*Inner Voice* (Nityanootan Broadcast Service) हम में से किसी की भी नासमझी व मूर्खता न केवल पूरे समुदाय को नफरत व परहेज का पात्र बना देती है ,वहीं पूरे मुद्दे को ही बदल देती है । ऐसा सब कुछ निज़ामुद्दीन दिल्ली में स्थित तब्लीगी मरकज़ के वाकये से हुआ है । इसको यह कह कर दुरुस्त नही किया जा सकता कि फलां मंदिर ,तीर्थ स्थल अथवा स्थान पर भी तो यात्री फंसे है । तब्लीगी मरकज़ के इस घटनाक्रम ने उन सभी लोगो को भी बचाव के दायरे में ला दिया है जो मुस्लिम हितों के पैरोकार थे तथा हर बात के लिये उन्हें ही जिम्मेवार ठहराने के घृणात्मक आरोपों के विरुद्ध उन इल्ज़ामों का विरोध कर स्वयं मुस्लिम परस्त सुनने का काम करते थे । सब काम सरकार के खाते में डालना हमे हमारी जिम्मेदारी से मुक्त नही कर सकता । सब को अपनी जिम्मेदारी पूरी करनी चाहिए । हमें यहां भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय की भी उदारता का स्वागत करना चाहिए जिसमें उन्होंने कहा कि आज समय दोषारोपण का नही अपितु उसे ठीक करने का है । मुझे गर्व है कि मेरा जन्म एक राष्ट्रवादी आर्य समाजी- कांग्रेसी परिवार में जन्म हुआ । आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडर
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Showing posts from March, 2020
Help the migrant labourers
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मान्यवर, कोरोनो बीमारी की वजह से पूरा देश दहशत में है । हम दो तरह का जीवन जी रहे है । एक आबादी लॉक डाउन का पालन कर रही है । दूसरे लोग लॉक डाउन होने की वजह से काम-धंधा बन्द होने की वजह से सड़कों पर है । पानीपत जो कि लगभग 10 लाख की आबादी का एक इंडस्ट्रियल शहर है में लगभग 5 लाख मजदूरों की संख्या है । अफसोस कि बात यह है कि इनमें से अधिकांश ठेकेदार के अंतर्गत कारखानों में काम करते है जिनके नाम कामगार रजिस्टर में दर्ज नही है अतः वे किसी भी सरकारी सहायता को पाने में असमर्थ होंगे । सरकार ने हर सम्भव प्रयास किये है कि इन्हें मदद दी जाए परन्तु गैर सरकारी सहयोग के बिना अधूरे हैं । अब मजदूर एवम अन्य खेत मजदूरों ने रोजगार ,रिहाईश तथा पैसे के अभाव में पानीपत छोड़ कर जाना शुरू कर दिया है । यातायात के तमाम साधन बन्द है इसलिये वे पैदल ही अपने घर के लिये सेंकडो किलोमीटर के सफर में निकल पड़े है । हालात दयनीय है यदि इन्हें नही रोका गया तो पूरे देश मे बीमारी को नही रोका जा सकेगा । हमारी संस्था माता सीता रानी सेवा संस्था ,पानीपत एक रजिस्टर्ड संस्था के रूप में वर्ष 1992 से काम कर रहा है । भा
शहीद भगतसिंह यात्रा
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अहोभाग्य* हुसैनीवाला (फिरोजपुर) में शहीद भगत सिंह, राजगुरु , सुखदेव ,बी के दत्त व माता विद्यावती के अन्त्येष्टि स्थल समाधि पर उन्हें अपनी श्रद्धांजलि देने का अवसर प्राप्त कर मेरी ,भगत सिंह यात्रा को पूर्णता मिल ही गयी । सन 2004में शहीद भगत सिंह यात्रा के अवसर पर लाहौर में आयोजित एक कार्यक्रम में शहीद के भतीजे स0 किरणजीत सिंह संधू के साथ मैं व मेरी पत्नी कृष्णा कांता गए थे । हमारा मकसद यह भी था कि शहीद भगत सिंह के जन्म स्थान से लेकर हर उस जगह जाया जाए जिस से उनका