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Showing posts from July, 2021

Lenin in Seattle

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  The Statue of Lenin in Seattle is a 16 ft bronze sculpture of Communist revolutionary Vladimir Lenin, by Bulgarian sculptor Emil Venkov. It was completed and put on display in Communist Czechoslovakia in 1988, the year before the Velvet counter Revolution of 1989.

19 जून -अमेरिका में दासता से मुक्ति का पर्व

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 *Inner voice*-12 (Nityanootan broadcast service) न केवल अमेरिका के लिये अपितु पूरे विश्व के लिये आज 19 जून का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है आज ही के दिन सन 1865 में अमेरिका के टेक्सास प्रान्त में गुलाम प्रथा के अंतिम गढ़ को समाप्त कर, सम्पूर्ण रूप से इस प्रथा पर रोक लगा दी गयी थी । इसी दिन को याद रखते हुए पूरे अमेरिका में अनेक स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित किये गये है जो इस बात का सूचक है कि अब इसकी पुनरावृति किसी भी रूप में नही होनी चाहिए ।      हमारे देश भारत ने भी अपने स्वतंत्रता आंदोलन को इसी संघर्ष का हिस्सा मान कर इसे सिद्धान्त रूप में स्वीकार किया था । अठारवीं सदी के महान क्रांतिकारी समाज सुधारक जोतिबा फुले ने भारत मे अस्पृश्य जातियों पर हो रहे अत्याचार ,शोषण व भेदभाव को गुलाम प्रथा का हिस्सा माना था और जब 1857 में उन्हें ईस्ट इंडिया  शासन के विरुद्ध देशी शासकों के समर्थन देने को कहा तो उनका मानना था कि क्या विदेशी राज जाने के बाद उनकी जातियों को अन्य स्वर्ण जातियों के बराबर अधिकार दिए जाएंगे? उनके इस प्रश्न पर देशी राजे खामोश रहे यानी वे शुद्र जातियों के प्रति यथावत व्यवहार रखने के ह

गांधी नु गांव

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  गांधी नू गांव 💐💐💐💐💐💐💐💐💐कच्छ (गुजरात)के एक गांव लूडिया ,अब नाम "गांधी नू  गांव" में एक किसान "रवा भाई "के घर रहने व रात रुकने का अवसर सचमुच बेहद हृदय स्पर्शी व अविस्मरणीय रहा । भारत _पाकिस्तान बॉर्डर से सटे इस गांव का निर्माण ,विगत वर्ष भूकम्प आने के कारण विध्वंश के बाद जयेश भाई व उनके साथियों ने करवाया था और नाम दिया "गांधी नू गांव"यानी गांधी का गांव । गुजरात में ही क्यों बल्कि पूरे देश _विदेश में एक  ही तो ऐसा नाम है जिसके नाम पर कई नगर है , शैक्षणिक ,सामाजिक व व्यवसायिक संस्थान है जहां नाम तो बापू का है पर गांधी वहां से नदारद हैं पर यह गांव ऐसा  जहां के जन _जीवन के हर कार्य में गांधी पूरी तरह से घुला _मिला है । किसी भी घर मे  महात्मा जी का कोई चित्र तो नहीं है परन्तु "स्वच्छता ,प्यार व सर्वधर्म समभाव "की  भावना मौजूद है । घर के मालिक "रवा भाई व उनकी पत्नी गौरा बेन" की आतिथ्य परायांता ने हमें अपना बना लिया । रात के करीब 11 बजे गांव से मात्र 15 किलोमीटर की दूरी पर "सफेद रण" देख कर गांव में जैसे ही प्रवेश किया तो देख

सेवा पथ के अनुगामी- अनार जयेश

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  सेवापथ के अनुगामी 💐💐👑💐💐💐💐👑👑👑 पदमविभूषण स्व0 श्री ईश्वर भाई पटेल एक ऐसी दिव्य विभूति थे जिन्होंने अपने जीवन एवम् दर्शन से समूचे रचना जगत को प्रेरणा दी । गांधी _विनोबा के अनन्य भक्त व सेवक  तथा निर्मला देशपांडे जी के एक सहयोगी तथा साथी के रूप में पूरे देश भर में उनकी ख्याति रही ।  बापू के प्रिय कार्य सफाई को ही उन्होंने अंगीकृत किया तथा इसी कार्य के लिए उन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया । महात्मा गांधी से एक दफा प0 सुन्दर लाल ने पूछा कि उनकी सबसे अद्भुत कृति क्या है ? बापू का जवाब था "खादी व हरिजन सेवा "। इन्हीं आदर्शो के प्रति श्री ईश्वर भाई का जीवन रहा । यदि इसी सुपथ में जीवन संगिनीभी सहयोगी हो तो जीवन आनंदमय बन जाता है । ईश्वर भाई की पत्नी "वसुधा"भी उन्हीं की तरह सामाजिक कार्यों में अग्रणी कार्यकर्ता रही । वर्ष 1986 के आस _पास इस सेवाभावी दम्पत्ति से हमारा परिचय दीदी निर्मला देशपांडे जी की मार्फत हुआ था ।हरिजन सेवक संघ की बैठकों में कई बार दिल्ली व अन्य स्थानों पर । वर्ष 1997 में द्वारिका (गुजरात) में तो   बैठक का आयोजन ही उन्होंने किया था । इस दौरान उ

