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Showing posts from April, 2021

In memory of Didi Nirmala Deshpande

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   *दीदी निर्मला देशपांडे* ( 17 अक्टूबर को उनकी जन्म दिवस पर विशेष स्मरण)        देश-विदेश के अपने प्रशसंकों, साथियो तथा अनुयायियों में 'दीदी'के नाम से प्रख्यात निर्मला देशपांडे का जन्म 17 अक्टूबर, 1929 को नागपुर (महाराष्ट्र) में प्रसिद्ध चिंतक, मनीषी व राजनेता माता-पिता श्रीमती विमला बाई देशपांडे तथा श्री पुरुषोत्तम यशवंत देशपांडे के घर हुआ था। उनके पिता जहां इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस(इंटक) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर सुशोभित रहे, वहीं स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भारत की संविधान सभा के सदस्य रहे। माता भी मध्य भारत प्रांत की सरकार में मंत्री पद पर आसीन रहीं। बाद में देशपांडे दंपत्ति ने राजनीति को सदा-सदा के लिए त्याग कर समाजसेवा तथा साहित्य सृजन का महत्वपूर्ण कार्य किया। परिवार में प्रारंभ से ही इतना खुलापन था कि कम्युनिस्ट नेता ई.वी.एस. नम्बदूरीपाद,श्री पाद अमृत डांगे, समाजवादी नेता श्री राम मनोहर लोहिया, श्री अच्युत पटवर्धन, आर.एस.एस. के संस्थापक डॉ. हेडगवार, कांग्रेस नेता पं. जवाहर लाल नेहरू, पं. रवि शंकर शुक्ल, श्री द्वारिका प्रसाद मिश्र तथा बाबा साहब डा. भीमराव अ

In memory of Didi Nirmala Deshpande

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 *दीदी निर्मला देशपांडे* (एक मई को उनकी पुण्यतिथि पर विशेष स्मरण)        देश-विदेश के अपने प्रशसंकों, साथियो तथा अनुयायियों में 'दीदी'के नाम से प्रख्यात निर्मला देशपांडे का जन्म 17 अक्टूबर, 1929 को नागपुर (महाराष्ट्र) में प्रसिद्ध चिंतक, मनीषी व राजनेता माता-पिता श्रीमती विमला बाई देशपांडे तथा श्री पुरुषोत्तम यशवंत देशपांडे के घर हुआ था। उनके पिता जहां इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस(इंटक) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर सुशोभित रहे, वहीं स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भारत की संविधान सभा के सदस्य रहे। माता भी मध्य भारत प्रांत की सरकार में मंत्री पद पर आसीन रहीं। बाद में देशपांडे दंपत्ति ने राजनीति को सदा-सदा के लिए त्याग कर समाजसेवा तथा साहित्य सृजन का महत्वपूर्ण कार्य किया। परिवार में प्रारंभ से ही इतना खुलापन था कि कम्युनिस्ट नेता ई.वी.एस. नम्बदूरीपाद,श्री पाद अमृत डांगे, समाजवादी नेता श्री राम मनोहर लोहिया, श्री अच्युत पटवर्धन, आर.एस.एस. के संस्थापक डॉ. हेडगवार, कांग्रेस नेता पं. जवाहर लाल नेहरू, पं. रवि शंकर शुक्ल, श्री द्वारिका प्रसाद मिश्र तथा बाबा साहब डा. भीमराव अम्बेडकर

In memory of Hz Boo Ali Shah Qalandar Panipati

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 A webinar was organized on the occasion of Urs of Hazrat Bu Ali Shah Qalandar (Panipat) on behalf of the Nityanutan Varta.  In which chief guest was the present Sajjadanshin of the dargah Mr.  Abid Arif Nomani (residing in Lahore).  In his keynote statement on this occasion, renowned scholar writer Professor Rajendra Ranjan Chaturvedi spoke on the life, thoughts and messages of Hazrat Qalandar.  He said that Hazrat Qalandar was a revolutionary rebel thinker.  Who gave the message of equality, brotherhood and love among the common people.  In the Vedic perspective, he is synonymous with monotheism.  The Chief Guest Abid Arif Nomani said in his statement that Hazrat Bu Al Shah Qalandar gave the message of humanity by rising above religion, caste and region.  Humanity was his greatest worship and service.  At the start of the program, Ram Mohan Rai kept the relationship of Hazrat Qalander sahab and his city Panipat.  Late Didi Nirmala Deshpande, with the introduction of Nityanutan Patrik