सम्बन्ध हो । भगत सिंह के छोटे भाई स0 कुलतार सिंह उस समय जीवित थे । इसलिये स्थान की प्रामाणिकता के लिये उनके दूर सहारनपुर रहने के बावजूद हम हरदम उनके सम्पर्क में रहे । कसूर(पाकिस्तान) के सांसद व हमारे प्रिय मित्र चौधरी मंज़ूर अहमद हमारे साथ रहे । हमारा पहला पड़ाव था ज़िला लायलपुर (अब फैसलाबाद) के जड़ावाला कस्बा के अंतर्गत गांव बंगा में जहाँ 28 सितम्बर, 1907 को पिता स0 किशन सिंह तथा माता विद्यावती के घर उनका जन्म हुआ था । इस घर के सामने ही स0 अजीत सिंह का घर था । यद्यपि अब वह मकान किसी मुख्तयार वड़ैच को अलॉट हुआ है परन्
कोरोना जा जा जा
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कोरोना जा जा जा* (Inner Voice/ Nityanootan Broadcast Service) *भारत उत्सवधर्मिता का देश है । हम गम-खुशी सब को उत्सव रूप में लेने के अभ्यस्त है । मेरे एक मित्र ने सोशल मीडिया पर डाला कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जैसा न तो कोई प्रधानमंत्री है और न ही होगा ,जिन्होंने इस विकट बीमारी को भी खुशी-२ सहन करने व इसका मुकाबला करने के लिये ऐसा आयोजन करवा दिया । वास्तव में कल जो कुछ हुआ वह अवर्णीय है* । मैने भी अपने जीवन मे अनेक बन्द व कर्फ्यू देखे उनकी तुलना में यह अतुलनीय है । सन 1965 में भारत -पाकिस्तान की जंग के समय तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री के आह्वान पर दिन में लगभग कर्फ्यू रहता और रात में ब्लैक आउट जिसमे लोग बारी-२ से पहरे देते थे । उन्होंने सभी देशवासियों को अपील भी की थी कि प्रत्येक सोमवार को डिनर में गेहूं के आटे का किसी भी सूरत में प्रयोग न करें । लोगों ने प्रधानमंत्री शास्त्री जी की हिदायत को पूरी तरह से स्वीकार किया । न केवल घरों में बल्कि होटल, ढाबे और हलवाई की दुकानों पर गेंहूआटे की बनी कोई चीज कई महीनों तक नही मिली । मेरे शहर पानीपत में सन 1966 मे
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प्रख्यात शांति सैनिक डॉ मुब्बशिर हसन के निधन पर अपने शोक एवम व्यथा की अभिव्यक्ति जब मैने अपनी बड़ी बहन सरीखी डॉ सय्यदा हमीद से की तो उन्होंने सांत्वना देते हुए मुझे लिखा " प्रिय राम, कुरान सूरह 3: 185 कुल्लू नफासीन ज़कातुल मौत हर व्यक्ति की मौत निश्चित है । आपके प्रति उनका गहरा लगाव था। हम उनके काम को आगे बढ़ाने के लिए कृत संकल्प हैं। " जी, आपा आपने बहुत सही कहा कि वे मुझसे बहुत स्नेह रखते थे । उसका सबसे बड़ा कारण यह भी रहा होगा कि मैं उनके बाबा ए शहर पानीपत का हूं । मुझे वह वाकया आज भी याद है जब पहली बार 1997 में जब सुबह के समय मेरे टेलीफोन की घण्टी बजी और उधर से आवाज आई कि वे लाहौर से मुब्बशिर बोल रहे है । मैं तो अभिभूत हो गया और मेरी बोलती बंद । अब वे ही बोल रहे थे । उनका सवाल था कि पानीपत में कहाँ रहते हो भाई । मैने जवाब दिया कायस्थान मोहल्ले में । फिर वे पूछा उपराही में तलाही में । मेरे तलाही में कहने पर उन्होंने चरखी से अपने पुश्तैनी घर जो मोहल्ला अंसार से बुलबुल बाज़ार होते हुए उपराही के लाला आत्मा राम ,गर्मा मास्टर से होते हुए तलाही के श्री राम चन्द्र
22 मार्च