अमेरिका में गांधी-150

 *अमेरिका में गांधी -150 की तैयारी में हम भारतीयों की भूमिका* । (Nityanootan Broadcast Service)        महात्मा गांधी व कस्तूरबा के जन्म जयंती के 150वें वर्ष की तैयारी में अमेरिका में भी ईयर ऑफ गांधी 150 तथा दी सैटरडे फ्री स्कूल फिलिडेल्फ़िया के संयुक्त तत्वावधान में तैयारियां शुरू हो गयी है । वर्ष 1969 में महात्मा गांधी जन्म शताब्दी के अवसर पर यहाँ सरकारी स्तर पर तत्कालीन उपराष्ट्रपति श्री हुबर्ट हम्फेरी की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था तथा यहांकी कांग्रेस( पार्लियामेंट) ने भी बापू को अपनी श्रधांजलि देते हुए एक प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया था । अब 50 वर्षो के बाद कुछ ऐसा ही वातावरण बनाने का प्रयास अमेरिका के जनसंगठन कर रहे है ,जिसमे सभी धर्मों ,अनेक जन संगठनों व व्यक्तियों कर संयुक्त प्रयास जारी है । फिली में लगभग प्रति सप्ताह गांधी विचार से सम्बंधित कार्यक्रमो को किया जा रहा है जिसमे प्रसिद्ध विचारक डब्ल्यू ई बी डू बॉयस तथा अनेक उन लोगो के विचारों को भी रखा जाता है जिन्होंने हमारे देश मे महात्मा गांधी के नेतृत्व में चल रहे  राष्ट्रीय स्वाधीनता आंदोलन के दौरान भारत आकर

बारूद से बोझल सारी फिजा है

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  बारूद से बोझल सारी फ़िज़ा है ! Inner voice-18 (Nityanootan Broadcast service) 18.07.2019 नॉर्थगेट ,सिएटल(वाशिंगटन) में सैर से लौटते हुए एक बहुत ही खूबसूरत स्थान देखने को मिला ,पता चला कि यह तो कब्रिस्तान cemetery है । लगभग 50-60 एकड़ में फैले इस पार्क नुमा स्थान पर जगह के मुताबिक कब्रे ही कब्रे थी । पर एक जगह एक शिलालेख देख कर रुक गया वहाँ खुदा था कि ये उन अमेरिकी युवा सैनिकों की कब्रे है जो अनेक युद्धों में मारे गए है । जानकारी मिली कि लड़ाइयों में इस देश का लाखों सैनिक मारे गए है ।अमेरिकन गृह युद्ध (1861-65) में 7,50,000 सैनिक,प्रथम विश्व युद्ध (1917-18) में 1,16,516 सैनिक, द्वितीय विश्व युद्ध (1941-45) मे 4,05,399 सैनिक, विएतनाम युद्ध (1961-75) 58,209 सैनिक, कोरियन युद्ध(1950-53) 54,246 सैनिक, इराक युद्ध (2003-2011) 4,497 सैनिक,अफ़ग़ानिस्तान युद्ध (2001 से अबतक) 2,216 सैनिक मारे जा चुके है । जाहिर है इतने अमेरिकी सेनिको की मौत के बाद उनकी कब्रे उनके पैतृक शहरों में ही बनी होगी । पता चला कि अमेरिका के हर छोटे बड़े नगरों ,कस्बो व गांवों के कब्रिस्तान सेनिको की आरामगाहों से पटे है ।  इस मौक