हज़रत बू अली शाह कलंदर ,पानीपती की याद में

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        नित्यनूतन वार्ता की ओर से हज़रत बू अली शाह कलंदर (पानीपत) के उर्स के अवसर पर एक वेबिनार का आयोजन किया गया । जिसमें मुख्यातिथि दरगाह हज़रत कलंदर के वर्तमान सज्जादानशीन आबिद आरिफ नोमानी (लाहौर) रहे ।       इस अवसर पर अपना मुख्य वक्तव्य में प्रसिद्ध विद्वान लेखक प्रोफेसर राजेन्द्र रंजन चतुर्वेदी ने हज़रत कलंदर के जीवन ,विचार एवम सन्देश पर विचार रखे । उन्होंने कहा कि हज़रत कलंदर एक क्रांतिकारी विद्रोही विचारक थे । जिन्होंने आम जन में समता ,भाईचारे एवम प्रेम का संदेश दिया । वैदिक परिपेक्ष्य में वे  अद्वैतवाद के पर्याय है ।        मुख्यातिथि आबिद आरिफ नोमानी ने अपने वक्तव्य में कहा कि हज़रत कलंदर ने धर्म, जाति एवम क्षेत्र से ऊपर उठ कर मानवता का संदेश दिया । इंसानियत ही उनके लिए सबसे बड़ी इबादत व सेवा थी ।      उनके बुजुर्गों ने पानीपत में रह कर व भारत विभाजन के बाद पाकिस्तान में आकर सत्य-प्रेम-करुणा के उन्ही संदेशों के प्रचार-प्रसार का काम जारी रखा है ।      कार्यक्रम के प्रारंभ में राम मोहन राय ने हज़रत कलंदर तथा उनके शहर पानीपत के सम्बन्धो को रखा । स्व0 दीदी निर्मला देशपांडे ने नित्यनूतन

शांतिसैनिक धर्मपाल सैनी

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 *अहिंसात्मक शांतिपूर्ण क्रांति के संवाहक धर्मपाल सैनी*  💐💐💐💐💐💐💐💐💐श्री धर्मपाल सैनी ने जो कार्य अपने जीवन के सबसे सम्पन्न  काल अपनी आयु के 92वें वर्ष में  किया है, वह उनके संपूर्ण जीवन का एक अत्यंत गौरवपूर्ण पक्ष है। स्मरण रहे कि विगत दिनों जब बीजापुर *(छत्तीसगढ़) में नक्सल वादियों के हमले में कई जवान शहीद हुए तथा उन्होंने एक जवान राकेश्वर सिंह को  अगवा कर लिया तो  उनका परिवार ही नही पूरा देश  भी त्राहि-त्राहि कर रहा था । ऐसे समय में कोई भी विकल्प न तो सरकार के सामने था और न ही  परिवार के पास । ऐसी स्थिति में  एक ही आशा की किरण थी  और वह थी पद्मश्री श्री धर्मपाल सैनी ।      श्री धर्मपाल सैनी  का जन्म यद्यपि 24 जून 1930 को जिला सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) के एक गांव में हुआ था । उनकी प्रारंभिक शिक्षा भी वहीं हुई परंतु अपनी युवावस्था में ही वे संत विनोबा भावे तथा उनके नेतृत्व में चल रहे भूदान आंदोलन से जुड़ गए और यही वह रास्ता था जिस पर चलते हुए धर्मपाल सैनी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा  ।       श्री सैनी ने संत विनोबा भावे के भावों की आदरांजली भेंट करते हुए खुद को उनके कार्यों के प

अब तो संभलो

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 * अब तो समझ लो*!       देशभर में बढ़ते कोरोना के मामलों एवं लगातार मृत्यु होने के समाचारों से हम सब बहुत ही भयभीत हैं ।      कुछ लोगों का यह भी मानना है कि यह कोई बीमारी नहीं है । अपितु आपदा में अवसर ढूंढने की साजिशें हैं उनका यह तर्क है कि जब राजनीतिक चुनावों में भारी रैलियां करके सरकार चाहे वह राज्य की हो अथवा केंद्र की वहां के नेता भीड़ जुटा रहे हैं ।धर्म के नाम पर कुंभ में स्नान हो रहे हैं और किसान आंदोलन में लाखों लोग दिल्ली की सीमाओं पर डटे हैं तो फिर करोना कहां है?     हम उनकी इन बातों का जवाब तो नहीं देना चाहते। पंजाब दिल्ली एवं महाराष्ट्र की सरकारों की प्रशंसा अवश्य करना चाहेंगे कि उन्होंने जमीनी हकीकत को समझ कर बहुत ही साफगोई से यह कहने की हिम्मत की कि मामला चरमरा गया है। परंतु अभी भी हमारी राष्ट्रवादी सरकार इस बात को कहने की हिम्मत नहीं जुटा रही कि वह इस आपदा से कैसे निपटेंगी?      हालात यहां तक है कि मेरे छोटे से शहर पानीपत में ही रोजाना पांच शव चिताओं में जलाए रहे हैं तो ऐसे हालात में हम क्या करें ?      मेरे एक डॉक्टर मित्र ने मुझे बताया की कोरोना निरोधक एक इंजेक्शन 11 स