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*Inner Voice* (Nityanootan Broadcast Service) *प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी* ने राष्ट्र के नाम सन्देश में जिस अपेक्षा को भारतीय नागरिकों के प्रति किया है उस पर किसी भी प्रकार का संदेह एवं राजनीति नही होनी चाहिए । ऐसा सभी पक्षो की ओर से हो । यह संकट का समय है जिसका सभी को एकजुट होकर मुकाबला करना होगा । हम बाद में यह जरूर सवाल करेंगे कि कनाडा अथवा अपने ही देश के एक राज्य केरल की तरह केंद्र सरकार ने अपने देश के नागरिकों को क्यों नही कोरोना पैकेज का ऐलान किया ? इन सभी सवालों को समय रहते जरूर रखना चाहिए पर अभी की प्राथमिकता एकांत में रह कर सबसे दूर रहने की है । यह समय हर प्रकार के अंधविश्वास से भी बचने का है । यज्ञ-हवन, गौमूत्र ,गोबर, ताबीज़ ,झाड़ा अथवा अन्य आस्था के विषय व्यक्तिगत तो हो सकते है परन्तु यह बीमारी के निदान नही है । यह बीमारी प्रदूषण से न होकर संक्रमण से फैलती है । इसलिये जरूरी है कि वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन की हिदायतों का पालन किया जाए ,न किसी अन्य का । हमारे देवालयों , मन्दिरों तथा अन्य धार्मिक स्थानों का यह निर्णय स्वागत योग्य है कि उन्होंने सार्वजनिक दर्शन अस्था
कहानी सुनोगे- डॉ नवमीत नव
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कहानी सुनेंगे? एक पुरानी कहानी। ऐसी कहानी जिसके नायक ने दुनिया के भविष्य को हमेशा के लिए बदल दिया था। ऐसे लोग तो फंतासियों में होते हैं। है न? असल में विज्ञान की दुनिया में वास्तविकता कई बार फंतासी से भी ज्यादा रोमांचक और आश्चर्यजनक होती है। यह एक ऐसे ही सुपर हीरो की कहानी है। इस महानायक के पूरी मानवता पर इतने उपकार हैं कि हम कभी उन्हें नहीं भुला सकते। इंटरेस्टिंग? चलिए फिर देर किस बात की। शुरू करते हैं आज की कहानी। पढ़कर कमेंट में जरूर बताइए कि कैसी लगी? आज अधिकतर लोग जानते हैं कि संक्रामक रोग सूक्ष्म जीवों की वजह से होते हैं। लेकिन हमेशा ऐसा नहीं था। किसी समय आम लोग ही नहीं बल्कि डॉक्टर भी इन रोगों का कारण खराब हवा या प्रदूषण को मानते थे। मलेरिया का तो नाम ही mal (खराब) + aria (हवा) इसलिए पड़ा था। सिर्फ मलेरिया ही नहीं बल्कि काली मौत के नाम से प्रसिद्ध प्लेग, हैजा, चेचक आदि तमाम बीमारियां खराब हवा की वजह से मानी जाती थी। यह तो पढेलिखे लोग मानते थे। अधिकतर लोग तो इसको ईश्वरीय प्रकोप ही समझते थे। बहरहाल ईश्वरीय प्रकोप की थ्योरी की ही तरह इसका भी कोई वैज्ञानिक आधार नहीं था। फिर 16वीं
हाली पानीपती ट्रस्ट की डॉ मुबाशिर हसन को विनम्र श्रद्धांजलि
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हाली पानीपती ट्रस्ट की ओर से प्रख्यात शांति कर्मी , राजनेता व अर्थशास्त्री डॉ मुबशिर हसन को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिये एक सभा को अपने सन्देश में प्रसिद्ध पत्रकार एवम चिंतक डॉ वेद प्रताप वैदिक ने कहा किडाॅ. मुबशिर हसन एक महान राजनेता था जिनका पाकिस्तान में वैसा ही सम्मान था जैसा भारत मे लोकनायक जयप्रकाश नारायण का । 