अमेरिका में गंगा की खोज

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  "अमेरिका में गंगा की खोज" पुराणों में कहा है कि यदि सहस्त्रो योजन दूर से भी गंगा स्तुति की जाए तो उसका महात्म गंगा स्नान जैसा ही है । गंगा- भारत से लगभग 19 हजार किलोमीटर दूर, आज  मैंने एक नदी में गंगा-२ का जाप कर स्नान किया व खूब गोते लगाए । प्रसिद्ध कथाकार राही मासूम रज़ा, जो गंगा किनारे गाज़ीपुर के थे ,को अपनी मां गंगा नदी से बहुत प्यार था । उन्होंने लिखा है कि वे गंगा के पुत्र है और यदि वे कहीं किसी दूसरे देश मे गुज़र जाएं और उनके पार्थिव शरीर को गाज़ीपुर लाना नामुमकिन हो तो उन्हें उस देश की किसी नदी के किनारे दफना कर उस नदी को कहना कि " यह गंगा का बेटा है ,इसका ख्याल रखना ।"   आज हमने भी अपनी गंगा मां को अमेरिका में ढूंढ ही लिया और अपने सभी प्रिय मित्रों, पारिवारिक जन व पितरो के नाम के खूब गोते लगाए ।    मुझे यहां एक सज्जन बता रहे थे कि भारतीय अमेरिकी हिन्दुओ ने एक यहां रह रहे एक साधू स्वामी जी को अमेरिका का पीठाधीश्वर शंकराचार्य भी घोषित कर दिया है । Ram Mohan Rai, Seattle, Washington (USA) 28.07.2019

अमेरिका में भारतीय मेला

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  *Inner voice-18* (Nityanootan Broadcast service) *अमेरिका में भारतीय मेला*    रेडमण्ड, वाशिंगटन में एक भारतीय मेले में जाने का अवसर मिला । यह मेला अमेरिका में रह रहे प्रवासी भारतीयों के विभीन्न संगठनों ने वैदिक कल्चर सेंटर व सिंगापुर एयरलाइन्स की मदद से लगाया हुआ था और मेला का नाम दिया था *आनंद मेला* । मुझे यहाँ आकर कतई भी यह अहसास नही हुआ कि हम विदेश में है । हजारों भारत वंशी अपनी इलाकाई अथवा धार्मिक विभिन्नता को नजरंदाज करके  इसमे शिरकत कर रहे थे  । मेला में वह सब कुछ था जो मेरे शहर  पानीपत के देवीमन्दिर के मेले में होता है । हर तरह के सामान ,कपड़ो , खिलोने की छोटी -२ दुकानें , चाट ,पकोड़ी ,गोलगप्पे , डोसा ,इडली व बड़े के स्टाल ,जहाँ पर खरीदने व खाने वालों की लंबी -२ लाइन लगी थी । बस एक अंतर रहा कि यहां हमारी तरह धक्का मुक्की नही थी । क्या ये सब कुछ अलग तरह के हिंदुस्तानी थे, जी बिल्कुल भी नही ,ये वे ही थे जो भारत में  किसी अनुशासन में नही होते । जहां खाया वहीं फेंका और आगे चलते बने पर यहां वे ऐसा नही करते । छोटा सा कागज का टुकड़ा भी वे कहीं भी इधर उधर न फेंक कर डस्ट बिन में ही डालते ह

म्यांमार की स्थिति

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 ♀ नित्यनूतन वार्ता के 363 वें सत्र में  म्यांमार की वर्तमान स्थिति और भारत से सम्बन्ध विषय पर मणिपुर की मानवाधिकार सिविल सोसाइटी के प्रमुख कार्यकर्ता व विषय मर्मज्ञ श्री बबलू लोईटोंगबम ने विचार रखे । उन्होंने म्यांमार के राजनैतिक ,सामाजिक व भूगौलिक इतिहास की जानकारी देते हुए कहा कि दूसरे महायुद्ध के दौरान 30,000 जापानी सैनिकों ने अपने जीवन की बाज़ी लगाई थी । भारत और म्यांमार की सीमा 1,500 किलोमीटर की सरहद है । अंग्रेज़ी दासता से मुक्ति के बाद म्यांमार ने एक स्वतंत्र संघ बनाने का निश्चय किया था जिसकी प्रक्रिया में वह अनेक उतार चढ़ाव के बावजूद आज  तक प्रयासरत है। इस दौरान सत्ता में ज्यादा समय सैनिक जुंटा रही है जिसने शासन के नाम पर मानवाधिकार तथा नागरिक अधिकारों का दमन ही किया है । सन 1988 में विद्यार्थियों के विशाल आंदोलन के बाद लगभग 20 हजार लोग शरणार्थी के रूप में भारत आये ।     ●उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि गैरकानूनी घुसपैठियों तथा शरणार्थियों में अंतर को समझना होगा । घुसपैठिये रोजगार की तलाश में घुसते है जबकि शरणार्थि अपने देश मे राजनैतिक उत्पीड़न के शिकार हो कर किसी भी देश मे आते है ।