Bio data of Ram Mohan Rai

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  जीवन परिचय             राम मोहन राय     नाम -  राममोहन राय माता- श्रीमती सीता रानी (स्वतंत्रता सेनानी तथा सामाजिक कार्यकत्री )  पिता- श्री सीताराम (शिक्षाविद् तथा पत्रकार)  शिक्षा- एल. एल. एम. ,एम. एस. डब्ल्यू . पारिवारिक पृष्ठभूमि राममोहन राय का जन्म 17 अक्टूबर 1957 को पानीपत में ब्रह्म समाज के संस्थापक व समाज सुधारक राजा राम मोहन राय  के नाम पर रखा गया। परंतु सरकार द्वारा राजाओं की  पिरवी परसिज समाप्त करने पर राजा शब्द स्वत: ही हटवा दिया। बचपन में ही, बच्चों में संगठन के लिए भारतीय बाल सभा की स्थापना की तथा सन् 1965 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री से मुलाकात की। 1966 में हरियाणा बनने पर अपनी माता के साथ हरियाणा नशाबंदी सम्मेलन के आयोजन में भागीदारी की। सन 1969 में तत्कालीन राष्ट्रपति श्री वी.वी. गिरी से मुलाकात की तथा उन्हें बच्चों की समस्या से अवगत कराया ।  1971-72  में स्कूली छात्र जीवन में विद्यार्थियों के लिए बुक बैंक की स्थापना तथा यूनिफार्म जुटाने का कार्य। सन 1973 में कॉलेज में स्टूडेंट फेडरेशन में सक्रिय भागीदारी तथा प्रांतीय सचिव का कार्यभार संभाला। कॉले

चौ0 सतबीर सिंह कादयान को विनम्र श्रद्धांजलि

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  *श्री सतबीर सिंह कादयान* और मैने एक ही वर्ष साथ-२ पानीपत कोर्ट में वकालत की थी । उनकी रुचि प्रारंभ से ही राजनीति में थी और हम चाहते हुए भी वहाँ न जाकर वकालत में ही थे । उसी दौरान चुनाव आया तथा उन्होंने नौल्था से चुनाव लड़ा और विजयी हुए ।   हरियाणा के कद्दावर नेता चो0 देवीलाल जी के साथ वे हमेशा जुड़े रहे फिर चाहे उनका न्याय आंदोलन हो अथवा समस्त हरियाणा का आयोजन । तब से अब तक वे एक ही जगह रहे अनेक राजनीतिक लोगों की तरह निष्ठाएं नही बदली।       मेरे वे एक अच्छे मित्र थे यह जानते हुए भी की मैं उनका कोई राजनीतिक सहयोगी न हूं । मेरा व्यक्तिगत तो कभी कोई काम उनसे करवाने का अवसर न मिला पर जब भी किसी सामाजिक काम के लिए मिलने के लिए समय मांगा तो वे तुरंत कहते कि आप को भी मिलने की जरूरत है फोन पर ही बता दे । और इस हुआ भी किसी भी काम को फोन पर ही  बताया और वह हो गया । वे एक सच्चे तथा स्पष्ट वक्ता थे । किसी भी तरह की लफ़्फ़ाज़ी व जुमलेबाजी से बहुत दूर ।      *जब मैं आर्य स्कूल का मैनेजर था तब दो बार मेरे निमंत्रण पर स्कूल के वार्षिकोत्सव पर मुख्यातिथि के तौर पर आए । इस अवसर पर मैने उन्हें आर्य समाज के