98 वर्ष की अवस्था मे लाहौर में उनका निधन हो गया। उनका जन्म पानीपत में हुआ था। वे प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो की सरकार में वित्तमंत्री थे लेकिन उनकी विद्वता, सादगी और कर्मठता ऐसी थी कि सारा पाकिस्तान उनको उप-प्रधानमंत्री की तरह देखता था। भुट्टो की पीपल्स पार्टी आफ पाकिस्तान की स्थापना उनके घर (गुलबर्ग, लाहौर) में ही हुई थी। उनके बारे में लोगों का ख्याल यह है कि वे अपने विचारों से वामपंथी थे लेकिन उन्होंने अपने जीवन के आखिरी 30 साल भारत और पाकिस्तान के रिश्तों को सहज बनाने में खपा दिए । भारत-पाक मैत्री के वे इतने बड़े वकील थे कि वे हर साल भारत आते थे और मेरे साथ सभी भारतीय प्रधानमंत्रियों से मिलने जाते थे। मेरे साथ वे उनके शागिर्द और पाकिस्तान के राष्ट्रपति फारु
जी सय्यदा आपा , वे मुझसे बहुत स्नेह रखते थे ।
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*जी सय्यदा आपा आपने सच कहा कि वे मुझसे बेपनाह स्नेह रखते थे* । ( Inner - Voice/ Nityanootan Broadcast Service)प्रख्यात शांति सैनिक डॉ मुब्बशिर हसन के निधन पर अपने शोक एवम व्यथा की अभिव्यक्ति जब मैने अपनी बड़ी बहन सरीखी डॉ सय्यदा हमीद से की तो उन्होंने सांत्वना देते हुए मुझे लिखा " प्रिय राम, कुरान सूरह 3: 185 कुल्लू नफासीन ज़कातुल मौत हर व्यक्ति की मौत निश्चित है । आपके प्रति उनका गहरा लगाव था। हम उनके काम को आगे बढ़ाने के लिए कृत संकल्प हैं। " जी, आपा आपने बहुत सही कहा कि वे मुझसे बहुत स्नेह रखते थे । उसका सबसे बड़ा कारण यह भी रहा होगा कि मैं उनके बाबा ए शहर पानीपत का हूं । मुझे वह वाकया आज भी याद है जब पहली बार 1997 में जब सुबह के समय मेरे टेलीफोन की घण्टी बजी और उधर से आवाज आई कि वे लाहौर से मुब्बशिर बोल रहे है । मैं तो अभिभूत हो गया और मेरी बोलती बंद । अब वे ही बोल रहे थे । उनका सवाल था कि पानीपत में कहाँ रहते हो भाई । मैने जवाब दिया कायस्थान मोहल्ले में । फिर उन्होंने पूछा उपराही में तलाही में । मेरे तलाही में कहने पर उन्होंने चरखी से अपने पुश्तैनी घर
शहीद क्रांति कुमार के 120 वीं जन्मदिवस 6 मार्च को विशेष
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क्रांति कुमार कौन? 15 मार्च,1966 का दिन मेरे शहर पानीपत के लिये बहुत ही बदनुमा दिन रहा ।मै उस समय कुल सात वर्ष का था पर वह मंजर आज भी ज्यो का त्यों याद है ,वह घटना बाल मन पर ऐसे अंकित हुई कि भुलाने से भी नही भूलती । तत्कालीन पंजाब भाषायी व साम्प्रदायिक आग में झुलस रहा था । कई टुकड़ो में बटे पंजाब को पंजाबी सूबे व हरियाणा में बांटने का अलग अलग आंदोलन चल रहा था । नाम तो भाषायी था पर पूरा खेल साम्प्रदायिक था ।एक तरफ अकाली थे दूसरी तरफ हिंदूवादी ताकत। झगड़ा हिंदी व गुरुमुखी को लेकर था और इस झगडे में जनता को लपेटा गया था । शहर में आंदोलन व प्रदर्शन होता रहता था । उस दिन भी एलान हुआ कि हिंदूवादी संगठनो की तरफ से एक जुलुस हलवाई हट्टे से चल कर जी टी रोड पहुचेगा और वहाँ जनसभा होगी । मेरा परिवार आर्य समाजी तो था पर कांग्रेसी भी । मेरे माता-पिता ,तत्कालीन कांग्रेस की नीति के हामी थे कि पंजाबी व हिंदी के आधार पर पंजाब का विभाजन नही होना चाहिए इस लिये आंदोलन के हक में न थे ,परन्तु बाल काल से ही राजनितिक चेतना के कारण जुलुस -जलसों में उन्हें देखने के लिए हम जाते थे । उस दिन भी यह सूचना सुन कर म
डॉ मुब्ब्शिर हसन - विनम्र श्रद्धांजलि
