पानीपत की गलियां 11 (Rajputana Bazar)
पानीपत की गलियां-11 (राजपूताना बाजार का पुराना जादू) आज सुबह-सुबह, जब शहर अभी पूरी तरह जागा भी नहीं था, हम निकल पड़े पानीपत की उन संकरी, इतिहास से लबरेज गलियों की सैर पर। शुरूआत हुई रामधारी चौक से – वो चौक जहां कभी घोड़ों की टापें और बाजार की हलचल एक साथ गूंजती थीं। यहां से दक्षिण की ओर मुड़ते ही हम राजपूताना बाजार में दाखिल हो गए। ये बाजार कोई बड़ा मॉल नहीं, बल्कि एक जीवंत पट्टी है जो सीधे अमर भवन चौक की ओर निकलती है। पानीपत को राजस्व सर्कल में चार हिस्सों में बांटा गया है – तरफ राजपूतान, तरफ अफगानान, तरफ अंसार और तरफ मखदूम जादगान। और इसी तरफ राजपूतान की वजह से इस बाजार का नाम पड़ा राजपूताना बाजार, क्योंकि यहां मुस्लिम राजपूत बस्ते थे। बाजार की शुरुआत हुक्के की दुकानों से होती है जहां चिलम से लेकर नाल और हर दूसरा समान वाजिब दाम पर मिलता है. हुक्के के शौकिन हर शहरी-देहाती के लिए यह आकर्षण का केंद्र है. और फिर इसके आगे कदम रखते ही हवा में एक पुरानी खुशबू घुली हुई थी – घी की महक, ऊनी कपड़ों की गर्माहट और कहीं दूर से आती पकौड़ों की चटनी की तीखी सुगंध। विभाजन से पहल...