चीन-अमेरिका शीत युद्ध व उसके वैश्विक सरोकार

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  ♀ *चीन-अमेरिका शीत युद्ध व उसके वैश्विक सरोकार*         ■दि0 11 जुलाई ,2021 को नित्यनूतन वार्ता के 362वें सत्र में चीन एवम अमेरिका के बीच शीत युद्ध तथा उनके  सम्बन्धों  का तीसरी दुनियां पर असर विषय पर चर्चा में मुख्यवक्ता प्रसिद्ध कवि एवम पत्रकार , नवभारत टाइम्स के सम्पादक श्री चंद्र भूषण रहे । श्रोताओं में वार्ता की दिलचस्पी व सक्रिय भागीदारी का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि समय सीमा डेढ़ घण्टे निश्चित होने के बावजूद भी यह सवा दो घण्टे तक चली और इसमे प्रश्नों की झड़ी लगी रही ।      ◆श्री चंद्र भूषण ,विषय के न केवल मर्मज्ञ विद्वान है वहीं उन्होंने हर दृष्टि से उसका समग्र मूल्यांकन भी किया । मुख्यवक्ता बेशक किसी खास राजनैतिक विचारधारा के पक्षधर हो परन्तु अपने व्याख्यान में  अपने विषय का हर पक्ष रखा जो हर प्रकार के पूर्वाग्रहों से मुक्त था । चीन की राजनैतिक ,सामाजिक व आर्थिक स्थिति को उन्होंने विकासशील बताया परन्तु उनकी यह बात भी प्रासंगिक रही कि अमेरिका आज अनेक जातिय नस्लों ,रंग व क्षेत्रों का एक सामूहिक समूह है और यह ही उसे सँयुक्त राष्ट्र बनाता है जबकि अन्य देश अपने राष्ट्रवादी

आंख बंद करने से बिल्ली रास्ता बदलने वाली नही

 *आंख बंद करने से बिल्ली रास्ता बदलने वाली नही*          हम ईश्वर से प्रार्थना करते है कि कोरोना की तीसरी लहर नही आये और यह सिर्फ एक अफवाह बन कर सामने आए ।      पहली-दूसरी लहर में भारत समेत दुनियाभर में लाखों लोगों ने अपनी जान गवाई है । ऐसे अनेक लोग है जो ठीक होने के बाद भी इसके आफ्टर एफ्फेक्ट्स के कारण अभी तक जीवन- मृत्यु की शैय्या पर पड़े है । हजारों बच्चे है जिन्होंने अपने माता-पिता दोनों को ही खोया है और अनेक परिवार ऐसे है जिनके कमाऊ सदस्य खत्म हो गए है । अरबों रुपये का व्यापार खत्म हुआ है । लाखो लोग बेरोजगार हुए है ।यह ऐसी स्थिति है जो अत्यंत भयावह है जिसकी कल्पना से भी डर लगता है ।     यदि हम, हमारे परिवार के सभी सदस्य , रिश्तेदार ,मित्र व शुभचिंतक इस दौर में सुरक्षित बचे है तो यह उस परमात्मा की ही अत्यंत कृपा है ।       आपने सभी सुरक्षा प्रदान करने वाले नियमों का पालन किया होगा तभी यह सम्भव हो सका वरना हालात हमारे सामने है ।      क्या अच्छे अस्पताल ,शानदार चिकित्सा व्यवस्था ,ऑक्सीजन व बेड्स की उपलब्धता सभी को बचाने के लिए काफी है । मेरे संज्ञान में अनेक ऐसे निकटष्ठ परिचित परिवार