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स्व0 दीदी निर्मला देशपांडे जी के अनन्य सहयोगी , भारत-पाकिस्तान की जनता के बीच मैत्री सम्बन्धो के प्रखर समर्थक तथा पानीपत(हरियाणा) में एक शिक्षित सभ्रांत किसान परिवार में जन्मे डॉ मुब्बशिर हसन साहब का आज 99 वर्ष की अवस्था में आज लाहौर में उनके निवास स्थान पर निधन हो गया । वे पाकिस्तान में एक वरिष्ठ राजनेता तथा पूर्व प्रधानमंत्री ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो के अत्यंत निकटस्थ व्यक्ति थे जिन्होंने वहां पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी को बनाने में अग्रणी भूमिका निभाई । वे भुट्टो मंत्रिमंडल में वित्त मंत्री के भी पद पर रहे । पाकिस्तान में गरीब ,मजदूर-किसान वर्ग के बारे में उन्होंने कानूनों को वजूद में लाने में भी वे आगे रहे । वे एक महान चिंतक, अर्थशास्त्री तथा राजनीतिक विश्लेषक थे तथा इन तमाम विषयो पर उन्होंने अनेक पुस्तको की रचना की । पानीपत में जन्मे डॉ मुब्बशिर हसन को अपने इस शहर से बेहद लगाव था । विभाजन से पूर्व, उनका परिवार पानीपत मे हक़ीम वालो के नाम से प्रसिद्ध था । वे भारत विभाजन के बाद 50 वर्षों बाद 1997 में पानीपत एक दल को लेकर आये थे । उस समय वे अपने सभी पुराने सहपाठियों से मिले । व
कोरोनो वायरस गो
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*कोरोना वायरस गो* (Inner Voice,Nityanootan Broadcast Service) कोरोना वायरस का प्रकोप व उसका भय पूरे देश मे फैल रहा है । कई राज्यों ने इसे महामारी घोषित किया है ,पर मेरा मानना है कि इसे हल्के में नही लेना चाहिये । मै आज ही राजस्थान से लौटा हूं । वहां भी उदयपुर और जयपुर में इक्का दुक्का संदिग्ध मरीज पाए गए है । सरकार ने इसे बहुत ही गम्भीरता से लिया है तथा न केवल राजस्थान में अपितु पूरे देश मे सरकार मुस्तैद व हरकत में है जिसकी सराहना की जानी चाहिये । राजस्थान में ही कथित उच्च वर्गों में मैने पाया कि वे सामूहिक रूप से *कोरोना भाग जा तेरो भारत में क्या काम* के गीत गा रहे है । पता करने पर पाया कि किन्हीं लोगों ने इसे गीत टोटके के रूप में तैयार किये है और उनका दावा है कि इनके सामूहिक पाठ से यह बीमारी ऐसे ही भाग जाएगी जैसे कि मान्यता है कि हनुमान चालीसा पढ़ने से भूत- प्रेत, रोग-दोष भाग जाते है । एक जगह तो मुझे किसी ने पोस्ट भेजी कि मात्र 10₹ के झाड़े से यह बीमारी ठीक हो जाएगी । केंद्र सरकार के एक मंत्री की वीडियो वायरल हो रही है जिसमे वे अपने साथ खड़े लोगों को कोरोना गो का बीज
जिन प्रेम कियो तिन्ही प्रभु पायो- उदयपुर
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*उदयपुर* (Nityanootan Broadcast Service) झीलों की नगरी के नाम से विश्वविख्यात उदयपुर ने मुझे सदा आकर्षित किया है । सर्वविदित है कि यह एक ऐतिहासिक नगर है जहाँ की मिट्टी के कण कण में वीरता ,त्याग तथा पराक्रम का इतिहास छिपा है । यह धार्मिक स्थल भी है इसी जनपद के अंतर्गत वैष्णव तीर्थ श्री नाथद्वारा तथा मेवाड़ राज्य के आदिदेव एकलिंग जी का भी मंदिर है । आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती ने इसी नगर में अपने जीवन के अनेक वर्ष गुजारे तथा यहीं रहते हुए नवलखा