शहीद खुशदेव सिंह

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  *मेरा बनियान बदल भाई- शहीद खुशदेव सिंह* ( शहादत दिवस पर विनम्र श्रद्धांजलि)       खुशदेव सिंह मेरा बहुत अच्छा दोस्त था। सन 1983 में ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन के एक सत्याग्रह में मैं और वह अपने 100 साथियों के साथ बुडैल जेल, चंडीगढ़ में लगभग 19 दिन साथ रहे। हमारी वहां दिनचर्या भी अजब थी। हमारे लिए वह जेल न होकर वैचारिक स्कूल था। जहां द्वंदात्मक भौतिकवाद, ऐतिहासिक भौतिकवाद, पूंजीवादी एवं सामाजिक अर्थशास्त्र का तुलनात्मक अध्ययन विश्व एवं राष्ट्रीय परिपेक्ष में राजनीतिक समझ को विकसित करना था। जिसके लिए सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक हमारी क्लासेज चलती। हम खुद ही टीचर थे और खुद ही विद्यार्थी। जिसकी जिस विषय में अधिक समझ हो वह अन्यों को वह पढ़ाने का काम करता । लक्ष्मण सिंह शेखावत, बलविंदर सिंह, काशीराम पिलानिया, स्वर्ण सिंह, नवतेज सिंह, कश्मीर सिंह, बी मदन मोहन, दिवेश्वर चमोला, यशपाल छोकर, गुरिंदरपाल सिंह सभी ऐसे साथी थे जो वैचारिक रूप से परिपक्व थे। इन्हीं में मैं और खुशदेव सिंह भी थे।            खुशदेव और मैंने कानून की शिक्षा पास करके वकालत शुरू की थी। जेल के भी अजब नियम थे। सभी को उनकी श

बस्तर के गांधी -धर्मपाल सैनी

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  सौजन्य: पंकज चतुर्वेदी बीजापुर में रिहा किये गए जवान को सकुशल वापिस लाने के पीछे जो शख्स हैं, वह है 92 साल के युवा और बस्तर के ताऊ जी धर्मपाल सैनी। वे कोई 45 साल पहले अपनी युवावस्था में बस्तर की लड़कियों से जुड़ी एक खबर पढ़ कर इतने विचलित हुए कि यहां आए और यहीं के हो गए। औ  अपने गुरु विनोबा भावे से डोनेशन के रूप में 5 रुपए लेकर वे 1976 में बस्तर पहुंचे। वह युवा पिछले 40 सालों से बस्तर में है।  पद्मश्री धरमपाल सैनी अब तक देश के लिए 2000 से ज्यादा एथलीट्स तैयार कर चुके हैं।  मूलतः मध्यप्रदेश के धार जिले के रहने वाले धरमपाल सैनी विनोबा भावे के शिष्य रहे हैं। 60 के दशक में सैनी ने एक अखबार में बस्तर की लड़कियों से जुड़ी एक खबर पढ़ी थी। खबर के अनुसार दशहरा के आयोजन से लौटते वक्त कुछ लड़कियों के साथ कुछ लड़के छेड़छाड़ कर रहे थे।लड़कियों ने उन लड़कों के हाथ-पैर काट कर उनकी हत्या कर दी थी। यह खबर उनके मन में घर कर गई। उन्होंने बस्तर की लड़कियों की हिम्मत और ताक़त को सकारात्मक बनाने की ठानी। कुछ सालों बाद अपने गुरु विनोबा भावे से बस्तर आने की अनुमति मांगी लेकिन शुरू में वे नहीं माने। कई बार निवेदन करने के

पानीपत में हमारा देवी मंदिर

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  *पानीपत में हमारा देवी मंदिर* 💐💐💐💐💐💐💐💐          हमारा परिवार पानीपत में लगभग 100 वर्ष से भी ज्यादा अरसे से मोहल्ला कायस्थान में रह रहा है। हमारी गली की अनेक सिफ्त है पर सबसे ज्यादा हम इसका गुण इस बात पर मानते हैं कि यह देवी मंदिर तथा हजरत हजरत बू  अली शाह कलंदर के आने-जाने के रास्ते के बिल्कुल बीच में स्थित है। यानी पूर्व दक्षिण कोण पर दरगाह है और उत्तर पश्चिम कोण पर  देवी मंदिर।         देवी मंदिर जिसे देवी तालाब भी कहा जाता है, के निर्माण का समय लगभग 1750  के आसपास का है। एकमत तो यह है कि 18वीं शताब्दी के दौरान जब मराठा इस क्षेत्र में शासन करते थे ,उसी समय मराठा योद्धा सदाशिवराव भाऊ अपनी सेना के साथ युद्ध के लिए यहां आए थे।  14 जनवरी 1761 को मराठाओं तथा अहमद शाह अब्दाली के बीच यहां भयंकर संग्राम हुआ। परिणाम यह रहा कि मराठे हारे और अब्दाली जीता। युद्ध से पहले लगभग 2 माह तक मराठा सैनिक पानीपत में रहे। ऐसा मानना है कि उसी काल में मराठाओं ने इस मंदिर की स्थापना की थी। दूसरा मत यह है कि इसी नगर के एक सेठ लाला मुसद्दीलाल वैश्य अग्रवाल ने उसी दौरान मंदिर की स्थापना की थी। जहां 17