित ज्योतिष कुछ नहीं अपितु एक मनोवैज्ञानिक क्रिया  है ।जिसे कोई भी व्यक्ति सामान्य ज्ञान के आधार पर अपनी विशेष बुद्धि से निरूपित करता है  । मेरा नाम 'राजा राममोहन राय '  रखा गया । जब मेरा जन्म हुआ तो मेरे पिता नगर पालिका ,पानीपत में चुंगी अधीक्षक  के पद पर कार्यरत थे । शहर छोटा था तथा कार्यालय भी उसी के अनुरूप ही  ।मेरा जन्म हुआ तो सेवक ने पिताजी को सूचना दी कि बेटा हुआ है तो पिता ने तुरंत नगर पालिका में जन्म मृत्यु - पंजीकरण रजिस्टर में उसका इंद्राज करवाया और पूरा नाम' राजा राम