100 years of CPC

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 ♀ *चीनी मॉडल और भारत*          ●चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के 100 वर्ष पूरे होने पर न केवल उनके देश मे अपितु पूरी दुनियां में जश्न मनाएं जा रहे है । हमारे पड़ोसी देश श्रीलंका ने तो इस स्मृति मे सोने व चांदी का सिक्का भी जारी किया है ।      ◆चीन हमारा पड़ोसी देश है । हमारी और उनकी संस्कृति और सभ्यता भी प्राचीन है व एक दूसरे से मिलती जुलती है । बौद्ध धर्म की व्यापकता ने इसे नए आयाम दिए है । सैकड़ो वर्ष पूर्व चीन यात्री हुए सांग और फाहियान ने इसी धर्म को जानने -समझने के लिए अपनी विशाल यात्राएं की थी तथा उनके रोचक लेखन ने भारत मे बौद्ध धर्म को नई पहचान दी । चीन में आज भी यह मान्यता है कि यदि कोई चीनी व्यक्ति अपने पूरे जीवन काल मे कोई पाप नही करता तथा मात्र पुण्य ही अर्जित करता है उसका अगला जन्म बुद्ध भूमि भारत मे होता है ।         ■भारत का स्वतंत्रता आंदोलन भी अंतरराष्ट्रीय साम्रज्यवाद विरोधी संघर्ष का एक हिस्सा था । महात्मा गांधी के शब्दों में भारत को आज़ादी इस लिए चाहिए ताकि वह दुनियां के सभी लोगों की सेवा कर सके । खुद प0 जवाहरलाल नेहरू ने भी इसी विचार को बढ़ाते हुए कहा था कि हमारी आज़ादी की लड़

अब जग मुसाफिर भोर भई

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 टीका लगवा कर रोकें कोरोना की तीसरी लहर https://www.updainikbhaskar.com/opinion/stop-the-third-wave-of-corona-by-getting-vaccinated/ (Sent via updainikbhaskar.com) ♀ *उठ जाग मुसाफिर भोर भई* 🙏🙏🙏  ●कोरोना महामारी का प्रकोप कम हुआ है पर अभी यह खत्म नही हुई है । जानकारों का कहना है कि यदि अगस्त तक 70 प्रतिशत भारतीय आबादी को वैक्सीनशन नही हुई तो हमे और अधिक भयंकर स्थिति के लिए तैयार रहना होगा ।       ◆क्या इसका मुकाबला इस बात से होगा कि बेड्स ,ऑक्सीजन ,दवाइयां तथा अन्य सुविधाएं अब पहले से बेहतर है ?  कितना अच्छा हो कि जब इनकी जरूरत ही नही पड़े और लोग संक्रमित ही न हो । पर इसकी संभावना अब कम ही लगती है ।      ■ वैक्सीनशन का आलम यह है कि इसके प्रति जागरूकता में बहुत ही कमी है । अनपढ़ तो छोड़िए पढ़े -लिखे लोग भी स्वयं को टिका लगवाने में आगे नही आ रहे ।       ★कुछ का कहना है कि कोरोना कोई बीमारी नही है अपितु सरकार व एजेंसियों का फैलाया भ्रम है । ऐसे लोग टीकाकरण के बारे में भी ऐसी ही बातें करते है कि यह प्रजनन व पौरूष शक्ति को कम करती है । ग्रामीण इलाकों में यह भी दूषित प्रचार है कि सरकार वृद्ध ल

दीदी निर्मला देशपांडे स्मृति वैक्सीनशन कैम्प-1

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निर्मला देशपांडे स्मृति कोविड प्रतिरोधक वैक्सीनशन कैम्प          गांधी ग्लोबल फैमिली/ निर्मला देशपांडे संस्थान तथा माता सीता रानी सेवा संस्था के संयुक्त तत्वावधान में  कोविड  प्रतिरोधक कैंप का आयोजन संस्था  के मुख्यालय निर्मला देशपांडे संस्थान में किया गया। इस आयोजन के लिए संस्था के कार्यकर्ताओं एवम  स्वयंसेवकों ने सप्ताह भर पहले से ही मजदूर बस्तियों में जाकर  जागरूकता शिविरों का   का आयोजन किया । स्मरण रहे कि संस्था का यह  मुख्यालय पानीपत के धनी औद्योगिक क्षेत्र  में है। संस्था ने अलग-अलग प्रतिष्ठानों में जाकर भी प्रचार अभियान किया। जिसका परिणाम यह रहा कि सुबह 9 बजे से ही संस्थान के बाहर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए लाइने लगी थी। सबसे पहले उनका रजिस्ट्रेशन किया गया तथा उसी स्थान पर सभी का पोर्टल रजिस्ट्रेशन भी किया गया। तत्पश्चात वैक्सीनेशन की प्रक्रिया प्रारंभ हुई। संस्था के लिए गौरव की बात है कि कुल 341 लोगों ने टीकाकरण करवाया। इस अवसर पर नगर के प्रसिद्ध उद्योगपति एवं संस्थान के ट्रस्टी श्री ओमप्रकाश माटा ने फूल मालाओं और प्रशस्ति पत्र देकर स्वागत करते हुए कहा कि माता सीता रानी