महल में अपनी अनुपम कृति सत्यार्थ प्रकाश की रचना की । भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के भी अनेक अग्रणी नेता इसी सम्भाग से हुए । देश की आज़ादी के बाद यह जिला राजनीति की भी प्रमुख केंद्र रहा । मेरी तीन पीढ़ियों का इस नगर से सम्बन्ध है । मेरे छोटे मामा श्री पृथ्वी सिंह सैनी लगभग 65 वर्ष पहले यहां रेलवे में अपनी नौकरी के कारण ट्रांसफर होकर आए थे । वे यहां ऐसे आये की यहीं बस गए । यहीं उनके बच्चों का जन्म हुआ ,यहीं वे पढ़े और अब सभी यहीं बस गए है । मेरी पत्नी श्रीमती कृष्णा कान्ता भी यहीं की है । उनके पिता श्र
शेर ए कश्मीर जनाब शेख़ अब्दुल्ला
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*शेर ए कश्मीर* (Inner Voice- Nityanootan Broadcast service( जम्मू-कश्मीर के पहले वज़ीर ए आज़म( मुख्यमंत्री) के नाम से जम्मू में बने 'शेर-ए-कश्मीर' इंटरनेशनल सेन्टर का नाम बदलना न केवल निंदनीय है अपितु अज्ञानता से भरा कदम भी है । जो लोग जनाब शेख़ अब्दुल्ला को सिर्फ फ़ारुख अब्दुल्ला के पिता अथवा उमर अब्दुल्ला के दादा के रूप में ही जानते है उन्हें उनके बारे में बहुत कुछ जानने की जरूरत है । वे पहले व्यक्तित्व थे, जिन्होंने कश्मीर रियासत के महामहिम महाराजा हरी सिंह की तमाम ढुलमूल नीतियों के बावजूद कश्मीर का भारत मे विलय के लिये संघर्ष किया । पाकिस्तान ने कबालियो के नाम पर जब सन 1948 में कश्मीर के बड़े हिस्से पर कब्ज़ा करके श्रीनगर की ओर कूच किया तब वहां न तो महाराजा जी की शाही फ़ौज थी और न ही इंडियन आर्मी । उस समय यदि कोई उनसे भिड़ा तो वे थे कश्मीर के खेत मजदूर और छोटे किसान जो अपने हाथ मे लाल झंडा जिस पर किसान का हल अंकित था , शेख अब्दुल्ला की अगुवाई में लड़े और पाकिस्तान को रोका । भारतीय सेना तो बाद में आई पर तब तक आज का पाक अधिकृत कश्मीर बन चुका था । क्या उनके इस बलिदान
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस समारोह
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निर्मला देशपांडे संस्थान ,माता सीता रानी सेवा संस्था , यूनाइटेड रिलीजियस इनिशिएटिव और हाली पानीपती ट्रस्ट के संयुक्त तत्वधान में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर महिला सशक्तिकरण सम्मान से पानीपत ज़िला तथा इसके आस पास की महिलाओं को सम्मानित करते हुए प्रसिद्ध समाज सेवी श्रीमती राज माटा ने कहा कि दुनिया में जितने भी काम-धंधे हैं, उन सब में 50 प्रतिशत संख्या महिलाओं की होनी चाहिए। यह ठीक नहीं है। कुछ काम ऐसे हैं, जिनमें महिलाओं की संख्या 50 प्रतिशत से भी ज्यादा रखना फायदेमंद है और कुछ में वह कम भी हो सकती है। असली बात यह है कि जिस काम को जो भी दक्षतापूर्वक कर सके, वह उसे मिलना चाहिए। उसमें स्त्री-पुरुष का भेदभाव नहीं होना चाहिए। जाति और मजहब का भी नहीं लेकिन इस 21 वीं सदी की दुनिया का हाल क्या है ? संयुक्तराष्ट्र संघ की एक ताजा रपट के मुताबिक दुनिया के लगभग 90 प्रतिशत पुरुष ऐसे हैं, जो महिलाओं को अपने से कमतर समझते हैं। वे भूल जाते हैं कि भारत,श्रीलंका और इस्राइल की प्रधानमंत्री कौन थीं ? इंदिरा गांधी, श्रीमावो भंडारनायक और गोल्डा मीयर के मुकाबले के कितने पुरुष प्रधानमंत्री इन तीनों